जीवन और विज्ञान ये दोनों ही चीज़ें एक जगह पर कभी नहीं रुक सकती। इसलिए कहते है न “चलती का नाम जिंदगी”। वैसे जरा सोचिए मेँ इस तरह की बातें क्यों कर रहा हूँ। अवश्य ही कुछ कारण होगा ना! जी हाँ मित्रों एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण हैं, क्योंकि जिस हिसाब से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति हो रही है ठीक उसी हिसाब से हमें अपने निकट मौजूद खगोलीय पिंडों के बारे में और गज़ब की बातें जानने को मिल रही है। निकट भूत काल में ही हमें सूरज की (images of sun in hindi) ऐसी-ऐसी तस्वीरें मिली हैं, जिनको देख कर आप अवश्य ही हैरान हो जायेंगे।
मित्रों! आज हम अपने इस लेख में सूरज की बहुत ही विशेष और खास (images of sun in hindi) फोटोस के ऊपर गहन चर्चा करेंगे, क्योंकि ऐसी तस्वीरें आप लोगों ने शायद ही कहीं देखी होगीं। वैसे आपको बता दूँ की, मैंने पूरे लेख में सूरज की इस तस्वीर से जुड़ी हर एक जरूरी बातों को आपको बताया है। इसलिए अनुरोध है की, लेख को आरंभ से अंत तक जरूर पढ़िएगा जिससे आपको विषय और बेहतर तरीके से समझ में आ जाये।
खैर अब चलिये आगे बढ़ते हैं और इन तस्वीरों के ऊपर आलोचना करते हैं।
विषय - सूची
यूरोपीय दूरबीन ने ली सूरज की बहुत ही बारीक तस्वीर – High-res Images Of Sun In Hindi :-
पहले से ही कोरोना का कहर झेल रहे इंसानी सभ्यता को लगातार कई सारे दुखद खबर मिलती आ रही हैं, परंतु दोस्तों इसी बीच अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में काफी ज्यादा खुस खबरी हमें सुनने को मिल रहीं है। पहले तो सुदूर अंतरिक्ष से आए रेडियो तरंगों का मिलना फिर दो ब्लैक होल के बीच घटने वाला ऐतिहासिक टक्कर और अब सूरज की ये बारीक तस्वीरों का मिलना (images of sun in hindi)। वाकई में हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई सुखद संदेश मिले हैं।
वैसे अगर मेँ सूरज के इन बारीक तस्वीरों की बात करूँ तो, इसे “GREGOR” नाम के एक यूरोपीय दूरबीन ने खींचा है। वैज्ञानिकों की माने तो ये सूरज की अब तक का सबसे गज़ब और दुर्लभ तस्वीरें हैं जो की काफी ज्यादा बारीक भी है। आगे बता दूँ की, “ग्रेगर” दूरबीन यूरोप में स्थित सबसे बड़ा सोलर दूरबीन हैं जिसका सिर्फ एक ही मुख्य काम है सूरज के विषय में अधिक से अधिक जानकारी जुटाना। ग्रेगर ने सूरज की जिन तस्वीरों को खींचा है वो अभूत ही ज्यादा तथ्यपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें हैं। इन तस्वीरों में आप सूरज की सतह को अति निकट से देख सकते हैं, लगभग 50 km की ऊंचाई से।
नीचे दिये गए फोटो में आप जिस काले धब्बे को देख रहें हैं उसे “सन स्पॉट” कहा जाता है। वैसे ये धब्बा सूर्य के सतह के तापमान में होने वाले बदलाव के कारण होता है। सन स्पॉट को बनाने में चुंबकीय प्रक्रियाओं का भी बहुत बड़ा हाथ होता है, जिन्हें की “Magnetic Flux” कहा जाता है। ये प्रक्रिया वाकई में काफी ज्यादा जटिल और उलझन में डालने वाला है। तो, अगर आप इन प्रक्रियाओं के बारे में और अधिक जानना चाहते है तो मेँ आपके लिए दूसरे लेख भी अवश्य ही लाऊँगा।
आखिर कितना मुश्किल हैं ऐसे तस्वीरों को खींचना! :-
ध्यान रखने वाली बात ये है की, जहां सूर्य के सतह का औसतन तापमान 5,505 डिग्री सेल्सियस हैं वहाँ इतनी बारीकी से फोटो को खींच पाना वाकई में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन तस्वीरों को अगर हम और ज्यादा विश्लेषण करेंगे तो पता चलेगा की, इतने उच्च रिसोल्यूशन में इन तस्वीरों को खींचना “भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा है”। मान लीजिये की आप एक क्रिकेट फील्ड के ठीक ऊपर 1 km के ऊँचाई पर हैं और आप उसी ऊँचाई पर रह कर उस क्रिकेट फील्ड में पड़े एक सुई की तस्वीर खींच रहें है। तो जरा सोचिए की इस काम को करने में आपको कितनी कठिनाई होगी। ठीक ऐसी ही परिस्थिति ग्रेगर दूरबीन के सामने आई थी।
मित्रों! ध्यान में रखेंगे की सूरज के इन तस्वीरों को (images of sun in hindi) खींचने के लिए बहुत ही आधुनिक तकनीक से बनी उपकरणों की जरूरत होती हैं जिसे की वैज्ञानिकों ने सिर्फ एक साल में ही बना कर प्रस्तुत कर लिया था। इससे पहले जर्मनी ने भी ठीक इसी प्रकार के एक दूसरे दूरबीन के ऊपर भी काम किया था। दूरबीन अंतरिक्ष विज्ञान में एक बहुत ही अहम हिस्सा निभाते हैं, क्योंकि दूरबीन ही हैं जो की अंतरिक्ष में हमारे आँखें बन कर अनंत ब्रह्मांड के नए-नए रूपों को लगातार दिखाते आ रही हैं। इसलिए इन्हें नियमित रूप से विकसित करना तो जरूरी हो जाता हैं परंतु इस प्रक्रिया में काफी समय की आवश्यकता पड़ती है।
आखिर कैसे खींचा गया इतनी बारीक फोटो :-
कोरोना काल में यूरोपीय वैज्ञानिकों ने ग्रेगर दूरबीन के ऊपर काफी ज्यादा काम किया था, उन्होंने दूरबीन के दो मुख्य ऑप्टिकल उपकरणों को काफी उन्नत ज्ञान-कौशल के मदद से विकसित कर दिया था। अगर में ज्यादा बारीकी से कहूँ तो, उन्होंने दूरबीन के ऑप्टिकल एलिमेंट्स को 6 नैनो मीटर तक पोलिश कर दिया था। जिसके कारण दूरबीन की ताकत कई गुना बढ़ गई।
इससे न बल्कि दूरबीन ने सूरज की बहुत ही महीन फोटो खींचा परंतु उसने सूरज को देखने का हमारा ढंग ही बदल दिया। दूरबीन में लगे ऑप्टिकल उपकरण बहुत ही ज्यादा सटीक है, क्योंकि इसमें इंसानी बाल के 1/10,000 हिस्से जितना महीन एलीमेंट्स लगे हुए है। जो की सूरज को काफी ज्यादा ज़ूम करके फोटो खींचने में सक्षम है। हालांकि! इतने ज़ूम के बाद भी फोटो की गुणवत्ता में कोई भी कमी नहीं पायी जाती है। वैसे इस दूरबीन के विषय में और एक खास बात ये भी है की, ऐसे दूरबीन को बनाने के लिए कई साल लग जाते हैं परंतु जैसा की मैंने पहले ही बताया है इसे बनाने में वैज्ञानिकों ने काफी ज्यादा मेहनत की है और एक रिकॉर्ड समय सीमा के अंदर ही पूरा भी कर लिया था।
वैज्ञानिकों का कहना हैं की इस दूरबीन के माध्यम से हमें आने वाले समय में सूरज से और बेहतर जानकारियां सुनने को मिलेंगी, जो की एक बहुत ही अच्छी बात है। आपका इस दूरबीन को ले कर क्या राय है जरूर ही कमेंट कर के बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! बता दूँ की, ये सूरज की तस्वीरें (images of sun in hindi) हमें मिली हैं ये इतनी महीन हैं की इसमें आप लोगों को सूरज के सतह पर होने वाली कई सारे गतिविधियाँ आसानी से देखने को मिल जाएंगी। वैसे इस दूरबीन की जुलाई के महीने में ही फिर से कार्य करने के लिए चलाया गया था और इतने कम समय के अंदर ही इसने हमें इतनी खूबसूरत खींच कर दे दिया।
अगर आप इन तस्वीरों को जरा गौर से देखेंगे तो आपको इसमें सूर्य कैसे बना है और विकसित हुआ तथा इसके अंदर होने वाली तरह-तरह के रासायनिक प्रतिक्रियाओं के बारे में देखने को मिलेगा। खैर इन प्रतिक्रियाओं के अंदर सबसे मुख्य और आकर्षक प्रतिक्रिया है “Solar Plasma” (सोलर प्लास्मा)। देखने में काफी दुर्लभ लगने वाले इस प्रतिक्रिया में आपको “सोलर विंड” के अद्भुत नजारे भी देखने को मिलेंगी। संक्षिप्त में कहूँ तो, सोलर प्लास्मा सूरज में होने वाली वो प्रतिक्रिया है जहां पर सूरज से काफी भारी मात्रा में चार्जड पार्टिकल निकलते है।
बाद में ये पार्टिकल सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल को पार कर के अंतरिक्ष में हजारों-लाखों किलोमीटर दूर मौजूद ग्रहों तक भी पहुँच जाते है। तो, जरा सोच कर देखिये की फोटो में ये प्रतिक्रिया कितनी ज्यादा अनोखी और सुंदर होगी। वैसे सोलर प्लास्मा के अलावा ये दूरबीन सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल को समझने में वैज्ञानिकों की मदद भी करता है। जिससे उन्हें सोलर कन्वेक्शन, सोलर टर्बुलेंस, सोलर इरप्शन और सन स्पॉट के बारे में भी और बेहतर जानकारी मिल पाती है।
Sources :- www.iflscience.com, www.cbsnews.com.