पृथ्वी, जी हाँ! हमारी पृथ्वी अपने आप में ही एक बहुत बड़ी पहेली है। पर क्या आपको पता है, पृथ्वी के बारे में सबसे बड़ी पहली क्या है? सोचिए-सोचिए थोड़ा गौर से सोचिए। वैसे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके बारे में मैं आप लोगों को आगे बताऊंगा। वैसे पृथ्वी के बारे में मैंने कई सारी बातों को आप लोगों को बताया है, जिसे आप हमारी वेबसाइट से पढ़ सकते हैं। परंतु जरा अभी ठहरिए, क्योंकि आज मैं जिस विषय के बारे में बातें करने जा रहा हूँ, उसके बारे में सुनकर आप लोगों के मुख में अवश्य ही आश्चर्यचकित की भावना खिल उठेगी। खैर आज के इस लेख का विषय होगा ध्रुवीय रोशनी यानी Aurora Borealis (northern lights in hindi)
यूं तो Aurora Borealis (northern lights in hindi) एक बहुत बड़ा विषय है, परंतु हम आज के इस लेख में इसे बहुत ही धीरे-धीरे और सरलता के साथ जानेंगे। ज़्यादातर लोगों को इसके बारे में अधिक ज्ञान नहीं है, क्योंकि ये रोशनी केवल और केवल एक निर्धारित जगह पर ही देखने को मिलती है जिसके बारे में भी मेँ आप लोगों को जल्द ही बताऊंगा। इसके अतिरिक्त बता दूँ की, ये लेख काफी ज्यादा रोचक होने वाला हैं इसलिए इसको पूरा पढ़िएगा।
तो, चलिये अब बिना किसी देरी के लेख में आगे बढ़ते हुए भव्य Aurora Borealis के बारे में जानते हैं।
नॉर्दर्न लाइट्स क्या हैं? – What Is Northern Lights In Hindi? :-
सबसे पहले लेख के प्रारंभिक भाग में Aurora Borealis (northern lights in hindi) की परिभाषा को जान लेते हैं, जिससे आगे आपको इसके बारे में और अधिक बातों को समझने में मदद मिलेगा।
तो, नॉर्दर्न लाइट्स उर्फ़ “Aurora Borealis” एक प्रकार से प्राकृतिक रोशनी ही हैं, जो की विशेष रूप से पृथ्वी के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दिखाई देती हैं। ध्यान रहें की आप इसे धृवीय क्षेत्र के अलावा और किसी दूसरे जगह पर नहीं देख सकते हैं। अगर मेँ यहाँ पर भारत की बात करूँ तो, यहाँ से नॉर्दर्न लाइट्स को देखना लगभग संभव ही नहीं हैं। इसलिए हमारे देश की ज़्यादातर जनता इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं। खैर अगर आप किसी ध्रुवीय इलाके में स्थित देश में रह रहें हैं तो, आप इस सुंदर रोशनी को अपने आँखों से देख सकते हैं।
देखने में काफी आकर्षक ये रोशनी रात के समय में ध्रुवीय आकाश में अपना अद्भुत छटा बिछा कर प्रकृति के प्राकृतिक महारत को हमारे सामने प्रदर्शित करती हैं। वैसे यहाँ पर गौर तलब बात ये भी हैं की, आप दक्षिणी ध्रुवीय इलाकों में भी इस तरह के रोशनी को देख सकते हैं। दक्षिणी ध्रुवीय इलाकों में अंटार्टिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीप आते हैं। दक्षिणी ध्रुवीय इलाकों में दिखाई देने वाली रोशनी को “Aurora Australis” कहते हैं। यहाँ आप गौर करें तो पता चलेगा की, इसका नाम ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के नाम से ही आया हैं।
तो, अगर आप इन दोनों ही प्रकार के ध्रुवीय रोशनीयों देखना चाहते हैं तो, आपको किसी भी ध्रुव के पास मौजूद इलाके में जाना पड़ेगा। मित्रों! इन रोशनीयों को देखने के बाद शायद ही आप इनसे अपनी नजर हटा पाएं।
Aurora’s के बनने के पीछे का रहस्य – Why Does This Form? :-
अब आप लोगों के मन में ये सवाल जरूर ही आ रहा होगा की, आखिर इस प्रकार की रोशनियों के बनने के पीछे का राज क्या हैं? मित्रों! यकीन मानिए Aurora Borealis (northern lights in hindi) के बनने के पीछे का रहस्य बहुत ही दिलचस्प हैं। इसलिए मैंने सोचा हैं की, इसके बारे में आप लोगों मेँ अति सरलता के साथ बताऊंगा। तो, लेख के इस भाग को जरा तवज्जोह दीजिएगा। क्योंकि अगर आप इसको समझ गए तो, एक तरह से आप नॉर्दर्न लाइट्स के मूलभूत चीजों को भी समझ गए।
आप जानकर हैरानी होगा की, इन रोशनियों के बनने के पीछे की वजह सूर्य हैं। जी हाँ! मित्रों मूल रूप से रात के समय में दिखाई देने वाली ये खूबसूरत रोशनी सूर्य से ही बनता हैं। इसलिए सूर्य के बिना इन रोशनियों की कोई अस्तित्व ही नहीं हैं। वैसे आप लोगों को थोड़ा आश्चर्य इस लग रहा होगा की, रात में दिखाई देने वाली रोशनी के साथ सूर्य का क्या रिश्ता हो सकता हैं। खैर इसे समझने के लिए आप लोगों को आगे इस तरह से पढ़ते रहना होगा। आशा हैं आप लोगों को ये लेख पसंद आ रहा होगा।
ऐसे बनती हैं ये रोशनियां! :-
जैसा की हम बचपन से पढ़ते आए हैं की, सूर्य ही सकल शक्ति का आधार हैं। इसलिए पृथ्वी पर आज जो भी शक्ति मौजूद हैं वो प्रतक्ष या परोक्ष रूप से सूर्य से ही बना हैं। हालांकि! इसमें भी कई प्रकार के अपवाद मौजूद हैं। तो, मूल रूप से सूर्य पृथ्वी तक प्रकाश और ताप का ऊर्जा भेजता हैं। वैसे ये तरंगों के आकार में सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचता हैं। तरंगों में कई प्रकार के ऊर्जा के कण भी मौजूद रहते हैं। जो की पृथ्वी में मौजूद जीवन के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी हैं।
खैर ध्यान देने वाली बात यहाँ, ये हैं की जब ऊर्जा के कण सूर्य से पृथ्वी की और आते हैं तब एक विशेष तरह का घटना घटता हैं। ज़्यादातर ऊर्जा के कण सूर्य के वाह्य वातावरण में रह जाते हैं। कहने का तात्पर्य ये हैं की, पृथ्वी की बाहरी इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक क्षेत्र सूर्य से आने वाली ज़्यादातर ऊर्जा के कणों अपने अंदर सोख लेती हैं। वैसे इसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाती हैं। पृथ्वी का ये स्तर हमको सूर्य से आने वाली घातक कणों से हमारी रक्षा करता हैं। बिना इसके हमारी जान पल भर में ही चली जाती।
सूर्य और Aurora Borealis का रिश्ता! :-
मित्रों! सूर्य से आने वाले ऊर्जा के कणों की तीव्रता में काफी ज्यादा बदलाव दिखाई पड़ता हैं। वैज्ञानिकों का मानना हैं की, मूल रूप से “सोलर विंड” (Solar Wind) और “सोलर स्टोर्म्स” (Solar Storms) से ही काफी ज्यादा ऊर्जा के कण बनते हैं। वैसे “Coronal Mass Ejection” नाम के एक सोलर स्टोर्म से काफी ज्यादा ऊर्जा के कण निकलते हैं। कहा जाता हैं की, इस स्टोर्म के कारण अंतरिक्ष में भारी मात्रा में विद्युतीकृत गैस काफी तेजी से बन कर निकलते हैं। ऐसे में जब भी इस तरह का गैस पृथ्वी के पास से हो कर निकलता हैं, तब पृथ्वी की बाहरी इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक क्षेत्र गैस में मौजूद ऊर्जा के कणों को अपने अंदर सोख लेता हैं। क्योंकि ध्रुवीय इलाकों में ये क्षेत्र ज्यादा शक्तिशाली होता हैं, इसलिए सिर्फ इसी इलाके में ही Aurora Borealis (northern lights in hindi) जैसे ध्रुवीय रोशनी दिखाई देती हैं।
वैसे Aurora Borealis से जुड़ी एक बहुत ही खास बात ये भी हैं की, देखने में ये काफी ज्यादा लुभावनी लगती हैं। ये रोशनी देखने में काफी ज्यादा रंगीन और चमकीला होता हैं। इनके रंगों को देख कर आपको इंद्रधनुष की याद भी आ सकती हैं। वैसे इनके रंगीन होने के पीछे का राज पृथ्वी की वातावरण ही हैं।
Aurora Borealis के रंगीन व खूबसूरत होने की वजह! :-
दरअसल बात ये हैं की, जब सूर्य से आने वाली ऊर्जा के कण पृथ्वी के जलवायु में प्रवेश करते हैं तो; जलवायु में मौजूद अलग-अलग गैस ऊर्जा के कणों के साथ अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करके अलग-अलग रंग के रोशनी को बनाते हैं। मुख्य रूप से आप Aurora Borealis को चार प्रकार के रंग में देखने को पाएंगे। हमारे वायुमंडल में मौजूद ऑक्सिजन ऊर्जा के कणों से साथ मिलकर लाल और हरे रंग के रोशनी को बनाती हैं। ठीक इसी प्रकार से वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजेन ऊर्जा के कणों के साथ प्रतिक्रिया कर के नीले तथा बैंगनी रंग के रोशनी को बनाती हैं।
मित्रों! जाते-जाते और एक महत्वपूर्ण बात को बता कर जाऊं की, पृथ्वी के अलावा भी हमारे सौर-मंडल में मौजूद अन्य ग्रहों में भी इस प्रकार की ध्रुवीय रोशनी दिखाई पड़ती है।