अकसर मानवों में ये प्रवृत्ति पाई जाती है कि, किसी भी विषय पर अगर बहुत सारे लोगों ने एक खास बात को बता दिया है तो, वो बात हमें समयानुसार सच्ची लगने लगती है। वैसे किसी भी विषय पर इस तरह से धारणा बनाना उतना ही ठोस होता है जितना कि एक काल्पनिक परिकथा का हकीकत में बदलना। यूं तो हमें बचपन से बताया गया है कि, ब्लैक होल (light behind a black hole) के अंदर से कुछ भी वस्तु यहाँ तक की प्रकाश भी नहीं निकल पाता। परंतु, क्या ये बात सत्य है? क्या हम जितना ब्लैक होल के बारे में जानते थे वो सब सच है?
मित्रों! ऐसे ही ब्लैक होल से कई सारे सवालों को समेटे हुए, आज का ये लेख बना हुआ है। आए दिन अंतरिक्ष विज्ञान में जितनी भी खोजें हो रही हैं, उन्हीं खोजों को ऊपर आधार बनाकर मैंआप लोगों को ब्लैक होल (light behind a black hole) के बारे में बहुत कुछ बताने की कोशिश करूँगा। इसके अलावा आप लोगों को ये बता दूँ की, ये ब्लैक होल से जुड़ा कोई साधारण लेख नहीं होगा। ये ब्लैक होल के संबंध में एक एडवांस आर्टिकल ही होगा। तो, मेरे हिसाब से आपको इस लेख को आरंभ से अंत तक पढ़ना चाहिए।
तो, अब लेख के मुख्य विषय को आरंभ करते हुए, ब्लैक होल के पीछे से आने वाले इस रहस्यमयी प्रकाश के बारे में जानते हैं।
विषय - सूची
ब्लैक होल के पीछे से निकला प्रकाश! – Light Behind A Black Hole! :-
किताबों से लेकर कहानियों तक और फिल्मों से लेकर लोक कथाओं तक हर जगह हमें यही सुनने को मिलता था कि, ब्लैक होल (light behind a black hole) के अंदर जो चीज़ जाती हैं वो कभी वापस नहीं लौट कर आती है। ब्लैक होल के अंदर गुरुत्वाकर्षण बल ही कुछ इस कदर से काम करता है कि, ब्रह्मांड कि सबसे तेज वस्तू प्रकाश भी इससे बाहर नहीं निकल सकता है। खैर ऐसा हमारे भूत पूर्व वैज्ञानिकों का मानना था और कई सालों तक हम उनके द्वारा दिये गए इन बातों को माना भी।
परंतु, अब समय परिवर्तन का है और खुद आइंस्टीन के द्वारा दिये गए कुछ सिद्धांत अब सही पाये जा रहें हैं। 110 साल पहले दिये गए सिद्धांतों का आज इस तरह से सही साबित होना, इस बात की पुष्टि करता हे कि उस समय हमारे वैज्ञानिक कितने विद्वान और सृजनशील थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार ब्लैक होल के पीछे से आने वाले प्रकाश को डिटेक्ट किया है। बता दूँ कि, किसी ब्लैक होल के पीछे से लाइट का आना बहुत ही अस्वाभाविक है।
“Zwicky 1” नाम की आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद एक सुपरमैसिब ब्लैक होल के पीछे से प्रकाश की किरण को ढूंढा गया है। पृथ्वी से लगभग 180 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर इस आकाशगंगा में खोजी गई इस लाइट ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। खैर अब लोगों के मन में ये चल रहा होगा कि, इस लाइट को आखिर कैसे ढूंढा गया होगा? तो, चलिये अब इसके ऊपर भी चर्चा कर लेते हैं।
आखिर इस लाइट कि खोज कैसे हुई? :-
मित्रों! आपको पता नहीं हैं तो बता दूँ कि, अकसर वैज्ञानिक अपने शोध में कुछ और चीजों को ढूंढ रहें होते हैं जब उन्हें कुछ और खास मिल जाता है। ठीक कुछ ऐसा ही इस विचित्र लाइट (light behind a black hole) के साथ भी हुआ। दरअसल बात ये है कि, वैज्ञानिक ब्लैक होल के आसपास “एक्सरे फ्लैयर्स” के बारे में शोध कर रहे थे जब उन्हें ये रोशनी की किरण मिली। गौर करने वाली बात ये हैं कि, एक्सरे फ्लैशेस के साथ-साथ वैज्ञानिकों को ब्लैक होल के आस-पास से कई सारे “Luminous Echoes” भी मिलीं।
बताया जा रहा हैं कि, अभी भी इन इकोस के ऑरिजिन (Origin) के बारे में वैज्ञानिकों के पास कुछ खास जानकारी नहीं है। मित्रों! अज्ञात ऑरिजिन से आए ये इकोस अपने-आप में काफी ज्यादा रहस्यमयी और अनोखी है। ब्लैक होल के सामने से निकलने वाली फ्लैशेस से विपरीत ये इकोस काफी छोटे और स्लो थे। इसके अलावा इनके रंग भी एक्सरे फ्लैशेस से काफी अलग और आकर्षक थे। हालांकि! कुछ समय बाद वैज्ञानिकों ने इस अनोखी घटना को लेकर एक जवाब दिया।
वैज्ञानिकों ने पाया कि, ये जो इकोस हैं ये वास्तव में सुपरमैसिब ब्लैक होल के ठीक पीछे से आ रहें हैं। खैर सुपरमैसिब ब्लैक होल के पीछे से इन इकोस का ऑरिजिन होने के कारण कई नई बातों के बारे में वैज्ञानिकों को पता चला। जिसकी हम आगे इस लेख में चर्चा करेंगे।
प्रकाश (Light) और आइंस्टीन का सिद्धांत! :-
अब तक हमने देखा कि, ये लाइट एक सुपरमैसिब ब्लैक होल (light behind a black hole) से निकल रही है। परंतु अब तक हमने ये नहीं जाना कि, आखिर ये कैसे आइंस्टीन के सिद्धांतों से जुड़ी हुई है। मित्रों! आइंस्टीन की “थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी” के अनुसार ब्लैक होल के चारों तरफ स्पेस-टाइम वार्प (warp) हो कर बगल से निकल जाता है। यहीं वजह हैं कि, हमें प्रकाश कि किरण सुपरमैसिब ब्लैक होल के पीछे से आती हुई नजर आती है।
हालांकि! वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि, जो लाइट ब्लैक होल के अंदर जाती है, वो ब्लैक होल से कभी बाहर निकल नहीं पाती है। परंतु, इसके चारों तरफ से वार्प हो कर प्रकाश की कुछ किरणें हमें नजर आती हैं। जो इस बात को पुष्टि करती हैं कि, हम जो बचपन से सुनते आए है वो बात सत्य हैं परंतु एक ट्विस्ट के साथ। ब्लैक होल अपने चारों तरफ के स्पेस को मोड देता है।
स्पेस के मूड जाने से इसमें मौजूद प्रकाश के किरणें भी मूड जाती हैं, तथा ब्लैक होल के चारों तरफ मौजूद मैग्नेटिक फील्ड भी काफी हद तक ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित होता है। आइंस्टीन का जनरल थियरि ऑफ रिलेटीविटी अंतरिक्ष में खगोलीय चीजों के द्वारा स्पेस-टाइम के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाता है। इससे अंतरिक्ष में मौजूद मैटर और एनेर्जी के गुणों के ऊपर भी असर पड़ता हैं। यहीं वजह हैं कि, इन जगहों पर प्रकाश भी मूड कर जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
आपको जानकर हैरानी होगी कि, वैज्ञानिकों ने इससे पहले भी ब्लैक होल के पीछे से (light behind a black hole) प्रकाश को ढूंढ कर निकाला था। परंतु उन सभी खोजों में कभी भी उन्होंने लाइट इकोस को नहीं ढूंढा था। इसलिए वो खोजें इस खोज कि तरह अनोखी नहीं हो पाईं। खैर वैज्ञानिकों ने वर्तमान समय में ब्लैक होल के एक खास हिस्से पर काफी दिलचस्पी दिखाई है। उन्हें ब्लैक होल के पास एक बहुत ही गरम बादल दिखाई दिया है, जिसे कि वो “कोरोना”(Corona) बुलाते हैं।
कहा जाता है कि, ये गरम बादल ब्लैक होल के चारों तरफ फैल कर आसपास के माहौल को काफी ज्यादा गर्म कर देता है। इससे ब्लैक होल के पास मौजूद इलाके कई लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाते है। इतने गर्म वातावरण में बादल के अंदर मौजूद परमाणुओं से इलेक्ट्रोन्स बाहर निकल जाते हैं, जिससे एक प्लास्मा बनता हैं। बाद में इसी कोरोनाल प्लास्मा से ब्लैक होल के चारों तरफ एक्सरे के किरणें पूरे अंतरिक्ष में फैल जाती हैं।
मित्रों! कोरोनाल प्लास्मा से निकलने वाले ये एक्सरे के किरणें और साथ में ब्लैक होले के पास मौजूद मैग्नेटिक फील्ड, ये दोनों मिलकर स्पेस को इतना गर्म कर देते हैं कि, इनसे निकलने वाले एक्सरे के किरणों में स्थित इलेक्ट्रॉन्स कई प्रकाश वर्षों तक ट्रैवल करने में सक्षम रहते हैं। खैर अभी तक शोधकर्ताओं ने काफी अच्छा काम किया हैं और आने वाले समय में इनका यहीं काम रहेगा कि, वो ब्लैक होल के चारों तरफ होने वाले प्रकाश के मुड़ाव को और अच्छे से समझे।
Source:- www.livescience.com