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Pluto Facts And Details In Hindi : प्लूटो के बारे में अद्भुत तथ्य और जानकारी

Pluto Facts And Details In Hindi – जब आप छोटे बच्चे थे, खासकर के 90 के दशक के बच्चे तो आप अपनी किताबों में 9 ग्रह पढ़ा करते थे। हमें बचपन से ही बताया जाता था कि हमारे सौर-मंडल में कुल 9 ग्रह हैं, जिनमें सबसे छोटा ग्रह प्लूटो (Pluto)  है।

प्लूटो वक्त के साथ – साथ कई बार विज्ञान और वैज्ञानिकों की कसौटी पर नापा गया और फिर वर्ष 2006 में उससे ग्रह होने का गौरव छीन लिया गया। इसकी खास वजह थी ये ग्रह कई ग्रहों के चंद्रमा से भी आकार में छोटा था। आज हम प्लूटो के बारे में आपको जानकारी देंगे और साथ में कुछ रोचक तथ्य बतायेंगे…

प्लूटो (Pluto)

प्लूटो यह दूसरा सबसे भारी “बौना ग्रह” है। (सबसे बड़ा ऍरिस है) सामान्यतः यह नेपच्युन की कक्षा के बाहर रहता है। प्लूटो सौर मंडल के सात चंद्रमाओ(पृथ्वी का चंद्रमा, आयो, युरोपा,गनीमीड, कैलीस्टो, टाईटन, ट्राईटन) से छोटा है।

कक्षा : 5,913,520,000 किमी (39.5 AU) सूर्य से औसत दूरी

व्यास :2274किमी

द्रव्यमान :1.27e22

रोमन मिथको के अनुसार प्लूटो पाताल का देवता है। इसे यह नाम सूर्य से इसकी दूरी के कारण इस ग्रह पर अंधेरे के कारण तथा इसके आविष्कार पर्सीवल लावेल के आद्याक्षरो (PL) के कारण मीला है।

प्लूटो 1930 मे संयोग से खोजा गया। युरेनस और नेपच्युन की गति के आधार पर की गयी गणना मे गलती के कारण नेपच्युन के परे एक और ग्रह के होने की भविष्यवाणी की गयी थी। लावेल वेधशाला अरिजोना मे क्लायड टामबाग इस गणना की गलती से अनजान थे। उन्होने सारे आकाश का सावधानीपुर्वक निरिक्षण किया और प्लूटो को खोज निकाला।

खोज के तुरंत पश्चात यह पता चल गया थी कि प्लूटो इतना छोटा है कि यह दूसरे ग्रह की कक्षा मे प्रभाव नही डाल सकता है। नेपच्युन के परे X ग्रह की खोज जारी रही लेकिन कुछ नही मीला। और इस ग्रह X के मीलने की संभावना नही है। कोई X ग्रह नही है क्योंकि वायेजर 2 से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार युरेनस और नेपच्युन की कक्षा न्युटन के नियमो का पालन करती है। कोई X ग्रह नही है इसका मतलब यह नही है कि प्लूटो के परे कोई और पिंड नही है। प्लूटो के परे बर्फीले क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और बड़ी संख्या मे छोटे छोटे पिंड मौजुद है। इनमे से कुछ पिंड प्लूटो के आकार के भी है।

New Horizons का प्लूटो पर जाना

न्यू होराइजन्स को नासा द्वारा सन 2006 में इस ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2006 को किया गया था जो नौ वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा।

New Horizons द्वारा प्लूटो की सतह की तस्वीर

प्लूटो और इसके उपग्रह शैरन के सबसे नज़दीक से यह यान 14 जुलाई 2015 को 12:03:50 (UTC) बजे गुजरा। इस समय इस यान की प्लूटो से दूरी लगभग 12,500 किलोमीटर थी और यह लगभग 14 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड के वेग से गुजार रहा था

प्लुटो, शेरान, निक्स और हायड्रा

प्लूटो का एक उपग्रह या युग्म ग्रह है, जिसका नाम शेरान है। शेरान को 1978 मे संक्रमण विधी से खोजा गया था, जब प्लुटो सौर मंडल के प्रतल मे आ गया था और शेरान द्वारा प्लुटो के सामने से गुजरने पर इसके प्रकाश मे आयी कमी को देखा जा सकता था।

2005 मे हब्बल ने इसके दो और नन्हे चंद्रमाओ को खोजा जिसे निक्स और हायड्रा नाम दिया गया है। इनका व्यास क्रमशः 50और 60किमी है।

 

प्लूटो सौर मंडल मे आयप्टस के बाद सबसे ज्यादा गहरे रंग का पिंड है।

प्लूटो के वर्गीकरण मे विवाद रहा है। यह 75वर्षो तक सौर मंडल मे नवें ग्रह के रूप मे जाना जाता रहा लेकिन 24अगस्त 2006 मे इसे अंतराष्ट्रिय खगोल संगठन(IAU) ने ग्रहो के वर्ग से निकाल एक नये वर्ग “बौने ग्रह” मे रख दिया।

प्लूटो की कक्षा अत्याधिक विकेन्द्रित है, यह नेपच्युन की कक्षा के अंदर भी आता रहा है। हाल ही मे यह नेपच्युन की कक्षा के अंदर जनवरी 1979 से 11फरवरी 1999 तक रहा था। प्लूटो अधिकतर ग्रहो की विपरित दिशा मे घुर्णन करता है।

प्लूटो नेपच्युन से 3:2 के अनुनाद मे बंधा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि प्लूटो का परिक्रमा काल नेपच्युन से 1.5 गुणा लंबा है। इसका परिक्रमा पथ अन्य ग्रहो से ज्यादा झुका हुआ है। प्लूटो नेपच्युन की कक्षा को काटता है ऐसा प्रतित होता है लेकिन परिक्रमा पथ के झुके होने से वह नेपच्युन से कभी नही टकरायेगा।

युरेनस के जैसे प्लूटो का विषुवत उसके परिक्रमा पथ के प्रतल पर लंबवत है।

प्लूटो की सतह पर तापमान -235 सेल्सीयस से -210 सेल्सीयस तक विचलन करता है। गर्म क्षेत्र साधारण प्रकाश मे गहरे नजर आते है।

प्लूटो की संरचना अज्ञात है लेकिन उसके घनत्व के( 2 ग्राम/घन सेमी) होने से अनुमान है कि यह ट्राईटन के जैसे 70 % चट्टान और 30 % जलबर्फ से बना होगा। इसके चमकदार क्षेत्र नायट्रोजन की बर्फ के साथ कुछ मात्रा मे मिथेन, इथेन और कार्बन मोनाक्साईड की बर्फ से ढंके है। इसके गहरे क्षेत्रो की संरचना अज्ञात है लेकिन इन पर कार्बनिक पदार्थ हो सकते है।

प्लूटो के वातावरण के बारे मे कम जानकारी है लेकिन शायद यह नायट्रोजन के साथ कुछ मात्रा मे मिथेन और कार्बन मोनाक्साईड से बना हो सकता है। यह काफी पतला है और दबाव कुछ मीलीबार है। प्लूटो का वातावरण इसके सूर्य के समिप होने पर ही आस्तित्व मे आता है; शेष अधिकतर काल मे यह बर्फ बन जाता है। जब प्लूटो सूर्य के समिप होता है तब इसका कुछ वातावरण उड़ भी जाता है। नासा के विज्ञानी इस ग्रह की यात्रा इसके वातावरण के जमे रहने के काल मे करना चाहते है।

प्लूटो और ट्राईटन की असामान्य कक्षाये और उनके गुणधर्मो मे समानता इन दोनो मे ऐतिहासिक संबध दर्शाती है। एक समय यह माना जाता था कि प्लूटो कभी नेपच्युन का चंद्रमा रहा होगा लेकिन अब ऐसा नही माना जाता है। अब यह माना जाता है कि ट्राईटन प्लूटो के जैसे स्वतंत्र रूप से सूर्य की परिक्रमा करते रहा होगा और किसी कारण से नेपच्युन के गुरुत्व की चपेट मे आ गया होगा।। शायद ट्राऊटन, प्लूटो और शेरान शायद उर्ट बादल से सौर मंडल मे आये हुये पिंड है। पृथ्वी के चंद्रमा की तरह शेरान शायद प्लूटो के किसी अन्य पिंड के टकराने से बना है।

साभार – नवग्रह

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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