![](https://vigyanam.com/wp-content/images/2018/01/pluto-facts-in-hindi-780x470.webp)
जब आप छोटे बच्चे थे, खासकर के 90 के दशक के बच्चे तो आप अपनी किताबों में 9 ग्रह पढ़ा करते थे। हमें बचपन से ही बताया जाता था कि हमारे सौर-मंडल में कुल 9 ग्रह हैं, जिनमें सबसे छोटा ग्रह प्लूटो (Pluto) है। प्लूटो (Pluto Facts In Hindi) वक्त के साथ-साथ कई बार विज्ञान और वैज्ञानिकों की कसौटी पर नापा गया और फिर वर्ष 2006 में उससे ग्रह होने का गौरव छीन लिया गया। इसकी खास वजह थी ये ग्रह कई ग्रहों के चंद्रमा से भी आकार में छोटा था। आज हम प्लूटो के बारे में आपको जानकारी देंगे और साथ में कुछ रोचक तथ्य बतायेंगे…
विषय - सूची
प्लूटो (Pluto)
प्लूटो यह दूसरा सबसे भारी “बौना ग्रह (Dwarf Planet)” है। (सबसे बड़ा ऍरिस है) सामान्यतः यह नेपच्युन की कक्षा के बाहर रहता है। प्लूटो सौर मंडल के सात चंद्रमाओ(पृथ्वी का चंद्रमा, आयो, युरोपा,गनीमीड, कैलीस्टो, टाईटन, ट्राईटन) से छोटा है।
कक्षा : 5,913,520,000 किमी (39.5 AU) सूर्य से औसत दूरी
व्यास :2370 किमी
द्रव्यमान : 1.303×1022 kg
इसे 1930 में क्लाइड टॉमबॉ ने खोजा था। उस समय, यह माना जाता था कि प्लूटो हमारे सौर मंडल का नौवां ग्रह है। हालांकि, 2006 में, अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने प्लूटो को एक बौना ग्रह का दर्जा दिया। ये एक बौना ग्रह है जो हमारे सौर मंडल के बाहरी छोर पर स्थित है। यह बहुत छोटा, ठंडा और बर्फीला ग्रह है और इसका वायुमंडल मीथेन, नाइट्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड से बना है। इसके चारों ओर पांच चंद्रमा हैं, जिनमें सबसे बड़ा शैरन है।
इसकी कक्षा (Orbit) बहुत अनियमित है। यह कक्षा कभी-कभी वरुण ग्रह (Neptune) की कक्षा के भीतर आ जाती है।
प्लूटो की संरचना
प्लूटो की सतह पर तापमान -235 सेल्सीयस से -210 सेल्सीयस तक विचलन करता है। गर्म क्षेत्र साधारण प्रकाश मे गहरे नजर आते है।
इसकी संरचना अज्ञात है लेकिन उसके घनत्व के( 2 ग्राम/घन सेमी) होने से अनुमान है कि यह ट्राईटन के जैसे 70 % चट्टान और 30 % जलबर्फ से बना होगा। इसके चमकदार क्षेत्र नायट्रोजन की बर्फ के साथ कुछ मात्रा मे मिथेन, इथेन और कार्बन मोनाक्साईड की बर्फ से ढंके है। इसके गहरे क्षेत्रो की संरचना अज्ञात है लेकिन इन पर कार्बनिक पदार्थ हो सकते है। इसकी सतह पर कई घाटियां, पर्वत और क्रेटर हैं। ये विशेषताएं प्लूटो की सतह पर बर्फ के बहाव और चट्टानों के टुकड़ों की टक्कर के कारण बनती हैं।
इसके वायुमंडल (Atmosphere) के बारे मे भी वैज्ञानिकों को कम जानकारी है लेकिन शायद यह नायट्रोजन के साथ कुछ मात्रा मे मिथेन और कार्बन मोनाक्साईड से बना हो सकता है। यह काफी पतला है और दबाव कुछ मीलीबार है। इसका वायुमंडल सूर्य के समिप होने पर ही आस्तित्व मे आता है; शेष अधिकतर काल मे यह बर्फ बन जाता है। जब प्लूटो सूर्य के समिप होता है तब इसका कुछ वातावरण उड़ भी जाता है। नासा के विज्ञानी इस ग्रह की यात्रा इसके वातावरण के जमे रहने के काल मे करना चाहते है।
प्लूटो की संरचना के बारे में हमारी समझ अभी भी सीमित है। वैज्ञानिकों को इस ग्रह के बारे में अधिक जानने के लिए और अध्ययन करने की आवश्यकता है।
New Horizons का प्लूटो पर जाना
न्यू होराइजन्स को नासा द्वारा सन 2006 में इस ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2006 को किया गया था जो नौ वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा।
![](https://vigyanam.com/wp-content/images/2018/01/Pluto-454554.jpg)
प्लूटो और इसके उपग्रह शैरन के सबसे नज़दीक से यह यान 14 जुलाई 2015 को 12:03:50 (UTC) बजे गुजरा। इस समय इस यान की प्लूटो से दूरी लगभग 12,500 किलोमीटर थी और यह लगभग 14 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड के वेग से गुजार रहा था।
2015 में, नासा के अंतरिक्ष यान न्यू होराइजन्स ने प्लूटो की पहली करीबी तस्वीरें लीं। इन तस्वीरों ने प्लूटो के बारे में कई नए और अप्रत्याशित तथ्यों को उजागर किया।
- इसने प्लूटो की सतह पर बर्फ और धूल के विशाल क्षेत्रों की खोज की। इन क्षेत्रों में बर्फ का रंग और बनावट पृथ्वी पर पाए जाने वाले बर्फ के क्षेत्रों जैसा ही है।
- इसके वायुमंडल में मीथेन, नाइट्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें मौजूद हैं।
- प्लूटो के ध्रुवों पर बर्फ की टोपी हैं। इन टोपी में मीथेन और नाइट्रोजन बर्फ मौजूद हैं।
- प्लूटो के चंद्रमाओं में से एक, शैरन, प्लूटो से बड़ा है। न्यू होराइजन्स ने प्लूटो के सबसे बड़े चंद्रमा, शैरन की खोज की। शैरन प्लूटो से लगभग आधा बड़ा है।
- इस स्पेस प्रोब ने प्लूटो के दो सबसे छोटे चंद्रमाओं, निक्स और हिड्रा की भी खोज की। ये चंद्रमा एक-दूसरे के चारों ओर घूमते हैं, जो एक बहुत दुर्लभ घटना है।
इन खोजों ने प्लूटो (Pluto Facts In Hindi) और उसके चंद्रमाओं के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया है। इन खोजों से पता चलता है कि प्लूटो एक जटिल और दिलचस्प ग्रह है जो हमारी सौर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
न्यू होराइजन्स की प्लूटो की यात्रा ने हमें हमारे सौर मंडल के बारे में बहुत कुछ सीखने में मदद की है। इस यात्रा ने हमें दिखाया है कि हमारे सौर मंडल में अभी भी कई रहस्य हैं।
प्लुटो, शैरन, निक्स और हायड्रा
प्लूटो का एक उपग्रह या युग्म ग्रह है, जिसका नाम शैरन है। इसकी खोज 1978 में जेम्स डब्ल्यू. क्रिस्टी ने की थी। शैरन का नाम आयरिश पौराणिक कथाओं में एक राक्षस के नाम पर रखा गया है। ये जटिल चंद्रमा है। इसकी सतह पर कई घाटियां, पर्वत और क्रेटर हैं। इसका वायुमंडल बहुत पतला है, लेकिन यह अभी भी मौजूद है। इसके अलावा वायुमंडल में मीथेन और नाइट्रोजन गैसें मौजूद हैं।
इस चंद्रमा पर जीवन की संभावनाएं भी हैं। यहां तरल अवस्था में पानी मौजूद है, जो जीवन के लिए आवश्यक है। इसमें कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे अन्य आवश्यक तत्व भी मौजूद हो सकते हैं।
निक्स और हायड्रा
2005 मे हब्बल ने इसके दो और नन्हे चंद्रमाओ को खोजा जिसे निक्स और हायड्रा नाम दिया गया है। निक्स का व्यास लगभग 30 किलोमीटर है, और हाइड्रा का व्यास लगभग 115 किलोमीटर है।
![](https://vigyanam.com/wp-content/images/2018/01/1-plutosmoonhy.jpg)
ये दोनों चंद्रमा बहुत ही अंधेरे हैं, और उनकी सतह पर बहुत सारे क्रेटर हैं। इनका जन्म कैसे हुआ ये आज भी अज्ञात है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि वे प्लूटो के टूटने से बने हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वे अन्य खगोलीय पिंडों के टुकड़े हैं जो प्लूटो के पास आ गए थे।
प्लूटो का असमान्य परिक्रमा पथ (Orbital Path)
प्लूटो की कक्षा बहुत अनियमित है। यह कक्षा कभी-कभी वरुण ग्रह (Neptune) की कक्षा के भीतर आ जाती है। इसे सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 248 साल लगते हैं। इसकी कक्षा की अनियमितता का कारण यह है कि ये बौना ग्रह हमारे सौर मंडल की कक्षाओं में से एक में नहीं है। यह कक्षा काइपर बेल्ट में स्थित है, जो हमारे सौर मंडल के बाहरी छोर पर स्थित एक खगोलीय क्षेत्र है।
प्लूटो और नेपच्यून की कक्षाएँ एक-दूसरे के साथ एक अजीब तरह से संरेखित हैं। प्लूटो की कक्षा नेपच्यून की कक्षा के अंदर और बाहर होती है, और दोनों ग्रहों की कक्षाएँ एक-दूसरे के सापेक्ष 3:2 की प्रतिध्वनि में हैं। इसका मतलब है कि प्लूटो सूर्य का एक चक्कर लगाने में नेपच्यून के दो चक्कर लगाने में उतना ही समय लगता है।
प्लूटो और ट्राइटन (Neptune Moon) की असामान्य कक्षाये और उनके गुणधर्मो मे समानता इन दोनो मे ऐतिहासिक संबध दर्शाती है। एक समय यह माना जाता था कि प्लूटो कभी नेपच्युन का चंद्रमा रहा होगा लेकिन अब ऐसा नही माना जाता है। अब यह माना जाता है कि ट्राईटन प्लूटो के जैसे स्वतंत्र रूप से सूर्य की परिक्रमा करते रहा होगा और किसी कारण से नेपच्युन के गुरुत्व की चपेट मे आ गया होगा।। शायद ट्राऊटन, प्लूटो और शेरान शायद उर्ट बादल (Oort Cloud) से सौर मंडल मे आये हुये पिंड है। पृथ्वी के चंद्रमा की तरह शैरन शायद प्लूटो के किसी अन्य पिंड के टकराने से बना है।
प्लूटो के ध्रुवों पर तरल पानी के समुद्र
2022 में, वैज्ञानिकों ने प्लूटो के ध्रुवों पर तरल पानी के समुद्र के सबूत खोजे हैं। ये समुद्र मीथेन और नाइट्रोजन से बने हैं। ये समुद्र प्लूटो के ध्रुवों पर स्थित हैं क्योंकि वहां सूर्य का प्रकाश कम पहुंचता है।
प्लूटो के चारों ओर एक वलय प्रणाली (Ring system)
2023 में, वैज्ञानिकों ने प्लूटो के चारों ओर एक वलय प्रणाली की खोज की है। यह वलय प्रणाली बहुत छोटी है, और इसे केवल दूरबीन से देखा जा सकता है। वलय प्रणाली में छोटे पत्थर और बर्फ के टुकड़े शामिल हैं।
प्लूटो के चंद्रमाओं में जीवन की संभावनाएं
वैज्ञानिकों ने प्लूटो के चंद्रमाओं में जीवन की संभावनाओं के बारे में नए सबूत खोजे हैं। इन चंद्रमाओं में तरल पानी मौजूद हो सकता है, जो जीवन के लिए आवश्यक है। इसके विशाल चंद्रमा शैरन को देखा जाये तो वहां जीवन पनप सकता है। ये प्लूटो से लगभग आधा बड़ा है, और यह प्लूटो के चारों ओर एक घुमावदार कक्षा में घूमता है।
इसका वायुमंडल मीथेन और नाइट्रोजन से बना है, और इसमें तरल पानी के समुद्र हो सकते हैं। प्लूटो के अन्य चंद्रमाओं, निक्स, हिड्रा, स्टिक्स और कार्बरोस पर भी जीवन की संभावनाएं हैं। ये चंद्रमा छोटे हैं, लेकिन उनमें तरल पानी के समुद्र हो सकते हैं।
ये खोजें प्लूटो और उसके चंद्रमाओं के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं। ये खोजें दिखाती हैं कि प्लूटो एक जटिल और दिलचस्प ग्रह है जो हमारी सौर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।