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Facts About Jupiter In Hindi – बृहस्पति ग्रह के बेहद अद्भुत तथ्य

इस ग्रह को सबसे विशाल गैसों वाला ग्रह भी कहते हैं।

बृहस्पति ग्रह (Facts About Jupiter In Hindi) हमारे सौर-मंडल का सबसे विशाल ग्रह है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका आकार हमारी धरती से 1300 गुना बड़ा है। वैज्ञानिक इसके विशाल आकार के कारण ये भी मानते हैं कि ये कोई फेल स्टार है यानि ऐसापिंड जो तारा बन सकता है अगर उसका द्रव्यमान और बढ़ जाये, पर फिलहाल बृहस्पति हमारे सौर-मंडल का सबसे विशाल गैसीय ग्रह है। इस ग्रह को सबसे विशाल गैसों वाला ग्रह भी कहते हैं। यह गैस से बना एक ग्रह है जिसकी सतह के बारे में वैज्ञानिक कुछ नहीं जानते हैं। इसके वातावरण में गैसों के अलाबा कुछ नहीं है।

बृहस्पति ग्रह की रूपरेखा

द्रव्यमान (Mass) – 18,98,130 खरब किलोग्राम (पृथ्वी से 317.83 गुणा ज्यादा)
भू – मध्य रेखिए व्यास (Equatorial Diameter) – 1,42,984 किलोमीटर
ध्रुवीय व्यास (Polar Diameter) – 1,33,709 किलोमीटर
ऑर्बिट दूरी: 778,340,821 किमी (5.20 एयू)
भू-मध्य रेखा की लंबाई (Equatorial Circumference) – 4,39,264 किलोमीटर
ज्ञात उपग्रह – 95
सूर्य से दूरी – 77 करोड़ 83 लाख 40 हज़ार 821 किलोमीटर या 5.2 AU (1 AU = सूर्य से पृथ्वी की दूरी)
एक साल – पृथ्वी के 11.86 साल (4332.82 दिन) के बराबर
सतह का औसतन तापमान – -108°C
पहला रिकॉर्ड: 7 वीं या 8 वीं शताब्दी ईसा पूर्व

Facts About Jupiter In Hindi

1. Jupiter सौर-मंडल का चौथा सबसे चमकीला ऑब्जेक्ट है, सूर्य, चन्द्र और वीनस के बाद जुपिटर हमें सबसे चमकीला दीखता है. इस ग्रह को हम अपनी नंगी आँखों से भी देख सकते हैं।

2. ब्रहस्पति ग्रह (planet Jupiter) का नामकरण रोमन देवताओं के शासन के नाम पर किया गया है। ब्रहस्पति की खोज 7 वीं या 8 वीं शताब्दी ईसा पूर्व प्राचीन बेबीलोन के लोंगो ने की थी।

3. बृहस्पति का एक दिन बाकी सभी ग्रहों से छोटा होता है। यह केवल 9 घंटे 55 मिनट में अपनी धुरी के समक्ष एक चक्कर पुरा कर लेता है।

4. बृहस्पति (Facts About Jupiter In Hindi) वासत्व में इतना भारी ग्रह है कि यह इस शक्ति के बदौलत सूर्य को भी प्रभावित कर देता है। अकेले बृहस्पति का द्रव्यमान बाकी सभी ग्रहों के कुल द्रव्यमान से ढाई गुणा ज्यादा है। पृथ्वी से 317.83 गुणा ज्यादा है।

5. बृहस्पति ग्रह 90% हाईड्रोजन, 10 % प्रतीशत हीलीयम और कुछ कु मात्रा में मीथेन, पानी, अमोनिया और चट्टानी कणों से बना हुआ है। इसकी सतह ठोस नहीं है बल्कि गैसों से बनी है।

6. बृहस्पति को सूर्य का एक चक्कर लगाने में करीब पृथ्वी के 11.8 वर्ष लगते हैं। जब हम इसे धरती से देखते हैं तो यह हमें बहुत ही धीमा ग्रह सा लगता है जिसे कई महीनों और नक्षत्रों के बदलने पर भी एक ही जगह हम देखते हैं।

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7.  बृहस्पति पर पिछले 350 सालों से एक बवंडर चल रहा है जो कि लाल बादलों से बना हुआ है। यह बवंडर इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वीयां समा सकती हैं। चित्रों में देखने पर यह एक धब्बे की तरह नज़र आता है और इसे बृहस्पति (Facts About Jupiter In Hindi) की लाल आँख भी कहते हैं।

असल में यह एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र है जिसके बादल कुछ ज्यादा ही ऊँचे और आसपास के क्षेत्रों से ठंडे है। ऐसे ही कुछ अन्य छोटे-छोटे बवंडर बृहस्पति समेत शनि और नेप्च्चुन पर भी देखे गए हैं। वैज्ञानिक अब तक पता नही लगा पाए कि ये उच्च दबाव के क्षेत्र इतने लंबे समय तक कैसे बने रहते हैं।

8. सन् 1610 में गैलीलीयो ने सबसे पहले बृहस्पति को दूरबीन से देखा था।  बृहस्पति के उपग्रह गेनीमेड सौर मंडल में सबसे बड़ा चाँद है, बृहस्पति के वैसे तो 67 चांद है पर गेनीमेड बृहस्पति की सबसे बड़ी सैटेलाइट है। Ganymede 5,268 किमी  व्यास का है, यह बुध ग्रह से भी बड़ा है हर ग्रह का चंद्रमा उसके अपने ग्रह की परिक्रमा करता है।

9. अब तक कुल आठ मिशन बृहस्पति (Facts About Jupiter In Hindi) पर भेजे गए हैं। पायोनियर 10 सन् 1973 में सबसे पहले भेजा गया था। इसके बाद पायोनियर 11, वायेजर 1 और 2, गैलीलीयो, कासीनी, युलीसीस और न्यु होराईज़न भेजे गए। इनमें से 10 अक्तुबर 1989 को भेजा गया गैलीलीयो यान आठ वर्षों तक बृहस्पति की कक्षा में रहा। गैलीलीयो यान 8 दिसंबर 1995 को बहस्पति की कक्षा में दाखिल हुआ और 21 सितंबर 2003 तक काम करता रहा।

10. बृहस्पति पृथ्वी के लिए एक रक्षक की तरह है। यह धरती की तरफ आने वाले कई पिंड़ो को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी ओर खींच कर हमारी रक्षा करता है।

11. कई प्राचीन सभ्यताएँ इस ग्रह के बारे में जानती थी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति देवताओं का गुरू है। रोमनों के अनुसार बृहस्पति शनि ग्रह का बेटा और देवताओं का राजा, ओलंपस के सम्राट तथा रोमन साम्राज्य के रक्षक हैं।

12. 21 दिसंबर 2020 को, बृहस्पति और शनि ग्रहों का ग्रेट कंजक्शन हुआ। यह घटना 397 साल में पहली बार हुई थी। इस घटना में, दोनों ग्रह एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे और आकाश में एक चमकदार तारे की तरह दिखाई दिए थे।

13. बृहस्पति ग्रह का विशाल लाल धब्बा सिकुड़ रहा है। विशाल लाल धब्बा एक विशाल एंटीसाइक्लोनिक तूफान है जो सदियों से बृहस्पति पर चल रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, इसे सिकुड़ते हुए देखा गया है। यह संभवतः बृहस्पति के वायुमंडल में परिवर्तन के कारण है।

14. 2022 में, वैज्ञानिकों ने बृहस्पति के वायुमंडल में एक विशाल गर्म स्थान की खोज की। ये स्थान लगभग 1,000 किलोमीटर चौड़ा है और इसका तापमान 1,000 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। हालांकि अभी भी वैज्ञानिक नहीं जानते हैं कि ये गर्म स्थान क्यों बना है, पर माना जाता है कि यह बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) से संबंधित हो सकता है।

15. बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र सौरमंडल में सबसे मजबूत है। बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र इतना मजबूत है कि यह लाखों किलोमीटर अंतरिक्ष में फैला हुआ है। चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति को सूर्य से हानिकारक विकिरण से बचाने में मदद करता है।

16. वैज्ञानिक बृहस्पति पर नए मिशन भेजने वाले हैं। यूरोपा क्लिपर मिशन 2024 में लॉन्च होगा और 2030 में ये बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर पहुंचने वाला है। यूरोपा क्लिपर यूरोपा का विस्तार से अध्ययन करेगा यह निर्धारित करेगा कि क्या यह चंद्रमा जीवन के लिए उपयुक्त है या नहीं।

बृहस्पित पर जूनो अंतरिक्ष यान – 

जूना यान को नासा ने साल 2011 में लाँच किया और ये यान साल 2016 में बृहस्पति की परिक्रमा में पहुँचा और वहां से अपनी खोज आरंभ की। जूनो ने बृहस्पति पर कुछ चीज़ें खोजी जो आप पढ़ सकते हैं –

  1. बृहस्पति का वायुमंडल हमारी पुरानी खोज से भी बहुत ज्यादा गहरा है। जूनो के मापों से पता चला है कि बृहस्पति का वायुमंडल दिखाई देने वाले बादलों के ऊपर से कम से कम 4,000 किलोमीटर नीचे तक फैला हुआ है। इसका मतलब है कि बृहस्पति का वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल से लगभग 10 गुना गहरा है।
  2. बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र अपेक्षा से अधिक जटिल है। जूनो से प्राप्त डेटा से पता चला है कि बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र एक समान नहीं है। इसके बजाय, यह भंवरों और बवंडरों से भरा है। यह जटिलता बृहस्पति के तीव्र घूर्णन (Rotation) और उसके लगातार घूमते वायुमंडल के कारण मानी जाती है।
  3. जूनो ने यह भी खोजा कि बृहस्पति की एक रिंग प्रणाली है जो धूल और बर्फ के कणों से बनी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ये रिंग्स बहुत युवा हैं और हो सकता है कि ये किसी धूमकेतु (Comet) या क्षुद्रग्रह (Asteroid) के टूटने से बनी हों।

जूनो का मिशन 2025 में समाप्त होने वाला है, लेकिन वैज्ञानिक मिशन को कुछ और वर्षों के लिए बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे जूनो को बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं के अपने अवलोकन जारी रखने और और भी अधिक महत्वपूर्ण खोजें करने की अनुमति मिलेगी।

बृहस्पति ग्रह की जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीर –

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की बृहस्पति की छवि (Image) अब तक ली गई सबसे विस्तृत छवियों में से एक है। यह इमेज जुलाई 2022 में टेलीस्कोप के नियर-इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCam) का उपयोग करके कैप्चर की गई थी। यहां आप बृहस्पति के ग्रेट रेड स्पॉट, उसके अरोरा और उसके घूमते हुए बादलों के बैंड पहले से कहीं अधिक विस्तार से देख रहे हैं।

बृहस्पति की छवि – वेब के निरकैम कैमरे की मदद से ली गई है, इसमें दो फिल्टर द्वारा ये छवि प्राप्त की गई है।
Credit – NASA, ESA, CSA, Jupiter ERS Team; image processing by Ricardo Hueso (UPV/EHU) and Judy Schmidt.

वेब टेलीस्कोप की इस इमेज में आप बृहस्पति के धुंधले छल्लों को भी देख सकते हैं। छल्ले बृहस्पति के चंद्रमाओं से धूल और बर्फ के कणों से बने होते हैं। छल्ले इतने धुंधले होते हैं कि उन्हें केवल इन्फ्रारेड प्रकाश में देखा जा सकता है।

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Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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