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जापान, दक्षिण कोरिया और चीन ने आखिर कैसे काबू किया COVID-19 को, हमें इन देशों से क्या सीखना चाहिए!

दुनिया भर से COVID-19 को लेकर आ रहीं हैं कई अच्छी खबरें ! क्या आप इनके बारे में जानते हैं ?

अकसर बुरा वक़्त हमें कई सारी महत्वपूर्ण चीज़ें सीखा देता है और यह हो भी रहा हैं आज। जहां पूरा देश 21 दिनों के लिए COVID-19 (keeps COVID-19 under control) वायरस के वजह से लॉक डाउन के अवस्था में हैं, वहीं दूसरी तरफ इस वायरस के जन्मस्थान यानी चीन में इसको सफलता पूर्वक नियंत्रण में ले लिया गया हैं। फिलहाल के लिए भारत के अंदर यह लॉक डाउन और कितने दिनों के लिए चलेगा यह तो अभी कह पाना कठिन होगा; परंतु इतना जरूर ही कहा जा सकता हैं की, जल्द से जल्द हमारी सरकार इससे निपटने के लिए कोई न कोई तरकीब निकाल ही लेगी।

नॉवेल कोरोना से चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से क्या सीखें - How they keeps COVID-19 under control.
कोरोना की शुरुआत | Credit: The Sun.

खैर COVID-19 (keeps COVID-19 under control) के लिए किया गया यह लॉक डाउन हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कहा जा रहा है की इस लॉक डाउन के जरिए वायरस की संक्रमण करने के चक्र को काटा जा सकता हैं। जिससे भविष्य में और अधिक संक्रमण की घटना सामने नहीं आएंगी।

वैसे मेँ आप लोगों को बता दूँ की, आज के इस लेख में हम लोग COVID-19 वायरस को चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश कैसे अपने नियंत्रण में लाने में सक्षम रहें इसके बारे में संक्षिप्त में चर्चा करेंगे। तो, दोस्तों मेरे साथ आज के इस विशेष लेख में बने रहिए और जानते रहिए नॉवेल कोरोना से जुड़ी कुछ अच्छे खबरें।

नॉवेल कोरोना की कहानी कहाँ से शुरू हुई थी ? – How Novel Corona Virus Emerged ? :-

वैसे मित्रों ! विदेशों की नॉवेल कोरोना से जुड़ी जंगों के बारे में बात करने से पहले चलिए सबसे पहले इस वायरस के जन्मस्थान यानी चीन के “Wuhan” सहर के बारे में जान लेते हैं। फ़रवरी 13 यह वहीं तारीख था जिस दिन, एक अमेरिकी पैथोलोजी लैब ने सबसे पहले दुनिया के सामने कोरोना वायरस के बारे में पुष्टीकरण जताया था। बता दूँ की इससे पहले लगभग दो महीनों तक चीन ने इस वायरस के विषय में अन्य किसी देश को कुछ भी नहीं बताया था।

खैर प्रारंभिक अवस्था में इसे SARS-CoV-2 के नाम से पुकारा जाता था, जो की बाद में परिवर्तित हो कर नॉवेल कोरोना हो गया। वैसे संक्षिप्त में बता दूँ की, कोरोना एक प्रकार से वायरस की एक श्रेणी हैं जिसमें नॉवेल कोरोना वायरस भी शामिल हैं। वैसे फरवरी के महीने तक चीन में लगभग 60,000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके थे और इसमें 1,370 लोगों की मौत भी हो चुकी थी। वैसे गौरतलब बात यह है की, इस वायरस का लक्षण लगभग 2002 में हुए SARS-CoV वायरस के साथ भी मेल खाते थे। 2012 में हुए MERS-CoV वायरस के साथ भी इसका मेल होता था। परंतु इसका आकार थोड़ा अलग था।

इसके अलावा वायरस की अनोखे आकार के कारण भी इसे जल्दी पहचाना भी नहीं जा सका। खैर ध्यान में रहें की, वायरस एक प्रकार से शुख्म जीव ही हैं, जिसके पास अपना खुद का जेनेटिक मटिरियल होता जो की उसके लिए एक तरह से D.N.A का काम ही करता हैं। बाद में यह जेनेटिक मटिरियल प्रोटीन एक स्तर में आबद्ध हो कर रहता हैं। वायरस को आप साधारण माइक्रोस्कोप से भी नहीं देख सकते हैं। इन्हें देखने के लिए आपको इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ेगी।

How Japan Control COVID-19.
जापान ने कैसे काबू किया COVID-19 को | Credit: Business Insider.

चीन ने कैसे काबू किया COVID-19 को – How China Keeps COVID-19 Under Control ! :-

वर्तमान समय की बात करें तो अभी तक चीन में कोरोना से पीड़ित लगभग 81,218 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें से 3,281 लोगों की मौतें हो चुकी हैं और 70% ज्यादा मरीज इस बीमारी से स्वस्थ हो चुके हैं। यह संख्या लगभग 73,650 तक हैं। वैसे COVID-19 (keeps COVID-19 under control) को नियंत्रण लाने के लिए चीन ने कई सारे साहसी कदम उठाए थे। जिसमें से वुहन का फील्ड अस्पताल एक प्रमुख उदाहरण हैं। बता दूँ की, इस अस्पताल को चीन ने लगभग 12 दिनों में बना कर पूरे दुनिया की ध्यान अपनी और आकर्षित किया था। अभी तो यह अस्पताल लगभग बंद होने के कगार पर हैं, परंतु आपात काल के समय में इसमें 2,600 से अधिक बिस्तर मरीजों के लिए थे।

चीन ने शेनज़ेन, गुयांगज़ू, चेंगड़ू तथा वुहन आदि सहरों को पूरे तरीके से अपने फौज के मदद से सबसे पहले लॉक डाउन कर दिया, जो की लगभग 2 महीनों तक चला। इसके तहत न तो कोई इन सहारों से बाहर जा सकता हैं और न ही कोई अंदर बाहर से आ सकता हैं। इन लॉक डाउन का प्रभाव बाद में बहुत फायदेमंद साबित भी हुआ। इसके बाद चीनी सरकार ने अपने बड़े-बड़े टेक कंपनियों को उनके एप के माध्यम से संक्रमित हुए लोगों की पहचान करने के लिए कहा। जिससे कई हद तक काफी सारे पीड़ित लोगों की पहचान भी जल्द से जल्द हो सका।

संक्रमण के दौरान नागरिकों की भूमिका :-

लॉक डाउन के दौरान वहाँ पर चीनी सरकार ने पूरे चीन से लगभग 10,000 से भी ज्यादा चिकित्सा कर्मियों को तुरंत वहाँ पर नियुक्त किया। इसके अलाव कई हजारों सफाई कर्मचारिओं को संक्रमित हुए सहारों को साफ करने का निर्देश दिया। इस काम में चीनी फौज भी शामिल थी। चीन के लोगों को एक दूसरे से दूर रहने के लिए कहा गया, तथा घरों से बाहर न निकलने का भी निर्देश दिया गया जिसे उन्होंने काफी संजीदगी से माना भी।

जिसके फल स्वरूप आज चीन में पिछले 72 घाटों से कोरोना का एक भी नया घटना सामने नहीं आया हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक अप्रेल 8 तारीख तक वहाँ पर लगी सभी पावन्धीयां भी हटा दी जाएगी।

Photo of Wuhan City.
वुहन की तस्वीर | Credit: Prologis.

साउथ कोरिया ने जीता COVID-19 को ! :-

आज दुनिया साउथ कोरिया को COVID-19 से डट कर लढने के लिए शाबाशी दे रहा हैं। इसलिए हमारे लिए भी यह जरूरी बन जाता है की, हम भी साउथ कोरिया से कुछ सीखें। COVID-19  (keeps COVID-19 under control) को नियंत्रण में रखने के लिए दक्षिण कोरिया ने अपने विकसित तकनीक को इस्तेमाल किया।

बता दूँ की, नॉवेल कोरोना मरीजों को ढूँढने के लिए दक्षिण कोरिया ने लोगों की क्रेडिट कार्ड टेर्किंग, CCTV कैमरे और सर्विलिएन्स सिस्टम को प्रयोग में लाया। दक्षिण कोरिया के कई दबाई बनाने वाली संस्थान बहुत तेजी से कोरोना के लिए टेस्ट किट बनाने लगी। जिसके कारण हर दिन लगभग 15,000 लोगों की निरीक्षण हो पाया।

इसके अलावा सरकार ने सबसे पहले लोगों को घर पर रह कर काम करने का विकल्प प्रदान किया। जिससे लोगों में संक्रमण का दर बहुत ही कम हो गया। लोगों की मोबाइल फोन के डैटा के जरिए उनके रहने के जगहों पर जा कर कोरोना का टेस्ट भी किया गया। हालांकि यहाँ पर व्यक्तिगत डैटा को इस्तेमाल किया गया परंतु अपने नागरिकों की जान दक्षिण कोरिया के सरकार के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था।

जापान से हम सीख सकते हैं COVID-19 से लढने का तरीका ! :-

जापान में एक ऐसा देश हैं, जिसके पास शायद हर एक असुविधा का कोई न कोई समाधान अवश्य ही होता हैं। वैसे जापानियों का अपने देश के संस्कृति से बहुत ही लगाव हैं। वह लोग किसी से मिलने के वक़्त हाथ मिलाने के बदले सर झुका कर एक-दूसरे का आदर करते हैं। हमेशा से ही हाथ नियमित रूप से धोते रहते हैं तथा अपने परिवेश को साफ भी रखते हैं।

ध्यान में रखने वाली बात यह भी है की, दुनिया भर में सिर्फ जापानियों को ही फेस मास्क का अजब सा चस्का हैं। एक रिपोर्ट से पता चला है की आम तौर पर एक जापानी एक साल में लगभग 43 मास्क पहन लेता हैं। तो, आप यहाँ से अंदाजा लगा ही सकते हैं की वह लोग अपने सेहत को लेकर कितने गंभीर रहते हैं।

तो, दोस्तों लेख के आखिर के हिस्से मेँ आप लोगों से बस इतना ही कहना चाहूँगा की; COVID-19 (keeps COVID-19 under control) को नियंत्रण में लाने के लिए आप लोगों को सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों का सही से पालन करना चाहिए। क्योंकि सिर्फ सरकार के ऊपर COVID-19 लढने का काम हम नहीं छोड़ सकते हैं और एक बात की, COVID-19 को  कभी भी आप मज़ाक न समझे।

Sources :- www.livescience.com, www.theconversation.com, www.dw.com, www.sciencemag.org.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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