
पृथ्वी के बारे में जितनी भी खास बातें मैंने आप लोगों को पहले से बताई हैं, उन सभी बातों में से एक बात ऐसी है जो की हमारे लिए सबसे ज्यादा गुरुत्वपूर्ण है और ये बात हैं जीवन। जीवन ही पृथ्वी को सौर-मण्डल के दूसरे ग्रहों से काफी अलग बनाता है। परंतु जब भी अन्तरिक्ष में कुछ दुर्लभ और घातक चीज़ घटती है, तब पृथ्वी में बसा जीवन खतरे में आ जाता है। जैसे की आने वाले कुछ दिनों में एक उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) के जरिए ये खतरा आने वाला है। और शायद ये काफी घातक भी हो सकता है।

अन्तरिक्ष से पृथ्वी में मौजूद जीवन को हमेशा से ही खतरा रहा है, डायनासोर की विलुप्ति से ले कर उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) के जरिए पृथ्वी के अब खत्म होने तक, हर कहीं आप लोगों को इस विषय से लेकर काफी सारे बातें पढ़ने को मिलेंगी। परंतु हाल ही में एक नया खतरा पृथ्वी के ऊपर आने वाला है, जिसके बारे में काफी लोग अनजान हैं। हैरत की बात ये भी है कि, इसके बारे में कोई कुछ बातें भी नहीं कर रहा है।
मित्रों! ये ही वजह है कि, आज के हमारे इस लेख का विषय ये उल्कापिंड ही रहेगा। तो, मेरे साथ लेख में शुरू से अंत तक बने रहिएगा और इस रोचक विषय के ऊपर कई सारे बातों को जनिएगा।
विषय - सूची
पृथ्वी के ऊपर आ रहा है उल्कापिंड का खतरा! – Asteroid Coming Towards Earth! :-
पृथ्वी के पास से हो कर एक उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) जल्द ही गुजरने वाला है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये उल्कापिंड मई 27 को पृथ्वी के काफी ज्यादा करीब से हो कर निकलेगा। वैसे ये उल्कापिंड आकार में “Empire State Building” से 4 गुना ज्यादा बड़ा है और इसकी रफ्तार 75,961 kmph है। इतनी रफ्तार से अगर ये उल्कापिंड पृथ्वी के सतह से टकराता है, तब पृथ्वी में भारी विनाश का होना तय है। ऐसे में हमें लगातार इस उल्कापिंड के गति-पथ को देखते रहना होगा और सुरक्षा के लिए संभावित हर एक कदम उठाना होगा।

नासा की “Center for Near Earth Object Studies (CNEOS)” ने बताया है कि, ये उल्कापिंड मई 27 को पृथ्वी के सबसे करीब आने को है, परंतु क्या हमें इस उल्कापिंड से सच में खतरा है? क्या हमें इससे डरना चाहिए? चलिए एक नजर इन सवालों के ऊपर भी डाल लेते हैं। मित्रों! वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड का नाम “7335 (1989 JA)” दिया है और वैज्ञानिकों के हिसाब से ये उल्कापिंड पृथ्वी में कुछ भी तबाही नहीं मचाएगा। इसलिए हमें इससे न तो किसी तरह का खतरा हो सकता है और न ही हमें इससे डरना चाहिए।
सूत्रों से पता चला है कि, ये उल्कापिंड पृथ्वी से लगभग 40 लाख किलोमीटर से चूक जाएगा। कहने का मतलब ये है कि, पृथ्वी के सबसे करीब इस उल्कापिंड कि दूरी 40 लाख किलोमीटर की है। एक रोचक बात ये भी हैं कि, ये दूरी पृथ्वी से चाँद के बीच के दूरी का 10 गुना ज्यादा है। इसलिए आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं कि, हम इस उल्कापिंड से कितना ज्यादा सुरक्षित हैं।
उल्कापिंड के बारे में कुछ विशेष बातें! :-
वैसे देखा जाए तो इस उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) से पृथ्वी को लेकर कुछ खतरा नहीं है, परंतु फिर भी इसका बड़ा आकार हमारे लिए एक चिंता का विषय बन चुका है। 1.8 km के व्यास वाला ये उल्कापिंड पृथ्वी से बेहद ही करीब से हो कर निकल जाएगा और पृथ्वी के इतने करीब होने के कारण ये वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय तो बनेगा ही। नासा के वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड को “Potentially Hazardous” के श्रेणी में रखा है। तो सवाल उठता हैं कि, आखिर इस श्रेणी का मतलब क्या है?

मित्रों! Potentially Hazardous एक ऐसी श्रेणी है, जहां पृथ्वी को नुकसान पहुँचने की संभावना रहती है। माने अगर किसी भी कारण से उल्कापिंड की गति-पथ बदल कर पृथ्वी कि और हो जाती है और अगर ये पृथ्वी से अपने पूरी रफ्तार के साथ टकराता है, तब पृथ्वी के ऊपर विनाश आना निश्चित है। शायद ऐसा विनाश जो कि पूरे के पूरी मानव जाती को ही पल भर में मिटा डाले, जैसे कि कुछ करोड़ों साल पहले डायनासोर का हुआ था। नासा ने इस उल्कापिंड को लेकर एक और चौंकाने वाला बयान दिया है।
नासा ने जाहिर किया है कि, इस साल उल्कापिंड “7335 (1989 JA)” पृथ्वी के पास से हो कर गुजरने वाला सबसे बड़ा उल्कापिंड होने वाला है। इसके अलावा एक सर्वे से ये भी पता लगता है कि, इस साल के बाद काफी समय तक ये उल्कापिंड और पृथ्वी के पास नहीं घूमेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार ये उल्कापिंड अगली बार पृथ्वी के पास जून 23, 2055 को ही आएगा। परंतु एक खास बात ये है कि, उस समय ये पृथ्वी से लगभग 2,80,00,000 km के दूरी से हो कर निकल जाएगा (पृथ्वी और चाँद के बीच के दूरी के मुकाबले 70 गुना ज्यादा)।
आखिर वैज्ञानिक क्या कहते हैं इस उल्कापिंड को लेकर! :-
वैज्ञानिक कहते है कि, ये उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) “Near Earth Object’s” (NEOs) में से एक है। बता दूँ कि, नासा हर साला 29,000 NEOs को ट्रैक करता रहता है, क्योंकि ये सारे के सारे खगोलीय पिंड पृथ्वी के बेहद ही करीब है और पृथ्वी के लिए कभी भी खतरा साबित हो सकते हैं। वैसे देखा जाए तो पृथ्वी के कक्षा से 4.8 करोड़ किलोमीटर के अंदर आने वाले सारे के सारे खगोलीय चीज़ें “Near Earth Object” के श्रेणी में आते हैं। और इन सभी चीजों को नियमित रूप से नासा के लिए ट्रैक करते रहना उसके लिए बेहद ही जरूरी है।

एक खास बात ये भी हैं कि, ज़्यादातर NEO आकार में काफी ज्यादा छोटे होते हैं और इसलिए कई बार इनसे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होता हैं। परंतु “7335 (1989 JA)” के केस में ये बात सच नहीं है। लगभग 99% NEO के मुक़ाबले “7335 (1989 JA)” आकार में काफी ज्यादा बड़ा है। एक सर्वे से पता चलता है कि, ये उल्कापिंड अपने-आप में ही काफी ज्यादा खास है। क्योंकि अन्तरिक्ष के बाकी उल्कापिंडों के मुक़ाबले ये पृथ्वी के काफी ज्यादा करीब है और इसलिए ये वैज्ञानिकों के लिए भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। वैसे आप लोगों को क्या लगता है, क्या इस उल्कापिंड से कभी विनाश आ सकता है?
निष्कर्ष – Conclusion :-
आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि ये उल्कापिंड (asteroid coming towards earth) एक खास श्रेणी के उल्कापिंडो में आता है। मित्रों! वैसे इस खास श्रेणी के उल्कापिंड को “Apollo-Class” का उल्कापिंड कहा जाता है। इस श्रेणी में ये उल्कापिंड अपने प्रकार का पहला उल्कापिंड है। वैसे वैज्ञानिकों को इस प्रकार के 15,000 से ज्यादा उल्कापिंडों के बारे में पता है। इसलिए भी कई बार इसको वैज्ञानिक कुछ अलग ही नजरिये से देखते हैं। क्योंकि अपोलो क्लास के उल्कापिंडों के बारे में हमारे पास उतनी भी जानकारी नहीं हैं।

नासा के लिए NEOs को देखना इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि, ये सारे के सारे खगोलीय पिंड शायद एक दिन पृथ्वी के साथ टक्कर हो कर इसके विनाश का कारण बन सकते हैं। साल 2021, नवंबर के महीने में नासा ने एक स्पेस क्राफ्ट अन्तरिक्ष में लाँच किया था। इस स्पेसक्राफ्ट का नाम “Double Asteroid Redirection Test (DART)” था और इसका टक्कर “Dimorphos” नाम के एक एस्टेरोइड के साथ हुआ था। मित्रों बता दूँ कि, ये एस्टेरोइड आकार में काफी छोटा है और चाँद के पास मौजूद है।
परंतु एक खास बात ये है कि, टक्कर के बाद एस्टेरोइड को कुछ नहीं हुआ, परंतु वैज्ञानिकों के हिसाब से इसके गति-पथ में थोड़ा बदलाव जरूर ही आया है। खैर उस उल्कापिंड का आकार 160 मीटर का था और छोटे से स्पेसक्राफ्ट के टक्कर से वैसे भी उसका कुछ ज्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। वैसे एक बात हमारे अंतरमन में ये भी आती हैं कि, आखिर कैसे हम इन उल्कापिंडों को पृथ्वी से टक्कर होने से पहले रोक सकते हैं? कठिन है, पर असंभव नहीं!