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शुक्र के फास्फीन गैस से भरे विषैले वातावरण में आखिर कैसे इंसान जिंदा रह सकते हैं?

क्या आप जानते हैं, शुक्र के शानदार बादलों के अंदर छुपी हो सकती है सबसे पहले परग्रही जीवन की सत्ता!

जब भी हम अपने सौर-मंडल की और नजर डालते हैं, तब हमको पृथ्वी के अलावा दूसरे किसी भी ग्रह पर जीवन का कोई नामोनिशान ही दिखाई नहीं देता है। हाल ही में हमें मंगल तथा चाँद पर पानी के होने की कई सारे सबूत मिले है। वैसे जीवन के मिलने की इस सूची में अब शुक्र (life on Venus in hindi) भी शामिल हो चुका है। तो यहाँ ये सवाल पैदा होता है की, क्या शुक्र में जीवन संभव है (Could there be life on Venus)?

क्या शुक्र पर जीवन संभव है ?- Life On Venus In Hindi.
शुक्र के अंदर छुपी हुई है जीवन के सत्ता का राज | Credit: You Tube.

दोस्तों! हम आज के इस लेख में इसी सवाल के उत्तर के बारे में जानने का प्रयास करेंगे कि, क्या सच में शुक्र पर जीवन कभी संभव हो सकता है (Venus possible life) और देखेंगे की शुक्र के ऊपर जीवन कैसे (life on Venus in hindi) पनप सकता है। तो मैं आप लोगों से अनुरोध करना चाहूँगा कि, आने वाले अगले 5 मिनट को एक बार सिर्फ इस लेख के ऊपर निवेश करके देखिये और जानिए शुक्र की एक गज़ब की कहानी।

खैर आगे बढ़ने से पहले मैं  एक और बात बता दूँ की, हम लोग इस लेख में फास्फीन गैस (Phosphine Gas) को आधार मान कर शुक्र में स्थित जीवन के संभावनाओं (can Venus support life) के बारे में चर्चा करेंगे। इसीलिए मैं आपको सबसे पहले फास्फीन गैस (Phosphine Gas) के बारे में संक्षिप्त  में सम्यक अवधारण दूंगा जिससे आपको विषय अच्छे से समझ में आ जाए।

विषैली फास्फीन गैस के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी – What Is Phosphine Gas In Hindi :-

रसायन विज्ञान में फास्फीन गैस” को एक बहुत ही खतरनाक और विषैली गैस मानी गया है। ये गैस रंग रहित तथा काफी ज्यादा ज्वलनशील है। इंसानों के लिए तो फास्फीन गैस बहुत ही ज्यादा घातक है। PH3 के अंग्रेजी अक्षरों से इसे सूचित किया जाता है और ये गंध रहित गैस भी है।

फास्फीन को बहुत ही कम मात्रा में ही सही परंतु अगर किसी इंसान ने सूंघ भी लिया तो, ये गैस क्षण भर में अपना लक्षण दिखाना शुरू कर देती है। मुख्य तौर से ये आँखें और दिल के कार्य प्रणाली में समस्या उत्पन्न करती है। ये हमारे तंत्रिका तंत्र को गंभीर रूप से संक्रमित कर के पेट और आँतों में दर्द का कारण भी बन सकता है। इसलिए वैज्ञानिक इस गैस से दूर रहने की सलाह देते है।

क्या शुक्र पर जीवन संभव है ?- Life On Venus In Hindi.
विषैले फास्फीन गैस से भरे शुक्र का वायुमंडल | Credit: Planetary Society

परंतु मित्रों! क्या आप जानते हैं इंसानों के लिए घातक ये फास्फीन गैस के आधार पर ही शुक्र पर हमें जीवन की (life on venus in hindi) संभावनाएं मिलीं है, जो की एक बहुत ही चौंकाने वाली बात भी है। इसे सुनने के बाद आप सभी के मन में ये सवाल जरूर ही आ सकता है की, विषैले फास्फीन गैस की उपस्थिति में क्या कभी शुक्र जीवन को पनपने दे पायेगा (could venus support life)?

मित्रों! बता दूँ की, इन्हीं के बारे में ही हम आगे इस लेख में जानने वाले है।

क्या शुक्र पर जीवन संभव है? – Life On Venus In Hindi :-

वर्तमान समय की बात करें तो, शुक्र का सतह किसी भी हिसाब से जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। परंतु इसका मतलब ये नहीं है की, शुक्र पर कभी जीवन (life on Venus in hindi) संभव ही नहीं हो सकता है। बता दूँ की, शुक्र का सतही दबाव पृथ्वी से 90 गुना ज्यादा है जो की वहाँ जीवन के पनपने के लिए अनुकूल नहीं है। इसके साथ ही साथ वहाँ के वातावरण के तापमान (471 डिग्री सेल्सियस) में होने वाले भारी बदलाव भी जीवन को जीने के लिए नहीं देंगे।

Venus then and Now.
करोड़ों साल पहले शुक्र दिखता था कुछ ऐसा | Credit: You Tube

परंतु एक बहुत ही गज़ब की बात ये है की, शुक्र की सतह से कुछ किलोमीटर ऊपर स्थित बादलों में जीवन संभव हो सकता है। जी हाँ मित्रों! आप लोगों ने सही सुना वैज्ञानिकों के हिसाब से इन बादलों के अंदर दबाव और तापमान दोनों ही जीवन के पनपने के लिए अनुकूल है। हालांकि! इसके विरोधाभास के तौर पर कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं की, भारी मात्रा में सल्फ्यूरिक गैस और कार्बन डाइऑक्साइड गैस से भरे हुए शुक्र के वायुमंडल में जीवन का संभव (life on Venus in hindi) होना मुश्किल है। आप लोगों को क्या लगता है, क्या शुक्र के इन बादलों में जीवन संभव हैं (life could exist on Venus planet)? जरूर ही बताइएगा।

वैसे चलिये अब आगे देखते हैं की, फास्फीन गैस का शुक्र में जीवन के साथ आखिर क्या संबंध है।

शुक्र के बादलों में छुपी हुई है एक राज, फास्फीन गैस दे रहा है जीवन के होने का संकेत ! :-

लेख के इस भाग में हम फास्फीन गैस और शुक्र में जीवन की (life on Venus in hindi) होने के संभावनाओं को एक साथ जोड़ कर देखेंगे तो इसे जरा गौर से पढ़िएगा।

एक फास्फोरस और तीन हाइड्रोजन कण से बनने वाला फास्फीन गैस कई हद तक विषैला होने के बाद भी जीवन के संकेत देने में एक बहुत ही अच्छा सूचक है। इसीलिए अंतरिक्ष में जीवन के तलाश के दौरान कई बार फास्फीन गैस को एक आधारभूत सूचक तौर पर इस्तेमाल भी किया जाता है।

Amazing photo of Venus Cloud.
शुक्र के बादलों का राज | Credit: Astronomy Magazine.

तो, मूल बात ये हे की हाल ही में सितंबर के इसी महीने में ही वैज्ञानिकों को शुक्र के वायुमंडल में काफी भारी मात्रा में फास्फीन गैस मिली है। यहाँ अब आप पूछेंगे की, आखिर इस में कौन सी बड़ी बात है? तो, मित्रों बता दूँ की ये एक बहुत ही बड़ी बात है क्योंकि इतनी भारी मात्रा में फास्फीन गैस का बनना सिर्फ और सिर्फ जीवित जीवों के द्वारा ही संभव हो सकता है। हालांकि! यहाँ ध्यान रखेंगे की बिजली और रासायनिक प्रक्रियाओं के आधार पर भी फास्फीन गैस बनता हैं परंतु उसकी मात्रा बहुत ही कम होता है।

वैज्ञानिकों को लगता हैं की, शुक्र के बादलों के अंदर आज भी पर ग्रही जीवन मौजूद है (aliens on venus) जो की इस फास्फीन गैस को बना रहा है। इस एक सबूत फास्फीन गैस के मिलने से ही हमें शुक्र के बारे में और अधिक जानने का मौका मिला। अब शायद मंगल के बाद शुक्र के ऊपर भी इंसान कभी रहने का सोचेगा। मित्रों! आप ही बताइए क्या कभी इंसान शुक्र पर रहने में सक्षम हो पायेगा (could humans live on Venus)?

निष्कर्ष – Conclusion :-

पिछले 31 सालों से NASA ने शुक्र को लेकर कोई नया मिशन नहीं किया है, इसलिए आशा हैं की आने वाले सालों में हमें नासा के द्वारा शुक्र से संबंधित कई सारे मिशन देखने को मिलेंगी। वैसे इसी साल शायद नासा के द्वारा “Veritas” (हालांकि ये मिशन 2026 तक भी स्थगित हो सकता है)और “Davinci”  नाम के दो मिशन चलाये जा सकते है। ये दो मिशन हमें शुक्र के सतह की उन्नत तस्वीर देने के साथ ही साथ इसके वायुमंडल के बारे में भी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दे सकती है।

Photo of Venus surface taken by Venera 13.
वेनेरा-13 के द्वारा खींची गई शुक्र के सतह का एक दुर्लभ फोटो | Credit: Sci News.

बता दूँ की, अभी तक इंसानों ने लंबे समय तक शुक्र के सतह पर कोई भी प्रोब छोड़ने में सक्षम नहीं हो पाया है। इसीलिए वायुमंडल के सटीक सैंपल के अभाव से वहाँ के जीवन के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। वैसे वैज्ञानिकों ने आज से 38 साल पहले यानी साल 1982 में शुक्र से संबंधित एक मिशन को अंजाम दिया था। जिसमें “Venera 13” नाम के एक प्रोब को शुक्र के सतह पर उतारा गया था। परंतु दुख की बात ये हैं की, ये प्रोब शुक्र के प्रतिकूल वातावरण को केवल 2 घंटों तक ही संभाल सका।

इसीलिए शुक्र के ऊपर जीवन के सबूतों को ही ढूंढ पाना अपने आप में ही एक चुनौतियों से भरा काम है। मुझे ऐसा लगता हैं की, शुक्र के वायुमंडल में शायद सूक्ष्म जीवों का कोई एक कॉलोनी हो सकता है जो की इतनी भारी मात्रा में फास्फीन गैस को बना रहा है। खैर आने वाले समय में हमें इसके बारे में पता चल ही जायेगा।

Sources :- www.space.com, www.universetoday.com, www.thespacereview.com.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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