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जानिए विलक्षणता (Singularity) के बारे में पूरी जानकारी – Singularity In Hindi

क्या ब्लैक होल से ही इस ब्रह्मांड का निर्माण हुआ हैं? क्या इसके पीछे सिंगुलारिटी का ही हाथ है?

अंतरिक्ष हो या इस ब्रह्मांड में स्थित कोई भी चीज़, हर किसी को समझने के लिए हमें कुछ नियमों तथा सिद्धांतों का पालन करना पड़ता है। इन्हीं नियमों और सिद्धांतों के वजह से हम आज हमारे ब्रह्मांड तथा इसके चारों तरफ फैले अंतरिक्ष के बारे में इतना कुछ जान पाये हैं। सापेक्षता का सिद्धांत(Theory Of Relativity) हो या सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) हर एक नियम, सिद्धांत या यूं कहें की शब्द (अंतरिक्ष से जुड़ा हुआ शब्द) हमें अंतरिक्ष के बारे में और अधिक बेहतर जानकारी देता है। इसलिए मैं और आप जैसे लोग जो अंतरिक्ष के बारे में दूसरों से थोड़ा ज्यादा जानने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए इन सभी शब्द और सिद्धांतों को जानना बहुत ही जरूरी है।

सिंगुलारिटी के बारे में पूरी जानकारी - Singularity Full Detail In Hindi.
सिंगुलारिटी के बारे में आप कितना जानते हैं? | Credit:The Socialbe.

मित्रों! मैं आज आप लोगों को सिंगुलैरिटी  (Singularity Full Detail In Hindi) के बारे में बताऊंगा। वैसे ज्यादा व्यस्त होने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि मेँ आपको सिंगुलैरिटी के बारे में कुछ इस तरह से बताऊंगा की, आपको ये विषय समझ में आने के साथ-साथ बहुत ही ज्यादा सरल भी लगेगा। आज के समय में आपने लोगों को विलक्षणता (singularity) के बारे में बातें करते हुये सुना होगा, आम बोल चाल में हम अकसर अंतरिक्ष से जुड़ी किसी भी विषय में इस शब्द को प्रयोग कर देते हैं।

परंतु क्या आपको इस शब्द का मूल अर्थ पता है? क्या आप सिंगुलारिटी के बारे में कुछ भी विस्तार से जानते हैं? खैर चलिये इस लेख में इन्हीं सवालों का जवाब ढूँढने का प्रयास करते हैं!

सिंगुलैरिटी क्या हैं? – Singularity Full Detail In Hindi :-

मित्रों! सबसे पहले चलिये सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) किसे कहते हैं? उसके बारे में जान लेते हैं और बाद में इससे जुड़े दूसरे विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

तो, विज्ञान के अनुसार “सिंगुलैरिटी माने एक ऐसी जगह जहां पर किसी भी खगोलीय पिंड/ चीज़ की घनत्व (Density) और गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (Gravitational Field) अनंत (Infinite) हो जाता हैं और ये किसी भी कोओर्डिनेट सिस्टम (Coordinate System) पर निर्भर नहीं करता हैं”। दोस्तों! बता दूँ की, ये संज्ञा जनरल रिलेटिविटी के आधार पर दी गई है और ब्रह्मांड में मौजूद ज़्यादातर चीज़ें इस संज्ञा का पालन करती हैं। खैर यहाँ पर गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र खगोलीय पिंड/ चीज़ की स्केलर कोन्पोनेंट (Scalar Component) हैं और स्पेस-टाइम के साथ एक बहुत ही जरूरी रिश्ता कायम रखते हैं।

सिंगुलारिटी के बारे में पूरी जानकारी - Singularity Full Detail In Hindi.
सिंगुलारिटी क्या हैं? | Credit: Disruptor Daily.

खैर सिंगुलैरिटी को प्राप्त होने के बाद उस वस्तु/ चीज़ के ऊपर भौतिक विज्ञान का कोई भी सिद्धांत या नियम और काम नहीं करता है। इसलिए आज भी इसके बारे में वैज्ञानिकों को काफी कम ही पता है। वैसे सिंगुलैरिटी को प्राप्त होने के ठीक पहले चीज़/ वस्तु का घनत्व अचानक से अनंत हो जाता हैं, जो की थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी को पालन नहीं करता हैं।

कई वैज्ञानिक कहते हैं की, हमारे ब्रह्मांड के प्रारंभिक अवस्था में सिंगुलैरिटी की प्रक्रिया हर एक जगह पर हुआ होगा। वैसे यहाँ दूसरे गुट के वैज्ञानिक ये कहते हैं की, आज भी सिंगुलैरिटी जैसी चीजों के ऊपर विश्वास कर पाना उनके लिए काफी ज्यादा मुश्किल हैं। क्योंकि जहां किसी वस्तु का घनत्व अनंत तक पहुँच जा रहा हैं, वहाँ किस तरह की परिस्थितियाँ होंगी इसके बारे में सोच पाना भी काफी ज्यादा कठिन हैं।

जनरल फ़िज़िक्स और सिंगुलैरिटी! :-

जब से वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल को खोजा हैं, तब से ही हम सब के मन में एक बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय सवाल आखिर ब्लैक होल के अंदर का माहौल कैसा होगा?” ये चल रहा है। मित्रों! वैज्ञानिकों के मन में भी ये सवाल काफी सालों से चल रहा था और इसका जवाब हमें सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) से मिल सकता है। इसके अलावा जब थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी की खोज हुई तब वैज्ञानिकों के मन में और एक सवाल उठा की, बिग बैंग से पहले हमारा ये ब्रह्मांड आखिर कैसा होगा?” कैसे ये ब्रह्मांड बना होगा?

How Singularity was discovered?
सिंगुलारिटी को कैसे खोजा गया? | Credit: HDQ Wall.

मित्रों! बता दूँ की, ऐसे सवालों का जवाब दे पाना एक कठिन काम हैं; परंतु कुल मिला कर देखें तो सारे के सारे सवालों का जवाब हमें सिंगुलारिटी की और इशारा करता है। अगर में थोड़ा और बारीकी से कहूँ तो, इन सारे सवालों का जवाब हम ग्रेविटेशनल सिंगुलैरिटी” से पा सकते हैं। ग्रेविटेशनल सिंगुलैरिटी यानी एक ऐसी जगह जहां भौतिक विज्ञान के ज़्यादातर साधारण सिद्धांत और नियम खंडित होते हैं। जहां कोई भी थियरि काम नहीं आता है।

खैर सिंगुलैरिटी और ब्लैकहोल का बहुत ही ज्यादा करीबी रिश्ता हैं, जिसके बारे में हम आगे बातें करेंगे; परंतु अभी के लिए एक बात पर गौर करें की वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैकहोल के अंदर मौजूद “Event Horizon” से ही एक नए ब्रह्मांड की शुरुआत होती है। क्योंकि, कोई चीज़ घटना क्षितिज (Event horizon) को पार करने के बाद दुबारा लौट कर नहीं आता है।

दोस्तों! आपका इसको लेकर क्या ख्याल हैं; जरूर ही कमेंट करके बताइएगा।

ब्लैक होल और सिंगुलैरिटी! :-

जनरल थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी के अनुसार अंतरिक्ष में मौजूद कोई भी चीज़ अगर एक चरण पर आ कर विघटित हो जा रहा है, तो वो चीज़ अंतरिक्ष में एक ब्लैक होल का निर्माण करता है और इसी के अंदर ही सिंगुलैरिटी की स्थिति बनती हैं। इसलिए जब भी ब्रह्मांड के बनने का परिकल्पना किया जाता है तब सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। परंतु यहाँ एक बहुत ही जरूरी बात सामने आता है।

Black Hole And Singularity.
सिंगुलारिटी और ब्लैक होल | Credit: Medium.

जैसा की मैंने ऊपर बताया की, अगर कोई भी चीज़ अंतरिक्ष में एक चरण पर आ कर विघटित हो जाता है तब वो ब्लैक होल का निर्माण करता है। परंतु क्या कभी हमारा ब्रह्मांड ब्लैक होल का निर्माण कर सकता है? मित्रों! इस सवाल का जवाब हे नहीं, हमारा ब्रह्मांड फिलहाल तो विघटित हो कर ब्लैक होल का निर्माण नहीं कर सकता है। क्योंकि अंतरिक्ष में आज जीतने भी ब्लैक होल मौजूद हैं वो सभी के सभी किसी सितारे से बने हुए हैं और बिग बैंग के तुरंत बाद से ही लगातार फैल रहा हमारा ये ब्रह्मांड कभी भी Collapse हो कर विघटित नहीं हो सकता है।

हालांकि! सिंगुलैरिटी के बारे में जानने के बाद भी हम सटीक रूप से ये नहीं कह सकते हैं की, बिग बैंग के शुरुआती हिस्से में ब्रह्मांड कैसा रहा होगा।

मित्रों! अब जरा ध्यान से सुनिएगा, क्योंकि एक भारतीय होने के नाते आपको ये बात जरूर ही पता होनी चाहिए। जब गुरुत्वाकर्षण बल प्रकाश के वेग को लांघ कर उससे भी तेज गति करता हैं तब कहा जाता हैं की, गुरुत्वाकर्षण बल ने "Chandrasekhar Limit" को लांघ लिया हैं। बता दूँ की, ये लिमिट भारत के प्रसिद्ध एस्ट्रोफिसीसिस्ट "Subhramanyan Chandrasekhar" के नाम के आधार पर रखा गया है जिन्होंने इसके बारे में 1930 में बताया था। वैसे वर्तमान के समय में इसका वैल्यू 1.39 सोलर मास तक है जो की लगभग 2.765x10^30 kg है।
पेनरॉस और हकिंग की फोटो | Credit: Iai Tv.

Singularity को कैसे खोजा गया? :-

सिंगुलैरिटी (singularity full detail के बारे में सबसे पहले जानकारी हमें आइंस्टीन के थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी” के अंदर मिलता हैं जो की ब्लैक होल के बारे में है। ये सिद्धांत हमें ब्लैक को और बेहतर तरीके से समझने में मदद करता हैं। इस सिद्धांत के अनुसार अंतरिक्ष में मौजूद कोई भी सितारा अपने घनत्व के एक चरम सीमा पर आ जाता हैं तब उसके अंदर से एक बहुत ही तीव्र व शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल निकलता हैं जो की उस सितारे को अपने अंदर ही विघटित कर देता हैं। मित्रों! इसी तरीके से ही ब्रह्मांड में ब्लैक होल का निर्माण होता हैं।

खैर मेँ बता दूँ की, मैंने ऊपर जिस चरम सीमा की बात की हैं उसे “Schwarzschild Radius” कहते हैं। अगर सितारा इस सीमा को लांघ जाता है तो उसका ब्लैक होल में परिवर्तित होना लगभग निश्चित है। हालांकि! जब कोई भी सितारा ब्लैक होल में बदल जाता हैं तब उसके अंदर से कोई भी चीज़ बाहर नहीं आ सकता हैं यहाँ तक की प्रकाश भी। इसलिए आप कह सकते हैं की, इस स्थिती में गुरुत्वाकर्षण बल प्रकाश के किरणों से भी ज्यादा तेजी से गति कर रहा होता है। इसलिए वो प्रकाश के किरणों को भी रोकने में सफल हो जाता है।

मित्रों! अब जरा ध्यान से सुनिएगा, क्योंकि एक भारतीय होने के नाते आपको ये बात जरूर ही पता होनी चाहिए। जब गुरुत्वाकर्षण बल प्रकाश के वेग को लांघ कर उससे भी तेज गति करता हैं तब कहा जाता हैं की, गुरुत्वाकर्षण बल ने “Chandrasekhar Limit” को लांघ लिया हैं। बता दूँ की, ये लिमिट भारत के प्रसिद्ध एस्ट्रोफिसीसिस्ट “Subhramanyan Chandrasekhar” के नाम के आधार पर रखा गया है जिन्होंने इसके बारे में 1930 में बताया था। वैसे वर्तमान के समय में इसका वैल्यू 1.39 सौर मास(Solar Mass) तक है जो की लगभग 2.765×10^30 kg है।

Penrose Singularity Theorem! :-
Photo of Penrose.
पेनरॉस की फोटो | Credit: Zme Science.

मित्रों! सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) को लेकर कई सारे वैज्ञानिकों के अलग-अलग मत हैं। कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना हैं की, जब बिग बैंग घटा तब पूरा ब्रह्मांड सिंगुलैरिटी के अवस्था में था। खैर इस बात को लेकर मुख्य रूप से दो थियोरम प्रचलित हैं, जिनको की क्रमानुसार Roger Penrose और Stephen Hawking ने दिया हैं। तो, चलिये पहले पेनरॉस की थियोरम और बाद में हकिंग के द्वारा दी गई थियोरम के बारे में चर्चा करेंगे।

1965 में पेनरॉस के द्वारा दिये गए सिद्धांत में उन्होंने बताया की, ब्लैक होल के अंदर एक समय से संबंधित सिंगुलैरिटी मौजूद होता हैं जो की वस्तु के एक निश्चित ऊर्जा के स्तर पर आने के बाद दिखाई देता हैं”। बात दूँ की, ये वो समय होता है जहां स्पेस-टाइम का ग्राफ अनंत तक पहुँच जाता हैं और जिसकी वजह से उस जगह पर समय खुद व खुद काम करना बंद कर देता है।

दोस्तों! एक बात गौर करने वाली हैं की, पेनरॉस और हकिंग के द्वारा दी गई दोनों ही थियोरम हमें ब्लैक होल के अंदर गुरुत्वाकर्षण बल कैसे काम करता हैं उसके बारे में बताते हैं। इसलिए कई बार दोनों ही थियोरम्स को एक साथ मिलाकर भी पढ़ा जाता हैं। खैर इसके बारे में आपको और बेहतर जानकारी आगे पढ़ने को मिलेगा, तो लेख को धैर्य के साथ पढ़ते रहिएगा।

Hawking Singularity Theorem! :-
मित्रों! अब जरा ध्यान से सुनिएगा, क्योंकि एक भारतीय होने के नाते आपको ये बात जरूर ही पता होनी चाहिए। जब गुरुत्वाकर्षण बल प्रकाश के वेग को लांघ कर उससे भी तेज गति करता हैं तब कहा जाता हैं की, गुरुत्वाकर्षण बल ने "Chandrasekhar Limit" को लांघ लिया हैं। बता दूँ की, ये लिमिट भारत के प्रसिद्ध एस्ट्रोफिसीसिस्ट "Subhramanyan Chandrasekhar" के नाम के आधार पर रखा गया है जिन्होंने इसके बारे में 1930 में बताया था। वैसे वर्तमान के समय में इसका वैल्यू 1.39 सोलर मास तक है जो की लगभग 2.765x10^30 kg है।
स्टीफेन हकिंग की फोटो | Credit: Market Watch.

जैसा की मैंने आप लोगों से वादा किया था की, पेनरॉस थियोरम के बाद हम हॉकिंग थ्योरिम के बारे में बातें करेंगे, तो लीजिये अब हम स्टीफन हॉकिंग के द्वारा दिये गए थियोरम के बारे में ही बातें करने जा रहें है। मित्रों! इस थियोरम के अनुसार अंतरिक्ष में कोई भी चीज़ स्पेस के आधार पर सिंगुलैरिटी को प्राप्त करता है। यानी अंतरिक्ष में अगर किसी भी चीज़ को ज़ोर-जबरदस्ती चरम रूप से कंप्रेस कर दिया जाए तो वो ब्लैक होल में परिवर्तित हो सकता है।

हॉकिंग के अनुसार ये थियोरम हमें बिग बैंग के प्रारंभिक अवस्थाओं के पास ले कर जाता है, जहां ब्रह्मांड का घनत्व अनंत था। हालांकि! बाद में खुद हॉकिंग ने कहा की, ये थियोरम सटीक नहीं हो सकता हैं क्योंकि ये थियरी ऑफ रिलेटिविटी के खिलाफ हैं। मित्रों! उन्होने और भी कहा की, बिग बैंग के समय किसी भी प्रकार की सिंगुलारिटी नहीं था।

मित्रों! ऐसे में आज सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) के बारे में वैज्ञानिकों को काफी सारे चर्चाएँ करते हुए सुनाई दे रहा हैं। कुछ वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं की, बिग बैंग या ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में किसी भी प्रकार का कोई सिंगुलैरिटी था ही नहीं। इसके बारे में आपको अधिक जानकारी “Loop Quantum Gravity” थियोरम में देखने को मिलेगा जो की क्वांटम फिजिक्स को ग्रेविटी के साथ जोड़ता है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

पूरे लेख में हमने सिंगुलैरिटी (singularity full detail in hindi) के बारे में जितना हो सका जाना, परंतु एक बात अभी भी हमें जानने की जरूरत है। तो, आखिर वो कौन सी बात है जिसे मेँ लेख के अंत में बताने जा रहा हूँ! मित्रों! मैंने पूरे लेख में सिंगुलैरिटी के प्रकार के बारे में कहीं भी कुछ भी जिक्र नहीं किया है।

मित्रों! अब जरा ध्यान से सुनिएगा, क्योंकि एक भारतीय होने के नाते आपको ये बात जरूर ही पता होनी चाहिए। जब गुरुत्वाकर्षण बल प्रकाश के वेग को लांघ कर उससे भी तेज गति करता हैं तब कहा जाता हैं की, गुरुत्वाकर्षण बल ने "Chandrasekhar Limit" को लांघ लिया हैं। बता दूँ की, ये लिमिट भारत के प्रसिद्ध एस्ट्रोफिसीसिस्ट "Subhramanyan Chandrasekhar" के नाम के आधार पर रखा गया है जिन्होंने इसके बारे में 1930 में बताया था। वैसे वर्तमान के समय में इसका वैल्यू 1.39 सोलर मास तक है जो की लगभग 2.765x10^30 kg है।
समय के साथ ब्रह्मांड के बनने का फोटो | Credit: Universe Today.

तो, सिंगुलैरिटी के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। पहला है “Curvature Singularity” और दूसरा है “Conical Singularity”। Curvature Singularity को आप सबसे अच्छे तरीके से एक ब्लैक होल के जरिये ही समझ सकते हैं है। ब्लैक होल के केंद्र में स्पेस-टाइम एक आयामी हो जाता हैं जो की बहुत ही ज्यादा वजनी भी होता है। इसके वजह से गुरुत्वाकर्षण बल अनंत तक पहुँच जाता है और स्पेस-टाइम अनंत काल तक मूड जाता है। इससे भौतिक विज्ञान के जीतने भी नियम है सारे के सारे काम करना बंद कर देते है।

अगर हम Conical Singularity के बारे में बात करें तो, एक पॉइंट ऐसा भी आता है जब हर एक जनरल कोवेरिएंस क्वान्टिटी का लिमिट अनंत हो जाता है। मित्रों! इस स्थिति को ही Conical Singularity कहते है। वैसे इस समय सिंगुलैरिटी पॉइंट के चारों तरफ स्पेस-टाइम एक कोन”(Cone) के आकार में घिर जाता है। इसलिए इसका नाम भी ऐसा है। खैर इस सिंगुलैरिटी का सबसे अच्छा उदाहरण ”Cosmic String” है जो की एक आयामी पॉइंट है और ये ब्रह्मांड के निर्माण के शुरुआती दिनों में मौजूद था।

वैसे आपको सिंगुलैरिटी का ये लेख कैसा लगा, जरूर ही बताइएगा!


Sources :- www.universetoday.com, www.caltech.edu.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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One Comment

  1. Sir can you please post such articles in English also i.e English translation of these articles . Otherwise the articles that you were posting were astonishing

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