
अंतरिक्ष के बारे में जब भी कोई बात आरंभ होती है, उसमें ज़्यादातर आपको सौर-मंडल तथा ब्लैक-होल जैसे चीजों की जिक्र अकसर देखने को मिलता है। 1916 में ब्लैक होल को खोजे जाने के बाद इंसानों का इसके प्रति रुझान होना स्वाभाविक है। आज हर कोई ब्लैक होल के बारे में कुछ न कुछ अवश्य ही जानता है। परंतु दोस्तों अंतरिक्ष में क्या सिर्फ ब्लैक होल ही होते है? मुझे तो नहीं लगता, क्योंकि व्हाइट होल (white hole in hindi) जैसी चीजों के बारे में भी मैंने सुना है। इन चीजों के बारे में शायद ज़्यादातर लोग नहीं जानते होंगे।

यही कारण है की, आज हमारा लेख व्हाइट होल (white hole in hindi) के ऊपर आधारित होगा। इस लेख के अंदर आप लोगों को व्हाइट होल के संदर्भ में हर छोटी-छोटी बातों से लेकर ये कैसे बना है और ये ब्लैक होल से कैसे भिन्न है उसके बारे में जानने को मिलेगा। वैसे और भी बता दूँ की, व्हाइट होल और ब्लैक होल आपस में जुड़े हुए है। इसलिए आप कह सकते है की, ये दोनों ही चीज़ें एक सिक्के के दो पहलू जैसे है। इसलिए इन दोनों ही चीजों के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है।
खैर चलिये अब लेख को आरंभ करते है और व्हाइट होल के बारे में जानते है।
व्हाइट होल आखिर किसे कहते है? – What Is White Hole In Hindi? :-
मित्रों! चलिये सबसे पहले व्हाइट होल (white hole in hindi) किसे कहते है उसके बारे में ही जान लेते है। वैज्ञानिकों के अनुसार “व्हाइट होल अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस-टाइम और सिंगुलरिटी की एक ऐसी जगह है जहां पर कोई भी चीज़ (ऊर्जा और प्रकाश को छोड़ कर) बाहर से अंदर की और नहीं जा सकती है, इसलिए आप इसे एक छेद की तरह भी देख सकते हैं जो की प्रकाश के कारण चमक रहा होगा”।
व्हाइट होल के अंदर सिर्फ और प्रकाश और ऊर्जा ही जा सकती है। ध्यान रखेंगे की व्हाइट होल और ब्लैक होल दोनों को ही “Einstein Field Equation” के माध्यम से बनाया गया है इसलिए कई वैज्ञानिकों का ये कहना है की ये दोनों ही चीज़ें एक दूसरे के विपरीत चीज़ है। वैसे दोनों ही ब्लैक होल और व्हाइट होल की अपनी-अपनी चार्ज, द्रव्यमान और गति है परंतु ये दोनों एक दूसरे से काफी अलग। इसके बारे में हम लेख में आगे चर्चा भी करेंगे।

अगर हम व्हाइट होल की इवैंट होरीज़ोन को ब्लैक होल के इवैंट होरीज़ोन के साथ जोड़ कर देखें तो पता चलेगा की, जो चीज़ व्हाइट होल के इवैंट होरीज़ोन को लांघ कर चली जाती है वो स्वतः अपने-आप ब्लैक होल के इवैंट होरीज़ोन को भी पार कर लेती है। हालांकि! इस क्षेत्र में स्पेस-टाइम का बहुत बड़ा हाथ है। जब भी कोई चीज़ व्हाइट होल के इवैंट होरीज़ोन को लांघती है तब ये भविष्य काल में ब्लैक होल के इवैंट होरीज़ोन को भी उसी समय लांघ रही होती है।
दोस्तों! व्हाइट होल के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना थोड़ा जटिल है, इसलिए हम आगे इसके बारे में सरल व महत्वपूर्ण बातों को जानने का प्रयास करेंगे।
क्या व्हाइट होल वाकई में होते है या नहीं? :-
मैंने ऊपर आप लोगों को व्हाइट होल (white hole in hindi) के बारे में सम्यक से बताया हुआ है, परंतु वहाँ पर मैंने आप लोगों को ये नहीं बताया की “क्या व्हाइट होले होते है या नहीं”? मित्रों! बता दूँ की इसी सवाल का जवाब हम यहाँ पर ढूँढने का प्रयास करेंगे। तो, चलिये आगे बढ़ते है इसके उत्तर को जानते है।.
कुछ वैज्ञानिक कहते हैं की, व्हाइट होल जैसी चीज़ कोई चीज़ नहीं होती है परंतु कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते है की व्हाइट होल जैसी चीज़ हमारे अंतरिक्ष में मौजूद है। इसलिए आज तक इस बात की पुष्टि करण नहीं मिल पाई है की, वाकई में क्या व्हाइट होल इस ब्रह्मांड में हैं या नहीं! वैसे इसके बारे में जानना बहुत ही मजेदार है।

जो वैज्ञानिक व्हाइट होल के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं, वो लोग इन्हे वर्म होल (Worm Hole) से जोड़ कर देखते है। आप लोगों ने अगर “Law Of Conservation Of Energy” के बारे में कुछ न कुछ पढ़ा होगा तो आप लोगों को पता होगा की ऊर्जा न ही बनाई जा सकती है और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है, इसे सिर्फ एक स्थिति (State) से दूसरे स्थिति में रूपांतरित किया जा सकता है। इसलिए जब भी कोई ब्लैक होल भारी मात्रा में ऊर्जा को अपने अंदर सोख कर क्षण भर में ही गायब हो जाता है तो उसके अंदर मौजूद ऊर्जा आखिर कहा जाता है।
स्वाभाविक है की, वो ऊर्जा किसी दूसरे रूप में ब्रह्मांड में रहता ही रहता है। मित्रों! इसी ऊर्जा से ही व्हाइट होल (White Hole In Hindi) की उत्पत्ति होती है। इसलिए आप लोग कह सकते हैं की, ब्लैक होल से ही व्हाइट होल जनम लेता है और ये आपस में जुड़े हुए है।
कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना है की व्हाइट होल नहीं है :-
हालांकि! हमने ऊपर ही व्हाइट होल (white hole in hindi) के अस्तित्व के बारे में चर्चा किया है, परंतु वो एक अनुमान मात्र है। अभी तक व्हाइट होल के उत्पत्ति के बारे में किसी को कोई सटीक जानकारी नहीं है। कुछ वैज्ञानिकों का ये कहना है की, अगर व्हाइट होल ब्लैक होल से बनता है और इसका विपरीत है तो; हमें ये भी मानना होगा की ये ब्लैक होल के विपरीत विघटित ऊर्जा को एक जगह केंद्रीभूत करके सितारों और आकाशगंगाओं को अपने अंदर से बाहर को निकालता है। क्योंकि जहां ब्लैक होल अपने अंदर खगोलीय चीजों को खा जाता है वहाँ व्हाइट होल इन्हीं ग्रसित चीजों को अपने मूल अवस्था में फिर से ला कर उन्हें वापस अंतरिक्ष में छोड़ देता है।

मित्रों! आप ही बताइए क्या ये वास्तविक तौर पर सही लगा रहा है? वैसे और भी बता दूँ की, लंबे समय तक कोई भी चीज़ भारी मात्रा में ऊर्जा का विक्षेपण अंतरिक्ष में नहीं कर सकता है। क्योंकि भारी मात्रा में ऊर्जा के विक्षेपण से वो चीज़ खुद ही अपने-आप में ढह जाएगा। इसलिए लंबे समय तक व्हाइट होल के अस्तित्व को मानना भी एक मुश्किल बात है।
ब्लैक होल और व्हाइट होल में अंतर क्या है? – Difference Between Black Hole And White Hole :-
चलिये मित्रों! अब हम ब्लैक होल और व्हाइट होल (white hole in hindi) के अंदर मौजूद भिन्नताओं को जान लेते है।
ब्लैक होल अपने आसपास मौजूद हर एक चीज़ को अपने अंदर समा लेती है। ये एक तरह से वैक्यूम क्लीनर की तरह है जो की ऊर्जा, प्रकाश और चीजों को सोख लेती है। इसके मध्य से किसी भी चीज़ का निकलना नामुमकिन है। प्रकाश तक भी इसके अंदर से नहीं निकल पाते है। इसलिए देखने में ये काले रंग का दिखता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे आकाशगंगा के मध्य में एक विशालकाय ब्लैक होल मौजूद है।

व्हाइट होल ब्लैक होल के विपरीत है। इसके अंदर कोई भी चीज़ प्रवेश नहीं कर सकती है। इसके आसपास मौजूद जीतने भी चीज़ है ये व्हाइट होल से हमेशा विकर्षित होते रहते है। इसके अंदर से बाहर प्रकाश और ऊर्जा जा सकती है। इसलिए देखने में ये चमकिल व उज्ज्वलित दिखाता है। ये अपने अंदर से बाहर की और सितारे और आकाशगंगाओं को भी निकालता रहता है जो की ब्लैक होल के द्वारा पहले सोख लिया गया होता है। इसलिए ये भी माना जाता है की, जो भी चीज़ ब्लैक होल के अंदर जाता है वो चीज़ व्हाइट होल के माध्यम से बाहर भी निकलता है। हालांकि इसके बारे में पुष्टि करण अभी आना बाकी है।
खैर, आने वाले समय में वैज्ञानिकों को लगता है की हमें कई जगहों पर व्हाइट होल देखने को मिल सकते है। तो, इसके बारे में हम आगे भी चर्चा करते रहेंगे।
Sources :- www.quora.com, www.futurism.com, www.phys.org, www.space.com,www.books.google.co.in