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नासा बनाने वाला हैं चाँद पर अपना पहला घर! – Orion Spacecraft On Moon!

आर्टिमिस -1 मिशन हुआ सफल, जल्द ही बनेगा अब चंद्रमा पर घर!

पृथ्वी और चाँद (Orion Spacecraft On Moon) का रिश्ता कुछ ऐसा है, जैसे की हमारे शरीर का आत्मा से। कहने का अर्थ ये है कि, चाँद ही वो दूसरी जगह है जहां पर हम अन्तरिक्ष में सबसे पहला घर बनाना चाहेंगे और शायद यही वजह है जो कि इंसानों को चाँद कि और इतना आकर्षित होने पर प्रेरित कर देती है। खैर 1960 के दशक से इंसानों ने दूसरी बार कभी चाँद पर अपना कदम नहीं रखा है और लगभग 50 सालों से हम बस चाँद के ऊपर घर बनाने का सपना ही देखते आ रहें हैं। परंतु क्या ये सपना कभी पूरा भी हो पाएगा?

नासा बनाने वाला हैं चाँद पर अपना पहला घर! - Orion Spacecraft On Moon!
ओरिओन की अलग-अलग हिस्से। | Credit: NASA.

इसका जवाब शायद आपको इस लेख में आगे काफी अच्छे तरीके से मिल जाएगा। बेहरहाल रहीं बात चाँद (Orion Spacecraft On Moon) के ऊपर घर या कोई स्पेस स्टेशन बनाने कि, तो शायद हाँ! हमारा ये सपना पूरा हो सकता है। क्योंकि जिस तरीके से नासा के द्वारा लगातार इसके ऊपर काम किया जा रहा है, उसको देखते हुए आप ये अंदाजा जरूर लगा सकते हैं कि; शायद कभी हम भी अन्तरिक्ष में जा कर अपने खुद के घर में रह सकते हैं।

फिलहाल, बात बहुत ही सरल है और आज के इस लेख में हम नासा के द्वारा हाल ही में किए गए एक स्पेस मिशन के बारे में चर्चा करेंगे; तो आप सभी लोगों ने अनुरोध है कि, लेख को अंत तक जरूर ही पढ़ते रहिएगा।

चाँद पर पहुँचा नासा का ओरियोन स्पेसक्राफ्ट! – Orion Spacecraft On Moon! :-

इसी महीने 21 नवम्बर को नासा के द्वारा लॉंच किया गया “ओरियोन स्पेसक्राफ्ट चाँद (Orion Spacecraft On Moon) की सतह से बेहद ही करीब से हो कर गुजरा है। बता दूँ कि, इस स्पेसक्राफ्ट को नासा ने कुछ समय पहले आर्टेमिस मिशन 1 के चलते डिजाइन कर के चाँद के ऊपर लॉंच करने कि बात कहीं थी। खैर सूत्रों के अनुसार ये स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की सतह से लगभग 130 किलोमीटर ऊपर से ही ट्रैवल कर के गया है और सबसे खास बात ये है कि, ये स्पेसक्राफ्ट इंसानों को चाँद पर लैंड करवाने कि प्रतिभा भी रखता है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, आखिरी बार 1972 में इंसानों ने चाँद पर अपना कदम रखा था।

नासा बनाने वाला हैं चाँद पर अपना पहला घर! - Orion Spacecraft On Moon!
अन्तरिक्ष में ओरिओन। | Credit: Auto Innovation

तो इस बात कि पूरी-पूरी उम्मीद है कि, नासा के द्वारा किया जाने वाला ये मिशन जरूर ही आने वाले समय में इंसानों को फिर से एक बार चाँद का सफर जरूर करा के लाएगा। मित्रों! एक रोचक बात ये भी हैं कि, ओरियोन ने चाँद के ऊपर अपना फ़्लाइबाइ (flyby) लेते वक़्त उसने ट्रांकुइलिटी बेस” के ऊपर से भी उड़ान भरा था। बता दूँ कि, ये बेस वहीं जगह है, जहां पर मानव ने पहली बार चाँद पर अपना पहला कदम रखा था। इसके अलावा कई वैज्ञानिक इस मिशन को इतिहास के सबसे बड़े मिशनों के अंदर भी गिन रहें हैं और गिने भी क्यों न, बात ही कुछ ऐसी है।

मित्रों! पिछले कुछ सालों से चाँद को लेकर कई मिशनों को अंजाम दिया जा रहा है और आने वाले समय में इन मिशनों की संख्या शायद और भी ज्यादा बढ्ने वाली है। खैर चलिये अब लेख में आगे इस मिशन के बारे में कुछ और बेहतर जानकारीओं को जान लेते हैं, जिससे आप लोग भी और उत्सुक हो जाएँ।

नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी दे रहें हैं इस मिशन को अंजाम! :-

नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने ओरिओन (Orion Spacecraft On Moon) के इस मिशन को मिल के अंजाम देने वाले हैं। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ओरियोन नाम का ये स्पेसक्राफ्ट आर्टेमिस 1″ नाम के एक बड़े मिशन का हिस्सा है। वैसे कई लोग पूछेंगे कि, आखिर ये आर्टेमिस 1 मिशन क्या है? तो मित्रों मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, ये एक मानव रहित स्पेसक्राफ्ट मिशन है, जिसका मूल लक्ष्य आने वाले समय में इस्तेमाल होने वाले मानव युक्त स्पेसक्राफ्ट्स को परीक्षण करने का है। मित्रों! आने वाले समय में ठीक ओरिओन जैसे ही एक स्पेसक्राफ्ट में बैठ कर इंसान चाँद पर उतरने वाले हैं।

Dummy inside the Orion.
ओरिओन स्पेसक्राफ्ट की इंटरनल व्यू। | Credit: CDNPH.

इसलिए इन स्पेसक्राफ्ट्स का पहले से सेफ़्टी चेक होना बेहद ही जरूरी है। अन्तरिक्ष में जब ये स्पेसक्राफ्ट इन्सानों को ले कर जाएगा, तब अन्तरिक्ष का प्रभाव इसके ऊपर कैसे पड़ रहा है, इसको वैज्ञानिक थोड़ा और बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं। इसके अलावा एक खास बात ये भी है कि, ये स्पेसक्राफ्ट आने वाले सिर्फ 2 सालों के अंदर ही पूरी तरीके से तैयार हो जाएगा और अन्तरिक्ष में इन्सानों को लेने में सक्षम भी। खैर अभी इस स्पेसक्राफ्ट में काफी सुधार होना बाकी है।

बेहरहाल वैज्ञानिक इस स्पेसक्राफ्ट के स्टार-ट्रैकिंग नैविगेशनल सिस्टम में आ रहें छोटे-बड़े ग्लिचेस (Glitches) को सुलझाने में व्यस्त हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि, स्पेसक्राफ्ट का नैविगेशन सिस्टम अन्तरिक्ष में मौजूद हाइ-रेडिएशन के कारण खराब हो रहा है और इसके कारण बार-बार इसमें सुधार करने के बाद भी ग्लिचेस आ रहें हैं।

आने वाले समय में इंसानों को चंद्रमा तक ले कर जाएगा ये स्पेसक्राफ्ट! :-

लगभग 4.1 अरब अमेरिकी डॉलर के लागत से बना ये मिशन (Orion Spacecraft On Moon) इंसानी इतिहास में होने वाले सबसे बड़े और महंगे मिशनों के अंदर आता है। लगभग 25 दिन तक अन्तरिक्ष में ट्रैवल करने के बाद ये स्पेसक्राफ्ट ओरियोन आखिरकार चाँद तक पहुँच चुका है। एक सूत्र से ये पता चला है कि, स्पेसक्राफ्ट को चाँद के ओर्बिट में दाखिल होने के लिए लगभग 64,373 km की ज्यादा दूरी तय करना पड़ी। इसी के वजह से ये स्पेसक्राफ्ट अब तक पृथ्वी से अन्तरिक्ष में लॉंच हुए और इंसानों को ले जाने में सक्षम स्पेसक्राफ्ट के श्रेणी में सबसे ज्यादा दूरी तय करने वाला स्पेसक्राफ्ट बन चुका है।

नासा बनाने वाला हैं चाँद पर अपना पहला घर! - Orion Spacecraft On Moon!
आर्टेमिस मिशन। | Credit: NPR.

इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट को लुनर ओर्बिट (Lunar Orbit) में दाखिल करते वक़्त स्पेसक्राफ्ट का एंजिन बर्न (Burn) हो चुका था और इसी के कारण ओर्बिट के अंदर दाखिल होते वक़्त स्पेसक्राफ्ट का कमांड सेंटर से कोई कनैक्शन नहीं था। सोचिए मिशन के दौरान एक बेहद ही महत्वपूर्ण समय में जब आपको अरबों रूपय से बने स्पेसक्राफ्ट के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता है, तब कैसा अनुभव हो रहा होगा! वाकई में कोई कठोर हृदय का मानव ही ऐसे मिशनों को करने का प्रयास कर सकता है।

खैर लुनर फ्लायबाए लेते वक़्त नासा के अनुसार स्पेसक्राफ्ट की गति प्रति घंटा लगभग 9114 किलोमीटर  थी। मित्रों! 1972 में नासा के द्वारा आखरी मानवयुक्त लुनर मिशन को अंजाम दिया गया था, जिसका नाम अपोलो 17″ था। इसके बाद न तो कोई स्पेसक्राफ्ट लुनर ओर्बिट तक पहुंचा और न ही इन्सानों को चाँद पर फिर से लैंड करवाने की कोशिश की गई।

निष्कर्ष – Conclusion :-

वैज्ञानिकों के लिए चाँद (Orion Spacecraft On Moon) पर लैंड करना किसी सपने से कम नहीं है। जब पहली बार मानवों ने चाँद पर अपना पहला कदम रखा था, तभी से ही दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के अलग-अलग जगहों पर अपना प्रयोगशाला खोलने का सपना देखना शुरू कर दिया था। खैर ओरियान के कैमरे से पृथ्वी ब्रह्मांड में मौजूद एक छोटी सी नीली बिंदी की तरह दिखाई दे रहीं है।

नासा द्वारा प्रदान की गई इस छवि में सोमवार (28/11/2022) को नासा के ओरियन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी और उसके चंद्रमा को देखा जा सकता है। NASA/AP

खैर ये स्पेसक्राफ्ट अन्तरिक्ष में लगभग 1 हफ्ते तक रहेगा और वैज्ञानिक इसके ऊपर काफी अलग-अलग तरह के प्रयोग करेंगे। जिससे ये स्पेसक्राफ्ट अन्तरिक्ष यात्रिओं के लिए और भी ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। वैसे एक रोचक बात ये भी है कि, इस स्पेसक्राफ्ट के पास कोई लैंडर नहीं है,  जो कि किसी लुनर टचडाउन को अंजाम नहीं दे सकता है।

हालांकि आर्टेमिस-3 के अंदर कुछ अन्तरिक्षयात्री लुनर सर्फ़ेस पर जल्द ही उतरने वाले हैं। मित्रों, आप लोगों को बता दूँ कि, ये मिशन साल 2025 तक हो जाएगा और इस मिशन के अंदर ये एक खास बात होगी कि, इस मिशन में एक महिला अन्तरिक्ष यात्री भी चाँद पर अपना पहला कदम रखेगी तो आप कह सकते हैं कि, इस मिशन के अंदर चाँद पर पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री अपना पहली कदम रखने जा रहीं है। इस मिशन में स्पेस एक्स कि “HLS” (Human Landing System) इस्तेमाल होने वाली है।

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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