Universe

वैज्ञानिकों का घमंड तोड़ते तारे, किसी भी नियम को नहीं मानते और सदा के लिए अमर हैं।

ये तारा 13 अरब साल पहले बना था और सूर्य से हजारों गुना विशाल था।

सितारे जो रात में पूरे आकाश को घेरे रहते हैं, मानवों के लिए हमेशा से रहस्य बने हुए हैं, अरबों की संख्या में आकाशगंगा में ग्रेविटी के द्वारा तैरते ये सितारे (Types Of Stars In Hindi) दिखने और समझने में जितने आसान हमें लगते हैं ये उतने ही ज्यादा कांपलेक्स और हमारी समझ से परे है, एक सितारा ही इस ब्रह्मांड को जीवन देने के साथ-साथ उसे खत्म भी कर देता है, स्टार्स ग्रहों पर जीवन को जन्म देने के साथ-साथ अपने अंतिम समय में उसे सूपरनोवा धमाके के साथ खत्म भी कर देते हैं, और फिर विशाल ब्लैक होल या न्युट्रोन स्टार में बदलकर कई खरबों-खरबों सालों तक भटकते रहते हैं। 

सितारों के तीन समूह – Types Of Stars In Hindi

बिग बैंग (Big Bang) से बनने से लेकर के अबतक के ब्रह्मांड में जन्मे तारों को वैज्ञानिकों ने तीन ग्रुप्स में बाँटा है ये
वर्गीकरण स्टैलर पोप्लुयलेशन (Stellar Population) के नाम से जानी जाती है जिसमें तारों के समूह को उनके अंदर मौजूद धातू (Metal) की मात्रा पर वर्गीकृत किया जाता है, ये Population 3, Population 2 और Population 1 तारे कहे जाते हैं।

जो तारे ब्रह्मांड के जन्म के तुरंत बाद बने यानि सबसे पहले तारे थे उनमें धातू के तत्व बहुत कम था तो उन्हें Population 3 तारा (Types Of Stars In Hindi) कहा जाता है, ये स्टार्स सबसे पुराने और तब पैदा हुए माने जाते हैं जब हमारी आकाशगंगा का बनना शुरू ही हुआ था, ये काल्पनिक (hypothetical) तारे हैं जो बिग बैंग के 40 करोड़ साल बाद जन्मे हैं। इस कारण से इनके अंदर किसी भी तरह का कोई धातू का तत्व मौजूद नहीं है, 13 अरब साल पहले ब्रह्मांड में केवल हाइड्रोजन और हीलियम का बोलबाला था इसलिए उस समय जन्मे ये Population 3 तारे इन्हीं गैसों के इकट्ठा होने से बने होंगे और इनका आकार भी बहुत विशाल होगा, हाल में ही किये गये Computer Simulations बताते हैं कि ये Pop 3 Stars सूर्य से हजारों गुना भारी और विशाल आकार के रहे होंगे। 

13 अरब वर्ष पूराने विशालकाय तारे जिनके अस्तितव पर गहन रिसर्च कार्य जारी है। देखें इनके आकार को

अगर ये तारे आज भी होते तो ये ब्रह्मांड के सबसे बड़े तारे UY Scuti जो हमारे सूर्य से 30 गुना अधिक भारी है उससे भी 33 गुना भारी होते और आकार में इतने विशाल होते की करोड़ों ऐसे तारे इनमें समा जायें। बिग बैंग के तुरंत बाद बनने के कारण वैज्ञानिक इन्हें सीधे खोज नहीं सके हैं पर वैज्ञानिकों ने ग्रेविटेशनल लैंसिग (Gravitational Lensing) के जरिए ऐसे ही कुछ तारों का पता लगाया है, इन तारों को खोजना बहुत मुश्किल है ज्यादातर Population 3 तारे (Types Of Stars In Hindi)  हमसे 13 अरब लाइट ईयर से भी ज्यादा दूर हैं जिसका अर्थ है कि इनके अंदर से निकलने वाली लाइट को पृथ्वी पर पहुँचने में 13 अरब सालों से ज्यादा समय लगा है, अगर हम आज इन्हें देख रहे हैं तो ये वास्तव में ब्रह्मांड में मौजूद नहीं है बस इनका प्रकाश बचा है जो लगातार ब्रह्मांड में भटक कर इनके अस्तित्व को दर्शाता है।

13 अरब साल पुराने तारे जो और अरबों सालों तक चमकते रहेंगे

हवल टेलीस्कोप की 13.8 लाइट ईयर्स तक देखने की लिमिट के कारण वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे आने वाले जेम्स वेब टेलीस्कोप से इन तारों को जरूर देख पायेंगे इन्हें देखना एकदम ऐसा होगा मानो आप अपनी गैलेक्सी के जन्म को आँखो के सामने देख रहे हो। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और चलते हैं Population 2 स्टार्स की ओर ये तारे द्रव्यमान (Mass) और आकार में Population 3 स्टार्स से तो कम हैं ही साथ-साथ ये अपने अंदर मैटालिक कंटेट की कुछ मात्रा को भी रखते हैं, केवल हाइड्रोजन और हीलियम के अलावा इन स्टार्स के अंदर कुछ हद तक हैवी ऐलिमेंट्स की भी मात्रा मौजूद होती है।

करीब 12.5 अरब साल पुराने ये स्टार्स हमें ब्रह्मांड के उस दौर की और ले जाते हैं जब गैलेक्टिक सेंटर में तारों के बनने की होड़ मची हुई थी और हमारी आकाशगंगा अपना एक आकार ले चुकी थे, Population 3 स्टार्स की जगह इन तारों को खोजना ज्यादा आसान है और वैज्ञानिकों ने कई Population 2 तारे (Types Of Stars In Hindi)  खोज निकाले हैं जिनमें से एक Pop 2 तारा HE0107-5240 पृथ्वी से 36 हजार लाइट ईयर

Types Of Stars In Hindi
The ultra-metal-poor star HE0107-5240 , Credit – ESO

दूर है और करीब 13 अरब साल पहले इसका जन्म हुआ था, स्क्रीन पर आप देख सकते हैं कि ये कैसा दिखाई देता है, सूर्य से तुलना करें तो इसका मास सूर्य से थोड़ा सा कम है इसके अंदर मौजूद मेटालिक यानि हैवी ऐलिमेंट्स की बात की जाये तो ये सूर्य की तुलना में 1  लाख 60 हजार गुना कम धातू को अपने अंदर रखता है। सूर्य से आकार और बहुत कम मैटल्स और Heavy Elements जैसे Oxygen और Iron होने की  वजह से ये तारा आज भी जीवित है और आगे भी जीवित रहेगा, तारा जितना छोटा होता है उसकी उम्र उतनी ही ज्यादा होती है ज्यादातर मैसिव तारे जल्दी ही ब्रह्मांड से ग़ायब हो जाते हैं, इसी वजह से पोप्युलेश 3 टाइप तारे जो कि सूर्य से हजारों गुना मैसिव थे बहुत जल्दी बने और उतनी ही जल्दी ब्रह्मांड से ग़ायब भी हो गये।

अब आगे के तारों (Types Of Stars In Hindi) के बारे में जानने के लिए आप ये वीडियो जरूर देखिए, जिसमें मैंने बहुत ही विस्तार से इनके बारे में बताया है, इस वीडियो में मैंने दूसरे और रहस्यमयी तारों को भी वर्णित किया है जो अपने आप में ही बहुत विचित्र हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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