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अंतरिक्ष में मौजूद है इतने प्रकार के अद्भुत तारे! – Types Of Star In Hindi.

ब्रह्मांड में होने वाले शक्तिशाली धमाकों का कारण है ये तारा ! जानिए इसका नाम और इसका प्रभाव

अंतरिक्ष में आपने अकसर ग्रहों और तारों को देखा होगा| खैर ग्रहों के बारे में मैंने पहले ही एक स्वतंत्र लेख आप लोगों को दे चुका हूँ| इसलिए आज हम लोग तारों के प्रकार (types of star in hindi) के बारे में जानेंगे| वैसे तो अंतरिक्ष में आपने बहुत सारे सितारों को अंतरिक्ष में जगमगाते हुए इसकी शोभा बढ़ाते हुए देखा होगा| परंतु ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें इन के प्रकारों के (types of star in hindi) बारे में पता होगा| देखिए मित्रों! आज हम इस लेख के अंदर पूर्ण रूप से सितारे और इनके प्रकारों के बारे में बात करेंगे, इसलिए आप इस लेख को अवश्य ही आरंभ से ले कर अंत तक पढ़ें|

A photo of proto star.
प्रोटो स्टार की तस्वीर | Credit: Scinews.

तारे किसे कहते हैं ? – What is Star In Hindi? :-

बहुत सारे लोगों को तारों के भेद (types of star in hindi) जानने से पहले इसके संज्ञा को सटीक रूप से जानने में निश्चित रूप से इच्छा होगी| तो, चलिए अति सरल और सटीक रुप से इसके संज्ञा के बारे में जान लेते हैं|

अंतरिक्ष में मौजूद तारे एक प्रकार से चमकीले खगोलीय पिंड होते हैं, जो की अपने चारों तरफ प्लास्मा (Plasm) को अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा पकड़े हुए रहता हैं | इसके अलावा मेँ आपको बता दूँ की मूल रूप से तारे हीलिअम और हाइड्रोजन के गैसों से बने हुए होते हैं| यह दोनों गैंसें परमाणु संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया के जरिए आपने-आप को लंबे समय तक प्रकाशित कर के रखते हैं| खैर परमाणु संलयन से याद आया की मैंने इस विषय के ऊपर भी एक बहुत सुंदर और रोचक लेख आप लोगों के लिखा हुआ है| इसलिए मेँ आप लोगों से यह अनुरोध करना चाहूँगा की अगर आप लोगों को परमाणु संलयन के विषय पर और अधिक जानकारी चाहिए तो आप निश्चित रूप से उस लेख को एक बार अवश्य ही पढ़ सकते हैं|

तारों के प्रकार – Types Of Star In Hindi :-

तो , चलिए अब इस लेख के अंदर सितारों के प्रकार के (Types Of Star In Hindi) बारे में एक-एक कर के जान लेते हैं|

1. प्रोटो स्टार – Protostar :-

मित्रों! जैसा की आप इसके नाम से ही पता लगा चुके होंगे; प्रोटो स्टार (Protostar) एक प्रकार से सितारों के बनने का सबसे पहला रूप हैं| सरल भाषा में कहूँ तो कोई भी सितारा सितारे में परिवर्तित होने से पहले प्रोटो स्टार के रूप में इस ब्रह्मांड में मौजूद रहता हैं| अब आप यहाँ पर पूछेंगे की आखिर यह प्रोटो स्टार फिर कैसे बनता हैं? तो, सुनिए मित्रों अंतरिक्ष में जगह-जगह पर आपको खगोलीय गैसों से बनी बादल नजर आएंगे| यह बादल आपको देखने में बहुत ही सुंदर और चमकीले नजर आएंगे| इन बादलों के अंदर बहुत ही छोटी-छोटी कणिकाएँ मौजूद रहती हैं|

बाद में जब यह कणिकाएँ खगोलीय दवाब के चलते आपस में सघन हो जाती हैं, तब प्रोटो स्टार का जन्म होता हैं| इस प्रक्रिया को होने में लगभग 100,000 सालों का वक़्त लगता हैं| बाद में खुद प्रोटो स्टार के अंदर खगोलीय दवाब बढ़ कर इसको फिर से एक नए रूप में परिवर्तित कर देता हैं|

2. टी टाउरी स्टार – T Tauri Star :-

A T Tauri star photo.
टी टाउरी स्टार की तस्वीर| Credit : Extra Solar.

ऊपर मैंने प्रोटो स्टार के बारे में जिक्र किया हैं जो की सितारों के बनने के प्रक्रिया का सबसे पहला अवस्था हैं| खैर अब बारी आती हैं टी टाउरी स्टार (T Tauri Star) की, मित्रों! प्रोटो स्टार के अंदर बहुत ही ज्यादा दवाब और गुरुत्वाकर्षण बल इसे टी टाउरी स्टार के रूप में परिवर्तित करता हैं| खैर मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की मुख्य धार की सितारा बनने से पहले की अवस्था को टी टाउरी फेज भी कहते हैं| इस अवस्था में प्रोटो स्टार के मुकाबले बहुत ही ज्यादा ऊर्जा होता है, परंतु इतने भारी मात्रा में ऊर्जा के होने के बाद भी यह परमाणु संलयन प्रक्रिया को शुरू नहीं कर पाता हैं|

मित्रों! टी टाउरी अवस्था में सितारे करीब-करीब 10 करोड़ साल तक रहते हैं|

3. मेन सीक्वेंस स्टार – Main Sequence Star :-

आप वर्तमान के समय में अंतरिक्ष में देख रहे लगभग हर एक सितारा एक-एक मेन सीक्वेंस स्टार (Main Sequence star) यानी मुख्य धार का सितारा हैं| हमारे ब्रह्मांड में कई सौ अरबों मुख्य धार के सितारे मौजूद हैं और हमारा सूर्य भी एक मुख्य धार का सितारा हैं| इसके अलावा हमारे निकट मौजूद अल्फा सेंचुरी और सिरियस भी एक प्रकार से मुख्य धार के सितारे ही हैं|

ज़्यादातर सितारों के अंदर आपको परमाणु संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया होता हुआ नजर आएगा | खैर परमाणु संलयन प्रक्रिया के जरिए ही सितारे अपने अंदर मौजूद हाइड्रोजन गैस को हीलियम गैस में चक्रानुसार परिवर्तित करते रहते हैं| इस प्रक्रिया के अंदर बहुत ही मात्रा में ऊर्जा का उत्पाद होता है जो की सितारों को चमकीला बनाता हैं|

4. रेड जाईंट स्टार – Red Giant Star :-

अगर आपको याद होगा तो, मैंने बहुत समय पहले अपने सूर्य जी के ऊपर आधारित लेख में कई बार रेड जाईंट स्टार के बारे में जिक्र करते हुए आपने अवश्य ही सुना होगा| खैर यहाँ पर मेँ फिर से रेड जाईंट स्टार (Red Giant Star) के बारे में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी आपको दूंगा|

जब कोई मुख्य धार का सितारा परमाणु संलयन प्रक्रिया के जरिए अपने केंद्र (Core) में मौजूद सारे की सारी ईंधन को खत्म कर देता हैं ,तब इस के अंदर होने वाला परमाणु संलयन प्रक्रिया खुद व खुद बंद हो जाता हैं| प्रक्रिया के बंद होने के कारण इसके आकार में अचानक बुद्धि घटती हैं| इसके बाहरी आवरण में मौजूद हीलियम अब सितारे को बचाने के लिए परमाणु संलयन प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं| प्रक्रिया में जितनी मात्रा में धीरे-धीरे कर के हीलियम खतम होती रहती है उसी हिसाब से सितारा भी अपने जीवन की उलटी गिनती गिनता रहता हैं| जब हीलियम भी खतम हो जाता है तब सितारा एक नए रूप में परिवर्तित हो जाता हैं|

5. व्हाइट द्वार्फ स्टार – White Dwarf Star :-

रेड जाईंट स्टार बनने के बाद एक तारा आखिर में व्हाइट द्वार्फ स्टार के रूप में परिवर्तित हो जाता हैं| जब पूर्ण रूप से कोई भी सितारा ईंधन रहित हो जाता हैं तब वह धीरे-धीरे शीतल होने लगता हैं| इस प्रक्रिया में कई अरबों साल लग जाते हैं| जब यह प्रक्रिया हो रहा होता है तब खुद सितारे का गुरुत्वाकर्षण बल सितारे को अपने अंदर खींच रहा होता हैं|

जब शीतलिकरण का प्रक्रिया पूर्ण रूप से संपूर्ण हो जाता है, तब किसी जमाने में चमकीला प्रतीत होता सितारा आखिर में एक सफ़ेद और शांत सितारे में परिवर्तित हो जाता है| वाकई में सितारों के इस प्रकार (types of star in hindi) के बारे में शायद बहुत ही कम लोग ही जानते होंगे| क्या आपको इस के बारे में जानकारी थी| जरूर ही बताइएगा , हमें बहुत ही खुशी होगी|

6. सुपर जाईंट स्टार – Super Giant Star :-

मैंने ऊपर आप लोगों को एक सितारे की जन्म से ले कर अंत तक के हर एक रूप और अवस्था के बारे में बताया हैं| मूल रूप से अंतरिक्ष में ऊपर लिखी हुई यही 5 प्रकार के सितारे आपको देखने को मिलेंगे| परंतु फिर भी कुछ ऐसे सितारे मौजूद है जिन के बारे में आपको लोगों को जरूर ही जानना चाहिए |

खैर मेँ यहाँ सुपर जाईंट स्टार की बात कर रहा हूँ| पूरे ब्रह्मांड में सुपर जाईंट स्टार (Super Giant Star) के आकार से बड़ा कोई और दूसरा सितारा मौजूद नहीं हैं| मित्रों! आकार और घनत्व में इस प्रकार के सितारे हमारे सूर्य से भी कई गुना बड़े होते हैं और बड़े होने के कारण यह सूर्य के भांति संतुलित भी नहीं रहते हैं| ज्यादा मात्रा में ऊर्जा के खपत के कारण इन सितारों का जीवन मात्र कुछ लाखों वर्ष ही होता हैं| खैर और एक महत्वपूर्ण बात मेँ आप लोगों को यहाँ बता दूँ की सुपर जाईंट स्टार के विलय से ही ब्रह्मांड में सुपरनोवा का जन्म होता हैं| आप सुपरनोवा के बारे में बहुत सारे गुप्त बातें यहाँ जान सकते हैं|

Source :- www.universetoday.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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