विज्ञान को हमेशा महान बनाता है एक अद्भुत व सैद्धांतिक वैज्ञानिक। विज्ञान के इतिहास में कई सारे ऐसे वैज्ञानिक आए जिन्होंने विज्ञान की परिभाषा को ही बदल डाला , जिन्होंने अपने खोजो के जरिए हमारे इंसानी जीवनशैली को काफी ज्यादा उन्नत बना दिया। खैर आज हम एक ऐसे वैज्ञानिक के बारे में बात करने जा रहें हैं , जिनको दुनिया भर में विज्ञान की क्षेत्र में एक अनोखा दर्जा दिया जाता है। मैं आज बात करने जा रहा हूँ आइन्सटाइन जी की सापेक्षता सिद्धान्त के बारे में (general theory of relativity in hindi)। जी हाँ! मित्रों सापेक्षता, क्योंकि यह एक ऐसा सिद्धान्त है जिसने की अंतरिक्ष को देखने की हमारे नजरिए को पूर्ण रूप से बदल दिया है।
अंतरिक्ष में हम देखने वाले ग्रह , सौर-मंडल और कई सारे अन्य खगोलीय पिंड, इन सभी को हम सापेक्षता (general theory of relativity) के बदौलत ही सही तरीके से अनु ध्यान कर पा रहें हैं | मित्रों ! मेँ आपको और भी बता दूँ की सापेक्षता की सिद्धान्त पूर्ण रूप से भौतिक विज्ञान से जुड़ी हुई है और यह कई जगह गुरुत्वाकर्षण और विशेष सापेक्षता सिद्धान्त (special theory of relativity) से भी जुड़ी हुई हैं।
खैर मित्रों ! चलिए इस लेख में आगे बढ़ते हुए सापेक्षता की कई सारे अनसुनी पहलुओं को ढूंढते हैं।
आइन्सटाइन की सापेक्षता सिद्धान्त (Einstein’s General Theory of Relativity in Hindi ):-
साल 1905 मेँ आइन्सटाइन ने भौतिक विज्ञान मे एक बहुत बड़ा खोजा किया था | उन्होंने कहा था की ब्रह्मांड में मौजूद सारे गैर-त्वरित (non-accelerating observer) देखने वाले व्यक्ति या वस्तु के लिए भौतिक विज्ञान की सारे नियम समान तरीके से कार्य करती हैं और वैक्यूम (vacuum) के अंदर प्रकाश की गति किसी भी बाहरी बल पर निर्भर नहीं करती हैं |
साल 1915 में आइन्सटाइन जी ने एक विज्ञान की जर्नल में गुरुत्वाकर्षण को सापेक्षता (general theory of relativity in hindi) का मूल कारण बताया था | उन्होंने कहा था की ब्रह्मांड में मौजूद बहुत बड़े और भारी पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति अंतरिक्ष की समय का विरूपण (distortion) करवा सकती हैं |
सापेक्षता के ऊपर किए गए शोध :-
मित्रों! मेँ यहाँ आपको बता दूँ की अभी तक ऐसा कोई भी उपकरण हमारे पास नहीं हैं , जिससे की हम सही तरीके से अंतरिक्ष की समय मेँ सापेक्षता (general theory of relativity in hindi) के कारण होने वाली विरूपण को सटीक तरीके से माप सकें | परंतु मित्रों नीचे मेँ कुछ ऐसे शोध के बारे में जिक्र करूंगा , जिससे आप सापेक्षता को और बेहतर तरीके से जान पाएंगे |
1.गुरुत्वाकर्षण की लेंसिंग – Gravitational Lensing :-
यह प्रक्रिया या यूं कहिए की शोध ज़्यादातर वैज्ञानिक सापेक्षता को जानने के लिए इस्तेमाल करते हैं | इस प्रक्रिया के मुताबिक अंतरिक्ष मेँ मौजूद ब्लैक-होल और आकाशगंगा जैसे विशालकाय खगोलीय वस्तु अपने चारों तरफ मौजूद प्रकाश की किरणों को मोड देते हैं |
इसी वजह से यह बड़े वस्तु इनके के पीछे मौजूद कोई भी दूसरे खगोलीय वस्तु के लिए एक लेंस की तरह कार्य करते हैं | वैज्ञानिक आमतौर पर इस प्रक्रिया को तारा मंडलों और आकाशगंगाओं के अध्ययन मेँ इस्तेमाल करते हैं |
इस प्रक्रिया को सबसे पहले आइन्सटाइन जी ने खोज कर निकाला था | इस प्रक्रिया के जरिए एक क्वासार को Pegasus Constellation में सबसे पहले ढूंढा गया था | इस क्वासार को Einstein’s Cross भी कहा जाता हैं | यहाँ मेँ आपको और भी बता दूँ की यह क्वासार पृथ्वी से 8.4 अरब प्रकाश वर्ष के दूरी पर मौजूद हैं और Pegasus Constellation के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति के वजह से इस में सापेक्षता नजर आती हैं | इसी कारण से यह क्वासार किसी भी फोटो में एक साथ चार अलग-अलग जगह पर होने का भ्रम स्रुष्टि करता है।
इसके अलावा इस प्रक्रिया के वजह से नासा के केप्लर दूरवीन ने अंतरिक्ष में मौजूद कई सारे व्हाइट और रेड ड्वार्फ ग्रहों की खोज कर पा रहा है।
2. सापेक्षता की पहचान – बुध के कक्षा में होने वाले बदलाव :-
मित्रों ! अगर आपको सापेक्षता को अच्छे से जानना हैं , तो आपको सौर-मंडल मेँ मौजूद बुध ग्रह के बारे में अच्छे से जानना होगा | दोस्तों! बात यह हैं की हमारे सौर-मंडल में सबसे बड़ा और भारी पिंड हैं सूर्य | सूर्य के महा कर्षण बल के कारण , यह धीरे-धीरे सौर-मंडल मेँ मौजूद ग्रहों की कक्षों में बदलाव कर रहा हैं |
इसी बदलाव के चलते बुध की कक्षा भी धीरे-धीरे पृथ्वी के कक्षा के साथ एक-समान हो रहा हैं | वैज्ञानिकों का मानना हैं की अगर सापेक्षता (general theory of relativity in hindi) के कारण यह कक्षों का बदलाव चालू रहा तो , एक दिन बुध हमारे पृथ्वी से टकरा जाएगा।
3. फ्रेम ड्रगगिंग (Frame Dragging) :-
सापेक्षता को जानने का जो यह प्रक्रिया हैं , यह मित्रों काफी ज्यादा सहज हैं | हम सब जानते हैं की अंतरिक्ष में मौजूद हमारा पृथ्वी काफी तेजी से (1,600 km/hr) घूम रहा है। अब मान लीजिए की इतने तेजी से घूमते हुए पृथ्वी को शहद से पूर्ण रूप से भरी हुई एक डिब्बे के अंदर डाल दें तो ! क्या होगा?
तेजी से घूमती हुई पृथ्वी के चारों तरफ मौजूद शहद भी कुछ मात्रा में पृथ्वी के गति के कारण घूमेगा न ! मित्रों ठीक इसी तरह पृथ्वी अपने चारों तरफ मौजूद अंतरिक्ष के समय को अपने घूमने वाली गति के कारण विरूपण (distortion) करवा रहा हैं , जिसे की आप सरल भाषा में सापेक्षता की सिद्धान्त (general theory of relativity in hindi) भी कह सकते हैं।
सापेक्षता और गुरुत्वाकर्षण :-
मित्रों ! सापेक्षता और गुरुत्वाकर्षण में काफी ज्यादा गहरा संबंध हैं | इसलिए वैज्ञानिक मुख्य रूप से गुरुत्वाकर्षण को ही सापेक्षता का कारण मानते हैं | आइन्सटाइन जी ने भी गुरुत्वाकर्षण को ले कार काफी ज्यादा चर्चा किया था और तीन प्रमुख नियम भी दिए थ। खैर उन्होंने कहा था की ब्रह्मांड में मौजूद जीतने भी वस्तु हैं वह एक-दूसरे को अपने वजन और दूरी के हिसाब से आकर्षित करते हैं।
गुरुत्वाकर्षण शक्ति के वजह से ही हम आज पृथ्वी के सतह पर सही तरीके से रह रहें हैं। परंतु मित्रों यहाँ मेँ आपको और भी बता दूँ की आइन्सटाइन जी ने स्पेशल थिओरी ऑफ रिलेटिविटी (general theory of relativity in hindi) के जरिए अंतरिक्ष में प्रकाश की गुणों को और भी बेहतर तरीके से बताया हैं | इसी थिओरी के मुताबिक उन्होंने अंतरिक्ष और समय को एक-दूसरे की पूरक माना हैं | उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों के कारण आज हम अंतरिक्ष मेँ घटने वाली हर एक चीज़ को सही तरीके से समझ पा रहें हैं।