नेपच्यून (Neptune Facts In Hindi) हमारे सौर-मंडल का एक विशाल ग्रह है, यह धरती से काफी बड़ा है। इस ग्रह की खोज गणित के सिद्धांतो के आधार पर हुई थी । यह हमारे सूर्य से आठवें नंबर पर स्थित एक ठंडा ग्रह है। हम इसे अपने सौर – मंडल का अंतिम ग्रह भी कह सकते हैं।
विषय - सूची
Planet Neptune Statistics – नेपच्यून ग्रह के आंकड़े
Diameter (व्यास) : 30,775 miles (49,528 km)
Average Distance from Sun (सूर्य से दूरी) : 2.8 billion miles (4.5 billion (अरब) km)
Orbital Period (परिक्रमा): 165 years
Rotation Period (घूर्णन समय): 16.11 hours
Maximum Temperatures(अधिकतम तापमान) : 5000C (9000F) (Core)
Minimum Temperatures (न्यून्तम तापमान) : -220C (-364F) (Cloud Tops)
Gravity(ग्रेविटी) : 10.71 m/s2 (1.1 x Earth’s Gravity)
Density(घनत्व) : 1.76 g/cm3 (31.7% Earth’s Density)
Mass(द्रव्यमान) : 1.0244 x 1026 kg (17 x Earth’s Mass)
Volume(आयतन): 6.2526 x 1013 km3 (58 x Earth’s Volume)
Atmosphere( वायुमंडल) : 80% hydrogen, 18.5% helium, and 1.5% methane.
Planet Neptune Facts In Hindi
1. नेपच्यून का नाम समुद्र के रोमन देवता के नाम पर रखा गया था। यह इसलिए क्योंकि इस ग्रह का रंग समुद्र की तरह ही नीला है।
2. नेपच्यून (Neptune) या हमारा वरुण, सौरमंडल के केंद्र सूर्य से दूरी के क्रम में आँठवा तथा अंतिम मुख्य ग्रह है. अपने आकार में यह बाह्य गैसीय दानव ग्रह सौरमंडल में चौथा स्थान रखता है. नेपच्यून का नाम समुद्र के रोमन देवता के सम्मान में रखा गया था. भारतीय अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों ने भी उसी क्रम में इसका नामकरण जल के देवता ‘वरुण’ के नाम पर किया.
3. नेपच्यून को पहली बार 1846 में खोजा गया था । इस ग्रह को Jean Joseph Le Verrier ने खोजा था । यह अन्य सभी ग्रहों की तुलना में बाद में पता चला था क्योंकि यह नग्न आंखों के लिए नहीं दिखाई देता है।
4. नेपच्यून की खोज यूरेनस की कक्षा को देखकर हुई थी। जब यह देखा गया कि यूरेनस जब सूर्य की परिक्रमा कर रहा है तो वह अपनी कक्षा में स्थिर नहीं है वहां पर किसी और वस्तु के ग्रेविटी का प्रभाव है। वैज्ञानिकों ने इसी के आधार पर बाद में नेपच्यून की खोज की थी।
5. नेपच्यून के लिए सूरज की एक पूरी परिक्रमा करने में 164.8 पृथ्वी साल लगते हैं। यह 60,190 पृथ्वी के दिनों के बराबर है! 1846 में खोजे जाने के बाद 2011 में जाकर के इस ग्रह ने सूर्य की एक पूरी परिक्रमा की थी।
6. नेपच्यून गैसों से बना एक विसाल ग्रह है जिनमें यह 29% हीलियम, 80% हाइड्रोजन और मीथेन गैस के निशान की परतों से बना है। इसकी एक ठोस सतह नहीं है।
7. नेप्च्यून में एक महान डार्क स्पॉट तूफान है। यह बृहस्पति पर ग्रेट रेड स्पॉट तूफान के समान है इस तूफान का आकार हमारी धरती के बराबर ही है।
8. द वॉयजर 2 नेप्च्यून तक पहुंचने वाले एकमात्र अंतरिक्ष यान है। यह 1989 में इस ग्रह पर से होकर के गुजरा था, वहां पर इसने पृथ्वी की एक तस्वीर भी ली थी।
9. अब तक नेप्चून के 14 उपग्रह (चांद) खोजे जा चुके है जिनमें से ट्राईटन (Triton) सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है। यदि युरेनस के सभी उपग्रहों के द्रव्यमान को जोड़ दिया जाए तो वह ट्राईट के द्रव्यमान के आधे से भी कम होगा। ट्राईटन सौर मंडल का सांतवा सबसे बड़ा उपग्रह है। यह मुख्यत नाईट्रोजन से बना हुआ है और सौर मंडल की सबसे ठंडी जगहों में से एक है।
10. नेपच्यून के पास 29,297 मील (47,150 किलोमीटर) का व्यास है ।यह सौर मंडल में यह तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। पहला ग्रह जूपिटर है तो दूसरा शनि ग्रह है।
11. अन्य गैसी ग्रहों की तरह Neptune के भी छल्ले है। अब तक इसके 5 छल्लों की खोज हो चुकी है। न्युटन के छल्ले बृहस्पति के छल्लों की तरह धुंधले है और पृथ्वी पर से किसी दूरबीन द्वारा देखे जाने पर यह टूटे हुए(चाप की तरह) नज़र आते हैं।
12. नेपच्यून में एक अद्वितीय मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है यह धरती से 27 गुना मजबूत है। यह अन्य ग्रहों की तुलना में विशेष है क्योंकि यह ग्रह के axis के अनुरूप नहीं है और यह 47 डिग्री कोण पर झूका है। वर्तमान में नेपच्यून को आगे खोजने के लिए कोई मिशन नहीं है।
13. इसका सबसे बड़ा उपग्रह है ट्राइटन (Triton) – इतना विशाल और भारी की नेपच्यून की कक्षा में स्थित समस्त द्रव्यमान का 99.5% अकेले ट्राइटन पूर्ण करता है. मतलब बाकी मिलाकर केवल 0.5% द्रव्यमान रखते है।
14. Neptune के चांद ट्राइटन (Triton) के बारे में एक शानदार बात भी है कि यह बाकी उपग्रहों की तुलना में यह विपरीत दिशा में घूमता है और शायद नेपच्यून के निर्माण के समय बना उसका उपग्रह न होकर कोई क्षुद्र ग्रह हो जो नेपच्यून के गुरुर्वाकर्षण में फंस गया हो।
15. 2021 में, खगोलविदों ने नेप्च्यून के चुंबकीय क्षेत्र के चारों ओर एक नए प्रकार के विकिरण का पता लगाया, जिसे “अल्फ़ा रे विकिरण” कहा जाता है।
16. नेपच्यून के बारे में माना जाता है कि इसमें पानी, अमोनिया और मीथेन के आवरण से घिरा एक चट्टानी कोर है। आवरण बहुत गर्म माना जाता है, जिसका तापमान 5,400 डिग्री सेल्सियस (9,750 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक पहुँच जाता है। कोर के लोहे और निकल से बने होने की संभावना है।
17. नेप्च्यून के लिए भविष्य के मिशनों की फिलहाल कोई योजना नहीं है। हालाँकि, ग्रह के चंद्रमाओं, विशेषकर ट्राइटन, की खोज में रुचि बढ़ रही है। ट्राइटन को जीवन की खोज के लिए सौर मंडल में सबसे आशाजनक स्थानों में से एक माना जाता है।
Neptune की जेम्स वेब स्पेस द्वारा ली गई छवि
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने सितंबर 2022 में Neptune की अपनी पहली छवि कैप्चर की। इस इमेज में ग्रह को इन्फ्रारेड प्रकाश में दिखाया गया है, यहां आप इस ग्रह के छल्ले(Rings) और चंद्रमाओं को देख सकते हो।
इस इमेज में क्या दिखाई दे रहा है –
- ग्रह के उत्तरी ध्रुव (North Pole) पर एक चमकदार धब्बा, जिसे गर्म गैस और धूल का क्षेत्र माना जाता है।
- ग्रह के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) को घेरने वाले उच्च-अक्षांश (high-latitude) वाले बादलों का एक निरंतर बैंड।
- नेप्च्यून के 14 ज्ञात चंद्रमाओं में से सात, जिनमें ट्राइटन, ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा शामिल है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई नेप्च्यून की छवि अब तक की सबसे ब्राइट इमेज है। यह इन्फ्रारेड लाइट में नेप्च्यून को दिखाने वाली पहली छवि भी है, जो ग्रह के वातावरण और संरचना को देखने का एक नया आयाम देता है।
नेपच्यून सूर्य से प्राप्त हीट से दो गुना हीट अंतरिक्ष में छोड़ता है –
नेपच्यून की सूर्ये से करीब 4.5 Arab Kilometer दूर है। इसकी इतनी दूरी इसे सबसे ठंड़ा ग्रह बनाती है पर वास्तव में इसे जितना ठंडा होना चाहिए ये उतना ठंडा नहीं है। इस ग्रह की सतह तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका वास्तविक तापमान ऐवसेल्युट जीरो यानि की -273 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए पर ये उससे कहीं ज्यादा गर्म ही है।
इसके इस विचित्र तापमान के लिए वैज्ञानिक इश ग्रह पर हीरों की वारिष को जिम्मेदार मानते हैं। इसी हीरों की वारिष की वजह से यह ग्रह सूर्य की प्राप्त हीट से दोगूना हीट खुद में से अंतरिक्ष में छोड़ता है।
वैज्ञानिक मानते हैं ऐसा इसलिए होता होगा कि क्योंकि नेपेचुन पर भारी मात्रा में मिथेन है जो कि इसके Atmospheric Pressure के कारण वातावरण में हीरे में बदल जाता होगा। यही हीरा फिर बादलो के रूप में आकार के इस ग्रह पर बरसता है और इसी बरसने के कारण से हीरे में गजब का फ्रिक्सन होता है जिससे काफी उर्जा निकलती है।
– ये है सौर मंडल का ऐसा ग्रह जहां पर होती है हीरों की बारिश
– सुदूर ब्रह्मांड में एलियंस को पुकारता ये अंतरिक्ष यान Voyager Mission Hindi
आपकी वेबसाईट अविश्वनीय है , में एक यूट्यूबर हूं ,मुझे विज्ञान पर वीडियो बनाना बहुत पसंद है ,
हालांकि मुझे लिखने का भी शौक है ।
क्या मैं अपनी वीडियो में आपकी वेबसाइट की जानकारी उपयोग कर सकता हूं ?
कॉपीराइट के नियम मैं समझता हूं ।
अगर यह सम्भव हो सका तो मुझे बहुत खुशी होगी ।
??
आप इस्तेमाल कर सकते हैं, बस आपको डेस्क्रिपसन में विज्ञानम् का लिंक देना अनिवार्य होगा। तभी हम आपको हमारा कंटेट प्रयोग करने की अनुमति दे सकते हैं। उम्मीद है आप कापीराइट नियमों का ध्यान जरूर रखेंगे। यदि आप इसके अलाबा हमारे लिए लिख भी सकते हैं तो आपका बहुत आभार होगा और हम आपका चैनल प्रोमोट करने में मदद कर सकते हैं।
Hello sir
Mai sonu.mai aapke dwara likhe gaye lekh ko apne youtube chanal mai use kar rha…..
Agar aapko koi khed hoto mujhe zarur bataye
Thanks