
हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर सेल्स से मिलकर बना हुआ है। पर ऐसा नहीं है की हमारा शरीर सिर्फ एक ही तरह के सेल्स का पूरा गुच्छा है। इंसानी शरीर में मौजूद अलग-अलग तरह के सेल्स मिलकर एक खास टिशु का निर्माण करते हैं और सारे टिशु आपस में मिलकर एक ऑर्गन का निर्माण करते हैं। हमारे ब्रह्मांड का रचना भी कुछ हद तक हमारे शरीर जैसा ही है या ऐसा भी कह सकते हैं कि इंसानी शरीर का रचना ठीक हमारे ब्रह्मांड की तरह ही हुआ है। जिस प्रकार सेल्स मिलकर टिशू बनाते हैं ठीक उसी प्रकार हमारे ब्रह्मांड में कई सारे तारे मिलकर तारों का एक ग्रुप (Star Cluster In Hindi) बनाते हैं। और जिस तरह टिशू ऑर्गन का निर्माण करते हैं, वैसे ही कई सारी गैलेक्सी आपस में मिलकर एक कॉमन ग्रुप ऑफ़ गैलेक्सीज का निर्माण करतें हैं। तो चलिए आज स्टार क्लस्टर और गैलेक्सी क्लस्टर के बारे में जान लेते हैं।
स्टार क्लस्टर
स्टार क्लस्टर तारों के एक विशाल झुंड को कहते हैं। जिनमें सभी तारे अपनी ग्रेविटी के कारण उस झुंड से बंधे रहते हैं। स्टार क्लस्टर में मौजूद सभी तारों की प्रॉपर्टीज और स्ट्रक्चर काफी हद तक एक ही जैसी होती है। स्टारक्लस्टर को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है एक है ग्लोबल कल्स्टर और दूसरा है ओपन क्लस्टर चलिए इनके बारे में जान लेते हैं
गोलाकार क्लस्टर – Globular cluster
ग्लोबल क्लस्टर में 10,000 से लेकर 1 लाख तारों का वजूद होता है। एक ग्लोबल क्लस्टर 10 लाइट ईयर से लेकर 300 लाइट ईयर के दूरी मे फैला होता है। इस क्लस्टर में पाए जाने वाले तारे अमूमन पापुलेशन सेकंड कैटेगरी में होते हैं। आपको बता दें की पापुलेशन सेकंड मे वो स्टारस आते हैं, जो ब्रह्मांड के जन्म से कुछ ही समय आगे बने थे।
अर्थात इस क्लस्टर में मौजूद तारे बेहद ही पुराने होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्लस्टर (Star Cluster In Hindi) में मौजूद तारे ज्यादातर येलो या रेड द्वार्फ स्टार होते हैं। जिनका मास सूरज के मास से एक या दो गुना ही ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार शुरुआत में इन क्लसटर में भी विशालकाय तारे हुआ करते थे। पर क्योंकि ये क्लस्टर बहुत पुराना है। इसीलिए यकीनन यह संभव हो सकता है की कई सारे विशालकाय पुराने तारे सुपरनोवा एक्सप्लोजन मे खत्म हो गए होंगे और उसके बाद मे ड्वार्फ तारों का शक्ल ले चुके हों। और हम जानते हैं की छोटे तारों का जीवन काल बेहद अधिक होता है।
M13, उत्तरी गोलार्ध में एक बड़ा गोलाकार तारा समूह है।
इसी कारण छोटे तारे अभी भी इन क्लस्टरस मे मौजूद होते होंगे और अपने लंबे जीवन काल को बिता रहे होंगे। हालांकि कुछ ब्लू सुपजाइंट तारे भी इन क्लस्टर मे मौजूद हैं। जिसके बारे मे वैज्ञानिकों का कहना है, की ये ब्लू सुपरजाइंट नए तारे हैं जो की नेबुला से एक लंबे प्रक्रिया के बाद बने हैं। कुछ वैज्ञानिकों का ये भी कहना है की दो द्वार्फ तारों के मिलने से इन ब्लू सुपरजाइंट तारों का निर्माण हो सकता है। हालांकि इसका कोई पुख्ता प्रमाण नही है।
कहां होते हैं गोलाकार क्लस्टर
वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्यन के अनुसार गोलाकार क्लस्टर हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के बीच मौजूद रीजन के आसपास एक गुच्छे के स्वरूप में होते हैं। जिस रीजन में ये क्लस्टर्स मौजूद है उन रिजन को गैलेक्टिक हेलो कहा जाता है। तारों के ये ग्रुप्स गैलेक्सी के बीच मौजूद ब्लैक होल का चक्कर एक एलोंगेटेड (elongated) यानी की बेहद ही लंबे चौड़े ऑर्बिट मे लगाते हैं।
साल 1917 मे हार्लो शप्ले ने तारों के इन क्लस्टरस की मदद से गैलेक्सी के बीच की दूरी को नापा था। हमारी गैलेक्सी में लगभग 150 ग्लोबल क्लस्टर्स मौजूद है। क्योंकि मिल्की वे दो गैलैक्सीस के टकराव से बनी थी इसलिए कुछ वैज्ञानिकों का कहना यह भी है की कई सारे ग्लोबल स्टार क्लस्टर दूसरे गैलेक्सी से होंगे जो बाद मे मिल्की वे से मिलकर इसी मे आ गए होंगे। कुछ गैलेक्सीज में ग्लोबल क्लस्टर्स (Star Cluster In Hindi) की संख्या हमारे गैलेक्सी से कहीं अधिक होती है। उदाहरण के स्वरूप M87 गैलेक्सी में लगभग हज़ार ग्लोबल क्लस्टर्स मौजूद है।
कुछ बेहद ही चमकदार ग्लोबल क्लस्टर जो धरती से नंगी आँखों से देखे जा सकते है उनमें ओमेगा सैंटोरी का नाम आता है। इसके अलावा नक्षत्र Hercules मे M13 नाम का एक ग्लोबल क्लस्टर भी बेहद चमकदार है।इसे नॉर्थेन हेमिस्फीयर मे नंगी आँखों से देखा जा सकता है।
ओपन क्लस्टर – Open Cluster
ग्लोबल क्लस्टर के उलट ओपन कलस्टर बेहद ही अलग होते हैं। ओपन क्लस्टर में कुछ गिने-चुने 100 से लेकर 1000 तारे होते हैं जो कि एक प्लेन स्ट्रक्चर मे बंधे होते हैं। ओपन क्लस्टर मैं मौजूद तारे नए तारे होते हैं जिनकी उम्र कुछ अरब सालों की होती है। इन क्लस्टरस का डेंसिटी बहुत कम होता है। ग्लोबल क्लस्टरस की ही तरह ओपन क्लस्टर भी 30 लाइट ईयर्स तक फैले होते हैं। ये क्लस्टर गैलेक्सी के आर्मस में मौजूद होते हैं।

Taurus कांस्टिलेषण मे Pleiades और Hyades नामक दो ओपन क्लस्टर के उदाहरण हैं।
सबसे विशाल स्टार क्लस्टर
अबतक का खोजा गया सबसे बड़ा गोलाकार कलस्टर (Star Cluster In Hindi) पृथ्वी से 17 हजार लाइट दूर है, ओमेगा सेंटौरी( Omega Centauri) नाम के इस स्टार कलस्टर में करीब 1 करोड़ तारे हैं और इसका आकार 150 लाइट ईयर में है, ये कलस्टर इतना विशाल है कि इसे पृथ्वी से आँखो से देखा जा सकता है।

150 लाइट ईयर में समाये 1 करोड़ से ज्यादा तारे इतने पास हैं कि इनके बीच की दूरी ही केवल 0.1 प्रकाश वर्ष है, ये सूर्य के सबसे नजदीकी तारे की दूरी से भी 40 गुना कम दूरी पर एक दूसरे के करीब होते हैं, अगर आप इस स्टार कलस्टर में अपने स्पेसशिप से जाने की कोशिश करते हो तो सबसे पहले आपके इसके सेंटर की चमक का सामना करना पड़ेगा, जैसे ही आप इन तारों के ग्रूप में प्रवेश करोगे तो आपको यहां हर तरफ तारे ही तारे दिखाई देगें, सभी तारे एक ही आकार और गुण होने के होने के कारण इन्हें पहचनाना भी मुश्किल होगा।
स्टार क्लस्टर का महत्व
स्टार क्लस्टर महत्वपूर्ण इसीलिए है। क्योंकि एक स्टार क्लस्टर में मौजूद अधिकतर तारे एक ही प्रॉपर्टीज रखते हैं। एक क्लस्टर मे मौजूद अन्य तारों को देखकर हम किसी एक पर्टिकुलर तारे की उम्र का पता लगा सकते हैं। एक क्लस्टर से हम उसमे मौजूद सभी तारों के मास,एवोल्यूशन,ऑर्बिट जैसे अन्य जानकारियों का पता चुटकियों मे लगा सकते हैं। इसके अलावा किसी एक क्लस्टर के पर्टिकुलर तारे से भी हम उस क्लस्टर के जन्म और एवोल्यूशन के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठी कर सकते हैं। इन जानकारियों से हम ब्रह्मांड के संरचना और उसके जन्म का पुरा इतिहास खगाल सकते हैं।
गैलेक्सी क्लस्टर – Galaxy Cluster
स्टार क्लस्टर की तरह ही गैलेक्सी क्लस्टर्स भी कई सारे गैलेक्सीज का गुच्छा होता है जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आपस में बंधे रहते हैं। साल 1980 तक गैलेक्सी क्लस्टर को ही ब्रह्मांड के सबसे बड़े स्ट्रक्चरस के रूप मे देखा जाता था। पर फिर उसके बाद सुपरक्लस्टर की खोज हुई। एक गैलेक्सी क्लस्टर मे 100 से लेकर 1,000 गैलेक्सीज का अस्तित्व हो सकता है। इसके ये भी जानना जरूरी है की हर गैलेक्सी क्लस्टर का कंपोजिशन काफी हद तक एक ही जैसा होता है। एक क्लस्टर मे केवल 1℅ ही गैलेक्सीज होती हैं, 9℅ इंटरस्टेलर मैटर होता है और 90℅ वो अदृश्य मैटर होता है जिसके कारण गैलेक्सी आपस मे बंधी रहती है और जिसे वैज्ञानिक डार्क मैटर के नाम से जानते है। डार्क मैटर से जुड़ी बेहद कम जानकारी ही वैज्ञानिकों के पास है। क्योंकि न तो हम इसे देख सकते हैं न छु सकते हैं और ना ही किसी तरह इंतरैक्ट कर सकते हैं। खैर हम इसके बारे मे ज्यादा बात नही करेंगे।

हमारी गैलेक्सी के एक छोर से दूसरे छोर तक की दूरी लगभग एक लाख लाइट ईयर्स है। और हमारे गैलेक्सी के तरह ही 50 से लेकर 80 गैलेक्सी आपस मे मिलकर गैलेक्सी क्लस्टर का निर्माण करते हैं जिसे द लोकल ग्रुप (Local Group) कहा जाता है। लोकल ग्रुप के एक छोर से दूसरे छोर तक का फैलाव 1 करोड़ लाईट ईयर्स है। इसके बाद लगभग 100 से ज्यादा लोकल ग्रुप ऑफ गैलेक्सी मिलकर विर्गो सुपरक्लस्टर का निर्माण करते हैं। जिसके एक छोर से दूसरे छोर तक की दूरी 11 करोड़ लाइट ईयर्स है। लेकिन यहाँ से गैलेक्सी क्लस्टर खत्म नही हो जाता।

विर्गो सुपरक्लस्टर जैसे 1 हज़ार क्लस्टर मिलकर लानीकिया सुपरक्लस्टर का निर्माण करते हैं। जिसके एक छोर से दूसरे छोर तक का दूरी 50 करोड़ लाइट ईयर्स है। मतलब की प्रकाश की गति से भी चलें जो की 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है। तब भी लानीकिया सुपर क्लस्टर को पार करने मे 50 करोड़ साल लग जाएंगे। खैर आपके जानकारी के लिए मैं आपको बता दूँ की हम लाइट के गति के 2℅ गति को भी हासिल नही कर पाएं हैं।.
गैलेक्सी क्लस्टर का महत्व
गैलेक्सी क्लस्टरस ब्रह्मांड के कुछ सबसे बड़े स्ट्रक्चरस मे से एक होते हैं। इनकी बारे मे जानकारी इक्कठी कर हम ब्रह्मांड के कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं। जैसे की ब्रह्मांड कितना बड़ा हो सकता है, ये कैसे बना, इसमे क्या क्या गतिविधियां चल रही हैं, इसका भविष्य क्या होगा और भी बहुत कुछ। इसके अलावा डार्क मैटर का पता भी हमे इन्ही गैलेक्सीज क्लस्टर की स्टडी से पता चला है। तो यकीनन गैलेक्सी क्लस्टर ब्रह्मांड को समझने का एक बहुत बड़ा जरिया है।