हमारे सौरमंडल (Solar System) के सबसे छोटे और सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह बुध (Mercury Planet In Hindi) के बारे में हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता था। हम ये निश्चित होकर नहीं बता सकते की बुध ग्रह की खोज किसने की पर ऐसा माना जाता है कि लगभग 5000 साल पहले सुमेरियन लोगो को बुध के बारे में जानकारी थी।
विषय - सूची
सबसे गर्म ग्रह नहीं है बुध (Mercury Is The Hottest Planet Of Solar System)
बुध कई मायनों में अनोखा ग्रह है, सूर्य के सबसे नजदीक होने के बावजूद ये हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह नहीं है | है ना आश्चर्यजनक ? ऐसा इसलिए है, क्यूंकि शुक्र जो सौरमंडल (सोलर सिस्टम) का सबसे गर्म ग्रह है, उसकी तरह बुध का वायुमंडल(Atmosphere) बिल्कुल सघन और स्थाई नहीं, बुध पर वायुमंडल लगभग ना के बराबर है, जिस कारण यहाँ तापमान में उतार चढ़ाव होता रहता है। चलिए बुध के बारे में ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं :-
आकार और सूर्य से दुरी (Mercury Size and distance from the sun)
बुध का व्यास 4880 किलोमीटर है जो चन्द्रमा से लगभग 1000 किमी ज्यादा है। इसकी सूर्य से औसतन दुरी 58 मिलियन किलोमीटर है, यहाँ औसतन जरूरी कारण से लिखा गया है जिसपर हम बाद में चर्चा करेंगे।
संरचना (Mercury Structure In Hindi)
बुध का निर्माण लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व सूर्य के निर्माण होते समय आसपास के धूल और गैस के बवंडरो के गुरुत्वाकर्षण के कारण एक जगह एकत्रित होने और जम जाने के कारण हुआ था | पृथ्वी के बाद बुध हमारे सौरमंडल (Solar System Facts) का दूसरा सबसे ठोस ग्रह है |
पृथ्वी की तरह ही इस ग्रह के सबसे भीतर एक कोर उसके ऊपर पथरीला मेंटल और सबसे ऊपरी सतह ठोस क्रस्ट की बनी है | इस ग्रह का 85 प्रतिशत भाग धातुविक कोर है जो आंशिक रूप से पिघला या तरल हो सकता है | इसके मेंटल और सतही क्रस्ट की कुल मोटाई 400 किमी से ज्यादा नहीं है।
सतह (Surface Of Planet Mercury In Hindi)
1974 तक बुध की सतह खगोलविद्धो के लिए रहस्य ही बनी हुई थी, क्यूंकि इसके सूर्य के इतना नजदीक होने के कारण एवं सूर्य की चमक की वजह से बुध की सतह को देखना बहुत ही कठिन था।
1974-75 में नासा के उपग्रह मरिनर 10 ने बुध के सतह की पहली तस्वीर भेजी | इसके अलावा आजतक केवल एक और मानव निर्मित उपग्रह मैसेंजर ही बुध की ऑर्बिट तक पंहुचा है। इन दोनों उपग्रहों से जो जानकारी मिली उससे ये पता चलता है की बुध की सतह बहुत कुछ चन्द्रमा से मिलती है।
हमें इस ग्रह की सतह भूरी – ग्रे दिखेगी | बुध की सतह पर भी चन्द्रमा की ही तरह विशाल क्रेटर हैं जो इसपर एशट्रॉयड और मेटेओर्स के गिरने के कारण बने हैं।
इन क्रेटर के आसपास हमे चमकदार रेखाए दिखेंगी जो एशट्रॉयड के टकराने की वजह से बारीक़ टूट कर चारो ओर बिखरे चट्टानों के चमकने के कारण दिखती हैं, इन्हें “क्रेटर रे” कहते हैं।
2020 में, वैज्ञानिकों ने NASA के MESSENGER अंतरिक्ष यान के डेटा का उपयोग करके बुध ग्रह की सतह का अब तक का सबसे विस्तृत नक्शा बनाया। नक्शे में नई विशेषताओं का पता चला, जैसे कि इंपैक्ट क्रेटर, ज्वालामुखी के उद्गार, और टेक्टोनिक फॉल्ट्स।
बुध पर किसी भी अन्य ग्रह से ज्यादा क्रेटर हैं, क्यूंकि इसका वायुमंडल, जो की एशट्रॉयड को नष्ट करने के लिए आवश्यक है, बिलकुल ना के बराबर है इसलिए ये ग्रह एशट्रॉयड और उल्काओ से खुद की रक्षा नहीं कर पाता।
– इंद्रधनुष जैसा दिख रहा है बुध ग्रह इसमें छिपा है खनिज – Mercury Rainbow
इस ग्रह पे कुछ क्रेटर तो बहुत ही विशाल हैं, जिन्हें बेसिन कहा जाता है (250 किमी से ज्यादा व्यास वाले क्रेटर को बेसिन कहते है) | बुध पर सबसे बड़ा बेसिन “कैलोरिस बेसिन” है, जिसका व्यास लगभग 1550 किमी है।
यहां की सतह का तापमान अत्यधिक परिवर्तनशील है। जहाँ दिन के समय ये 430 डिग्री सेल्सियस तक पंहुच जाता है वहीँ रात के समय माइनस 180 डिग्री चला जाता है, क्यूंकि बुध पर कोई सघन वातावरण नहीं है इसलिए ये तापमान को रोक कर नहीं रख पाता।
खगोलविद्धो का ऐसा मानना है की बुध के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के उन इलाको में जो स्थाई रूप से छाया में रहते हैं, वहां गहरे क्रेटर के निचे बर्फ हो सकती है। सूर्य के इतने पास बर्फ की सम्भावना भी बुध को एक आश्चर्यजनक ग्रह बनाती है।
वातावरण (Environment Of Planet Mercury In Hindi)
Mercury (बुध) का वातावरण बहुत हल्का और लगभग नगण्य है, जो मुख्यतः सौर वायु से आये परमाणुओं से बना है। बुध बहुत गर्म है साथ ही इसका गुरुत्वाकर्षण भी बहुत कम है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के मात्र 38% है, जिससे ये परमाणु उड़कर अंतरिक्ष में चले जाते है।
नासा के अनुसार बुध के वायुमंडल का 42% ऑक्सीजन, 29% सोडियम, 22% हाइड्रोजन, 6% हीलियम और कम मात्रा में अन्य तत्व और गैस हैं ।
बर्फ की सम्भावना और ऑक्सीजन की अधिक प्रतिशत का ये मतलब नहीं की वहां रहा जा सकता है, बल्कि रहने के लिए पुरे सौरमंडल में बुध का वातावरण सबसे प्रतिकूल है |
पहली बात तो वहाँ हवा बहुत हलकी होने के कारण आप साँस नहीं ले पाएंगे, ऊपर से वायू का दबाव नहीं होने के कारण वहाँ लगभग वैक्यूम की जैसी स्थिति है | इसके अलावा कठिन तापमान तो एक कारण है ही।
परिक्रमा और घूर्णन (Rotation Of Planet Mercury In Hindi)
सूर्य की परिक्रमा और अपने अक्ष पर घूर्णन के मामले में बुध इतना अनोखा है की इसने शदियों तक खगोलविद्धो और वैज्ञानिकों को भ्रमित कर के रखा था। कई प्राचीन खगोलविद तो इसके परिक्रमा की गति से भ्रमित होकर बुध को अलग अलग समय दिखने वाले दो अलग अलग तारे समझते थे।
बुध की अनोखी, अंडाकार कक्षा, ग्रह को सूर्य के 47 मिलियन किलोमीटर करीब से लेकर 70 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक ले जाती है। इस अनोखे अंडाकार परिक्रमण पथ के कारण बुध और सूर्य के बीच की दुरी में काफी अंतर आता है इसीलिए हमने शुरू में औसतन दुरी बताई थी।
बुध लगभग 47 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से अंतरिक्ष की यात्रा करते हुए प्रत्येक 88 दिनों में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है, जो किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में सबसे तेज है।
बुध पर एक दिन है पृथ्वी के 176 दिनों के बराबर
यह अपनी धुरी पर धीरे-धीरे घूमता है और पृथ्वी के हर 59 दिन में स्वयं का एक चक्कर पूरा करता है। लेकिन जब बुध सूर्य के चारों ओर अपनी अण्डाकार कक्षा में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा होता है और यह सूर्य के सबसे निकट होता है, तब प्रत्येक घूर्णन के साथ सूर्योदय और सूर्यास्त नहीं होता है जैसा कि यह अन्य ग्रहों पर होता है।
यहाँ सुबह का सूर्य ग्रह के कुछ हिस्सों से उदय होता है फिर अस्त हो जाता है, फिर कहीं और से पुनः उदय होता है। सूर्यास्त के समय भी ऐसा ही होता है। एक बुध सौर दिवस (एक पूर्ण दिन-रात चक्र) पृथ्वी के 176 दिनों के बराबर होता है – यानी बुध पर एक दिन उसके दो साल के बराबर होता है।
इसके घूर्णन की धुरी सिर्फ 2 डिग्री झुकी हुई है। इसका मतलब है कि यह लगभग पूरी तरह सीधे घूमता है और इसलिए अन्य ग्रहों की तरह यहाँ मौसम परिवर्तन नहीं होता है।
आइन्स्टाइन और बुध ग्रह (Einstein and Planet Mercury In Hindi)
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने वर्ष 1915 में अपना प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत (थ्योरी ऑफ़ जनरल रिलेटिविटी) प्रस्तुत किया जिसे प्रमाणित करने के लिए उन्होंने तीन परीक्षण प्रस्तावित किया।
आइंस्टीन द्वारा प्रस्तावित तीन परीक्षणों में, बुध के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के विरुद्ध सूर्य के चारो ओर परिक्रमण पथ का बदलाव प्रमुख था। खगोलविद पहले ही गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के आधार पर बुध के परिक्रमण पथ पर समय की गणना में त्रुटी पा रहे थे, उन्होंने जब आइन्स्टाइन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के आधार पर गणना की तो त्रुटी बहुत ही नगण्य आई, जिससे सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत प्रथम परिक्षण में सफल पाया गया।
आइन्स्टाइन द्वारा प्रस्तावित अन्य दोनों परिक्षण काफी बाद सफल हुए परन्तु बुध ग्रह ने प्रथम परिक्षण में है आइन्स्टाइन को सही साबित कर उन्हें महान बना दिया।