इंसानों के साथ एक बहुत ही बड़ी समस्या ये हे कि, वो जिस चीज़ को भी इस्तेमाल करते हैं उनमें से ज़्यादातर चीज़ प्रदूषण (mask and gloves an environmental problem) का कारण बन ही जाती है। पूरी पृथ्वी जहां कोरोना से जूझ रही है, तो अब एक और समस्या हमारे सामने खड़ा होने जा रही है। जी हाँ! दोस्तों आप लोगों ने सही सुना, एक बहुत ही खतरनाक समस्या हमारे सामने अब जल्द ही आने वाली है और इसके बारे में ज़्यादातर लोगों को पता भी नहीं है। ये समस्या कोरोना से ही उत्पन्न हुई हैं और इसका निदान अत्यावश्यक है।
मित्रों! मेँ यहाँ पर बात कर रहा हूँ कोरोना के कारण इस्तेमाल हुए फेश मास्क और दस्तानों (mask and gloves an environmental problem) की। कोरोना के लिए काफी भारी मात्रा में दस्तानों तथा मास्क का इस्तेमाल हो रहा हैं, परंतु ध्यान देने वाली बात ये हैं की; इसके सही से प्रबंधन की समस्या अब दिखाई दे रहा हैं। मूल रूप से बायो मेडिकल वेस्ट के श्रेणी में आने वाले इस कचरे की सही से प्रबंधन अगर समय रहते नहीं हुआ तो आने वाले समय में पूरे इंसानी सभ्यता को इसका भारी मूल्य चुकाना पड़ सकता हैं। खैर हम आज इसी के बारे में ही बात करने जा रहें हैं, जिसके अंदर मेँ आप लोगों को इस कचरे के विषय में हर एक बात को बताऊंगा।
मास्क और दस्ताने बन गए हैं प्रदूषण का नया कारण – Face Mask And Gloves An Environmental Problem :-
COVID-19 जो हैं दोस्तों अपने आप में ही एक बहुत ही विकराल समस्या हैं, परंतु हर एक चीज़ की दो पहलू की ही तरह COVID-19 के भी दो पहलू हैं। पहला पहलू तो इसका महामारी बन कर लोगों पर कहर बरपाना हैं, परंतु इसका दूसरा पहलू हमारे वातावरण के लिए एक वरदान सा साबित हुआ हैं। मेरे कहने का तात्पर्य ये हैं की, कोरोना के वजह से वातावरण में प्रदूषण कम हुआ हैं। पृथ्वी में हरियाली थोड़ी बढ़ी हैं, नदियां साफ हुई हैं। इसके साथ ही साथ वायु भी काफी हद तक निर्मल हुई हैं। खैर कोरोना के वजह से वातावरण को काफी लाभ पहुंचा हैं इसमें कोई गुंजाइश ही नहीं हैं, परंतु दोस्तों क्या आप जानते हैं इसके वजह से आज परिवेश को कई सारे खतरों का सामना करना पड़ रहा हैं।
लोगों ने करोना से बचने के लिए भारी मात्रा में फेश मास्क और दस्तानों का इस्तेमाल किया, जिससे इन चीजों का कचरा धीरे-धीरे बढ्ने लगा। जिस तरीके से कोरोना फैला ठीक उसी तरीके से ही मास्क और दस्तानों के कचरे का पहाड़ समंदर के किनारे और नालों में दिखाई देने लगा। इसके कारण कई नगरों के सिवेज सिस्टम (Sewage System) ही ठप पड़ गया। इससे जल प्रदूषण का खतरा बढ़ गया। जल दूषित होने लगा और इसका दुष्प्रभाव लोगों को झेलनी पड़ी। दस्तानों और मास्क का कूड़ा नहर और झीलों में भी देखने को मिलीं। तो, इस परिस्थिति में सरकारों को इसके प्रति कोई ठोस कदम उठानी की जरूरत हैं। कोरोना के वजह से होने वाली संक्रमण का एक मुख्य कारण इस बायो मेडिकल कचरे का ठीक तरीके से प्रबंधन नहीं करना हैं।
कचरे से हो रहा हैं भारी नुकसान! :-
कोरोना से जन्म लेने वाले कचरों में मास्क और दस्ताने (mask and gloves an environmental problem) के अलावा हेंड सेनीटाइजर और पीपीई भी शामिल हैं। ज़्यादातर लोग हेंड सेनीटाइजर के बोतलों को इस्तेमाल करने के बाद कूड़े दान में डालने के जगह यहाँ-वहाँ फेंक देते हैं। इसके अतिरिक्त अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले PPE से जन्मे कचरे का भी सही से निपटान नहीं हो रहा हैं। बता दूँ की, कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाली ज़्यादातर चीज़ें डिस्पोजेबल हैं। इनको कोई एक व्यक्ति सीमित समय के लिए सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल कर सकता हैं। इसी कारण से लोग इन्हें इस्तेमाल करने के बाद यहाँ-वहाँ फेंक दे रहें हैं।
वैसे इससे जुड़ी सबसे बड़ी समस्या ये भी हैं की, इन सभी चीजों का `“Recycle” करना भी संभव नहीं हैं। ऐसा करने से लोगों के अंदर संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। मित्रों! हाल में ही एक फ्रेंच एनजीओ ग्रुप ने भूमध्य-सागर के सफाई का अभियान चलाया हैं। इसके तहत वो लोग भूमध्य सागर को साफ करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। अब जब यूरोप में लॉक डाउन को धीरे-धीरे हटाया जा रहा हैं तो ऐसे अभियानों को भी धीरे-धीरे आरंभ किया जा रहा हैं।
एनजीओ का बयान बहुत ही चौंकाने वाला हैं! :-
फ्रेंच एनजीओ ग्रुप “Opération Mer Propre” ने अपने द्वारा चलाये जाने वाले अभियानों में जुटाये गए तथ्यों को लोगों के साथ नियमित रूप से साझा करता रहता हैं। उनके द्वारा दी गई एक रिपोर्ट से पता लगा हैं की, भूमध्य सागर में कई हजारों के संख्या में PPE का ढेर लग चुका हैं। इसके कारण समंदर तो दूषित हो ही रहा हैं, साथ ही साथ कई नदी, झील और नहरों का हाल भी खराब होता जा रहा हैं। खैर गनीमत की बात ये हैं की, Opération Mer Propre ने कई हद तक समंदर में फैली कचरे को साफ कर दिया हैं।
इसके अलावा मई 23 को दिये गए एक रिपोर्ट से ये भी पता चला हैं की, समंदर में धीरे-धीरे करके लेटेक्स दस्ताने और डिस्पोजेबल फेश मास्क के कचरे का तादाद बढ़ता ही जा रहा हैं। अगर कोरोना ऐसे ही फैलता गया तो आने वाले समय में भूमध्य-सागर में पानी की जगह हर तरफ दस्ताने और मास्क का कूड़ा ही नजर आयेगा। ऐसे में इस बात को किसी भी हाल में नजरंदाज नहीं किया जा सकता हैं और न ही नकारा जा सकता हैं।
खैर यूरोप के साथ-साथ अमेरिका में भी फेश मास्क और दस्तानों के कचरे ने (mask and gloves an environmental problem) काफी तबाही मचाई हैं। कहने का तात्पर्य ये हैं की, इनके वजह से बड़े-बड़े सहरों के सिवेज सिस्टम भी काम करना बंद कर दिया हैं। नालों में लेटेक्स दस्ताने का कचरा देखने को मिलता हैं। कूड़े दान फेश मास्क से कचरे से भर चुके हैं और सड़क के ऊपर भी इनको देखा जा सकता हैं। ऐसे में अगर उन्नत देशों की ये हालत हैं तो आप भारत जैसे विकासशील देश के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
अब तक एक सर्वे से ये पता चला हैं की, सिर्फ अमेरिका के 15 बड़े-बड़े सहरों में नॉवेल कोरोना के होने के बाद इनके सिवेज सिस्टम को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा हैं। इसी वजह से कई-कई जगहों पर तो पानी जाने के लिए भी असुविधा हो रहा हैं। सहर का जो गंदा पानी हैं वो नालों में न जा कर इधर-उधर बहता जा रहा हैं। वाकई में कोरोना के वजह से अमेरिका का हाल बहुत ही ज्यादा खस्ता हैं। दुनिया की सबसे ताकतवर देश होने के बाद भी इतना बुरा हाल अमेरिका का होना, ये शायद ही किसने सोचा होगा।
अमेरिकी सरकार ने अपने नागरिकों से कहा हैं की, डिस्पोजेबल वाइप्स, PPE, ग्लोब्ज और मास्क को इधर-उधर न फेंके। सरकार के मुताबिक वो इसके प्रबंधन के लिए कई सारे प्रयास कर रहीं हैं। कई सारे एनजीओ के संस्थाएं इसके लिए काम रही हैं। उन्होंने इन सभी चीजों के सही प्रबंधन के लिए एक स्वतंत्र जगह को भी बनाया हैं, जहां पर लोग इस्तेमाल हो चुके PPE को डिस्पोज़ कर सकें। ऐसे में कहा जा सकता हैं की, आने वाले समय में ये समस्या खतम हो जाए। वैसे और एक बात बता दूँ की, कोरोना से बचने के लिए जिन-जिन चीजों का हम इस्तेमाल कर रहें हैं उन चीज़ों का सही से प्रबंधन करना भी हमारा कर्तव्य हैं।
महामारी के इस संकट भरे समय में सभी लोगों से हमारा यह आशा हैं की, धैर्य और संयम के साथ वो इस बीमारी का सामना करें। तथा अपने द्वारा इस्तेमाल हो चुके दस्ताने, मास्क, सेनीटाइजर के बोतलों और वाइप्स को सही से डिस्पोज़ करें।
Source :- www.iflscience.com.