विज्ञान एक बहुत ही रोचक और अद्भुत चीज़ है। वैसे तो विज्ञान से जुड़ी मैंने आपको कई सारे लेख पहले से ही दे दिया हैं, परंतु सीमाहीन विज्ञान के इस सागर में वह सारे लेख सिर्फ एक पानी की बूंद की भांति ही है। जितना चाहो लिखो, परंतु विज्ञान से जुड़े विषय कभी खत्म ही नहीं होगें| खैर आज हम लोग रासायनिक विज्ञान से जुड़े एक बहुत ही खास और दिलचस्प विषय के ऊपर चर्चा करेंगे।आज हम बात करेने वाले हैं पदार्थों के हाल्फ-लाइफ पीरियड (Half-life of elements) के बारे में।
जी हाँ! दोस्तों पदार्थों के अंदर हाल्फ-लाइफ पीरियड (half-life of elements) एक ऐसी रासायनिक गुण है, जो की उस पदार्थ के रैडिओ एक्टिव गुण तथा उस पदार्थ के साथ दूसरे पदार्थों के प्रतिक्रिया को सही ढंग से प्रदर्शित करता है। खैर आगे मेँ इस लेख में इसके बारे में आपको बहुत सारी जानकारी दूंगा, परंतु अभी जरा एक क्षण के लिए ठहरिए। मैंने इससे पहले रैडिओ एक्टिव के ऊपर एक बहुत ही गज़ब का लेख लिखा हैं। तो, अगर आप रैडिओ एक्टिव से जुड़ी दिलचस्प और हैरतंगेज़ बातों को जानना चाहते हैं, तो उस लेख को भी अवश्य ही एक बार जरूर पढ़ें।
तो, चलिए अब लेख में आगे बढ़ते हुए हाल्फ-लाइफ (half-life of elements) के बारे में बहुत सारी अद्भुत तथ्यों को जानते हैं।
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आखिर हाल्फ-लाइफ किसे कहते हैं? – Definition Of Half-Life Of Elements In Hindi :-
स्कूल और कॉलेज में आपने शायद हाल्फ-लाइफ के बारे में जरूर ही कुछ न कुछ पढ़ा होगा| परंतु क्या आपको स्कूल की उस किताबी संज्ञा के आधार पर हाल्फ-लाइफ के बारे में कुछ भी समझ में आता हैं? नहीं न! तो सबसे पहले चलिए इसके संज्ञा को ही जान लेते हैं|
सरल भाषा में कहूँ तो, रासायनिक प्रक्रिया में भाग लेने वाले किसी भी पदार्थ के विघटन के कारण उसके (पदार्थ के) मूल मात्रा से आधी मात्रा तक होने के लिए लगने वाले समय को ही हाल्फ-लाइफ (half-life of elements) कहते हैं| चलिए इसे उदाहरण के जरिए और भी बेहतर ढंग से समझते हैं|
मान लीजिए की “A” एक तरह का रासायनिक पदार्थ हैं जो की एक रासायनिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाला हैं और रासायनिक प्रक्रिया शुरू होने से पहले इस पदार्थ का मात्रा “x” हैं | तो, जब “A” (पदार्थ) रासायनिक प्रक्रिया के जरिए समय के साथ ही साथ धीरे-धीरे विघटित होता रहता हैं, तब उसी हिसाब से इसके मात्रा में भी कमी आती जाती हैं|
ऐसे सूचित किया जाता हैं हाल्फ-लाइफ पीरियड को ! :-
तो, एक समय ऐसा भी आता हैं जब “A” की मात्रा “x/2” हो जाता हैं| यहां रासायनिक प्रक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ की मात्रा पहले के मुक़ाबले पूरा आधी हो जाती है और ऐसा होने के लिए एक निर्धारित समय लगता हैं| मेँ आपको यहां बता दूँ की उसी समय को विज्ञान के भाषा में “हाल्फ-लाइफ पीरियड” कहते हैं|
यहां मेँ आपको और भी बता दूँ की, रासायनिक प्रक्रिया शुरू होने पहले समय “t” होता हैं और जब पदार्थ हाल्फ-लाइफ पीरियड के अवस्था में आ जाता हैं तब समय “t1/2” हो जाता हैं| आमतौर पर “t1/2” के जरिए किसी भी पदार्थ के हाल्फ-लाइफ पीरियड को सूचित किया जाता हैं| उदाहरण के लिए आइरन 59 का हाल्फ-लाइफ पीरियड 44.5 दिन हैं|
वैसे गौरतलब बात यह भी है की, ज़्यादातर आपको किसी भी धातु या पदार्थ के आइसोटोप (Isotope) के ही हाल्फ-लाइफ पीरियड देखने को मिलते हैं| जैसे की यूरेनीयम 238 का हाल्फ-लाइफ (half-life of elements) पीरियड 4.5 अरब वर्ष है और यूरेनीयम 235 का हाल्फ-लाइफ पीरियड 70 करोड़ वर्ष हैं|
इसके अलावा ज़्यादातर हाल्फ-लाइफ पीरियड बहुत ही शक्तिशाली रैडिओ-एक्टिव पदार्थों के अंदर पाया जाता हैं, जैसा की मैंने ऊपर यूरेनिउम के बारे में जिक्र किया हैं| यूरेनिउम की हाल्फ-लाइफ पीरियड बहुत ही ज्यादा होने के कारण इससे काफी लंबे समय तक ऊर्जा का उत्पाद किया जा सकता हैं|
हाल्फ-लाइफ के कुछ उपयोगिता :- Uses Of Half-life Period :-
आज के समय में इंसान पदार्थों के हाल्फ-लाइफ (half-life of elements) को कई सारे क्षेत्रों में इस्तेमाल कर रहा हैं| तो, चलिए लेख के इस भाग में उन के विषय में भी जानते हैं|
1. उद्योग में इस्तेमाल होता है यह :-
ज़्यादातर हाल्फ-लाइफ पीरियड को धातुओं की मोटाई मापने के काम में लिया जाता हैं| यहां पर मेँ आपको बता दूँ की जितनी मोटा धातु का परत होगा, उतना ही कम रेडिएसन उसके अंदर प्रवेश करेगा| खैर गौर करें की रेडिएसन हाल्फ-लाइफ पीरियड से ही जुड़ी हुई होती हैं|
इसके अलावा अगर धातुओं के परतों में मोटाई का फेर-बादल करना हो, तब भी रेडिएसन का ही इस्तेमाल होता हैं|
2.फोटोग्राफिक रेडिएसन डीटेक्टर :-
फोटोग्राफिक रेडिएसन डीटेक्टर में आपको एक प्रकार का फोटोग्राफिक फिल्म देखने को मिलता हैं| मेँ आपको बता दूँ की यह फिल्म रेडिएसन के प्रभाव में आ कर अपना रंग बदल देता हैं| जितना ज्यादा रेडिएसन होगा उतना ही ज्यादा यह फिल्म अपना रंग बदलेगा| खैर शक्तिशाली रेडिएसन के प्रभाव से फिल्म का रंग और भी ज्यादा गाढ़ा हो जाता हैं|
इस फिल्म को न्यूक्लियर पावर प्लांट के अंदर काम करने वाले लोग अपने वस्त्र के ऊपर पहनते हैं, जिससे उनके शरीर के ऊपर पड़ने वाले रेडिएसन की मात्रा को सटीक रूप से मापा जा सकता हैं| इससे प्लांट के अंदर काफी सारे लोगों की जान बची रहती हैं|
3. डेटिंग मटिरियल :-
आपने अकसर वैज्ञानिकों को प्राचीन काल के वस्तुओं के सटीक आयु के बारे में बोलते हुए देखा ही होगा | परंतु क्या आपने कभी सोचा हैं की, आखिर कैसे वैज्ञानिक हजारों साल पहले की वस्तुओं के बारे में इतना जानते हैं| मित्रों! सुनिए “डेटिंग” एक प्रक्रिया जिससे वैज्ञानिक प्राचीन काल के चीजों की सही आयु पता लगा लेते हैं|
खैर यह डेटिंग प्रक्रिया पदार्थों के हाल्फ-लाइफ (half-life of elements) पीरियड के ऊपर काफी ज्यादा निर्भर करता हैं| आमतौर पर डेटिंग के प्रक्रिया के लिए “कार्बन” को इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसे “कार्बन-डेटिंग” भी कहते हैं| डेटिंग के इस प्रक्रिया में कार्बन के हाल्फ-लाइफ पीरियड को आधार कर के वस्तुओं की सही आयु का पता लगाया जाता हैं| यहां पर कार्बन के C-14 आइसोटोप को इस्तेमाल किया जाता हैं|
कार्बन के अलावा यूरेनीयम और आग्नेय पत्थर (Igneous Rock) को भी आधार बना कर प्राचीन वस्तुओं की सही आयु का पता लगाया जाता हैं| तो, यूरेनियम को आधार मान कर डेटिंग करने की प्रक्रिया को “यूरेनियम डेटिंग” कहते हैं|
निष्कर्ष – Conclusion :-
हाल्फ-लाइफ पीरियड से जुड़ी और एक सवाल अकसर लोगों के मन में आता हैं और वह सवाल हैं की, आखिर कितने वक़्त तक एक पदार्थ का हाल्फ-लाइफ पीरियड चलता हैं? मित्रों! यह सवाल देखने में जितना आसान लग रहा हैं, इसका जवाब देना उतना ही कठिन हैं| क्योंकि हर एक पदार्थ का अपना ही एक अलग हाल्फ-लाइफ पीरियड (half-life of elements) होता हैं|
परंतु औसतन देखें तो 20 हाल्फ-लाइफ साइकल के बाद एक पदार्थ पूरे तरीके से विघटित हो जाता हैं, इस अवस्था में आप उस पदार्थ के अस्तित्व को ही नहीं पहचान सकते हैं| यहां पर गौरतलब बात यह हैं की, लंबे समय तक हाल्फ-लाइफ पीरियड में रहने के बाद ज़्यादातर पदार्थों के अंदर मौजूद परमाणु संतुलित अवस्था में चले आते हैं, परंतु ऐसे भी कई पदार्थ हैं जिनके परमाणु हाल्फ-लाइफ साइकल के बाद संतुलित न हो कर किसी दूसरे रैडिओ एक्टिव पदार्थ में परिवर्तित हो जाता हैं|
यहां पर मेँ आपको और भी बता दूँ की अगर कोई रैडीओ-एक्टिव पदार्थ हमारे शरीर के अंदर चला जाता हैं (किसी प्रकार से) तब हमारे शरीर के अंदर वह पदार्थ अपने हाल्फ-लाइफ पीरियड खत्म होने तक रहता हैं| अगर किसी पदार्थ का हाल्फ-लाइफ पीरियड छोटा है, तब हमारा शरीर उसे आसानी से विघटित कर के शरीर से बाहर निकाल देता हैं|
परंतु अगर किसी पदार्थ का हाल्फ-लाइफ पीरियड बहुत ही ज्यादा लंबा हैं (जैसे की यूरेनीयम) तो, यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं| इसलिए इन पदार्थों से हमें दूर रहना चाहिए।
Sources :- www.s-cool.co.uk, www.chemicool.com, www.radiationanswers.org.