
हमारे सौर मंडल में 200 से भी ज्यादा चाँद है जिसमें कि सबसे बड़े चाँद का नाम है गेनीमेड (Ganymede) और यह बृहस्पति ग्रह का चक्कर लगाता है। इसके बाद आता है शनि ग्रह का एक चाँद जिसका नाम है टाइटन। यह सोलर सिस्टम का दूसरा सबसे बड़ा चाँद है और यह हम इंसानों के लिए काफी खास भी है क्योंकि यह इकलौता ऐसा चाँद है जिसके पास बहुत घना और बिल्कुल एक ग्रह जैसा ऐटमोस्फेयर यानि वायुमंडल है। पृथ्वी के मुकाबले 600 किमी ज्यादा ऊँचा वायुमंडल होने के कारण 1980 तक वैज्ञानिक यह मानते थे कि टाइटन (Titan Moon Hindi) ही हमारे सूर्य मंडल का सबसे बड़ा चाँद है लेकिन 1980 में जब वोयाजर स्पेसक्राफ्ट टाइटन के पास से निकला तब उसे पता चला कि दरअसल यह बृहस्पति के चाँद गेनीमेड से छोटा है।
विषय - सूची
टाइटन का वायुमंडल – Titan Atmosphere In Hindi
95% नाइट्रोजन गैस और 5% मिथेन गैस से बना टाइटन का वायुमंडल सौर मंडल में सबसे विचित्र है, इसमें इन दो गैसों के अलावा जीवन के लिए जरूरी ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल कार्बन और हाइड्रोजन भी मौजूद हैं।

2004 में कैसिनी स्पेसक्राफ्ट को टाइटन (Titan Moon Hindi) के बारे में और ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने के लिए भेजा गया था। इसके द्वारा हमें पता चला कि टाइटन के ऐटमोस्फेयर में मिथेन और नाइट्रोजन की बहुत तेज हवाएँ चलती है जिसमें प्रकाश भी पैदा होता है, अगर आपको नहीं पता है तो बता दे कि ऐसा ही कुछ हमारी पृथ्वी पर भी होता है।
टाइटन पर है झीलों का समुद्र – Titan Lakes In Hindi
टाइटन के South Pole पर कई सारी मिथेन कि झीलें मौजूद है। 2014 में वैज्ञानिकों ने एक बहुत ही अजीब चीज टाइटन की इन झीलों में पाई थी। दरअसल वैज्ञानिकों को यह पता चला कि इन झीलों में नाइट्रोजन गैस के बहुत बड़े बबल्स बन जाते हैं जो कुछ समय के लिए एक द्वीप की तरह बने रहते हैं और थोड़ी देर बाद जैसे ही यह बबल खत्म हो जाते हैं वह आईलैंड भी खत्म हो जाता है।

वैज्ञानिकों ने इन द्वीपों को मैजिक आईलैंड का नाम दिया था। टाइटन (Titan Moon Hindi) का सबसे ज्यादा एरिया हाइड्रोकार्बन से बने हुए टीलों से ढका हुआ है। इसकी सतह पर मीथेन लिक्विड स्टेट में मौजूद है जिसकी वजह से यह कभी-कभी भाप बनकर बादलों की भी रचना करती है और कभी-कभी तो मीथेन की बारिश भी इस चांद पर देखने को मिलती है।
टाइटन का आकार और शनि की परिक्रमा
आकार की बात करें तो टाइटन का डायेमीटर करीब 5150 किलोमीटर है जो लगभग मंगल ग्रह के बिलकुल बराबर है। इसकी सतह का तापमान -179 डिग्री सेल्सियस है जो पानी को बिल्कुल पत्थर की तरह मजबूत बना देता है और मीथेन जैसी गैस को लिक्विड। इसकी सतह का प्रेशर हमारी पृथ्वी की सतह के प्रेशर से हल्का सा ज्यादा है। बात की जाये इसके औरबिटल पीरड (Orbital Period) की तो टाइटन शनि ग्रह का एक चक्कर पृथ्वी के 16 दिनो के बराबर समय में पूरा कर लेता है, अपने ग्रह से ज्यादा पास होने के कारण ये हमारे चाँद की तरह ही टाइडली लोक्ड है, जिसका मतलब है की टाइटन कि एक तरफ की सतह हमेशा शनि ग्रह के सामने ही रहती है और दूसरी उससे दूर।
वैज्ञानिक मानते हैं कि टाइटन की आज की परिस्थितियां इसे भविष्य में इंसानों के रहने के लिए और भी ज्यादा अच्छा बना देंगी। कई सारे मेथमैटिकल मॉडल्स के द्वारा यह साबित किया जा चुका है कि आज से 6 अरब साल बाद जब हमारा सूर्य अपने अंतिम समय में एक रेड जॉयंट स्टार (Red Giant Star) बन जाएगा तब टाइटन सूर्य के हैवीटेवल जोन में होगा, उस जोन में आते ही यहां तापमान आज की पृथ्वी के बराबर होगा जो समुद्रों को बिल्कुल स्टेबल बनाए रखेगा।
अगर ऐसा सच में होता है तो टाइटन हमारी पृथ्वी की जगह आसानी से ले पाएगा और जीवन यहां पर विकसित हो पाएगा। पृथ्वी पर हुए प्रयोगों से यह बात पता चलती है कि जितना हमने पहले सोचा था, टाइटन उससे कहीं ज्यादा हैबिटेबल है। पहले यह माना जाता था कि टाइटन पर मौजूद जटिल ऑर्गेनिक केमिकल सिर्फ वायुमंडल में ही मौजूद होंगे लेकिन कई सारे एक्सपेरिमेंट्स से यह पता चला है कि यह केमिकल सतह के नज़दीक भी मौजूद है।
टाइटन पर गैस के धमाकों से बने हैं गड्ढे – Titan Craters In Hindi
वैज्ञानिक पहले मानते थे कि टाइटन (Titan Moon Hindi) पर मौजूद हाइड्रोकार्बन की झीलें वहां मौजूद सॉलिड चीजों के पिघलने की वजह से बनी है लेकिन नेचर जियो साइंस में पब्लिश हुई एक नई रिसर्च के मुताबिक टाइटन पर मौजूद Craters यानी गड्ढे नाइट्रोजन गैस के धमाकों की वजह से बने है। दरअसल,टाइटन की सतह का तापमान बढ़ने की वजह से नाइट्रोजन गैस भाप में बदल जाती है एक धमाके के साथ बाहर निकलती है जिससे बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। बाद में यह गड्ढे मिथेन, एथेन और हाइड्रोकार्बन की बारिश की वजह से भर जाते हैं और इसी तरह से टाइटन पर हाइड्रोकार्बन की झीलों का निर्माण होता है।
भविष्य में इंसानों को बचाने के लिए हमें टाइटन (Titan Moon Hindi) के केमिकल्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए पर फिलहाल वैज्ञानिकों के पास ये डेटा बहुत कम मात्रा में है। वैज्ञानिकों को सिर्फ यह पता है कि टाइटन पर मौजूद झीले मिथेन और एथेन से बनी हुई है। हाल में ही कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने इस चंद्रमा पर ब्यूटेन और acetylene गैसेस भी खोजी हैं जो भविष्य में मानव सभ्यता के लिए फ़्यूल के काम आ सकती हैं।
टाइटन के बारे में और अधिक जानकारी और भविष्य में बसने वाली मानव बस्ती के लिए ये वीडियो जरूर देखिए, इस वीडियो में इस विषय पर अधिक जानकारी दी गई है –