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भविष्य में इस्रो देगा इन 5 बेहतरीन मिसनों को अंजाम (Future Space Missions Of ISRO)

अब बारी आएगी चंद्रयान-3 और गगनयान की..

प्रस्तावना – Introduction :-

नमस्कार ! सब से पहले सभी को मेरा सहृदय अभिनंदन। अभिनंदन इस बात की के हम लोगों ने अंतरिक्ष के खोज की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहें हैं | कोई बात नहीं की चंद्रयान 2 की सफलता आंशिक रूप से न हो पाई है परंतु हमने अपने पहले ही प्रयास में अंतरिक्ष जगत के इतिहास में एक नई इतिहास रच डाला हैं | खैर यहाँ और एक बात उठती है की , क्या हम इतने में ही संतुष्ट हो जाएंगे ? क्या हम आने वाले समय में कुछ और मिसनों को अंजाम नहीं देंगे ? तो , मेँ आपको यहाँ बता दूँ की इन सभी सवालों का जवाब हाँ हैं | जी हाँ ! भविष्य में इस्रो 5 ऐसे मिसनों (ISRO future space mission) को अंजाम देने जा रहा हैं , जिसे की शायद ही कोई एशीआई सोच सके |

Isro's Solar Mission.
आदित्य एल-1 की फोटो | Credit: Orissa Post.

इस्रो के इन 5 मिसनों (ISRO future space mission) में आपको काफी ज्यादा महत्वाकांक्षा और दिलेरी नजर आएगी | पृथ्वी की दूसरी कोई भी स्पेस एजेंसी इस्रो जितना अपने पहले ही प्रयासों में कामयाब नहीं रहा हैं | तो , आज के इस लेख में हम लोग आने वाले समय में इस्रो की 5 मुख्य मिसनों (ISRO future space mission) के बारे में जिक्र करेंगे , क्योंकि यही सही और सटीक समय हैं जब हम इसके बारे में बात करना चाहेंगे | लोगों के अंदर आज इस्रो को ले कार काफी ज्यादा विश्वास और गर्व की भावना जग रहा हैं |

तो , चलिए बिना किसी देरी किए इस्रो के इन 5 बेहतरीन मिसनों (ISRO future space mission) के बारे में जानते हैं |

भविष्य में इस्रो अंजाम देने वाला है इन 5 गज़ब के मिसनों को – 5 ISRO Future Space Mission :-

मित्रों ! यहाँ हम एक एक कर के जानेंगे इस्रो के 5 आने वाले अंतरिक्ष के मिसनों को | तो , अधिक जानने के लिए लेख को आगे पढ़ते रहिए |

  1. चंद्रयान-3 (Chandrayaaan-3) :-

अब जैसा की सब जानते हैं , इस्रो ने अभी-अभी ही चंद्रयान-2 को चाँद की और छोड़ा है और वह इस मिसन को सफल बनाने के कोशिश में हैं | तो , इससे पता चलता है की इस्रो की दिलचस्पी चाँद पर कितनी ज्यादा हैं | मित्रों ! मेँ आपको यहाँ बता दूँ की इस्रो ने काफी साल पहले ही चंद्रयान-3 को बनाने का संकल्प ले लिया हैं |

इसलिए अगर चंद्रयान-2 आंशिक रूप से भी सफल हो जाता है (जो की 95% सफल हो चुका है) , तो वह चंद्रयान-3 को चंद के सतह पर छोड़ने के लिए तैयार हो जाएगा | इसके अलावा जिन-जिन लोगों को यह लगता है की चंद्रयान-2 ही भारत का आखिरी लुनर मॉड्यूल है तो , मेँ यहाँ उन लोगों को बता दूँ की चंद्रयान-3 की ही तरह इस्रो ने काफी समय पूर्व से ही कई सारे चाँद के मिसनों को भविष्य के लिए सजा कर रखा हैं |

इसलिए एक मिसन पूर्ण रूप से सफल नहीं हुआ तो क्या हुआ ! आगे बहुत मिसन आने वाले हैं | खैर चंद्रयान-3 को भारत (ISRO) और जापान (JAXA) मिल कर बनाने वाले हैं | इसको साल 2024 में छोड़ा जाएगा और इसमे चंद्रयान-2 के ही तरह एक रोवर और लेंडर होगा | परंतु यह चंद्रयान-2 के तकनीक से काफी ज्यादा अत्याधुनिक और बेहतर होगा जो की चाँद के दक्षिणी ध्रुव में कई सारे खोज करेगा |

चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) की कुल पैलोड क्षमता कई सौ किलो का होगा और यह पृथ्वी तक बहुत प्रकार के मिट्टी के नमूने ले कर आएगा |

2. गगनयान (Gaganyaan) :-

इस्रो का यह जो मिसन है दोस्तों ! यह व्यक्तिगत रूप से मेरा सबसे पसंदीदा मिसन हैं और इस्रो के भविष्य वादी मिसनों (ISRO future space mission) के अंदर सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण हैं |

आनेवाले समय में इस्रो देगा इन 5 बेहतरीन मिसनों को अंजाम - 5 ISRO Future Space Mission.
गगनयान की एक फोटो | Credit : Sirf News.

यह मिसन को सफल कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं हैं , क्योंकि इस मिसन के तहत शायद NASA और ROSCOSMOS के अंतरिक्ष यात्रीओं के बाद भारत के ही अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में कदम रखेंगे| जी हाँ ! आपने सही सुना हमारे देश के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जाने के लिए सक्षम होंगे |

भारत की इस पहली मानव युक्त अंतरिक्ष मिसन के लिए 3 सबसे बेहतरीन वेज्ञानिकों को चुना जाएगा | इसके अलावा गगनयान (Gaganyaan Mission Hindi) पृथ्वी की सतह से 400 km ऊपर पूरे 7 दिवसों के लिए पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और इसमें बैठे भारतीय अंतरिक्ष यात्री पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से बनी इस अंतरिक्ष यान से पृथ्वी के ऊपर बहुत सारे खोज कर पाएंगे | मित्रों ! आपने अगर ISS (International Space Station) का नाम सुना होगा तो , आपको पता ही होगा की यह पृथ्वी के बाहर इकलौता ऐसा जगह है जहां आप इंसानों को रहते हुए देख पाएंगे |

इसलिए अगर भारत का यह गगन यान मिसन सफल हो जाता है , तो आप भी शायद किसी न किसी दिन अंतरिक्ष में जा पाएंगे | इसके अलावा यह मिसन इस्रो को चाँद के सतह पर अपना प्रयोगशाला खोलने में भी काफी मदद करेगा | यह मिसन पूरे इस्रो के इतिहास में सबसे दिलचस्प और सबसे गज़ब का मिसन होगा |

क्या होगा इस मिसन से ? :-

यह मिसन न बल्कि हमारे वैज्ञानिकों का अंतरिक्ष मेँ जाने के सपने को पूरा करेगा , परंतु यह पूरे अंतरिक्ष में भारत का एक नया परिचय भी बनाएगा | मेँ तो व्यक्तिगत रूप से खास इस मिसन के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक हूँ |

यह यान मुख्य रूप से पृथ्वी की बाहरी कक्षा तक जा कर फिर एक बार पृथ्वी के सतह पर लेंड करने के लिए सक्षम हैं | इसे HAL ने तैयार किया है | वैज्ञानिकों ने इसका पहला टेस्ट फ्लाइट 2014 में ही कर लिया है और इसको साल 2021 के दिसंबर के महीने में छोड़ा जाएगा |

तो क्या आप इस मिसन के लिए उत्सुक हैं ? एक बार जवाब जरूर दीजिएगा |

3. मंगल यान-2 (Mangalyaan-2) :-

मैंने इस से पहले मंगल यान से जुड़ी एक बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख लिखा था , तो अगर आपने इसे अभी तक नहीं पढ़ा है तो आप इसे यहाँ पढ़ सकते हैं | खैर अब मूल विषय पर आते हैं , मंगल यान-2 भारत का दूसरा मंगल ग्रह का मिसन हैं | इसके अलावा यह मंगल यान-1 से काफी ज्यादा आधुनिक और जटिल मिसन हैं |

साल 2014 के अक्टूबर में छोड़ा गया मंगल यान-1 के सफल मिसन के बाद इस्रो ने साल 2024 में मंगल तक इसके दूसरे  मिसन के तौर पर मंगल यान-2 को छोड़ने वाला हैं | मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की इस्रो ही दुनिया का पहला ऐसा स्पेस एजेंसी है , जिसने की अपने पहले ही प्रयास में अपने ओर्बिटर को मंगल की कक्षा में सफल तरीके से स्थापित कर पाया था | इस लिए अगर आप एक भारतीय हैं तो , आपको निश्चित रूप से हमारे परिश्रमी वैज्ञानिकों के ऊपर एक बार गर्व जरूर ही करना चाहिए | यह लोग दुनिया की अच्छाई और विज्ञान की विकास के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत कर रहें हैं |

Isro's next mars mission - Mangalyaan-2.
मंगल यान 2 की अनुमानिक फोटो | Credit : Twitter.

2016 मेँ भारत और फ़्रांस मिल कर मंगल यान-2 को बनाने वाले थे , परंतु कुछ कारणों के लिए इस मिसन से फ़्रांस शामिल नहीं हो सका | तो , अभी इस को पूर्ण रूप से भारतीय सरकार ही पूंजी दे रही है और अगर सब सही रहा तो इसे GSLV Mk III से तय समय के अनुसार ही मंगल तक छोड़ा जाएगा |

मुख्य रूप से मंगल यान-2 में एक ओर्बिटर , एक लेंडर और एक रोवर होगा , जो की मंगल के सतह पर उतर कर इसके कई प्रकार के मिट्टी के नमूनों का अध्ययन करेगा | वाकई में मित्रों हमारे इस्रो ने भारत का नाम पूरे विश्व के इतिहास मेँ स्वर्ण अक्षरों मेँ लिख दिया है |

4. शुक्र यान-1 (Shukrayaan-1) :-

अकसर मैंने लोगों को चाँद और मंगल के मिसनों के ऊपर ज़्यादातर बोलते हुए देखा हैं | परंतु मैंने कभी भी उन्हें शुक्र या अन्य कोई दूसरे अंतरिक्ष के मिसनों पर बोलते हुए नहीं देखा हैं | दुख की बात है की हम लोग सिर्फ एक ही जगह पर केंद्र भूत हो जाते हैं | खैर कोई बात नहीं मेँ आपको यहाँ एक ऐसे मिसन के बारे में बताने जा रहा हूँ , जिसके सुनने के बाद आपका सर और भी गर्व से ऊंचा हो उठेगा |

हमारे सौर-मंडल में अभी 8 ग्रह मौजूद है और इन्हीं 8 ग्रहों के अंदर हम सिर्फ मंगल पर ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं | खैर यहाँ पर इस्रो ने पूरे दुनिया से थोड़ा हट कर एक अनोखे मिसन को अंजाम देने का सोचा हैं | तो , यह मिसन आखिर क्या हैं ?

मित्रों ! यह मिसन है शुक्र यान-1 (shukrayaan-1) का | 2017 के बजट में इस्रो को शुक्र यान-1 बनाने के लिए सरकार से अनुमति व पूंजी मिलने की पूरी आसार नजर आ रही हैं | इस मिसन के तहत इस्रो ने 100kg पैलोड वाले एक मॉड्यूल को शुक्र पर छोड़ने का निर्णय लिया हैं | यह मॉड्यूल शुक्र के बाहरी कक्षा में स्थापित हो कर इसके विषय में और अधिक इस्रो को देगा |

India's Second Interplanetory Mission - Shukrayaan-1.
शुक्रयान-1 की एक फोटो | Credit : News 18.
चाँद और मंगल के बाद अब हम करेंगे शुक्र की खोज :-

सबसे पहले शुक्र यान-1 को बनाने के लिए भारत और जापान के बीच बात चित हुई थी , परंतु अभी जापान इस मिसन में भाग लेगा या नहीं इसके बारे में अभी तक कोई भी औपचारिक पुष्टि नहीं मिली हैं | इसके अलावा कई संवादों से यह पता चला है की , शायद शुक्र यान-1 को बनाने के लिए भारत ने फ़्रांस की मदद मांगा हैं | खैर इस का भी कोई पुष्टि अभी तक नहीं मिल पाया हैं |

मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की भारत ने शुक्र यान-1 को 2023 के छोड़ने का निर्णय लिया हैं | तो , यहाँ सिर्फ यह देखना बाकी है की आखिर कब तक भारत अपना यह मॉड्यूल पूर्ण रूप से बना लेता हैं और फिर एक बार सपने सफलता की गाथा पूरे दुनिया को सुनाता हैं |

वाकई में मुझे ऐसा लगता है की , हम लोग बिलकुल एक सही समय पर भारत में जन्म लिए है | क्योंकि इसी कुछ दशकों के अंदर आपको भारतीय अंतरिक्ष संस्थान के जरिए काफी कुछ अद्भुत और अकल्पनीय मिसन देखें को मिलेगा | आपको इसके बारे में क्या लगता हैं ?

5. आदित्य एल-1 (Aditya-L1) :-

यह जो मिसन हैं दोस्तों यह इस्रो की सबसे महत्वाकांक्षी मिसन हैं , क्योंकि यह मिसन सूर्य से जुड़ा हुआ है | जी हाँ ! सौर-मंडल का राजा कहे जाने वाला सूर्य | इसके अलावा यह मिसन काफी ज्यादा जटिल और मुश्किल भी है , क्योंकि सूर्य के सतह का तापमान बहुत ही ज्यादा है और इसके निकट कोई भी यान को भेजना खतरे से खाली नहीं हैं | इस्रो की इस साहस से भरी हुई मिसन को पूरी दुनिया तारीफ करने वाला हैं |

इसको साल 2020 के मध्य भाग में छोड़ा जाएगा | पहले इस मॉड्यूल को केवल पृथ्वी के बाहरी सतह में स्थापित कर के सूर्य के ऊपर खोज करने के लिए बनाए जाने वाला था परंतु साल 2016 इस मिसन को और भी ज्यादा बड़ा किया गया | अब यह मिसन 3 करोड़ रूपय से बढ़ कर 378 करोड़ रूपय तक हो चुका हैं |

कई वैज्ञानिकों का कहना है की , इसे सूर्य की L1 पॉइंट के पास रखा जाएगा | यह मॉड्यूल मुख्य रूप से सोलर कोरोना , सोलर क्रोमोस्फीअर और सोलर फोटोस्फिअर के विषय में कई तथ्य इस्रो को प्रदान करेगा | इसके अलावा इस में लगे बहुत ही सटीक और अत्याधुनिक उपकरण सूर्य की महा कर्षण शक्ति व चुंबकीय क्षेत्र को भी आसानी से पहचान कर इस के कई जरूरी तथ्य भी वैज्ञानिकों को प्रदान करेगा |

कौनसी रहस्यमई चीज़ को ढूंढेगा आदित्य एल-1 ?

मित्रों ! आदित्य एल-1 इस्रो की भविष्य वादी मिसनों में (ISRO future space mission) एक बहुत ही अनोखी भूमिका निभाता है | इस्रो के वैज्ञानिक इस को एक बहुत ही रहस्य मई चीज़ को ढूँढने के लिए तैयार कर रहे हैं | तो , आखिर वो चीज़ क्या है ?

दोस्तों ! मेँ आपको यहाँ बता दूँ की सूर्य की बाहरी सतह का तापमान करीब-करीब 10 लाख डिग्री सेलसीअस हैं और इसके अंदर के कोर की तापमान मात्र 5,370 डिग्री सेलसीअस हैं | तो , आज ताक वैज्ञानिक यह सटीक तरीके से पता नहीं लगा पाएँ है की इतने बड़े तापमान मेँ अंतर का क्या कारण हैं ! बहुत ही सरल बात होने के साथ ही साथ यह तापमान में अंतर आज तक एक रहस्य बन कर रह गया हैं | इस का कारण सटीक रूप से कारण बता पाना किसी भी वैज्ञानिक के लिए सक्षम नहीं रहा हैं |

तो , इसी रहस्य को सही तरीके से समाधान कर ने के लिए इस्रो आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष मे छोड़ रहा हैं | यह मिसन सोलर फ़िज़िक्स में एक बहुत बड़ा क्रांति लाने वाला हैं |

निष्कर्ष – Conclusion :-

भारत आज एक विश्व शक्ति वाले राष्ट्र के तौर पर उभर कर आ रहा हैं | इसलिए भारत के लिए यह जरूरी हो जाता है की वह अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व बना कर रखें | हाल ही में मिली चंद्रयान-2 की सफलता इस वाक्य को पूर्ण रूप से यथार्थ बनाती हैं | ऊपर दिए गए इस्रो के भविष्य वादी मिसन (ISRO future space mission) जरूर ही एक न एक दिन भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित कर देगा |

तो , चलिए अब इस लेख को समाप्त करने का वक़्त आ गया है; इसलिए आप सभी को फिर से एक बार मेँ चंद्र यान-2 की सफलता का बधाई देते हुए मेँ चलता हूँ , धन्यवाद !

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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