
सौरमंडल जिसे हम अपना घर कह सकते हैं अंतरिक्ष (Space) में हमारी वो पहचान है जिससे हम पूरी आकाशगंगा(Galaxy) में जाने जाते हैं, आज के इस लेख में हम इसी सौरमंडल (Solar System In Hindi) के बारे में जानेंगे। रात में जब आप आसमान को देखते होगे तो मन में ख्याल जो जरूर आता होगा कि आखिर यह सभी तारे, ग्रह और चांद क्या हैं? ये कैसे बने हैं और इनके पीछे का विज्ञान क्या है? किताबों में आपने इनके बारे में जितना भी पढ़ा हो पर जब आप इन्हें सच में अपनी आँखो से आसमान में देखते हो तो आपके मन में अलग ही ख्याल आते होंगे जिनका किताबों से कोई मतलब भी नहीं होता होगा।
आज इस लेख में हम सौर मंडल की ही बात करेंगे साथ में इनके सभी ग्रहों की भी बात करेंगे। हमारा सौर-मंडल जो खुद सूर्य की सीमा में बंधा हुआ है वह खुद अपने अंदर इतने रहस्य समेटे हुए है कि उन्हें समझने में ही हमे कई वर्ष लग सकते हैं। सौर-मंडल 4.5 अरब साल पुराना है, ये सूर्य की सीमा को दर्शाता है, जहां तक सूर्य की ग्रेविटी है वहां तक हम सौर मंडल की सीमा को मानते हैं।
अगर हम सच में देखें तो ये हमारी सोच से ही बहुत बड़ा है, इसमें आठ ग्रह और पाँच बौने-ग्रह (Dwarf Planets) शामिल हैं। आज जितनी भी रिसर्च और खोजें हमने ब्रह्मांड के बारे में की हैं, उससे कहीं कम हमें अपने सौर-मंडल (Solar System In Hindi) के बारे में पता है।
विषय - सूची
सौर मंडल (SOLAR SYSTEM) के बारे में –
उम्र (Age) : | 4.6 अरब साल (Billion Years) |
ग्रह (Planets): | 8 (Mercury, Venus, Earth, Mars, Jupiter, Saturn, Uranus, Neptune) |
बौने ग्रह (Dwarf Planets): | 5 (Ceres, Pluto, Eris, Haumea, Makemake) |
चंद्रमा (Moons): | 575+ |
उल्कापिंड (Asteroids): | 796,354 (सिंतबर 2019 तक) |
धूमकेतू (Comets): | 4,143 (सिंतबर 2019 तक) |
सौर मंडल की सीमा (Diameter): | 187. 5 खरब किलोमीटर |
सौर मंडल में क्या है – What’s in the Solar System
हमारा सौर मंडल बहुत बड़ा है जिसमें 1 सूर्य, 8 ग्रह, 5 बौने ग्रह, 181 चंद्रमा, 555,300 उल्कापिंड और करीब 3 हजार धूमकेतु हैं। इन सभी चीज़े सूर्ये की ग्रेविटी के कारण बंधी हुई हैं और इसी की परिक्रमा करती हैं। आमतौर पर ग्रह ही सूर्य की परिक्रमा करते ैहैं।
1 सूर्य – सूर्य हमारे सौर-मंडल ( Solar System In Hindi) का आधार है, इसे हम सौर मंडल का भगवान भी कह सकते हैं, इसकी वजह से ही ये Solar System टिका हुआ है। ये एकमात्र तारा है जिसकी उर्जा से ही हम जीवित हैं। पूरे सौर मंडल का 99.8 फीसदी द्रव्यमान ( Mass) इसी में समाया हुआ है।
8 ग्रह – सौर मंडल में आठ ग्रह हैं जो कि इस प्रकार हैं – बुध (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण(Uranus), नेप्टून (Neptune) ।
5 बौने ग्रह – (Pluto, Ceres, Haumea, Makemake, and Eris)
181 चंद्रमा
555,300 उल्कापिंड
3,100 धूमकेतू (Comets)
कक्षायें
ग्रहों की कक्षायें दिर्घवृत्त (Ellipse) के आकार की है जिसके एक केन्द्र(Focus) मे रवि है, हालांकि बुध (Mercury) की कक्षा लगभग वृताकार (Circular) है। सभी ग्रहो की कक्षाये लगभग एक ही प्रतल मे है , जिसे क्रांतिवृत्त कहते है।
यह क्रांतिवृत्त पृथ्वी की कक्षा के प्रतल के द्वारा परिभाषित है (दूसरे शब्दों में क्रांतिवृत्त का प्रतल और पृथ्वी की परिक्रमा का प्रतल एक ही है)। यह क्रांतिवृत्त रवि (सूर्य) की भूमध्य रेखा के प्रतल से 8 डिग्री उपर है।
शुक्र, यूरेनस और प्लूटो को छोड़कर सभी ग्रह इसी दिशा मे घूर्णन करते है लेकिन शुक्र, यूरेनस और प्लूटो विपरीत दिशा मे घूर्णन करते है।
सौर मंडल के ग्रह – Planets Of Solar System
सूर्य से उनकी दूरी के क्रम में आठ ग्रह हैं जो इस प्रकार हैं –
बुध (Mercury)
बुध सूर्य के सबसे पास का ग्रह है और द्रव्यमान से आंठवे क्रमांक पर है। बुध व्यास (Diameter) से गीनीमेड और टाईटन चण्द्रमाओ से छोटा है लेकिन द्रव्यमान(Mass) मे दूगना है। ये सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह भी है, हालांकि सूर्य के सबसे नजदीक होने के बाद भी ये सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह नहीं है।

यह सूर्य की एक परिक्रमा करने में 88 दिन लगाता है। यह लोहे और जस्ते का बना हुआ हैं। अभी तक दो अंतरिक्ष यान मैरीनर 10 तथा मैसेन्जर बुध ग्रह जा चूके है। मैरीनर- 10 सन 1974 तथा 1975 के मध्य तीन बार इस ग्रह की यात्रा कर चूका है।
कक्षा : 57,910,000 किमी (0.38 AU) सूर्य से, व्यास : 4880 किमी, द्रव्यमान :3.30e23 किग्रा
बुध की कक्षा काफी ज्यादा विकेन्द्रीत(eccentric) है, इसकी सूर्य से दूरी 46,000,000 किमी(perihelion ) से 70,000,000 किमी(aphelion) तक रहती है। जब बुध सूर्य के नजदिक होता है तब उसकी गति काफी धिमी होती है।
बुध की सतह पर तापमान 90 डीग्री केल्वीन (1 Degree Celsius = 274.15 Kelvin) से 700 डीग्री केल्वीन तक जाता है। शुक्र पर तापमान इससे गर्म है लेकिन स्थायी है।
बुध की सतह पर चन्द्रमा के जैसे क्रेटर (गडढे) है। बुध की सतह स्थायी है, उस पर परतो मे कोई गतिविधी नही है। बुध का घनत्व 5.43 ग्राम/सेमी है और यह पृथ्वी के बाद सबसे ज्यादा घनत्व वाला पिंड है।
बुध ग्रह के सम्बन्ध में रोचक तथ्य – Facts about planet Mercury in hindi
शुक्र (Venus)
शुक्र (Venus) ग्रह हमारे सौर-मंडल (Solar System Hindi) का एक ग्रह है जो सूर्य से निकटतम दूरी के क्रम में दूसरे स्थान पर है, पहले पर बुध ग्रह है। शुक्र लगभग आकार में हमारे ग्रह पृथ्वी जैसा ही है।
रात में आकाश में आप देखें जो चंद्रमा के बाद जो सबसे ज्यादा चमकने वाला कोई आकाशिये पिंड है तो वह शुक्र ग्रह ही है। इसका परिक्रमा पथ 108,200,000 किलोमीटर लम्बा है। इसका व्यास 12,103 किलोमीटर है। शुक्र सौर मंडल का सबसे गरम ग्रह है।

कक्षा :0.72 AU या 108,200,000 किमी ( सूर्य से), व्यास : 12,103.6 किमी, द्रव्यमान : 4.869e24 किग्रा
शुक्र का घुर्णन (Rotation) विचित्र है, यह काफी धीमा है। इसका एक दिन 243 पृथ्वी के दिन के बराबर है जो कि शुक्र के एक वर्ष से कुछ ज्यादा है। शुक्र का घुर्णन और उसकी कक्षा कुछ इस तरह है कि शुक्र की केवल एक ही सतह पृथ्वी से दिखायी देती है।
सूर्य और चंद्रमा के बाद, वीनस (Panet Venus) हमारे रात आसमान में सबसे प्रतिभाशाली वस्तु है! Venus हमारे सौर मंडल में दक्षिणावर्त घूर्णन करता है इसकी बहुत धीमी जाती के रोटेशन के कारण, विशेषज्ञों का मानना है कि अतीत में यह ग्रह किसी से टकराया होगा जिससे इसकी रोटेशन गति बदल गई है!
पृथ्वी (Earth)
सूर्य से दूरी में तीसरे स्थान पर पृथ्वी ग्रह आता है। ये नीला ग्रह भी है जिसमें पानी की मात्रा बहुत अधिक है। ये एकमात्र ग्रह हैं जहां पर जीवन है। पृथ्वी ग्रह अकेला ग्रह है जिसका अंग्रेजी नाम ग्रीक / रोमन पौराणिक कथाओं से नहीं है।
इसकी सूर्य से जो दूरी है वह एक इकाई मानी जाती है जिस खगौलीय एकाई या AU (Astronomical Unit) कहते हैं। 1 AU का मतलब है 15 करोड़ किलोमीटर।
कक्षा 1.00: 149,600,000 किमी ( AU , सूर्य से), व्यास : 12,756.3 किमी, द्रव्यमान : 5.972e24 किग्रा
पृथ्वी की आयु 4.5 अरब वर्ष से लेकर 4.6 अरब वर्ष है लेकिन पृथ्वी की सबसे पूरानी चट्टान 4 अरब वर्ष पूरानी है, 3 अरब वर्ष से पूराने चट्टाने दूर्लभ है। जीवित प्राणियो के जीवाश्म की आयु 3.9अरब वर्ष से कम है।
जीवन के प्रारंभ के समय के कोई प्रमाण उपलब्ध नही है।पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से ढंका है। पृथ्वी अकेला ग्रह है जिस पर पानी द्रव अवस्था मे सतह पर उपलब्ध है।
पृथ्वी के वातावरण मे 77% नायट्रोजन, 21% आक्सीजन,और कुछ मात्रा मे आर्गन,कार्बन डाय आक्साईड और जल बाष्प है।
पृथ्वी की एक ही प्राकृतिक उपग्रह है: चन्द्रमा। इसके अलावा हजारो की संख्या मे क्रत्रिम उपग्रह है। क्षुद्रग्रह 3753 क्रुथेन और 2002ए ए29 पृथ्वी के साथी है। जो पृथ्वी के साथ सूर्य की परिक्रमा करते है।
मंगल (Mars)
मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से देखने पर ये ग्रह एकदम लाल दिखाई पड़ता है। इस ग्रह की सतह जो कि चट्टानों और रेत के कणों से बनी है।
सौरमंडल (Solar System Hindi) के ग्रह दो तरह के होते हैं – “स्थलीय ग्रह (Surface Planet) ” जिनमें ज़मीन होती है और “गैसीय ग्रह (Gaseous Planet) ” जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है।

कक्षा :1.52: 227,940,000 किमी ( ए.यू. सूर्य से), व्यास : 6794 किमी, द्रव्यमान : 6.4219e23 किलो
मंगल पर 1965 मे मैरीनर – 4 यान भेजा गया था। उसके बाद इस ग्रह पर मार्स 2 जो मंगल पर उतरा भी था,के अलावा बहुत सारे यान भेजे गये है। 1976 मे दो वाइकिंग यान भी मंगल पर उतरे थे।
इसके 20 वर्ष पश्चात 4 जुलाई 1997 को मार्श पाथफाईंडर मंगल पर उतरा था। भारत का मंगलयान भी अब मंगल की कक्षा में स्थापित होकर इसका अध्ययन कर रहा है।
मंगल पर औसत तापमान 218 डिग्री केल्वीन(-55 डिग्री सेल्सीयस) है। मंगल की सतह का तापमान 133 डिग्री सेल्सीयस से 27 डिग्री सेल्सीयस तक बदलता है।
मंगल पर भूदृश्य काफी रोचक और विविधताओ से भरा है। कुछ मुख्य है
- ओलिंप मोन्स : सौर मंडल में सबसे बड़ा पर्वत है जो 78,000 फीट(24किमी) उंचा है,आधार पर व्यास में 500 किलोमीटर से अधिक है.
- थारसीस: 10 किमी उचांई का और 4000 किमी चौड़ा और एक विशाल उभार है।
- वैलेस मारीनेरीस घाटी: 4000 किमी लंबाई और 10 किमी गहरी घाटीयो की एक प्रणाली।
- हेलास प्लेन्टीया: दक्षिणी गोलार्द्ध मे 2000 किमी व्यास और 6 कीमी गहरा क्रेटर
मंगल की सतह काफी पूरानी है और क्रेटरो से भरी हुयी है, लेकिन वहां पर कुछ नयी घाटीया, पहाड़ीयां और पठार भी है। यह सब जानकारीयां मगंल भेजे गये यानो ने दी है। पृथ्वी की दूरबीने (हब्बल सहित) यह सब देख नही पाते है।
मंगल का वातावरण पतला है। वातावरण मे 95.3% कारबन डाय आक्साईड, 2.7% नायट्रोजन, 1.6% आरगन ,0.15 % आक्सीजन और 0.03% जल बाष्प है।
मंगल पर 15 साल तक खोज करने वाले रोवर ऑपर्चुनिटी (Opportunity) ने तोड़ा दम
बृहस्पति (Jupiter)
बृहस्पति सूर्य से पांचवा और सबसे बड़ा ग्रह है। यह महाकाय ग्रह बाकी सभी ग्रहो के कुल द्रव्यमान का दूगुना है। बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुणा है।
इसकी विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका आकार हमारी धरती से 1300 गुना बड़ा है। इस ग्रह को सबसे विशाल गैसों वाला ग्रह भी कहते हैं। यह गैस से बना एक ग्रह है जिसकी सतह के बारे में वैज्ञानिक कुछ नहीं जानते हैं। इसके वातावरण में गैसों के अलाबा कुछ नहीं है।
कक्षा : 778,330,000 किमी (5.20 AU) सूर्य से, व्यास : 142,948 किमी(भूमध्य रेखा पर), द्रव्यमान : 1.900e27 किग्रा
बृहस्पति हिन्दू मिथको के अनुसार देवताओ के गुरू है। जूपिटर रोमन मिथको के अनुसार क्रोनस(शनि) के बेटे और देवताओ के राजा, ओलम्पस के सम्राट तथा रोमन साम्राज्य के रक्षक है।
ग्रीक मिथको मे वे जीयस है। 1610 मे गैलीलीयो ने पहली बार इसे दूरबीन से देखा था और इसके चार सबसे बड़े चन्द्रमा आयो,युरोपा, गनीमीड और कैलीस्टो की खोज की थी।
बृहस्पति पर पिछले 350 सालों से एक बवंडर चल रहा है जो कि लाल बादलों से बना हुआ है। यह बवंडर इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वीयां समा सकती हैं। चित्रों में देखने पर यह एक धब्बे की तरह नज़र आता है और इसे बृहस्पति की लाल आँख भी कहते हैं।
Facts About Jupiter In Hindi : बृहस्पति ग्रह के बेहद अद्भुत तथ्य
शनि (Saturn)
शनि को कभी-कभी “सौर मंडल का गहना” कहा जाता है। यह सूर्य से छठा ग्रह है और बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक ग्रह है जो हमारे अपने जैसा नहीं है मनुष्य एक लंबे समय से शनि ग्रह को देखता आ रहा है, इसके छल्ले और इसका आकार हजारों वर्षों से मानवों को आकर्षित करता रहा है।
कक्षा : 1,429,400,00 किमी (9.54 AU) सूर्य से, व्यास: 120,536किमी (विषुवत वृत्त पर), द्रव्यमान: 5.68e26 किग्रा
गैलीलीयो ने इसे दूरबीन से पहली बार 1610 मे देखा था। उन्होने शनि के विचित्र आकार को देखा था और मजाक मे कहा था कि शायद शनि के दो कान भी है। हम इसके छल्लों को हम अपनी आँखो से आसानी से देख सकते हैं, इसके लिए आपको बस एक छोटी सी दूरबीन चाहिए।
पायोनियर 11 ने 1979 मे पहली बार शनि की यात्रा की थी, उसके पश्चात वायेजर 1 , वायेजर 2 ने शनि की यात्रा की थी। Cassini अभियान जुलाई 2004 मे शनि के पास पहुंचा था और चार वर्ष शनि की कक्षा मे रहा है।
शनि का घनत्व अन्य ग्रहो से कम है, यह पानी के घनत्व का 0.7 भाग है। शनि का घनत्व पृथ्वी के घनत्व का 1/8 भाग है जबकि शनि का व्यास पृथ्वी से 9 गुणा है। आप शनि पर नहीं खड़े हो सकते हैं यह पृथ्वी की तरह नहीं है शनि ज्यादातर गैसों से बना है इसमें बहुत हीलियम है यह वही गैस है जो आप गुब्बारे में डालते हैं। (Solar System Hindi)
Facts About Saturn In Hindi : शनि ग्रह के बेहद गजब तथ्य
अरुण (Uranus)
युरेनस सूर्य का सांतवा तथा तीसरा सबसे बड़ा (व्यास से) ग्रह है। युरेनस नेपच्युन से आकार मे बड़ा लेकिन द्रव्यमान से छोटा है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है।
द्रव्यमान में यह पृथ्वी से 14.5 गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से 63 गुना अधिक बड़ा है।
कक्षा : 2,870,990,000 किमी(19.218 AU)सूर्य से, व्यास :51,118किमी (विषुवत वृत्त (Equator)पर), द्रव्यमान : 8.683e25 किग्रा
युरेनस आधिनिक काल मे खोजा जाने वाला पहला ग्रह है जिसे विलियम हर्शेल ने 13 मार्च 1781 को अपनी दूरबीन से खोजा था। इसे इसके पहले भी देखा गया था लेकिन उसे तारा समझ कर उपेक्षित किया गया। वायेजर 2 ने 24 जनवरी 1986 को युरेनस की यात्रा की थी।
युरेनस मुख्यतः चट्टान और विभिन्न तरह की बर्फ से बना है जिसमे 15% हायड्रोजन और थोड़ी हीलीयम है। यह बृहस्पति और शनि के विपरित है जो मुख्यतः हायड़्रोजन से बने है।
युरेनस के वातावरण मे 83% हायड्रोजन, 15% हीलीयम और 2% मिथेन है।अन्य गैस महाकाय ग्रहो की तरह युरेनस पर बादलो के पट्टे है जो तेज गति से बहते है।
युरेनस का निला रंग उसके वातावरण मे उपरी भाग मे स्थित मिथेन द्वारा लाल रंग के अवशोषण के कारण है। बृहस्पति के जैसे विभिन्न रंगो के पट्टे मौजूद हो सकते है लेकिन वे उपरी वातावरण मे मौजूद मिथेन द्वारा ढंके हुये है।
वरुण (Neptune –नेपच्युन ) – Solar System Hindi
नेपच्युन सूर्य का आंठवा और चौथा सबसे बड़ा(व्यास से) ग्रह है। नेपच्युन युरेनस से व्यास के आधार पर छोटा लेकिन द्रव्यमान के आधार पर बड़ा ग्रह है।
वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से 17 गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। नेपच्यून को पहली बार 1846 में खोजा गया था । इस ग्रह को Jean Joseph Le Verrier ने खोजा था ।
यह अन्य सभी ग्रहों की तुलना में बाद में पता चला था क्योंकि यह नग्न आंखों के लिए नहीं दिखाई देता है।
कक्षा : 4,504,000,000 किमी(30.06 AU) सूर्य से, व्यास : 49,532 किमी(विषुवत पर), द्रव्यमान :1.0247e26 किग्रा
नेपच्युन की यात्रा केवल एक ही अंतरिक्ष यान वायेजर 2 ने की है। नेपच्युन के बारे मे अधिकतर जानकारी इस यान द्वारा दी गयी है लेकिन हब्बल और अन्य वेधशालाओ ने भी इस ग्रह के बारे मे जानकारी जुटायी है।
इस ग्रह की संरचना युरेनस के जैसी है। यह मुख्यतः चट्टान और विभिन्न तरह की बर्फ से बना है जिसमे 15% हायड्रोजन और थोड़ी हीलीयम है। यह बृहस्पति और शनि के विपरित है जो मुख्यतः हायड़्रोजन से बने है।
युरेनस और नेपच्युन मे बृहस्पति और शनि के विपरित परतदार आंतरिक संरचना नही है और उसमे पदार्थ समान रूप से वितरित है। इनके केन्द्र मे पृथ्वी के आकार का चट्टानी केन्द्रक है।
नेपच्युन के वातावरण मे 83% हायड्रोजन, 15% हीलीयम और 2% मिथेन है। नेपच्युन का निला रंग उसके वातावरण मे उपरी भाग मे स्थित मिथेन द्वारा लाल रंग के अवशोषण के कारण है लेकिन किसी अन्य अज्ञात तत्व की मौजूदगी से इसके बादलो को गहरा निला रंग मीला है।
Dwarf Planets Of Solar System- सौर मंडल के उपग्रह
बौने ग्रह उन ग्रहों को कहते हैं जो आकार में ग्रहों से काफी छोटे होते हैं, हालांकि ये दूसरे ग्रहों की तरह सूर्य के केंद्र की परिक्रमा करते हैं पर ये आकार में दूसरे ग्रहों के उपग्रहों से भी छोटे होते हैं।
सौर-मंडल में इस तरह के पांच बौने ग्रह हैं, जिनके नाम हैं – प्लूटो, सायरस , हौमिया , मेक्मेक और एरीस।

सौर-मंडल (Solar System Hindi) में सबसे बड़ा बौना ग्रह प्लूटो है जिसके बाद एरीस , मेक्मेक, हौमिया (Haumea) और सबसे छोटा बौना ग्रह है – सायरस। सूर्य से निकटतम दूरी के क्रम में सबसे पहले सायरस आता है फिर प्लूटो उसके बाद हौमिया, मेक्मेक और सबसे दूर एरीस है।
इनके बारे में अधिक जानकारी के लिए ये लेख जरूर पढ़े – Dwarf Planet Hindi – बौने ग्रह से जुड़ी जानकारी और तथ्य
क्षुद्रग्रह घेरा – Asteroid Belt
क्षुद्र ग्रह पथरीले और धातुओ के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इतने लघु है कि इन्हे ग्रह नही कहा जा सकता। इन्हे लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते है। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकडो तक है।
सौर मंडल में ये घेरा जिसे Asteroid Belt भी कहते हैं मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच की दूरी में आता है, मंगल और बृहस्पति में बहुत अधिक दूरी है। जिसमें हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह(ऐस्टरौएड) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं।
इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है।

यहाँ तीन और 400 किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं – वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ। पूरे क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान में से आधे से ज़्यादा इन्ही चार वस्तुओं में निहित है। बाक़ी वस्तुओं का अकार भिन्न-भिन्न है – कुछ तो दसियों किलोमीटर बड़े हैं और कुछ धूल के कण मात्र हैं।
खगोलशास्त्रीयों का मानना है की बहुत समय पहले ग्रहों के टूटने से ये क्षुद्रग्रहों का निर्माण हुआ था। इस क्षुद्रग्रह पट्टी में विभिन्न आकार के क्षुद्रग्रह पाये जाते हैं।
Kuiper Belt in Hindi

जिस तरह सौर मंडल (Solar System Hindi) में क्षुद्रग्रह घेरा – Asteroid Belt है ठीक उसी तरह नेपच्युन के बाहर इसी तरह का छोटे टुकड़ो का घेरा सामने आता है जिसे Kuiper Belt कहते हैं।
यह आकार में हमारी Asteroid Belt से 20 गुना बड़ी है और इस बेल्ट में तीन बौने ग्रह प्लूटो (Pluto) ,Haumea और Makemake पाये जाते हैं। सौर मंडल के ग्रहों की सीमा खत्म होने के बाद यही बेल्ट बचती है। यह बेल्ट बहुत बड़ी है और इसका कक्षापथ ही सूर्य से 50 AU के बराबर है।
हमारी सोच से भी बड़ा है हमारा सौर मंडल – Solar System Hindi
वैसे तो जब हम ब्रह्माण्ड की कल्पना करते हैं तो हम तारों और ग्रहों को एक छूल के कण के बराबर मान कर चलते हैं। पर वास्तव में हम खुद ही इतने छोटे हैं कि यह जो तारे और ग्रह जो हमारे ब्रह्मांड के सामने एक धूल के कण के बराबर हैं वे ही आकार में हमारी कल्पना को मात दे देते हैं।
सूर्य अपने अंदर 10 लाख पृथ्वी समा सकता है, जूपटिर ग्रह इतना बड़ा है कि इसमें हम 1300 पृथ्वियों को एक लाइन में रखदे तो भी कुछ ना कुछ खाली जगह बच ही जायेगी। पर ये भी कुछ नहीं है अगर आप और बड़े ग्रहों और तारों के बारे में जानना चाहते हैं तो ये लेख पढ़े – 650 खरब पृथ्वियों को समा सकता है ये तारा! फिर भी ब्रह्मांड में ये एक बिंदू भर है. हमारा Solar System 122 astronomical units में फैला हुआ है। 122 astronomical units का मतलब है 19 खरब किलोमीटर। यह दूरी बहुत ही बड़ी है पर इसे भी वायेजर 1 ने 6 साल पहले 25 अगस्त को पार कर लिया था.
हालांकि इसे ऐसा करने में 36 साल लग गये थे, पर अगर हम मानव मिशन को करने की सोचें तो उसमें 36 साल से कहीं ज्यादा का वक्त लग सकता है। देखा जाये तो सौर मंडल (Solar System Hindi) की सही सीमा को हम आज भी नहीं नाप सके हैं, सूर्य का जहां तक प्रभाव है वहीं तक सौर मंडल की सीमा है पर हम नहीं जानते हैं कि आखिर इसकी आखिरी सीमा कहां तक है।
वैज्ञानिक इसके बारे में सही अनुमान शायद आने वाले कुछ सालो में आधुनिक टेलिस्कोपों की मदद से लगा ही लेंगे। तो दोस्तों ये थे सोलर सिस्टम के बारे में बहुत ही रोचक तथ्य (Amazing Facts Of Solar System) जो आपको पक्का पसंद आये होंगे मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी अच्छी जरूर लगी होगी।
best important facts here thanks vigyanam
Great stuff about vigyanam, keep it up 🙂
That’s awesome article Vigyanam. Solar system ki gajab ki jankari di gayi hai padh kar maja aayega.
I think it will have a good future. I was really very much impressed in this field.
Best knowledge about the solar system and there very things facts
Great Knowledge about solar system.
Very nice sir
You are great sir
Very excellent sir thank you so much
Good luck
Thanks sir Article 👍 Information Very Good. your Website Helpful information Provided.
i like to read and learn about solar system . its very good website for learn everyone .
really helpful article dear
Keep Sharing
What do you mean about Sun and moon please write
Very interesting article
gazab…
Thanks