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चाँद की धूल के कण से निकल सकता है ऑक्सिजन! – How To Make Oxygen Out Of Moon Dust?

मोलटेन सल्ट इलेक्ट्रोलाइसिस के जरिये आखिर कैसे चाँद की धूल के कण से ऑक्सिजन निकाला जाएगा! जाने इस लेख में |

जीवन जीने के लिए बहुत सारी साधनों की जरूरत पड़ती ही पड़ती हैं | हर किसी जगह ऐसे ही बिना कारण के बड़ी आसानी से जीवन की उत्पत्ति नहीं हो सकती हैं | पानी से लेकर वातावरण तक हर एक चीज़ अगर जीवन के लिए अनुकूल होता हैं तब ही जीवन की उत्पत्ति संभव हो पाती हैं | वैसे तो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति 3.5 अरब साल पहले ही हो गई थी, परंतु विडंबना की बात तो यह है की आज तक हम लोग पृथ्वी के अतिरिक्त कोई दूसरी जगह पर जीवन देखने में सक्षम नहीं हो पाए हैं | वैसे पृथ्वी के अलावा दूसरी जगहों पर जीवन के न दिखने के कारणों में से एक कारण ऑक्सिजन (How To Make Oxygen Out Of Moon Dust) का न मिलना भी हैं |

This Procedure can help us to make Lunar Bases.
इस प्रक्रिया के मदद से ऑक्सिजन के साथ ही साथ बनाया जा सकता है लुनर बैस | Credit: Universe Today.

ऑक्सिजन (how to make oxygen out of moon dust) के न मिलने की इस असुविधा को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने आज कुछ बहुत ही गज़ब के उपाय निकालने में सक्षम हो पाएं हैं | उनका कहना हैं की, उनके द्वारा खोजे गए इस प्रक्रिया के जरिये वह आसानी से ऑक्सिजन की उत्पत्ति कर सकते हैं जो की जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं | तो, दोस्तों आज हम लोग इसी नए खोज यानी ऑक्सिजन को कृत्रिम रूप से कैसे बनाया जा सकता हैं उसके ऊपर गहन चर्चा करेंगे |

आगे बढ्ने से पहले ध्यान रखें इन बातों का :-

मित्रों! वैसे आगे बढ्ने से पहले में बता दूँ की, ऑक्सिजन को कृत्रिम रूप से उत्पादित करने जैसे आधुनिक खोजो की सफल होने के पीछे प्राचीन अंकों का भी बहुत ही बड़ा भूमिका हैं | इनके बिना हम लोग आज बड़े-बड़े तथ्यों को अंकों और संख्या के आकार में संगृहीत करके अपने काम में नहीं ला सकते थे | तो, मैंने हाल ही में अंकशून्य” के ऊपर आधारित एक बहुत ही गज़ब का लेख लिखा हैं| जिसमें मैंने इससे जुड़ी कई अंजान बातों का जिक्र किया हैं , तो अगर आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो उस लेख को अवश्य ही एक बार जरूर पढ़ सकते हैं |

अब चाँद की धूल के कण से निकाला जाएगा ऑक्सिजन – How To Make Oxygen Out Of Moon Dust ? :-

पिछले कई दशकों से इंसान ने चाँद पर कदम नहीं रखा हैं, परंतु आने वाले समय में वह न बल्कि चाँद परंतु मंगल पर भी अपना पहला कदम रखने जा रहा हैं | इसी के कारण से वैज्ञानिकों को सफल मिसन की चाह के कारण से आने वाले समय में मानव युक्त अंतरिक्ष मिसनों को सुगम और सरल बनाने की चिंता घारे हुए हैं | हाल ही में यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने चाँद की धूल के कण से (How to make oxygen out of moon dust) ऑक्सिजन उत्पन्न करने की कृत्रिम तरीका को ढूंढ कर निकाला हैं |

यह तरीका आने वाले समय में इंसानों को चाँद पर घर बना कर रहने की स्वप्न को पूरा करने में बहुत ही ज्यादा मदद करेगा | इसको मुद्दे नजर रखते हुए  नेदरलैंड में बनी एक खास  प्रयोगशाला में चाँद की धूल के कण से ऑक्सिजन निकालने की तरीके को आजमाया जा रहा हैं |

ऐसे चाँद की धूल के कण से निकाला जाएगा ऑक्सिजन :-

वैसे आगे बढ्ने से पहले मेँ बता दूँ की चाँद की मिट्टी के अंदर भारी मात्रा में ऑक्सिजन (how to make oxygen out of moon dust) मौजूद हैं | चाँद के इस मिट्टी को इसलिए वैज्ञानिकरिगोलिथ” (Regolith) भी कहते हैं | वैसे गहन शोध से पता चला है की, चाँद के मिट्टी के अंदर 40%-45% हिस्सा सिर्फ ऑक्सिजन से भरा हुआ हैं | इसलिए पृथ्वी के बाहर चाँद के सतह को ऑक्सिजन का एक बहुत बड़ा भंडार भी कहा जा सकता हैं | वैसे यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह भी है की, बहुत ही कम खगोलीय पिंडों के अंदर आपको ऑक्सिजन देखने को मिलता हैं जो की काफी ज्यादा दुर्लभ भी हैं |

वैसे वैज्ञानिकों का कहना है की, समय के चलते चाँद पर मौजूद ऑक्सिजन ओक्सिडाइज़ प्रक्रिया के द्वारा धातव-लवण या काँच के रूप में परिवर्तित हो गया हैं | इसी कारण से ऑक्सिजन को इन परिवर्तित अवस्थाओं से फिर उसके मूल अवस्था में वापस लाना एक बहुत ही कठिन काम हैं | तो, मेँ ऊपर ऑक्सिजन निकालने की जिस तकनीक/प्रक्रिया की बात कर रहा था वह तकनीक धातव-लवण और काँच में परिवर्तित हुए इन ऑक्सिजन के कणों को फिर से उसके मूल अवस्था में लाने में सक्षम हैं |

इस प्रक्रिया को आज कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में “मास स्पेक्ट्रोमीटर” के जरिये किया जा रहा हैं | मास स्पेक्ट्रोमीटर के जरिये चाँद की सतह से मिली मिट्टी से ओक्सिडाइज़ हुये ऑक्सिजन के कणों को आसानी से निकाला जा सकता हैं | अगर इसी प्रक्रिया से ऑक्सिजन को निकाला जाए तो चाँद पर लोगों की सांस लेने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन मौजूद हो जाएगा | इसके अलावा कृत्रिम रूप से निकाला गया ऑक्सिजन रॉकेट के ईंधन की तरह भी काम करेगा | वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की रॉकेटों के अंदर ऑक्सिजन और हीलियम का भी इस्तेमाल किया जाता हैं |

यह होती हैं इस प्रक्रिया की विधियाँ :-

अन्य किसी प्रक्रिया के ही तरह ऑक्सिजन निकालने की (how to make oxygen out of moon dust) इस प्रक्रिया के भी कुछ विधि या पद्धति हैं |तो, चलिये आगे एक नजर उन पर भी डालते हैं |

Scientist's doind molten salt ecetrolysis.
मोलटेन सल्ट इलेक्ट्रोलाइसिस के दौरान वैज्ञानिक | Credit: European space agency.

इस प्रक्रिया के लिए मोलटेन सल्ट इलेक्ट्रोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हैं | इस तकनीक के तहत एक धातु से बनी बास्केट के अंदर सबसे पहले कैल्सियम क्लोराइड को डाला जाता हैं | बाद में इस कैल्सियम क्लोराइड को 950 डिग्री सेल्सिउस तक गरम किया जाता हैं | कैल्सियम क्लोराइड के इस गरम अवस्था को मोलटेन सल्ट अवस्था भी कहा जाता हैं |

बाद में मोलटेन सल्ट को इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के लिए प्रस्तुत किया जाता हैं | इलेक्ट्रोलाइसीस प्रक्रिया के तहत मोलटेन सल्ट के अंदर दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड को डाला जाता हैं | बाद में सल्ट के साथ चाँद की मिट्टी को मिलाकर इलेक्ट्रोलाइसिस की प्रक्रिया को आरंभ किया जाता हैं | मित्रों मेँ आपको बता दूँ की इलेक्ट्रोलाइसीस प्रक्रिया के समय शोध किए जाने वाले मिश्रण के अंदर बिजली को प्रवाहित किया जाता हैं | इससे मिश्रण के अंदर मौजूद रासायनिक पदार्थों का आपस में प्रतिक्रिया शुरू हो जाती हैं | वैसे इस प्रक्रिया में चाँद की मिट्टी के अंदर मौजूद ऑक्सिजन एनोड के पास जमा होने लगता हैं |

मिश्रण में बाकी बचे पदार्थ इलेक्ट्रोलाइसिस के प्रक्रिया के कारण अलग-अलग प्रकार के एलोय में परिवर्तित हो जाते हैं | मित्रों ! यह एलोय बाद में चाँद की सतह पर हमारे घर बसाने में भी मदद कर सकती हैं | इसके अलावा हैरानी वाली बात यह भी है की ऑक्सिजन निकालने की इस कृत्रिम प्रक्रिया (how to make oxygen out of moon dust) में किसी भी प्रकार का वेस्ट प्रॉडक्ट आपको देखने को नहीं मिलता हैं | यानी इस प्रक्रिया में निकलने वाला हर एक पदार्थ हमारे लिए बहुत ही जरूरी हैं |

निष्कर्ष – Conclusion :-

तो, यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों का यह कहना है की, आने वाले समय में वह ऑक्सिजन निकालने की इस प्रक्रिया के ऊपर काफी ज्यादा शोध करके इसे और भी विकसित व उन्नत बनाएंगे जिससे एक दिन इसको आसानी से अंतरिक्ष में भेजा जा सकता हैं | वैसे मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की, यूरोपीय स्पेस एजेंसी की 2030 के मध्य भाग तक चाँद पर इंसानों की एक विशेष बेस बनाने का लक्ष्य हैं |

इसी कारण से वह चाँद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके को चुना हैं | वैसे चाँद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके से याद आया की हमारा चंद्रयान भी इसी जगह उतरते-उतरते रह गया, खैर जो भी हो वह मिसन भारत के लिए एक बहुत ही गौरवमय मिसन था जिसके बारे में जानना एक भारतीय के लिए बहुत ही जरूरी हैं | तो, अगर आप उस मिसन से जुड़ी बेहद ही हैरान कर देने वाली बातों को जानना चाहते है तो आप उस लेख को भी पढ़ सकते हैं |

Source :- www.iflscience.com.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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