प्रकृति ने पृथ्वी पर अपने कई सारे चमत्कारों को दिखाया हैं, जिनमें से एक “जीवन” भी है। हालांकि! हम ये भी कह सकते हैं की, प्रकृति ने कुछ ज्यादा ही ध्यान हमारी पृथ्वी के ऊपर दिया हैं; जिस वजह से आज हम यहाँ रह रहें है। वैसे यहाँ एक बात को नकारा नहीं जा सकता हैं की, प्रकृति के ही वजह से हम इंसान यहाँ अस्तित्व में आए हैं। परंतु क्या प्रकृति ने सिर्फ पृथ्वी पर ही अपना जोहर दिखाया हैं और दूसरे ग्रहों पर नहीं? मित्रों! प्रकृति ने भले ही दूसरे ग्रहों को जीवन का वरदान न दिया हो परंतु उसने उन ग्रहों में कुछ ऐसी कलाकृतियाँ बना कर छोड़ी हैं जिसके बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते है। बता दूँ की, इन कलाकृतियों में ज्वालामुखी (solar system volcanoes in hindi) भी शामिल है।
जी हाँ! हमारे सौर-मंडल में कुछ ऐसी ज्वालामुखी भी हैं (solar system volcanoes in hindi) जिनके बारे में ज़्यादातर लोग कुछ भी नहीं जानते है। ये कुछ ऐसे खास ज्वालामुखी हैं जो हमारे सौर-मंडल में तो स्थित हैं परंतु पूरे ब्रह्मांड में परिचित हैं। वैसे और एक विशेष बात ये भी हे की, इन ज्वालामुखियों की हम पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखियों से तुलना नहीं कर सकते हैं। क्योंकि इनका आकार पृथ्वी पर स्थित ज्वालामुखियों से काफी ज्यादा है।
विषय - सूची
सौर-मंडल और सक्रिय ज्वालामुखी क्या हैं? – Solar System Volcanoes In Hindi :-
मैंने इससे पहले ही पृथ्वी पर मौजूद सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों के बारे में आप लोगों को बता दिया हैं, जो की पृथ्वी को क्षण भर में ही तबाह कर सकते है। वैसे अगर आप उन ज्वालामुखियों के बारे में जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं। खैर इस लेख में हम सौर-मंडल में स्थित ज्वालामुखियों के बारे में जानेंगे, तो तैयार रहिए एक बहुत ही गज़ब के लेख को पढ़ने के लिए।
मित्रों! सबसे पहले हम सौर-मंडल तथा इसके ज्वालामुखियों (solar system volcanoes in hindi) के बारे में कुछ मूलभूत बातों को जानते है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सौर-मंडल में स्थित ज़्यादातर ग्रहों तथा उनके उप-ग्रहों में ज्वालामुखियों की गतिविधियों को देखा गया है। उदाहरण के लिए आप हमारे चाँद को ही देख सकते है। हमारे चाँद का ज़्यादातर हिस्सा ज्वालामुखियों के गतिविधियों से ही घिरा हुआ है। कहा जाता हैं की, आज भी चाँद के सतह के नीचे गर्म लावा बह रहा है। वैसे चाँद से याद आया की, मैंने इससे पहले ही एक लेख लिखा हैं; जिसके अंदर मैंने आप लोगों को चाँद पर मौजूद धूल के कण से कैसे कृत्रिम रूप से पानी को बनाया जा सकता है उसके बारे में बताया है। तो, अगर आपने अभी तक उस लेख को नहीं पढ़ा हैं तो मेँ आपसे आग्रह करूंगा की एक बार उस लेख को अवश्य ही पढ़िएगा।
वैसे एक खास मेँ आप लोगों को बता दूँ की, हमारे सौर-मंडल में सबसे बड़ा ज्वालामुखी मंगल (largest volcano in the solar system) पर ही मौजूद हैं। इस ज्वालामुखी का आकार “एवरेस्ट” से तीन गुना ज्यादा बड़ा है। खैर इसके बारे में भी हम विस्तार से आगे लेख में बाते करेंगे, तो मेरे साथ लेख में अंत तक बने रहिएगा।
सक्रिय ज्वाला मुखी किसे कहते हैं? – Definition Of An Active Volcano? :-
जब हम यहाँ पर सौर-मंडल में स्थित ज्वालामुखियों के बारे में (solar system volcanoes in hindi) बात कर रहें हैं, तो ये जरूरी हो जाता हैं की; कुछ बातें हम सक्रिय ज्वालामुखियों के बारे में जान लें। वैसे बात दूँ की, मूल रूप से दो प्रकार के मूलभूत ज्वालामुखियों को देखा जाता हैं जो की “निष्क्रिय और सक्रिय ज्वालामुखीयाँ” है। वैसे मेँ आप लोगों को यहाँ पर सक्रिय ज्वालामुखी के बारे में बताऊंगा, क्योंकि इसके बारे में जानना आप लोगों के लिए ज्यादा जरूरी है।
मित्रों! नाम के हिसाब से ही सक्रिय ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी होती हैं जो की वर्तमान के समय में फट रही होती हैं और इनके अंदर से लावा निकल रहा होता है। ऐसे ज्वालामुखियों को आप ज़्यादातर पृथ्वी पर ही देख सकते हैं और इन्हीं ज्वालामुखियों से ही हमें ज्यादा खतरा रहता है। वैसे और ये बात गौर करने वाली हैं की, पृथ्वी पर स्थित ज़्यादातर ज्वालामुखियों को इंसानों ने ढूंढ लिया हैं; परंतु आज भी कई ऐसे ज्वालामुखी मौजूद हैं जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं।
साल 2013 में एक ऐसे ही विशालकाय ज्वालामुखी को समंदर के तल से ढूंढा गया था, जिसका नाम “Tamu Massif” है। बता दूँ की, ये ज्वालामुखी दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। पहले के जमाने में शक्तिशाली टेलिस्कोप के अभाव के कारण हमारे सौर-मंडल के दूसरे ग्रहों पर फट रहे ज्वालामुखियों को नहीं देख पा रहें थे। परंतु विज्ञान के विकास के चलते आज हम इन ज्वालमुखियों को आसानी देख पा रहें हैं।
हमारे सौर-मंडल में स्थित हैं “बर्फ उगलने वाले ज्वालामुखी”! :-
क्या मेँ आप लोगों से एक प्रश्न पूछ सकता हूँ? चलिये पूछ ही लेता हूँ! जब मेँ आप लोगों से ज्वालामुखीयों के बारे में (solar system volcanoes in hindi) ऊपर बात कर रहा था तो आपके मन में ज्वालामुखियों को लेकर कैसे-कैसे तस्वीर आ रहें थे? सच बताइएगा! मेरे हिसाब से ज़्यादातर लोगों के मन में आग और गर्म लावा उगलने वाले ज्वालामुखियों का ही तस्वीर आया होगा, जो की बिलकुल सामान्य सी बात है। क्योंकि हमारे पृथ्वी में जीतने भी ज्वालामुखी मौजूद हैं सब आग और गर्म लावा ही उगलते है।
वैसे अगर मेँ कहूँ की हमारे सौर-मंडल में कई ऐसे ज्वालामुखियाँ भी शामिल हैं, जो की आग के बदले बर्फ और ठंडे पानी के धाराओं को उगलते हैं; तो क्या आप मेरे बातों पर विश्वास करेंगे? जरा सोच कर आराम से बताइएगा की “क्या आप ऐसे बर्फ उगलने वाले ज्वालामुखियों के अस्तित्व को स्वीकारते है”?
मित्रों! जो भी मैंने ऊपर कहा हैं वो बात पूरी तरीके से सच हैं। हमारे सौर-मंडल में कुछ ऐसे भी ज्वालामुखी हैं जो की आग के बजाए बर्फ उगलते हैं और इन ज्वालामुखियों को “Cryovolcano” कहते हैं। इन ज्वालामुखियों का काम करने का ढंग पारंपारिक ज्वालामुखियों के काम करने के ढंग जैसा ही होता है। इसलिए इनको आप एक खास तरह के ज्वालामुखी भी कह सकते है। जरा सोच कर देखिये दोस्तों जब ये ज्वालामुखी फटती होंगे तो कैसे दिखते होंगे!
आखिर क्या है बर्फ उगलने वाले ज्वालामुखियों का राज? :-
हमारे सौर-मंडल के अंदर मूल रूप से दो तरह के ग्रह शामिल है। एक प्रकार के ग्रह ऐसे हैं जिनका सतह ठोस होता है और दूसरे ऐसे ग्रह हैं जिनका की ज़्यादातर हिस्सा गैस से बना हुआ होता हैं। गैस से बने इन ग्रहों में ठोस सतह बहुत ही कम मात्रा में होता हैं और इनके चारों तरफ गैस के अनेक घेरे मौजूद रहते हैं। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा की हमारे सौर-मंडल में मंगल के बाद जीतने भी ग्रह मौजूद है उन सभी में ठोस सतह की मात्रा बहुत ही कम है। इसलिए इन ग्रहों को हम कई बार “Gas Giants” भी कह देते है।
मित्रों! और एक बात ये भी हैं की, जीतने भी गैस जाइंट्स हमारे सौर-मंडल में मौजूद हैं वो सब सूर्य से काफी दूर स्थित है जहां तापमान काफी कम होता है। इन्हीं ठंड भरी जगहों पर ही आप लोगों को “Cryovolacano” देखने को मिलता है। इस प्रकार के ज्वालामुखी अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर तक बर्फ और ठंडे गैस को फेंकती है। वाकई में इन ज्वालामुखियों को देख कर ऐसा लगता हैं की, कोई विशाल दानव अपने मुंह से बर्फ और शीतल गैस के धाराओं को उगल रहा हो।
वैसे कई ज्वालामुखियों से तो आप ठंडे पानी को निर्गत होते हुए देखेंगे। खैर ऐसे ज्वालामुखी हमारे सौर-मंडल में बहुत ही कम है। वैज्ञानिकों के अनुसार “Cryovolcano” से अमोनिया और मिथेन गैस भी बाहर निकलते हैं। आपको क्या लगता हैं, क्या इस तरह का ज्वालामुखी कभी हमारे पृथ्वी पर रहा होगा?
सौर-मंडल में स्थित कुछ खतरनाक ज्वालामुखियों के बारे में! – Volacones Of Our Solar System :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम हमारे सौर-मंडल में स्थित अलग-अलग ज्वालामुखियों के बारे में (solar system volcanoes in hindi) जानेंगे। इसलिए इस भाग को गौर से पढ़िएगा।
1.शुक्र का ज्वालामुखी “Maat Mons” :-
सौर-मंडल में स्थित ज्वालामुखियों की इस (solar system volcanoes in hindi) सूची में सबसे पहला नाम आता हैं “Maat Mons” का। शुक्र के ऊपर स्थित ये ज्वालामुखी अपने अस्तित्व के लिए हमारे सौर-मंडल में काफी ज्यादा चर्चित है। ये ज्वालामुखी शुक्र का सबसे ऊँचा और बड़ा ज्वालामुखी है। इसे सबसे पहले साल 1991 में नासा के द्वारा खोजा गया था। नासा की “Magellan Spacecraft” ने इसे खोजा था। मित्रों! बता दूँ की इस ज्वालामुखी की संरचना अपने आप में ही काफी ज्यादा विशेष है। इस तरह की संरचना वाले ज्वालामुखी को आप शायद ही अन्य किसी ग्रह पर देख सकेंगे।
इस ज्वालामुखी की ऊँचाई लगभग 6.4 km तक है और ये शुक्र की सबसे ऊंची जगह भी है। घने काले लावा के चादर से ढका हुआ ये ज्वालामुखी देखने में काफी ज्यादा अद्भुत लगता है। वैसे इस ज्वालामुखी से जुड़ी और एक खास बात ये भी हैं की, इसका नाम मिस्र के खुशहाली के देवता “Maat” के नाम से आया है। संयोग की बात ये भी है की, लैटिन भाषा में “Maat” शब्द का अर्थ “पर्वत” भी होता है। हमारे सौर-मंडल में जहां शुक्र मौजूद है उस जगह के वातावरण को देख कर इस ग्रह में ज्वालामुखी का होना एक साधारण सी बात है।
2. सौर-मंडल का एक बर्फ उगलने वाला ज्वालामुखी “Enceladus Cryovolcanoes” :-
जैसा की मैंने पहले ही जिक्र किया हैं, हम सौर-मंडल में कुछ ऐसे ज्वालामुखियों (solar system volcanoes in hindi) को भी देखेंगे जो की अपने मुंह से आग नहीं बर्फ उगलते हैं। ठीक इसी वजह से मैंने आपको यहाँ “Enceladus Cryovolcano” से मुलाक़ात करवाई। आप खुद ही देख सकते हैं की, इसके नाम में “Cryovolcano” लिखा हुआ है। जिसके तहत ये एक “बर्फ उगलने वाला” ज्वालामुखी है। ये ज्वालामुखी ठीक पृथ्वी पर मौजूद पारंपरिक ज्वालामुखी की ही तरह काम करता हैं।
वैसे “Enceladus” का ज्वालामुखी जो हैं वो एनसेलाडस के ऊपर ही हैं। कहने का तात्पर्य ये है की, शनि ग्रह का उप-ग्रह “Enceladus” है और इसी के ऊपर ही बर्फ उगलने वाला ज्वालामुखी मौजूद है। इसे साल 2005 में खोजा गया था। खोजे जाने के दौरान वैज्ञानिकों ने देखा की इस उप-ग्रह पर जीतने भी ज्वालामुखी मौजूद है उनमें से ज़्यादातर बर्फ के लंबे और घने खंड उगलते है। हालांकि! ये बात भी सच हैं की, बर्फ के साथ-साथ ये ज्वालामुखियाँ अंतरिक्ष में पानी और कई तरह के गैसों को भी उगलते है।
और एक बात ध्यान देने वाली ये भी हैं की, “Enceladus” जो हैं वो काफी ज्यादा छोटा भी हैं। इसका व्यास मात्र 498.8 km तक ही हैं। इसलिए आप इसे सबसे बड़े ज्वालामुखियों में तो नहीं गिन सकते, परंतु हाँ! इतना जरूर हैं की ये “बर्फ उगलने वाले ज्वालामुखियों” के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
3. ट्राइटन का और एक बर्फ उगलने वाला ज्वालामुखी “Cryovolcano” :-
सौर-मंडल के ज्वालामुखियों की सूची में (solar system volcanoes in hindi) और एक ज्वालामुखी का नाम है “Triton’s Active Cryovolcano”। हालांकि! इस ज्वालामुखी का खुद का अपना कोई नाम नहीं है परंतु ये अपने विशेष कारणों के लिए काफी ज्यादा लोकप्रिय है। वैसे लोकप्रिय होने का कारण बहुत ही ज्यादा सरल और सटीक है। साल 1989 में इसे सबसे पहले “Voyager 2” के द्वारा खोजा गया था। जो की सौर-मंडल में मिलने वाले सबसे पहले ज्वालामुखियों में से एक है।
वैसे में फिर से बता दूँ की, ये बर्फ उगलने वाला ज्वालामुखी “नेपच्यून” के उप-ग्रह “ट्राइटन” पर स्थित है। क्योंकि शायद ज़्यादातर लोगों को ट्राइटन के बारे में पता नहीं होगा। मित्रों! वर्तमान के समय में हमें इस ज्वालामुखी के बारे में उतना नहीं पता हैं, परंतु वैज्ञानिक कहते हैं की इस ज्वालामुखी से बर्फ के साथ-साथ भारी मात्रा में नाइट्रोजन और मिथेन गैस भी निकलती है।
4. बृहस्पति के उप-ग्रह “Io” पर मौजूद है सौर-मंडल का सबसे गर्म ज्वालामुखी “Loki Patera” :-
सौर-मंडल में स्थित ज्वालामुखियों में (solar system volcanoes in hindi) हमने बर्फ उगलने वाले ज्वालामुखियों को देखा। परंतु चलिये अब कुछ अलग तरह के ज्वालामुखियों को भी देख लेते है। मेँ यहाँ बात कर रहा हूँ, बृहस्पति के उप-ग्रह “Io” पर स्थित ज्वालामुखी “Loki Patera”। इसे सौर-मंडल की सबसे गर्म ज्वालामुखी भी कहा जाता है। वैसे इस ज्वालामुखी के बारे में और एक बहुत ही खास बात हैं। क्या आप उस खास बात को जानना चाहते हैं? अगर हाँ! तो लेख को आगे पढ़ते रहिए।
इस ज्वालामुखी को भी काफी साल पहले ढूंढा गया था। इसे साल 1979 में “Voyager 1” के द्वारा खोजा गया था। तो, आप कह सकते हैं की; ये भी एक बहुत ही पुरानी ज्वालामुखी है। मित्रों! इस ज्वालामुखी से जुड़ी खास बात ये हैं की, इसके पास “गर्म लावा का एक दरिया” भी है। जो की, इसे और भी ज्यादा गर्म बना देता है। वैसे अगर हम इस ज्वालामुखी को गौर से देखेंगे तो पता चलेगा की, ये सौर-मंडल में स्थित अन्य ज्वालामुखियों से काफी ज्यादा सक्रिय है। नियमित अंतराल में ये अकसर अपने मुंह से लावा और गर्म आग उगलता ही रहता है।
मित्रों, क्या आप जानते हैं! इस ज्वालामुखी की चौड़ाई लगभग 201.16 km तक है और इससे निकलने वाले लावा की मात्रा के बारे में तो हम कभी सोच ही नहीं सकते है। एक अनु ध्यान से पता चला हैं की, लगभग हर 540 दिनों (पृथ्वी के हिसाब से) में एक बार ये ज्वालामुखी फटता है। आखिरी बार ये ज्वालामुखी साल 2018 में फटा था। खैर आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं की, दुबारा ये ज्वालामुखी कब फटेगा।
5. हमारे सौर-मंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी “Olympus Mons” :-
हमारे ज्वालामुखियों की इस सूची में अब आते हैं सौर-मंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी (solar system volcanoes in hindi) “Olympus Mons”। ये जो ज्वालामुखी हैं दोस्तों ये अपने-आप में ही काफी ज्यादा खास है, क्योंकि इसका आकार आपके कल्पना से भी परे है। वैसे इस तरह के ज्वालामुखी को देखने के लिए हमें बहुत दूर जाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये हमारे पड़ोसी ग्रह “मंगल” पर ही मौजूद है। अब यहाँ पर कुछ लोगों को “Olympus Mons” के बारे में अवश्य ही कुछ पता होगा। क्योंकि इसके बारे में मैंने पहले ही जिक्र किया हुआ है। खैर कोई बात नहीं क्योंकि इस ज्वालामुखी के बिना हमारी ये सूची अधूरी रह जाती। तो, चलिये इस ज्वालामुखी के बारे में भी कुछ जान लेते है।
इस ज्वालामुखी से जुड़ी कुछ रोचक बातें :-
ये ज्वालामुखी लगभग 601.8 km चौड़ा हैं। अगर मेँ इसकी तुलना भारतीय गणराज्य के एक प्रांत “त्रिपुरा” से करूँ तो ये ज्वालामुखी इस प्रांत से भी बड़ा है। बता दूँ की, त्रिपुरा की लंबाई लगभग 577 km तक है। वैसे इस ज्वालामुखी की ऊँचाई की बारे में बात करें तो ये लगभग 25.7 km ऊँचा है, जो की एवरेस्ट से तीन गुना ज्यादा है। और एक खास बात आप लोगों को अवश्य ही जानना चाहिए, क्योंकि इसके बारे में ज्यादा कोई बात नहीं करता है। मित्रों! मैंने अभी-अभी ही कहा हैं की, ये ज्वालामुखी 601 km चौड़ा हैं; परंतु क्या आप इसके मुंह के चौड़ाई के बारे में जानते हैं जिससे कभी गर्म लावा बाहर निकलता था?
इसका मुँह लगभग 80.4 km चौड़ा है। तो, आप खुद अंदाजा लगाएँ की इसके मुंह कैसा दिखता होगा। वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार ये ज्वालामुखी 20 लाख सालों से निष्क्रिय पड़ा है। इसके अंदर कई लाखों सालों से कोई गतिविधि दिखाई नहीं दिया है। तो, आप को क्या लगता हैं? क्या कभी ये फटेगा और अगर फटता भी हैं तो इसका असर पृथ्वी पर कैसा रहेगा? जरूर ही बताइएगा। आशा हैं की, आप लोगों को इस लेख से अवश्य ही कुछ जानने को मिला होगा।
Sources :- www.geology.com, www.popularmechanics.com.