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मानव मस्तिष्क की हैरान कर देने वाली बातें – Top Brain Research In Hindi

क्यों आपका मस्तिष्क इस ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर मशीन है, जिसे कोई नहीं समझ सकता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि इस अरबों प्रकाश वर्ष में फैले असीम ब्रह्मांड की सबसे जटिल और ताकतवर मशीन कौन सी हो सकती है? सबसे नई सभ्यता से लेकर के कल्पना से परे और पूरे ब्रह्मांड को नियत्रित करने वाली सभ्यता भी इस मशीन को आजतक समझ नहीं सकी है, तो आखिर मैं किस मशीन की बात कर रहा हूँ आइये अब गहराई में चलते हैं। इस मशीन के बारे में अगर आप गहराई से सोचोगे तो आप पाओगे की जिस मशीन की मैं बात कर रहा हूँ वो खुद आपके शरीर के अंदर मौजूद है, जिसे आप मस्तिष्क (Brain Research In Hindi) , दिमाग या Brain कहते हो।

मानव मस्तिष्क के जटिल प्रश्न

हर रोज 6200 से ज्यादा विचार करने वाली और हर सेकेंड 100 अरब से भी ज्यादा शरीर को संकेत देने वाली ये मशीन इस ब्रह्मांड की सबसे जटिल चीज़ है। हर जीव के अंदर मौजूद ये चीज़ हमारी बुद्धि और चेतना (Consciousness) के लिए जिम्मेदार है जिसकी मदद से हम कुछ सोच सकते हैं, और ब्रह्मांड को अपनी नजर से देख सकते हैं। प्राचीन युग में दिमाग के किर्या-कलाप को समझ-पाना और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चिन्हित करना बहुत मुश्किल काम था, पर आज हमारे पास आधुनिक गैजेट हैं जो दिमाग की पूरी 3D इमेज बना करे उसके काम करने के तरीके को समझ सकते हैं।

मानव मस्तिष्क (Brain Research In Hindi)
मानव मस्तिष्क की एक 3D Image.

इतना सब होने के बाद भी हमारे शरीर की इस सबसे जटिल मशीन की बहुत सी बाते हैं जिन्हें हम आजतक समझ नहीं सके हैं, हमें नहीं पता है कि कैसे कुछ लोगों का दिमाग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) को महसूस कर सकता है और बहुत से लोग इसे अपने पूरे जीवन में भी महसूस नहीं कर पाते, हम नहीं जानते कि हमारे अंदर जो चेतना है वो एक मशीन कैसे नियंत्रित करती है? क्यों हम कई बार अपने पैरों की पदचाप (Footsteps) की आवाज़ नहीं सून पाते बल्कि किसी और की हल्की सी आहट भी हम तुरंत सून लेते हैं, किसी भाषा को सीखते वक्त हमारा दिमाग (Brain Research In Hindi) कैसे काम करता है और कितना डेटा स्टोर कर सकता है? आइये जानते हैं। 

मस्तिष्क और उसका कार्य – Brain Research In Hindi

मनुष्य का मस्तिष्क (Brain) तंत्रिका तंत्र (Nervous System) एक कमांड सेंटर होता है जहां ये शरीर के संवेदक अंगों से आने वाले सिग्नल को प्राप्त करता है और उनकी जानकारी को माँसपेशियों (muscles) भेज देता है, जिस वजह से आप अपने हाथों और पैरों को हिला पाते हैं और हर काम कर पाते हैं। पर क्या आपको पता है कि आपके दिमाग (Brain Research In Hindi) को ये काम करने के लिए सबसे ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है, दिमाग में मौजूद 86 अरब से ज्यादा नर्व सेल्स (Neurons) लागातर इकेल्ट्रिक सिग्नल को प्राप्त करते हैं और उन्हें भेज देते हैं, ये सिग्नल बहुत छोटे से Electrical Impulse होते हैं , इसलिए ये आपके शरीर की 20 प्रतिशत ऊर्जा को इस्तेमाल करते हैं।

Neurons In Hindi - Brain In Hindi
Neurons, Credit: MIT

शरीर में सबसे ज्यादा उर्जा केवल आपका दिमाग ही इस्तेमाल करता है, इतनी उर्जा के प्रयोग के कारण कई बार आपने महसूस किया होगा कि आप जब ज्यादा सोचते हैं तो जल्दी ही आपको थकान महसूस होने लगती है। खैर ये तो ऐनेर्जी की बात थी, अब आगे मैं आपको दिमाग से जुड़ी एक ऐसी रिसर्च की ओर लेके जाऊँगा जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया था, पहली बार वैज्ञानिकों ने देखा था कि पृथ्वी का मैगनेटिक फ़ील्ड भी हमारे दिमाग को प्रभावित करता है। 

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और उसका आपके मस्तिष्क पर प्रभाव

आमतौर पर माना जाता था कि कुछ जीव पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) से अपने रास्ते ढूँढते हैं और उसी से वे एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं, पर हाल में ही हुई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों को पता चला है कि केवल दूसरे जीव ही नहीं बल्कि हम इंसानों पर भी पृथ्वी के मैगनेटिक फ़ील्ड का खास प्रभाव पड़ता है।

वैज्ञानिकों ने इसके प्रभाव को देखने के लिए 34 लोगों को एक बंद डार्क कमरे में कत्रिम मैगनेटिक फ़ील्ड के सामने बैठाया और फिर उनके दिमाग को स्कैन (Scan) किया, 34 में से 4 लोगों पर जो इसके परिणाम देखने को मिले वो पहली बार इसकी पुष्टि करते थे कि इंसान का दिमाग भी पृथ्वी के मैगनेटिक फ़ील्ड को डिटेक्ट (Detect) करता है। उन 4 लोगों के रिजल्ट से पता चला कि जब भी उनका दिमाग मैनेटकि फ़ील्ड के आसपास आता है तो उनके दिमागी तंरगे घटने लगती हैं जिससे वैज्ञानिक पता कर पाते हैं कि उनका दिमाग (Brain Research In Hindi) एक खास प्रकार के सिगनल को रिसीब कर रहा है जो वास्तव में एक मैगनेटिक फ़ील्ड है।

पथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field)

हालांकि ये रिसर्च एक दम नई है और वैज्ञानिकों के अनुसार ये केवल बहुत कम लोगो में होता है पर ऐसा क्यों होता है इसके पीछे की वजह साफ नहीं है, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे दिमाग में छोटे से मैगनेटिक पार्टिकल्स (Magnetic Particles) होते हैं जिनके कारण हम पृथ्वी के मैगनेटिक फ़ील्ड से प्रभावित हो जाते हैं। ये रिसर्च ये संकेत करती है कि अगर भविष्य में कोई मानव किसी दूसरे ग्रह पर बसना चाहेगा और वहां पर अगर मैगनेटिक फ़ील्ड पृथ्वी की तुलना में ज्यादा होगा तो उससे उसके दिमाग पर कुछ ना कुछ असर जरूर पड़ सकता है। 

आपक मस्तिष्क कई आवाजों को नहीं सुनता है

पर दिमाग (Brain Research In Hindi) केवल यहीं तक वैज्ञानिको को हैरान नहीं करता है, एक नई रिसर्च से पता चला है कि आपका दिमाग कई बार बहुत तरह की आवाज़ों को खुद से फिल्टर करता है जिस वजह से आप बहुत सी आजावाजों को सुन नहीं पाते। कई बार आपने नोटिस किया होगा कि आप अपने पैरों की पदचाप यानि चलते हुए पैरों की आवाज़ और फूटस्टेप्स को सुन नहीं पाते हो, वहीं जब दूसरा व्यक्ति आपके कमरे में हल्के से पैरों से भी घुसता है तो आप तुरंत उसकी आहट महसूस कर लेते हो।

आखिर ऐसा क्यों होता है और क्यों हमारा दिमाग एक Noise Cancellation Filter की तरह काम करता है आइये जानते हैं। हाल में चूहों पर हुई रिसर्च से पता चला है कि चूहों का दिमाग उसके पैरों की पदचाप (Footsteps) की आवाज़ को फिल्टर कर देता है, जिससे वह अपने आसपास दूसरे जीवों की आवाज़ और उनकी पदचाप को आसानी से सुन पाता है और अपने आप को शिकारियों से बचाता है। चूहे के दिमाग में ऐसा तब होता है जब Motor Cortex में मौजूद सेल्स Auditory Cortex के साथ एक खास तरीके से जुड़ जाते हैं। Motor Cortex दिमाग का वो हिस्सा है जो आपके मूवमेंट को कंट्रोल करता है, और Auditory Cortex आवाज को कंट्रोल करता है।

Motor Cortex and Auditory Cortex

चूहों और मानवों का दिमाग (Brain Research In Hindi) लगभग एक जैसा ही होता है इसलिए वैज्ञानिकों को मानना है कि शायद इसी वजह से हमें भी अपने पदचापों की आवाज़ सूनाई नहीं देती है।

पर हमारा दिमाग केवल पैरों की आवाज़ तक ही सीमित नहीं है, ये आवाज़ को फिल्टर करके आपको सोने में भी मदद करता है और सपनों को भी कंट्रोल करता है, ज्यादातर हमारा दिमाग बेकार की आवाज़ों को फिल्टर करके केवल काम की आवाज़ों को सुनने में मदद करता है। अब आगे बढ़ते हैं और समझते हैं कि हमारे अंदर जो चेतना है वो आखिर किस वजह से है और क्यों वैज्ञानिक इसे आजतक सही से समझ नहीं सके हैं।

क्या है मानव की चेतना का आधार?

लाखों सालों से मानव यही सोचता आया है कि आखिर वो कौन है, उसका आधार क्या है, क्या वो एक मशीन है जो एक खास प्रोग्राम के कारण दिमाग से चलती है, या वो इससे भी ऊपर है, उसके अंदर उठने वाले हजारों विचार और भावनाएं किसके द्वारा पैदा होते हैं। मानव का मन (mind) क्या है और क्यों वो वैज्ञानिकों की समझ से परे है?

चेतना (Consciousness) को अगर आसान भाषा में समझा जाये तो ये वो शक्ति होती है जिसकी मदद से आप अपने आस-पास के वातावरण को समझ पाते हो, आपको महसूस होता है कि आप कहां हो और क्या कर रहे हो। आपका मन आपके अंदर हजारों विचार पैदा करता है और उन्हीं विचारों को समझकर आप आगे कुछ निर्णय ले पाते हो।

चेतना को हम या तो विज्ञान की मदद से समझने की कोशिश करते हैं या दर्शनाशास्त्र (Philosophy) से समझने की कोशिश करते हैं, दोनों ही तरीकों के बावज़ूद जबसे मानव इस पृथ्वी पर है आजतक इसे समझ नहीं सका है, वैज्ञानिक हमेशा मन और मस्तिष्क के अंदर ही उलझे रहते हैं।

Frontal Pole Cortex Hindi - Brain Research In Hindi
Frontal Pole Cortex Hindi

हाल में ही हई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि चेतना हमारे दिमाग के सामने वाले हिस्से जिसे frontal pole cortex कहा जाता है उस पर निर्भर करती है। मानव मस्तिष्क (Brain Research In Hindi) का यही हिस्सा हमें जानवरों से अलग करता है और ज्यादा विकसित बना देता है, हम जानवरों की तुलना में ज्यादा सोच पाते हैं और उनसे बेहतर काम कर पाते हैं। जानवरों की तुलना में हमारे मस्तिष्क का ये हिस्सा ज्यादा बड़ा होता है संभव हो इसी प्रकार मानवीय चेतना बहुत विकसित और प्रभावशाली है, जिसने ब्रह्मांड के रहस्यों को भी समझ लिया है।  

पर कुछ वैज्ञानिक इस रिसर्च से एकदम अलग हटकर ये सोचते हैं कि इंसान के अंदर जो चेतना है वो वास्तव में पदार्थ का मूल नियम (Fundamental Rule) है जिसके कारण ब्रह्मांड के सबसे छोटे से कण इलेक्ट्रोन में भी कुछ हद तक चेतना होती है, ब्रह्मांड में मौजूद हर वस्तु में मन मौजूद होता है, जिस वजह से वो समय के साथ बदलती रहती हैं और ब्रह्मांड चलता रहता है। हालांकि ये एक फिलोसिफकल थ्योरी है जिसे Panpsychism कहा जाता है और इसका आधार हिन्दू धर्म के उपनिषदों पर ही है जिसमें हर चीज़ के अंदर आत्मा के अस्तित्व की बात की जाती है और आत्मा को ही चेतना का आधार कहा जाता है। अद्वैत वेदांत में इसके बारे में आप बहुत गहराई से पढ़ सकते हैं। 

Sources – livescience.com, MIT, California Institute Of technology. Nature.com

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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