
कल्पना कीजिए की आप जब चाहें तब सोना बना सकें, हालांकि ये सोचने में जितना आसान लगता है उतना ही कठिन है। पुराने ज़माने में वैज्ञानिक नहीं बल्कि रसायनशास्त्री या अलकेमिस्ट्स होते थे। उनका सबसे बड़ा सपना था – सीसे (Lead) को सोने (Gold) में बदलना। वे मानते थे कि अगर सही तरीका मिल जाए तो कोई भी सस्ता धातु जैसे सीसा, महंगे धातु जैसे सोना में बदला जा सकता है। वो इसे “क्राइसोपोइया (Chrysopoeia)” कहते थे।
उनकी कोशिशें तो कभी सफल नहीं हुईं, लेकिन आज का मॉडर्न साइंस कुछ ऐसा कर दिखा रहा है जो उनकी सोच से भी आगे है। फर्क सिर्फ इतना है कि आज हम जादू या रहस्य नहीं, बल्कि पार्टिकल एक्सीलेरेटर जैसे हाईटेक साइंटिफिक मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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🚀 कहां हुआ ये कमाल?
ये सब हुआ यूरोप के CERN लैब में, जहां दुनिया का सबसे बड़ा और ताकतवर पार्टिकल एक्सीलेरेटर है – Large Hadron Collider (LHC)।
यह एक बहुत बड़ी रिंग जैसी मशीन है, जो परमाणुओं को तेज़ स्पीड से टकराती है ताकि हम देख सकें कि छोटे-छोटे कण कैसे व्यवहार करते हैं।

⚛️ क्या हुआ इस टक्कर में?
2015 से 2018 के बीच, वैज्ञानिकों ने इस LHC मशीन में सीसे (Lead) के परमाणुओं को 99.999993% स्पीड ऑफ लाइट से एक-दूसरे से टकराया। (LHC Creates Gold Nuclei)
जब ये टक्कर हुई, तो सीसे के कुछ परमाणु इतने तेज़ी से टूटे कि उनमें से 3 प्रोटॉन और कुछ न्यूट्रॉन निकल गए – और वो बन गया सोना!
🪙 कितना सोना बना?
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3 साल में लगभग 86 अरब सोने के नाभिक (गोल्ड न्यूक्लियस) बने।
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लेकिन इनका कुल वज़न सिर्फ 29 ट्रिलियनवां ग्राम था – यानी इतना कम कि आँखों से देख भी नहीं सकते।
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ये सोना कुछ नैनोसेकंड (एक सेकंड का अरबवां हिस्सा) में ही खत्म भी हो गया।
🧪 ये कैसे मापा गया?
इस एक्सपेरिमेंट को मापा गया ALICE डिटेक्टर से, जो कि LHC का हिस्सा है। इसमें लगे Zero Degree Calorimeters (ZDCs) नाम के सेंसर इतने सेंसिटिव हैं कि ये बेहद छोटे बदलाव भी पकड़ लेते हैं।
ALICE टीम के स्पोक्सपर्सन मार्को वान लीउवेन ने कहा:
“हमारे डिटेक्टर इतने स्मार्ट हैं कि वो हजारों कणों की भीड़ भी समझ लेते हैं, और उन टक्करों को भी पकड़ सकते हैं जिनमें सिर्फ कुछ ही कण बनते हैं – जैसे ये सोने का बनना।”
🔬 सीसा और सोना इतने करीब कैसे?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सोने में 79 प्रोटॉन होते हैं और सीसे में 82। यानी अगर सिर्फ 3 प्रोटॉन निकाल दिए जाएं, तो सीसा सोने में बदल सकता है।
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अगर सिर्फ 1 प्रोटॉन निकले तो बनता है थैलियम।
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अगर 2 निकलें तो बनता है मरकरी (पारा)।
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और अगर 3 निकलें तो बनता है सोना।
🔁 तीसरा रन और ज्यादा सोना!
2022 से शुरू हुए LHC के तीसरे रन में मशीन को और भी ज़्यादा पावरफुल बनाया गया। अब इसमें:
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हर सेकंड में लगभग 89,000 सोने के कण बनते हैं।
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यह पहले की तुलना में दोगुना है।
ALICE टीम की वैज्ञानिक उलियाना दिमित्रियेवा कहती हैं:
“ये पहली बार है जब किसी एक्सपेरिमेंट ने LHC में बनने वाले सोने को इतनी डिटेल में मापा है।”
💰 क्या अब हम लैब में सोना बना सकते हैं?
तकनीकी रूप से हां, लेकिन असल में नहीं।
क्योंकि:
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इस तरीके से जो सोना बनता है, वो बेहद कम और तुरंत खत्म होने वाला होता है।
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इसे बनाने में बहुत ज़्यादा खर्च होता है – एक ग्राम सोना बनाने में शायद अरबों रुपये लग जाएंगे!
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इसलिए ये तरीका बिजनेस के लिए फायदेमंद नहीं, बल्कि सिर्फ साइंस के लिए मजेदार है।
🧠 फिर फायदा क्या है?
इससे हमें क्या सीख मिली?
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परमाणुओं के अंदर क्या होता है, ये समझने में मदद मिली।
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न्यूक्लियर ट्रांसम्यूटेशन जैसी प्रक्रियाओं को एक्सपेरिमेंट में सच होते देखा।
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LHC और भविष्य के एक्सीलेरेटर्स की पर्फॉर्मेंस बेहतर करने में मदद मिलेगी।
भौतिकविद जॉन जोवेट ने कहा:
“इन नतीजों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि मशीन की बीम कब और क्यों कमजोर होती है, जिससे हम भविष्य की तकनीक को और अच्छा बना सकते हैं।”
🔮 पुराने सपनों की नई हकीकत
एक समय था जब लोग मानते थे कि “फिलॉसॉफर्स स्टोन” से सीसा सोने में बदला जा सकता है। आज हमारे पास कोई जादुई पत्थर नहीं, लेकिन हमारे पास पार्टिकल एक्सीलेरेटर है – और वो ये कर दिखा रहा है, हालांकि कुछ सेकंड के लिए ही सही।
ये सब दिखाता है कि कैसे सदियों पुराना सपना, आज की साइंस से थोड़ा-बहुत सच्चाई बन गया है।