नमस्कार मित्रों! मैंने इससे पहले कई लेखों में रसायन विज्ञान के कई पहलुओं का जिक्र किया है। कार्बन तत्व से लेकर एलोट्रोप्स और रासायनिक विज्ञान के रोचक तथ्यों पर गहराई से चर्चा भी की है। परंतु मित्रों, आज हम कुछ अलग करेंगे। अलग मतलब एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जिसके बारे में कोई ज्यादा चर्चा नहीं करता। आज हम बात करेंगे रेडियोएक्टिविटी (Radioactivity in Hindi) के बारे में।
जी हाँ! रेडियोएक्टिविटी (Radioactivity facts in Hindi) क्योंकि यह विषय काफी रोचक होने के बावजूद इसके ऊपर कभी ज्यादा प्रकाश नहीं डाला जाता। पृथ्वी पर आज कई आणविक हथियार (Nuclear Weapons) से सजे हुए देश मौजूद हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। अक्सर दूरदर्शन में हम Nuclear Weapon के बारे में सुनते हैं और Radiation के खतरों पर चर्चा देखते हैं, परंतु क्या आपको पता है, यह Radiation रेडियोएक्टिविटी से ही जुड़ी हुई है।
तो , चलिए लेख में आगे बढ़ते हुए विज्ञान की इस अनोखे विषय पर बात करते हैं।
विषय - सूची
रेडियोएक्टिविटी क्या हैं? – What is Radioactivity in Hindi :-
मित्रों, रेडियोएक्टिविटी एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसमें कुछ तत्वों के नाभिक (Nuclei) स्वतः ही विकिरण (Radiation) उत्सर्जित करते हैं। ये विकिरण अल्फा कण, बीटा कण और गामा किरणों के रूप में हो सकते हैं।
ऐसे कल्पना कीजिए कि एक अस्थिर इमारत है। यह इमारत इतनी कमजोर है कि यह अपने आप ही गिर सकती है। गिरते समय यह इमारत के आसपास ऐनेर्जी छोड़ती है। ठीक इसी तरह, रेडियोएक्टिव तत्वों के नाभिक भी अस्थिर होते हैं। ये अपने आप टूटते हैं और इस प्रक्रिया में ऊर्जा (रेडिएशन) छोड़ते हैं।
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि रेडियोएक्टिव पदार्थ अपनी आणविक संरचना (Molecular structure) में काफी अस्थिर रहते हैं। इसलिए इन पदार्थों के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन अपनी अस्थिर कक्षा को छोड़कर किसी दूसरे उच्च स्थिर कक्षा (orbital) में जाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इलेक्ट्रॉन के इसी कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया के दौरान रासायनिक ऊर्जा का विकिरण होता है, जिसे हम रेडिएशन भी कहते हैं।
रेडियोएक्टिविटी के कारण:
रेडियोएक्टिविटी का मुख्य कारण नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का असंतुलन होता है। जब प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का अनुपात सही नहीं होता है, तो नाभिक अस्थिर हो जाता है और विकिरण उत्सर्जित करता है।
रेडियोएक्टिविटी के प्रकार:
रेडियोएक्टिविटी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है:
- अल्फा क्षय: इस क्षय में नाभिक से एक अल्फा कण (हीलियम का नाभिक) निकलता है।
- बीटा क्षय: इस क्षय में नाभिक से एक बीटा कण (इलेक्ट्रॉन या पॉज़िट्रॉन) निकलता है।
- गामा क्षय: इस क्षय में नाभिक से गामा किरणें निकलती हैं।
रेडियोएक्टिविटी से जुड़ी दिलचस्प बातें – Amazing Radioactivity Facts in Hindi:-
दोस्तों! यहाँ पर मैं रेडियोएक्टिविटी से जुड़ी कई अद्भुत बातों का जिक्र करने जा रहा हूँ, इसलिए लेख के इस भाग को अच्छे से पढ़ते रहें।
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रेडियोएक्टिविटी से हो रहा है चाँद पर यह जादू:-
स्वच्छ आसमान में रात को चाँद को देखना किसे पसंद नहीं होगा! खैर, क्या आप जानते हैं कि रेडियोएक्टिविटी के कारण चाँद पर एक अनोखी चीज हो चुकी है। यकीन नहीं आता तो सुनिए, दरअसल नासा के अपोलो मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चाँद पर कई अमेरिकी झंडे लगाए गए थे।
हालाँकि वायुमंडल के अभाव के चलते चाँद पर लगे झंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए था, परंतु सूर्य की रेडियोएक्टिव किरणों के कारण दिन-ब-दिन उन झंडों का रंग मिटता जा रहा है। मतलब बिना किसी बाहरी ताकत के सिर्फ विकिरण के कारण यह हो रहा है! है न बहुत ही अद्भुत।
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पहले के समय में इन चीजों के अंदर भी इस्तेमाल होता था रेडियोएक्टिव पदार्थ:-
रेडियम (Radium) को तो आप सभी ने देखा ही होगा, आमतौर पर यह घड़ी और कपड़ों में इस्तेमाल होता है क्योंकि यह पदार्थ रेडियोएक्टिव होने के कारण काफी खतरनाक होता है। खैर, पुराने समय में रेडियम को टूथपेस्ट, हेल्थ टॉनिक और चॉकलेट आदि में भी इस्तेमाल किया जाता था।
मैं यहाँ आपको बता दूँ कि एक आदमी ने 1400 रेडियम युक्त हेल्थ टॉनिक का सेवन कर लिया था, जिससे उसका पूरा जबड़ा मुँह से निकल कर बाहर आ गया था।
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परमाणु बम और मैनहैटन एक्सपेरिमेंट:-
मैं यहाँ बात कर रहा हूँ मैनहैटन एक्सपेरिमेंट (Manhattan Project) की। यह जो शोध था, यह पूरे इंसानी इतिहास में सबसे अमानवीय शोध था।
इस शोध के हिसाब से मैनहैटन शहर के अंदर बसे लोगों को जानबूझ कर रेडियोएक्टिविटी (radioactivity facts in Hindi) वाले खाने को खाने के लिए दिया जाता था। इस शोध से लोगों पर रेडियोएक्टिविटी के असर को जानने की कोशिश की गई थी। खैर, इस शोध के कारण कई शिशुओं को भी रेडियोएक्टिव खाना दिया जाता था।
इस परियोजना के तहत, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने परमाणु विखंडन (Nuclear fission) की प्रक्रिया का अध्ययन किया और परमाणु बम बनाने के लिए आवश्यक तकनीक विकसित की। इस परियोजना के परिणामस्वरूप ही 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे, जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था।
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ज्यादा केले खाने से बढ़ सकता है रेडियोएक्टिविटी का प्रभाव:-
क्या आप केला खाते हैं? क्या आपको केला ज्यादा खाना पसंद है? अगर हाँ, तो हो जाइए सावधान।
एक शोध से पता चला है कि केले में रेडियोएक्टिविटी गुण पाया जाता है। इसी कारण से अगर कोई भी इंसान एक निर्धारित मात्रा से ज्यादा केला खा लेता है, तो वह व्यक्ति विकिरण का शिकार भी हो सकता है।
खैर, मैं आपको और भी बता दूँ कि यह खतरा उन जगहों पर ज्यादा होता है, जहाँ किसी भी प्रकार के विकिरण का खतरा रहता है जैसे कि न्यूक्लियर रिएक्टर। 10 केलों में मौजूद विकिरण (radiation) की मात्रा मुट्ठी भर कच्चे यूरेनियम जितनी होती है।
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पायलट बनना चाहते हैं तो जान लीजिए इस गंभीर बात को:-
ज़्यादातर व्यावसायिक हवाई जहाजों के पायलट और इसके उड़ान कर्मियों को विकिरण का ज्यादा खतरा रहता है। मैं आपको और भी बता दूँ कि किसी भी न्यूक्लियर प्लांट में काम करने वाले व्यक्ति के मुकाबले उड़ान कर्मी और पायलट को ज्यादा विकिरण (radiation) का सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर आप पायलट या उड़ान कर्मी बनना चाहते हैं, तो इन खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
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रेडियोएक्टिविटी का चिकित्सा में उपयोग:-
रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग कैंसर के उपचार में अधिक सटीक और प्रभावी बनाने के लिए किया जा रहा है। लक्षित रेडियोथेरेपी जैसी तकनीकों से स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुंचाते हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है। इसके साथ – साथ इसका उपयोग नई दवाओं के विकास में भी किया जा रहा है, जो विभिन्न बीमारियों के निदान और उपचार में मदद कर सकती हैं।
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ब्रह्मांड में यहां है सबसे ज्यादा रेडिएशन:-
सुपरनोवा: जब कोई सूर्य से कई गुना विशाल तारा मरता है, तो वह एक शक्तिशाली विस्फोट में फट जाता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं। इस विस्फोट में बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है और साथ ही बहुत सारी रेडियोएक्टिव सामग्री भी फैलती है।
जब सूर्य से 25 गुना ज्यादा द्रव्यमान वाला तारा ऐसी प्रक्रिया से गुजरता है तो वह बहुत सारी एनर्जी को अंतरिक्ष मैं रिलीज करता है।इस ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा गामा किरणों के रूप में होता है, जो ब्रह्मांड में मौजूद सबसे एनर्जेटिक किरणें होती है। वैज्ञानिक इन विशाल विस्फोटों को गामा किरण विस्फोट या गामा रे बर्स्ट कहते हैं।
न्यूट्रॉन तारे: ये बेहद घने तारे हैं जिनमें ग्रेविटी इतनी हावी होती है कि इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन बना लेते हैं। ये तारे बहुत तेज गति से घूमते हैं और जब ये घूमते हैं तो वे बहुत तेज ऊर्जा वाली किरणें छोड़ते हैं, जिन्हें हम एक्स-रे और गामा किरणें (radioactivity facts in Hindi) कहते हैं।
क्वासार (Quasar): ये ब्रह्मांड के सबसे चमकीले पिंड हैं और इनमें से बहुत अधिक ऐनेर्जी निकलती है। माना जाता है कि क्वासार ब्लैक होल के कारण बनते हैं जो गैस और धूल को निगल रहे होते हैं। ये इतने विशाल हो जाते हैं कि इनका आकार और चमक कई आकाशगंगाओं तक को टक्कर देती है।
एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्ली (AGN): ये सक्रिय गैलेक्सी के केंद्र होते हैं और इनमें भी बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है। AGN में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है जो गैस और धूल को निगल रहा होता है।
ब्रह्मांड में रेडिएशन का दूसरा सबसे भीषण कारण न्यूट्रॉन तारों या ब्लैक होल्स का आपस में टकराना बताया जाता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि जब ऐसे दो तारे आपस में टकराते हैं तो उससे एक बहुत बड़ा धमाका होता है जो Gamma Ray Bursts पैदा होने का एक कारण हो सकता है।
एक गामा रे बर्स्ट (radioactivity facts in Hindi) कुछ सेकंड्स में इतनी एनर्जी को अंतरिक्ष में रिलीज कर देता है जितना हमारा सूरज अपने पूरे जीवन काल में भी नहीं कर पाएगा।