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जानिए संख्या शून्य /”0″ का रहस्य! – Who Discovered Zero And It’s Significance

अंक शून्य के बिना हमारा जीवन कैसा होगा ? आखिर क्या हैं हमारे जीवन में शून्य का महत्व!

अकसर लोग कहते हैं की, जीवन में कुछ बन जाओ तभी आपका कुछ वजूद या मूल्य रहेगा ! परंतु क्या पृथ्वी पर सच में अपनी मूल्य दर्शाने के लिए कुछ बनना जरूरी हैं | वैसे हर किसी को देखें तो वह अवश्य ही कुछ न कुछ बनने की प्रयत्न में हैं, कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर। सब अपने ही मन के अनुसार चलते जा रहें हैं और इसी के कारण हमें कभी भी शांति से सोचने का मौका भी नहीं मिलता | खैर आप यहाँ पर शून्य “0” को (Who Discovered Zero and its significance) ही देख लीजिए, यह संख्या हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण हैं।

Modern Number System.
शून्य के आधार पर विकसित हुआ हैं आज का आधुनिक संख्या प्रणाली | Credit: Jewish.

वैसे तो आश्चर्य की बात यह भी है की, अंक शून्य (who discovered zero and its significance) का हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी इसे हम हमेशा से ही कम आँकते हैं | जी हाँ! अगर कोई व्यक्ति या वस्तु हमारे किसी काम का नहीं होता हैं तो उस व्यक्ति/वस्तु को हम बहुत ही सहज तरीके से शून्य यानी अस्तित्व हीनता के साथ तुलना कर देते हैं।

तो, कुल मिलाकर बात इतनी है की हमें निश्चित रूप से शून्यता का मतलब ही नहीं पता | शून्य की हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी हमें नहीं पता | इसके अलावा शायद बहुत ही कम लोगों को इसके आविष्कार के बारे में भी पता होगा ! इसलिए आज के इस लेख में हम लोग शून्यता से जुड़ी ऐसे ही कई बातों के बारे में चर्चा करेंगे जो की आपके लिए भी काफी फायदेमंद होने वाला हैं।

शून्य के आविष्कार का राज – Who Discovered Zero ? :-

आज भी बहुत सारे गणितज्ञों के बीच शून्य के आविष्कार (who discovered zero and it’s significance) को लेकर काफी सारे मतभेद चल रहें हैं | तो, हम लोग लेख के इस भाग में शून्य के आविष्कार से जुड़ी हर एक संभव पक्षों के बारे में चर्चा करेंगे | मित्रों! आपको जानकर हैरानी होगा की सबसे पहले अंक शून्य का आविष्कार हमारे इसी भारत में ही हुआ था | इतिहासकारों का कहना हैं की 5 वीं शताब्दी में संख्या शून्य का खोज हो चुका था।

संख्या शून्य के आविष्कार के कारण हमारा विज्ञान आज इतना समृद्ध हो पाया हैं | बिना संख्या शून्य के आविष्कार के न ही हम इतने उन्नत हो पाते और न ही हमारा गणित इतना विकसित हो पाता की उससे हम किसी जटिल समस्या का समाधान कर पाते | वैसे मेँ आपको और भी बता दूँ की आज से 4,000- 5,000 साल पहले दुनिया में प्रथम संख्या प्रणाली को बेबीलोनिय/मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग लाए थे। यहाँ गौरतलब बात है की, उनके इस प्राचीन संख्या प्रणाली का आधार सुमेरियन सभ्यता के लोगों से ही विकसित हुआ था।

प्राचीन सुमेर सभ्यता के लोग बेबीलोन सभ्यता के लोगों को इशा पूर्व 300 में अपने संख्या प्रणाली को हस्तांतरण किए थे, जिससे कई संख्याओं को अपना अस्तित्व अलग-अलग प्रकार के चीन्ह के आकार में मिला था | यहाँ पर अजीब बात यह हैं की, कई प्राचीन संख्या प्रणाली में पाया गया है की, उस समय लोग शून्य (who discovered zero and it’s significance) के बारे में कुछ नहीं जानते थे। उनके पास उस समय 1 से लेकर 9 तक का ही अंक था। तो, मान लीजिए की आज के संख्या प्रणाली के हिसाब से वह 4087  लिखना चाहें तो वे 4-87 लिखते थे | मेँ आपको बता दूँ की यह “-“ चिन्ह अंक शून्य को सूचित करता हैं।

आखिर क्यों किया गया था अंक शून्य का आविष्कार ? :-

प्राचीन सभ्यता में आज के तरह जटिल गणित के समस्या को समाधान करने के लिए बहुत ही समय लग जाता था | इसके अलावा प्राचीन संख्या प्रणाली में “0” शून्य के स्थान पर इस्तेमाल होने वाला “-” चिन्ह भी अकसर कई प्रकार के भ्रम भी पैदा करते थे | इससे लोगों को काफी ज्यादा मुश्किल हुई और इससे उबरने के लिए उन्होंने कई प्रकार के समाधान ढूँढने का प्रयास किया।

काफी सारे प्रयासों के बाद उन्होंने पाया की, चिन्ह के बदले अगर वह लोग एक नए आकृति को ही शून्य का अस्तित्व दें दे तो, सारी की सारी असुविधा ही मीट जाएगी | इसलिए सबसे पहले समृद्ध प्राचीन भारत में इसकी खोज की गई | अंक शून्य का यह आकार “0” प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ आर्य भट्ट जी ने ही इसकी खोज की थी | जिसके कारण हम आज अंतरिक्ष के दुनिया में भी काफी सारे खोज करने में सक्षम हैं | मित्रों! हमें भारतीय होने पर बहुत ही ज्यादा गर्वित होना चाहिए की न बल्कि हमारे आज के वैज्ञानिक इतने सफल हो रहें हैं परंतु हमारे प्राचीन गणितज्ञ और वैज्ञानिक भी बहुत ही ज्यादा बुद्धिमान थे।

दुनिया के अन्य हिस्सों में कैसे हुई अंक शून्य की खोज ! :-

ए.डी 350 में अमेरिका में शून्य की खोज होने का दावा वहाँ के वैज्ञानिक करते हैं | उनका कहना है की, वहाँ के “म्यान” नाम के निवासी इस अंक का खोज सबसे पहले किए थे | खैर कुछ रिपोर्ट यह भी कहतीं हैं की, उस समय में यह जनजाति अपने गणित के समीकरणों के अंदर शून्य को भी शामिल करते थे | परंतु ध्यान देने वाली बात यह की उस समय में भी शून्य आकृति किसी “/” या “-” चिन्ह ही था।

Aryabhatta who discovered number zero.
आर्यभट्ट जिन्होंने अंक शून्य का आविष्कार किया हैं | Credit: Youtube.

इसके अलावा कई वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की, शून्य का खोज सबसे पहले (who discovered zero and it’s significance) चाइना  में भी हो सकता हैं | ईस्वी 773 में चाइना से एक पर्यटक घूम के मध्य-एशिया में आकार शायद शून्य को मध्य-एशियाई संख्या प्रणाली में डाला हो | इससे जुड़ी बहुत सारी विवाद अभी भी चली आ रही हैं।

कुछ अरबी गणितज्ञ यह भी कहते है की, उनके यहाँ ही “0” का यह आकार सबसे पहले इस्तेमाल हुआ हैं | उनके पूर्वज इसे “सिर्फ” कहते थे, जिसका मतलब “खाली” स्थान था | मित्रों ! इसके बाद पूरे विश्व में शून्य को एक मौलिक अंक का दर्जा मिला और इसको ले कर कई बड़े-बड़े संख्या बने।

अंक शून्य का हमारे जीवन में महत्व – Significance Of Zero :-

आज के समय में अंक शून्य के बिना हमारा यह आधुनिक जीवन संभव ही नहीं हैं | तो, आखिर क्या हैं अंक शून्य का हमारे जीवन में महत्व (significance of zero) ! चलिए इस विषय पर भी एक नजर डालते हैं।

मित्रों! अंक शून्य के बिना हमारे द्वारा आज किया जाने वाले जटिल बीज गणित के सवाल और हल नहीं होंगे | इसके कारण विज्ञान के अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाले कई आधुनिक वैज्ञानिक शोध नहीं हो पाएंगे, क्योंकि इसके लिए कई जटिल सांख्यिकी तथ्यों की जरूरत पड़ती हैं जो की हमारे पास अंक शून्य के अभाव के चलते नहीं हो पाएगा।

इसके अलावा हमारे रोज़मर्रा के जीवन भी बिना अंक शून्य के काफी ज्यादा प्रभावित होंगे | हम किसी भी जगह पर और हिसाब नहीं कर पाएंगे | इससे हमारी बहुत हानि होगी | हमारा संख्या प्रणाली 1 से 9 तक ही सीमित हो कर रह जाएगा | हम किसी दूसरे व्यक्ति को सही से अपना उम्र या जन्म साल भी नहीं बता पाएंगे। दुनिया भर में पैसों को लेकर होने वाले बड़े-बड़े समझौते नहीं हो पाएंगे।

तो, देखा जाए तो शून्य के बिना यह जीवन बिलकुल ही नीरस हो जाएगा | अंक शून्य पूरी की पूरी दुनिया को ही एक आबद्ध करके एक ही जगह पर रख देगा | वाकई में बड़ी आम सी प्रतीत होता यह अंक हमको बहुत ही ज्यादा प्रभावित कर सकता हैं जिसके बारे में हमने शायद ही कभी सोचा होगा।

निष्कर्ष – Conclusion :-

वैसे तो अंक शून्य के बिना भी हम जिंदा रह सकते हैं, परंतु हाँ ! इसके बिना शायद भी आप कोई तकनीक से जुड़ी कोई भी कार्य कर पाएँ और विडंबना की बात यह भी है की आज के समय में तकनीक ही तो एक आधुनिक इंसान की पहचान हैं ! पहचान नहीं तो कुछ भी नहीं।

मैंने आपको ऊपर कई जगहों पर शून्य के बारे में बहुत कुछ बातें बताया हैं | इसलिए जाते-जाते आपसे एक सवाल जरूर ही पूछना चाहूँगा ! क्या आपको सच में लगता है की, अंक शून्य (who discovered zero and it’s significance) का आविष्कार जरूरी था ? क्या इसके बिना आपका जीवन प्रभावित होगा? जरूर ही बताइएगा।

Sources :- www.livescience.com, www.quora.com.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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