ब्रह्मांड अनंत है और कोई नहीं जानता ये कितना बड़ा है। इसके ऊपर से हम मानवों के लिए ये एक किसी पहेली से कम नहीं है। ये ही कारण है कि, दुनिया भर के वैज्ञानिक अन्तरिक्ष में लगातार काफी सारे शोध करते रहते हैं और ये ही वजह है कि, आज हम एक नए चीज़ (Hoag’s Object In Hindi) के बारे में चर्चा करने जा रहें हैं। जिसके बारे में शायद ही कोई बात करेगा और शायद ही आपको इंटरनेट पर इसके बारे में कहीं भी पढ़ने को मिलेगा।
होग्स ऑब्जेक्ट (Hoag’s Object In Hindi) को ले कर आप क्या जानते हैं? मेरे हिसाब से तो कई लोग आज इसका नाम पहली बार सुन रहे होंगे। परंतु मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ये एक बहुत ही गज़ब की चीज़ है। जो की शायद ही कभी ब्रह्मांड में आप लोगों को देखने को मिलेगी। तो मित्रों, यहाँ मैं आप लोगों से एक सवाल पूछना चाहता हूँ की, क्या आप होग्स ऑब्जेक्ट क्या है जानते हैं? ये अन्तरिक्ष में कितनी कॉमन हैं! क्या ये एक दुर्लभ चीज़ है और देखने में ये कैसा दिखता हैं! ये सारे के सारे चीजों के बारे में हम आगे बातें जरूर करेंगे।
तो, चलिये मित्रों! अब आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि, आखिर ये चीज़ क्या है? वैसे मैं आप लोगों से रिक्वेस्ट करना चाहूँगा कि, इस लेख को आप लोग अंत तक पढ़िएगा।
आखिर ये चीज़ क्या है? – Hoag’s Object In Hindi! :-
बहुत ही सरल भाषा में कहूँ तो, “Hoag’s Object” एक तरीके की एक दुर्लभ “Ring Galaxy” है, जो की “Serpens” तारामंडल के अंदर दिखाई पड़ती है। इस तरीके कि गैलक्सी आप लोगों को ज़्यादातर देखने को नहीं मिलती है। वैसे इसके बारे में रोचक बात ये भी है कि, इसका “Arthur Hoag” के नाम के अनुसार ही नाम-कारण किया गया है। इसे आर्थर होग ने साल 1950 में खोजा था। उस वक़्त उन्होंने इस आकाशगंगा को, “प्लानेटरी नेब्यूला” के रूप में बताया था। जो की हम लोगों से लगभग 1,20,000 प्रकाश वर्ष दुर मौजूद है।
मित्रों! क्या आप जानते हैं, होग्स ऑब्जेक्ट (Hoag’s Object In Hindi) के अंदर लगभग 8 अरब से ज्यादा सितारे मौजूद हैं। खैर होग्स ऑब्जेक्ट आमतौर पर नए नीले सितारों से भरी हुई जगह है, जिसका तापमान बहुत ही ज्यादा है। आप लोगों को बता दूँ कि, इसके केंद्र में पुराने पीले सितारे गोलाकार अवस्था में मौजूद हैं और उसके चारों तरफ एक नीले रिंग के आकार में नए सितारे उन्हें (पुराने सितारों को) चारों तरफ से घेर कर मौजूद हैं। इसके अलावा “Serpens” तारामण्डल में होग्स ऑब्जेक्ट का केंद्र, लगभग 60 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है।
एक और खास बात ये है कि, इसके पर्फेक्ट आकार को देखते हुए, कई वैज्ञानिक इसे “The Most Perfect Ring Galaxy” का खिताब भी दिया है। तो, आप समझ सकते हैं कि, ये चीज़ कितनी ज्यादा सटीक और सुंदर व आकर्षक होगी। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, इसका वजन 70 करोड़ सूर्यों के वजन के समान है।
होग्स ऑब्जेक्ट के बारे में कुछ विशेष बातें! :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम होग्स ऑब्जेक्ट (Hoag’s Object In Hindi) से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बातें करेंगे। इसलिए इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा! तुलना के अगर हम हमारे आकाशगंगा की बात करूँ तो, ये ” 150-200 kly चौड़ी है और इसके अंदर लगभग 100-500 अरब सितारे मौजूद हैं और इसका वजन लगभग 800 अरब से ले कर 15.4 खरब सूर्यों के वजन के बराबर है”। परंतु अगर हम सरपेन्स तारामण्डल को देखें तो, चौड़ाई और वजन दोनों में ही ये मिल्की वे से कम हैं। वैसे एक रोचक बात ये भी है कि, होग्स ऑब्जेक्ट को दो भागों में बांटने वाली बीच कि जगह में कई हल्के-चमकीले सितारों के गुच्छे मौजूद रहते हैं।
ये सितारों के गुच्छे देखने में इतने कम-चमकीले हैं कि, इन्हें टेलिस्कोप से भी देख पाना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। वैसे अन्तरिक्ष में रिंग आकार के आकाशगंगाएँ देखने को बहुत ही दुर्लभ है, परंतु एक और इसी प्रकार का आकाशगंगा मौजूद हैं। आप लोगों के अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस आकाशगंगा का नाम “SDSS J151713.93+213516.8” है। वैसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि, हम होग्स ऑब्जेक्ट के जरिये इस आकाशगंगा को देख सकते हैं। होग्स ऑब्जेक्ट के ठीक केंद्र और बाहरी हिस्से के बीच से हम इस आकाशगंगा को देख सकते हैं।
क्या कह रहें हैं वैज्ञानिक! :-
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार होग्स ऑब्जेक्ट का केंद्र काफी ज्यादा चमकीला होता हैं और इसके चारों तरफ काफी बड़ा सा न्यूट्रल हाइड्रोजन से बना हुआ रिंग मौजूद रहता है। दुनिया भर के ज़्यादातर वैज्ञानिक ये कहते हैं कि, होग्स ऑब्जेक्ट का बाहरी रिंग “Gravitational Lensing” के कारण दिखाई देता है। हालांकि! बाद में इस बात को कई वैज्ञानिकों ने “Red Shift” के आधार पर नकार दिया था। रेड शिफ्ट और ग्रैविटेशनल लेंसिंग दोनों ही चीज़ें एक-दूसरे काफी ज्यादा अलग होते हैं।
होग्स ऑब्जेक्ट (Hoag’s Object In Hindi) को लेकर काफी सारे वैज्ञानिकों के अलग-अलग मत हैं। क्योंकि इससे जुड़े कई सारे अहम जानकारीयां आज भी रहस्य बना हुआ हैं। वैज्ञानिकों को आज तक ये नहीं पता कि, आखिर ये सरपेन्स आकाशगंगा कैसा बना होगा! ज़्यादातर वैज्ञानिकों का ये कहना हैं कि, कई छोटे-छोटे आकाशगंगाओं का एक बड़े डिस्क आकार के आकाशगंगा के साथ टक्कर के कारण ही इस तरह के रिंग आकार के आकाशगंगा बनते हैं। वैसे एक अनुमान के अनुसार ये आकाशगंगा आज से लगभग 3 अरब साल पहले बना होगा।
हालांकि! कई सारे वैज्ञानिक इस रिंग आकार के आकाशगंगा को पोलर-रिंग आकाशगंगाओं के उत्पत्ति के साथ जोड़ कर देख रहें हैं। वैसे यहाँ एक खास बात ये हैं कि, इस आकाशगंगा के बनने के दौरान कोई भी दूसरी आकाशगंगा इसके अंदर से बन कर नहीं निकली हैं। साथ ही साथ इसके केंद्र की घूमने की भी काफी ज्यादा कम हुई हैं। जो कि बिलकुल भी साधारण नहीं हैं। कई बार बड़े-बड़े व उन्नत टेलिस्कोप्स के जरिये देखने के बाद भी, टक्कर के होने की कोई भी पुष्टि नहीं मिलते हैं। जो की एक काफी हैरान कर देने वाली बात हैं।
निष्कर्ष – Conclsuion :-
आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, हबल स्पेस टेलिस्कोप ने अपने सर्विस के आखिरी पड़ाव में एक बेहद ही खास काम करके दिखा दिया है। “V838 Monocerotis” या “V838 Mon” नाम के एक सितारे से बहुत ही तेज “Sonification” देखने को मिला है। दरअसल बात ये हैं कि, पृथ्वी से लगभग 20,000 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद एक सितारे V838 Mon से प्रकाश के कई पलसेस देखने को मिले हैं।
बता दूँ कि, ये पल्स सितारे के केंद्र में मौजूद कॉस्मिक डस्ट और बादलों से भरी हुई जगह से बन कर आई हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सितारा हमारे आकाशगंगा के बाहरी हिस्से में मौजूद हैं और इस सितारे से जो मधुर धुन वैज्ञानिकों को सुनने को मिला हैं; वो वाकई में काफी ज्यादा हैरतअंगेज़ हैं। क्योंकि इस तरह के चीजों को आप ज़्यादातर होते हुए नहीं देख पाते हैं।
परंतु कुछ वैज्ञानिक यहाँ ये हैं कि, अगर टक्कर आज से लगभग 3 अरब साल पहले हुआ होगा; तब टक्कर के दौरान निकलने वाला मलवा अन्तरिक्ष में अब मौजूद ही नहीं होगा, जिससे हम इस टक्कर कि पुष्टि कर पाएँ। हालांकि! कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, इस आकाशगंगा की उत्पत्ति एक बरेड स्पीरल गैलक्सि से भी हो सकता हैं। इसलिए आज भी इसके उत्पत्ति को ले कर काफी विवाद लगे हुए हैं।
मित्रों! आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या ये कॉस्मिक म्यूजिक आने वाले समय में हमारे ब्रह्मांड के कई राज खोलने में मदद करेगा?
Source – www.nasa.gov.org