हमारे सौर-मंडल के केंद्र में मौजूद जो सितारा हैं, जिसे हम सूरज के नाम से भी जानते हैं उसके बारे में आज मेँ आपको एक बहुत ही गज़ब की बात बताऊंगा। एक ऐसी बात जिसे सुनकर आप शायद ही अपने कानों पर विश्वास कर पाएँ। इस लेख को पढ़ने के बाद आप लोगों का सूर्य के प्रति जो नजरिया है वो बिलकुल ही बदल जायेगा। तो, सवाल उठता हैं की आखिर ये बात कौन सी हैं जिसे की आप यकीन ही नहीं कर पायेंगे। मित्रों! अभी के लिए संक्षिप्त में बता दूँ की ये बात सूर्य के प्रकाश से (sunlight in hindi) संबंधित है।
सूर्य का प्रकाश (sunlight in hindi) जिसे की हम सकल शक्ति का आधार भी मानते हैं, इसके बारे में एक ऐसी बात अभी भी है जिसे आप जानते नहीं हैं। हमें लगता हैं की, सूर्य से प्रकाश की किरणें सहज तरीके से हमारे पृथ्वी तक पहुँच जाता होगा। परंतु दोस्तों ये बात बिलकुल भी सच नहीं है। सूर्य के प्रकाश का भी अपना एक अलग ही अस्तित्व है। इसलिए आज के इस लेख में हम इसी सूर्य के प्रकाश से जुड़ी हर एक बातों को जानेंगे तथा इसके हर एक पहलू को समझेंगे।
तो, चलिये मित्रों! अभी लेख में आगे बढ़ते हुए इसी के ही बारे में जानते हैं।
सूर्य के प्रकाश से जुड़ी कुछ मूलभूत बातें – Basics Of Sunlight In Hindi :-
जैसा की मैंने पहले ही कहा हैं हम लोग इस लेख के अंदर सूर्य के प्रकाश से (sunlight in hindi) जुड़ी हर एक छोटी से छोटी बातों को जानेंगे। इसलिए सबसे पहले हम जान लेते हैं की, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य का प्रकाश (sun light) आखिर क्या होता हैं?
मित्रों! अगर मेँ बहुत ही सरल भाषा में कहूँ तो, “सूर्य का प्रकाश जो है वो एक तरह का “इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक” तरंग हैं जो की सूर्य के द्वारा विकीरित होता हैं”। आम तौर पर ये तरंग इंफ्रारेड, यूवी रे और विसिवल स्पेक्ट्रम के अंदर आता है, जिसके कारण हम इन तरंगों को देख भी पाते है। वैसे सूर्य के प्रकाश को (sun light) “Sunshine” भी कहा जाता हैं, क्योंकि पृथ्वी के ऊपर पड़ने के बाद ये प्रकाश के तरंगें भारी मात्रा में वायुमंडल में फैल जाती हैं।
वैज्ञानिक शोध से पता चला हैं की, सूखे और खुले आसमान वाले मौसम में सूर्य का प्रकाश ताप भी छोड़ता हैं। इसके साथ ही साथ पृथ्वी के ऊपर पड़ने वाली तरंगें प्रति वर्ग मीटर में 164 वाट की ऊर्जा भी विकीरित करती हैं। हालांकि! ये आंकड़ा अपने आप में एक व्यक्तिपरक बात है। पृथ्वी पर सूर्य के प्रकाश (sun light) के बिना जीवन संभव नहीं है, इसलिए इसको जीवन के मूलाधाराओं में से एक माना जाता है।
वैसे एक बात की ध्यान भी रखना पड़ेगा की, सूर्य के प्रकाश के दो पहलू है। पहला पहलू तो इसके अच्छे प्रभावों को दर्शाता हैं परंतु इसका दूसरा पहलू इसके हानिकारक गुणों को भी हमारे सामने दिखाता है। इन किरणों में मौजूद “U.V Ray” आदि शरीर में काफी गंभीर परिवर्तन ला सकती है। इसलिए हमें इनके दोनों ही पहलूयों को एक साथ रख कर देखना पड़ेगा।
सूर्य के प्रकाश से जुड़ी एक ऐसी बात जिसे आप यकीन ही नहीं कर पायेंगे ! :-
आमतौर पर हमें बचपन से ही पढ़ाया गया हैं की, सूर्य की किरणें (sunlight in hindi) पृथ्वी पर आने के लिए लगभग 8 मिनट और 20 सेकेंड का समय लेती है। जो की सही हैं परंतु इस बात को सुनने के बाद ज़्यादातर लोगों को लगता हैं की, सूर्य की किरणें सूर्य पर क्षण भर में ही बन कर सीधे-सीधे धरती पर पहुँच जाती हैं। जो की पूरी तरीके से गलत हैं। जी हाँ! मित्रों सूर्य की किरणें जो हैं वो धरती पर पहुंचने से पहले सूर्य के अंदर कई हजारों साल से बनती आ रही होती है।
सूर्य के अंदर हर वक़्त न्यूक्लियर प्रक्रिया होती रहती हैं। इसके कारण भारी मात्रा में “फोटोन” कणों का बनना होता है। ये फोटोन के कण ही आगे चल कर सूर्य का प्रकाश बनते है। वैसे एक बात का ध्यान रखेंगे की, फोटोन के कण पहले तो “गामा रे” में परिवर्तित होती हैं और बाद में “एक्स रे” और आखिर में “यूवी रे” या “इंफ्रारेड रे” में। वैसे ये तो मैंने आप लोगों को फोटोन के बारे में कुछ संक्षिप्त में बता दिया। परंतु अब मेँ आगे कुछ और भी बताऊंगा, तो इसे भी आप ध्यान से सुनिएगा।
फोटोन के जो कण होते हैं, वो एक सिद्धांत के ऊपर काम करते है। इसे वैज्ञानिकों ने “Random Walk Problem” का नाम दिया है। इस सिद्धांत या अवधारणा के आधार भी सूर्य के अंदर प्रकाश के किरणों का बनना होता है। तो, आखिर ये रैनडम वॉक प्रोब्लेम क्या हैं? चलिये इसके बारे में हम आगे जानते है।
प्रकाश के बनने के कारण के पीछे छुपी हुई है ये अनोखा सिद्धांत, सुनकर अपने कानों पर यकीन कर पाना मुश्किल है! :-
तो, मैंने ऊपर आप लोगों को “Random Walk Problem” के बारे में बता रहा था। इस सिद्धांत के अनुसार हमें एक सूत्र को समझना होगा। जो की है,
[box type=”shadow” align=”aligncenter” class=”” width=””]Distance = Step Size x (Number Of Steps)^1/2[/box]
ऊपर आप जिस सूत्र को देख रहें है, उसी सूत्र के आधार पर ही सूर्य के प्रकाश का बनना होता है। वैसे हमें इस सूत्र को गहन रूप से समझने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये अपने-आप में ही एक अलग ही विषय हो जायेगा। जिसके बारे में मेँ आप लोगों को आने वाले लेख में अवश्य ही बताऊंगा। खैर अभी के लिए सिर्फ इतना ही जान लीजिये की, फोटोन सूर्य के अंदर एक दूरी तय करते हैं जिसे की वैज्ञानिक स्टेप्स में मापते है और उसी स्टेप्स को ही लेकर इस सूत्र को बनाया गया है।
अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की, एक फोटोन की सूर्य के अंदर औसतन वेग लगभग 3,00,000 km/s होता है। इतने वेग में जब एक फोटोन कण सूर्य के अंदर गति करता है तब वो सूर्य के अंदर मौजूद कई सारे “प्रोटोन” के कणों से टकराना लाज़िमी है। सूर्य का द्रव्य मान लगभग 1.99×10^30 kg है। इसलिए सूर्य के अंदर भारी मात्रा में प्रोटोन के कणों का होना भी स्वाभाविक है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य के अंदर आनुमानिक तौर से लगभग 1.0×10^57 प्रोटोन के कण होंगे और इन सब के बीच औसतन दूरी लगभग 1.0×10^-10 मीटर होगा।
प्रकाश के किरणों में बदलने के लिए लगता है 1,70,000 साल! :-
ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं की, एक फोटोन को (जो की सूर्य के केंद्र से बन कर आता हैं) सूर्य के सतह तक पहुँचने के लिए कितने सारे प्रोटोन के कणों के साथ टकराना पड़ता होगा। जो की एक काफी लंबे समय लेने वाला प्रक्रिया है। इससे आप सोचिए की, फोटोन के कणों को सूर्य के प्रकाश के किरणों में (sunlight in hindi) बदलने में कितना ज्यादा समय लगता होगा।
सूर्य के त्रिज्या की लंबाई लगभग 6,90,000 km है। ऐसे में अगर एक फोटोन के वेग को देखा जाए तो वो प्रोटोन के कणों से टकराते हुए केंद्र से सतह तक पहुँचने के लिए लगभग 39×10^37 स्टेप्स लेगा। इतनी दूरी के लिए एक फोटोन को करीब-करीब 1,70,000 हजार साल लग जायेंगे। मित्रों! ये जो आंकड़ा हैं ये अनुमान कर के कहा गया हैं, इसलिए इसके ऊपर अभी भी कई सारे शोध चल रहें है। आने वाले समय में आशा है की, हमें इसके बारे में और अधिक बातें जानने को मिलेगा। आपको क्या लगता हैं, क्या आप इस बात को सुनकर अपने कानों पर यकीन कर पा रहें है।
तो, आप ये कह सकते हैं की हमारे ऊपर जो सूर्य की किरणें पड रहीं हैं वो लगभग 1,70,000 साल पुरानी है। वैसे और एक रोचक बात ये भी हैं की, 1,70,000 साल पहले पृथ्वी के ऊपर “हिम युग (Ice Age)” चल रहा था और उस समय आदि मानव ही पृथ्वी पर रह रहे थे।
Sources :- www.archive.org, www.youtube.com.