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क्या आप सुंदर दिखते हैं, जानें प्रकृति की नजर से! – Why Nature Favors Symmetry?

प्रकृति ने आखिर समरूपता (Symmetry) को ही क्यों चुना?

हम जिस दुनिया में रहते हैं, वहाँ मूल रूप से दो ही चीजों को देखा जाता है। एक है सजीव और दूसरी है निर्जीव चीज़ें। ऐसे में अगर आप इन दोनों ही चीजों को गौर से देखेंगे, तो आपको पता चलेगा की, दोनों ही चीजों में एक बहुत ही खास बात छुपी हुई है। जितनी भी प्राकृतिक सजीव और निर्जीव चीज़ें है, हर किसी में आपको कहीं न कहीं समरूपता/ सिमिट्री (why nature favors symmetry) जरूर देखने को मिलेगी। वैसे पृथ्वी में मिलने वाली हर एक चीज़ में आपको सिमिट्री एक अहम भूमिका निभाते हुए नजर आएगी। ऐसे में सिमिट्री के बारे में और भी जानना हमारे लिए काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है।

प्रकृति में समरूपता - Why Nature Favors Symmetry?
हर जगह समरूपता मौजूद हैं। | Credit: Cuemath

सिमिट्री (why nature favors symmetry) के बारे में एक खास बात ये भी है कि, समरूपता वाली चीज़ें देखने में काफी सुंदर होती हैं। आप अगर ज्यादा ध्यान से देखेंगे तो पता लगेगा कि, जितने भी अच्छे दिखने वाले इंसान इस पृथ्वी पर है, उन सबके चेहरों पर समरूपता यानी सिमिट्री जरूर ही होगी। हमारा दिमाग इस तरीके से बना हुआ है कि, सिमिट्री वाले चीजों के ऊपर ही हमारा नजर सबसे पहले पड़ता हैं। इसलिए प्रकृति में सिमिट्री का होना एक हिसाब से सुंदरता का ही प्रतीक हैं।

और आज हम इसी सिमिट्री के बारे में ही जानेंगे और देखेंगे कि, आखिर ये समरूपता प्रकृति में इतनी जरूरी क्यों हैं?

प्रकृति में समरूपता (Symmetry) क्यों जरूरी है? – Why Nature Favors Symmetry? :-

आप प्रकृति में कहीं भी नजर दौड़ा लें, हर जगह आपको बहुत ही सरल और समरूप (why nature favors symmetry) वाले चीज़ें देखने को मिलेंगे। क्योंकि कभी भी प्रकृति ज्यादा जटिल और उलझन वाले चीजों को बनाने को सोचती ही नहीं। काम को जितना सरल और उलझनों से दूर रखा जाए, वो काम उतना ही सफल और मजेदार होता हैं। खैर जीव विज्ञान के हिसाब से समरूपता कोई अपवाद नहीं हैं और इसे आप अपने चारों तरफ देख सकते हैं। हमारा शरीर (दायां और बायां), पेड़-पौधे और यहाँ तक की समंदर में रहने वाले “Jelly Fish” जैसे जीव भी समरूपता को दिखाते हैं।

प्रकृति में समरूपता - Why Nature Favors Symmetry?
प्रकृति और समरूपता। | Credit: Math Curious.

वैसे जीव विज्ञान में असमरूपता काफी ज्यादा दुर्लभ होती है। आप ये भी कह सकते हैं कि, ज़्यादातर असमरूपता वाले चीजों की कोई जगह है ही नहीं। तो क्या ये सच है कि, प्रकृति में असमरूपता एवल्यूशन से आई है। आपको ये बात सुनकर बहुत ही अजीब लगेगा, परंतु खुद वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं। उन लोगों के हिसाब से प्रकृति खुद सुंदर व समरूप चीजों को ही पसंद करती है। एक खास बात ये है कि, गणित के हिसाब से समरूपता वस्तु के बहुत ही कम आकृतिओं को प्रदर्शित करता है। जो कि एक बहुत ही अजीब बात हैं।

खासकर के ज़्यादातर सजीव जीवों के अंदर समरूपता इस कदर फैल चुकी है कि, आपको ऐसा लगेगा ये तो सजीव जीवों के लिए ही बनी हुई है। समरूपता सिर्फ शरीर के हिस्सों में नहीं, परंतु हमारे मूलभूत जैविक कणों में भी बसा हुआ है। बता दूँ कि, इन जैविक कणों के बिना हमारा जीवन अस्तित्व में ही नहीं आ सकता था।

मूलभूत जैविक कणों में भी मौजूद है समरूपता! :-

आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण मूलभूत जैविक कणों में से एक कण प्रोटीन” में भी काफी हद तक समरूपता (why nature favors symmetry) दिखाई देता हैं। इन कणों के अंदर कई छोटे-छोटे हिस्से होते हैं, जो कि एक-दूसरे के प्रति एक समान आकृति रखते हैं। ये ही वजह है, जो कि प्रोटीन को काफी ज्यादा समरूप बना देते हैं। प्रोटीन के कुछ हिस्से तो अपने-आप को कई बार दोहराते हुए नजर आते हैं।

प्रकृति में समरूपता - Why Nature Favors Symmetry?
जीव विज्ञान और समरूपता। | Credit: Biology Dictionary

खैर अपने-आप को दोहरने वाली आकृतियाँ सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं हैं। कई कीड़ों में भी इस तरह की आकृतियाँ नजर आती हैं। वैसे वैज्ञानिकों के हिसाब से जीवों की इस आकृति के पीछे का राज काफी ज्यादा गहन है। क्योंकि प्रकृति अपने नियमों पर चलती हैं। वो हमेशा चीजों को ज्यादा सरल रखने कि कोशिश में रहती हैं और जीवों के अंदर समरूपता तथा दोहराव को इसी के कारण ही होने देती है। ज्यादा दोहराव माने चीजों का ज्यादा सरल और सुंदर बनाना। खैर इस बात को लेकर कुछ वैज्ञानिकों की कुछ अलग ही राय है।

वैज्ञानिकों का एक दल ये मानता है कि, जीवों के अंदर समरूपता “Natural Selection” के कारण ही हुआ है। काफी लोगों को ये भी लगता है कि, नैचुरल सिलेक्शन सिर्फ थ्योरी में ही नहीं परंतु प्रैक्टिकल में भी होता है। इसके अलावा नैचुरल सिलेक्शन के कारण एक जीव प्रकृति में आसानी से जिंदा रह सकता है, क्योंकि ये जीवों को ज्यादा आम/ साधारण बना देता है। जिससे वो प्रकृति के साथ घुल मिल जाते हैं।

समरूपता और प्रकृति! :-

समरूपता (why nature favors symmetry) और नैचुरल सिलेक्शन के बीच एक खास बात ये है कि, ये दोनों ही चीज़ें प्रकृति को बनाते है। बिना इन दोनों चीजों के प्रकृति में जीवों का अस्तित्व बचना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता। नैचुरल सिलेक्शन के कारण जीवों के अंदर हो रहे अनचाहे म्यूटेशन को आसानी से रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए आप कई सारे कीड़ों के अंदर हो रहे रंगों के बदलाव को देख लीजिए। अपने शिकारियों से बचने के लिए ये कीड़े अपने शरीर के रंग को आसपास के जगह के साथ मिला लेते है।

Butterfly and symmetry.
जीवों में समरूपता। | Credit: Procreate

जिससे ये शिकारियों के नजर में नहीं आते हैं। वैसे अपने शरीर के रंगों में फेर-बदलाव करने कि ये खूबी कीड़ों के अंदर ये दर्शाती है कि, जीव चाहे उन्नत हो या सरल, हर किसी में प्रकृति ने कुछ न कुछ खास चीज़ें छोड़ी हुई है। अपने शरीर के रंग को बदल कर जिस तरीके से कीड़ों ने अपने शिकारियों को चकमा दिया है, इससे ये साफ पता चलता है कि, म्यूटेशन के कारण हम किसी भी ताकत को हासिल कर सकते हैं। वैसे जो म्यूटेशन लाभकारी होता है, वो धीरे-धीरे एक जीव से दूसरे जीव और आखिर में पूरे प्रजाति में ही फैल जाता है।

इससे आखिर के अवस्था में एक स्टैबिलिटी का माहौल बन जाता है और वो गुण (म्यूटेशन के कारण होने वाला) एक साधारण सा लगने लगता है। यही वजह है कि, नैचुरल सिलेक्शन भी ज्यादा समरूपता वाले चीजों को वर्चस्व देता है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

अब कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि, आखिर समरूपता (why nature favors symmetry) ही क्यों इतनी गुरुत्वपूर्ण हैं? असमरूपता को क्यों प्रकृति नहीं अपनाती है?  मित्रों! इस सवाल का एक बहुत ही सरल उत्तर है और वो हैं “समरूपता वाले चीजों को बनाना बहुत ही ज्यादा सरल है”। समरूपता को बनने के लिए काफी कम जानकारी की जरूरत पड़ती है, परंतु इससे विपरीत असमरूपता वाले चीजों को बनने के लिए काफी ज्यादा जानकारी की जरूरत पड़ती है।

Symmetry and Life.
जीवन और समरूपता। | Credit: Catniplolife

वैज्ञानिकों ने प्रोटीन की बनावट को काफी गहन रूप से विश्लेषण किया है और इससे उन्हें ये पता चला कि, प्रोटीन के अब तक जितने भी म्यूटेशन हुए हैं वो सब काफी ज्यादा सरल है। प्रकृति कभी भी किसी भी चीज़ को ज्यादा जटिल बनाना नहीं चाहती है। अगर कोई चीज़ ज्यादा सरल व सफलता से हो रही है तो, जटिल चीजों के पीछे क्यों भागना?

तो, अगर जीव विज्ञान पूरे तरीके से जैविक म्यूटेशन के ऊपर ही काम करता है, तब रैंडम म्यूटेशन से मिलने वाली कई सरल जानकारी से हमारा ये जीव मण्डल चलता होगा। कहने का मतलब ये है कि, हमारी प्रकृति में पहले से ही इतनी सरल जानकारी है कि, अब हमें कोई नए जटिल जानकारी कि जरूरत नहीं है।

हालांकि! जब भी आप किसी सरल व सुंदर फूल को देख रहें है, तब आपको सिर्फ उसकी सुंदरता की नहीं परंतु उसकी सरलता के बारे में भी तारीफ करनी होगी। क्योंकि एक बहुत ही सरल व छोटे जैनेटिक सीक्वेंस ही वो बनी हुई है।

Source :- www.livescience.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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