शुक्र (Planet Venus In Hindi) ग्रह हमारे सौर-मंडल का एक ग्रह है जो सूर्य से निकटतम दूरी के क्रम में दूसरे स्थान पर है, पहले पर बुध ग्रह है। शुक्र लगभग आकार में हमारे ग्रह पृथ्वी जैसा ही है।
रात में आकाश में आप देखें जो चंद्रमा के बाद जो सबसे ज्यादा चमकने वाला कोई आकाशिये पिंड है तो वह शुक्र ग्रह ही है। शुक्र और हमारी धरती का द्रव्यमान भी एकदम समान ही है और इसी कारण शुक्र को कई बार पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है।
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सबसे गर्म ग्रह – The Hottest Planet Of Solar System
Venus (Venus In Hindi) हमारे Solar-System का सबसे गर्म ग्रह है, वैसे तो सूर्य से दूरी के हिसाब से तो बुध ग्रह को सबसे गर्म होना चाहिए पर शुक्र ग्रह का Atmosphere ही ऐसा है जो वहां की सतह को नर्क बना देता है। यह इतना गर्म ग्रह है कि इस पर हम किसी भी मानव मिशन को नहीं भेज सकते हैं, अभी हमारे पास ऐसी कोई खास तकनीक भी नहीं है जिससे हम इस ग्रह की सतह पर कोई प्रोब (Probe) भी उतार सके…प्यार की देवी के नाम से नामकरण हासिल करने वाले इस ग्रह के बारे में आप और अधिक इस लेख में जानेंगे.
आइये जानते हैं शुक्र ग्रह (Venus In Hindi) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी –
Mean radius (रेडियस) |
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Surface area (सतह का क्षेत्रफल |
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Volume (आयतन) |
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Mass (द्रव्यमान) |
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Mean density (घनत्व) | 5.243 g/cm3 |
Surface gravity (सतह की ग्रेविटी |
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Escape velocity (पलायन वेग) | 10.36 km/s (6.44 mi/s) |
शुक्र ग्रह (Planet Venus In Hindi) सुंदरता और प्यार की देवी के नाम से जाना जाता है। (इसे यूनानी मे Aphrodite तथा बेबीलोन निवासी मे Ishtar कहते थे।) इसे यह नाम इस कारण दिया गया क्योंकि यह सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह है। चांद के बाद कोई सबसे चमकीला है तो वो यही ग्रह है।
शुक्र का घुर्णन (Rotation) विचित्र है, यह काफी धीमा है। इसका एक दिन 243 पृथ्वी के दिन के बराबर है जो कि शुक्र के एक वर्ष से कुछ ज्यादा है। शुक्र का घुर्णन और उसकी कक्षा कुछ इस तरह है कि शुक्र की केवल एक ही सतह पृथ्वी से दिखायी देती है।
शुक्र को पृथ्वी का जुंड़वा ग्रह कहा जाता है क्योंकि
- शुक्र पृथ्वी से थोड़ा ही छोटा है। यह ग्रह व्यास मे पृथ्वी के व्यास का 95% तथा द्रव्यमान(Mass) मे पृथ्वी का 80% है।
- दोनो की सतह मे क्रेटर कम है और सतह अपेक्षाकृत नयी है।
- घनत्व(Density) तथा रासायनिक संरचना समान है।
Venus (Planet Venus Facts In Hindi) के पास अपना खुद का कोई चन्द्रमा (Moon) नहीं है! जिस तरह हमारे ग्रह पृथ्वी का एक चंद्रमा है तो मंगल (Mars) के दो हैं और बृहस्पति और शनि के कई चंद्रमा हैं। चंद्रमा रहित ग्रह पर जीवन होना भी काफी कठिन होता है।
शुक्र ग्रह पर दबाव पृथ्वी के वायुमंडल दबाव का 90 गुना है जोकि पृथ्वी पर सागर सतह से 1 किमी गहराई के तुल्य है। वातावरण मुख्यतः कार्बन डाय आक्साईड से बना है। यहां Sulphuric Acid के बादलो की कई किलोमीटर मोटी कई परते है। यह बादल शुक्र ग्रह की सतह ढक लेते है जिससे हम उसे देख नही पाते है।
सूर्य और चंद्रमा के बाद, वीनस हमारे रात आसमान में सबसे प्रतिभाशाली वस्तु है! शुक्र (Planet Venus In Hindi) हमारे सौर मंडल में दक्षिणावर्त घूर्णन करता है इसकी बहुत धीमी जाती के रोटेशन के कारण, विशेषज्ञों का मानना है कि अतीत में यह ग्रह किसी से टकराया होगा जिससे इसकी रोटेशन गति बदल गई है!
शुक्र ग्रह (Planet Venus In Hindi), हमारे सौर मंडल के सबसे भयानक माहौल वाले ग्रहों में से एक है। ये पूरी तरह से गंधक (Sulphuric Acid) के एसिड के बादलों से ढका है। यहां के सतह का तापमान ही 462 डिग्री तक पहुँच जाता है जो इतना ज्यादा है कि सीसा, ज़िंक और टिन जैसी धातुएं भी यहां पिघली हुई पाई जाती हैं। ये हमारे सौर-मंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
रूस ही वो पहला देश था जिसने सत्तर और अस्सी के दशक में शुक्र ग्रह पर वेनेरा और वेगा जैसे बेहद कामयाब अभियान भेजे थे।ये शुक्र का चक्कर लगाने के लिए भेजे गए थे। लेकिन शुक्र के भयानक गर्म वातावरण में यह यान मात्र 3 घंटे में ही जलकर राख हो गये थे।
2006 में युरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा भेजे गए Venus Express space shuttle ने शुक्र पर 1000 से ज्यादा ज्वालामुखीयों की खोज की। आंकड़ों के मुताबिक शुक्र पर अभी भी ज्वालामुखी सक्रिय हैं पर कुछ ही क्षेत्रों में, ज्यादातर हिस्सा लाखों सालों से शांत है।
शुक्र पर वैसे जीवन की संभावना काफी कम है पर यदि इसे खोजा जाये तो हमें सौर-मंडल और शुक्र ग्रह के कई राज जानने को मिल सकेंगे जो आगे हमारे लिए काफी मददगार होंगे, पर शुक्र का भयानक वातावरण ही वैज्ञानिकों को राकते रहता है।
शुक्र ग्रह का वातावरण सिकुड़ रहा है: वैज्ञानिकों ने देखा है कि शुक्र ग्रह का वातावरण सिकुड़ रहा है, ये प्रति वर्ष लगभग 100 टन हाइड्रोजन को खोता ही जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि सौर हवा और शुक्र ग्रह के वातावरण के टकराने के कारण इसका वातावरण यानि वायुमंडल छोटा होता जा रहा है।
शुक्र ग्रह की सतह बदल रही है: वैज्ञानिकों ने यह भी देखा है कि शुक्र ग्रह की सतह बदल रही है, नई सतह बन रही है और पुरानी गायब हो रही हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि शुक्र पर लगातार ज्वालामुखी गतिविधि और अन्य भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण ही इसकी सतह बदलती रहती है।
वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित किया है कि शुक्र ग्रह में सतह से लगभग 48 किलोमीटर नीचे तरल पानी का एक उपसतह महासागर हो सकता है। यह महासागर भारी दबाव और तापमान में होगा, लेकिन यह संभव है कि इस तरह के वातावरण में जीवन मौजूद हो।
क्या शुक्र ग्रह पर जीवन के संकेत हैं –
2020 में, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने शुक्र ग्रह के वातावरण में फॉस्फीन (Phosphine) गैस की खोज की।ये एक रंगहीन, ज्वलनशील और विषैली गैस है। इसका रासायनिक सूत्र PH3 है। ये गैस पृथ्वी पर जीवाणुओं द्वारा बनती है, इसलिए इसकी खोज ने वैज्ञानिकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शुक्र ग्रह पर भी जीवन हो सकता है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि शुक्र ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत फॉस्फीन गैस के कारण ही हैं या नहीं।
2021 में वैज्ञानिकों ने शुक्र के बादलों में कार्बनिक अणुओं का पता लगाया। कार्बनिक अणु जीवन के निर्माण के आरंभिक कण हैं। इसलिए शुक्र पर उनकी खोज उस ग्रह पर जीवन की संभावना के लिए एक आशाजनक संकेत है। हालाँकि, शुक्र पर कार्बन अणुओं उस पर जीवन का ठोस संकेत दे सकता है, इस पर अभी भी रिसर्च लगातार चल रही है। साल 2022 में वैज्ञानिकों ने वीनस के बाहरी वायुमंडल पर भी जीवन के होने के संकेत बताये थे, उनका मानना था कि इस बाहरी वायुमंडल में तापमान काफी कम है और जीव यहां आराम से पनप सकते हैं, हालांकि इस पर अभी भी रिसर्च चल रही है।
शुक्र (Planet Venus In Hindi) पर मिशन भेजने की दिक्कतें
शुक्र ग्रह (Planet Venus In Hindi) हमारे का दूसरा ग्रह है जो सूर्य के नजदीक आता है, अगर हम भविष्य में इस ग्रह पर कोई मिशन भेजते हैं तो हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे यह ग्रह सूर्य के नजदीक है तो सूर्य से निकलने वाली सौर हवा और उसके तूफान जिनमें लाखों – अरबों कण होते हैं वह हमारे यान को तुरंत खराब कर सकते हैं। ऐसे में यात्रा के बीच में ही प्रोब के खराब होने का खतरा बुहत ज्यादा बढ़ जायेगा। सूर्य हर 11 साल में ऐसा भयानक तूफान धरती की ओर भेजता है तो हमें मिशन को इन्हीं सालों के बीच कैसे भी करके भेजना पड़ेगा।
– बहुत घातक होते हैं सौर तूफान, पर क्या ये धरती को तबाह कर सकते हैं?
दूसरा शुक्र ग्रह (Planet Venus In Hindi) का वायुमंडल ही इतना भयानक है कि इतनी भीषण गर्मी में शायद ही कोई प्रोब ज्यादा देर तक टिक सके, मिशन के लिए हमें ऐसे प्रोब चाहिए जो कमसे कम कुछ दिनों तक शुक्र की सतह का अध्ययन कर सकें। हालांकि नासा ने फिलहाल पार्कर प्रोब सूर्य की तरफ भेजा है जिससे हमें आस है कि आगे आने वाले दिनों में हम शुक्र पर भी नासा का कोई मिशन देख सकते हैं।
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बहुत अच्छा लिखा आपने, उम्मीद है नासा भविष्य में शुक्र ग्रह पर कोई मिशन जरूर भेजेगा।