हमारा ब्रह्मांड हमें निरंतर विस्मित करता रहता है, इसमें उपस्थित अरबों तारे, ग्रह, आकाशगंगाएँ, निहारिकायें (Nebula) और ब्लैक होल्स वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली ही बने हुए हैं। हर तारा असीम उर्जा अपने अंदर लिये दहकता है तो हर ग्रह उसी तारे की परिक्रमा करता है। आकाशगंगाओं के विशाल समुह यानि गैलेक्सी कलस्टर और ब्लैक होल्स असीमित उर्जा ब्रह्मांड में छोड़ते ही रहते हैं, इनमें इतनी शक्ति (Power Scale In Hindi) होती है जिसे आप समझने में बहुत कठिनाई प्रतीत करते हैं। पर इस कठिनाई को ही सरल बनाने के लिए ये लेख आपके लिए है, इस लेख में आप पहली बार ब्रह्मांड के शक्तिशाली पिंडो की पावर को जानेंगे, इस पावर को आप मानवीय स्केल पर देखेंगे जिससे आपको इनकी असीम ताकत की एक स्केल समझने में आसानी होगी। तो आइये सबसे पहले शूरू करते हैं सूर्य से।
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शक्ति (Power) को कैसे नापें?
पावर को वैज्ञानिक वाट (Watt) में नापते हैं, समुचे विश्व में हर मशीन और इंसान की पावर को इसी युनिट में नापा जाता है। आसान शब्दों में पावर असल में उर्जा (Energy) की ही दूसरी युनिट है। इसमें हम हर सेकेंड कितने जूल ऐनेर्जी काम करने में खर्च हो रही है उसे नापते हैं जिसे वाट्स में लिखा जाता है, तो 1 वाट पावर असल में 1 सेकेंड में 1 जूल ऐनेर्जी को खर्च करने के बराबर है।
जो भी कार्य आप करते हैं उसे करने में जितनी पावर (Power Scale In Hindi) लगती है उसे वाट्स में नापा जाता है, स्मार्टफोन की लाइट से लेकर के आपके घर और पावर स्टेशन के पावर को आप हमेशा वाट्स य़ुनिट में ही पढते हैं। आपका वल्ब 5 वाट का है तो हर सेकेंड 5 जूल ऐनेर्जी को यूज कर रहा है और आपको लाइट दे रहा है। उसी तरह ब्रह्मांड में ही हर चीज काम करती है, हर सकेंड जितनी ऐनेर्जी कोई स्टार, सूपरनोवा और गामा रे रिलीज करते हैं वही उसका पावर यानि ताकत और शक्ति कहताली है।
सूर्य की शक्ति – Power Of Sun
करीब 30 W पावर पर आपका ब्रेन काम करता है, हर सेकेंड 30 जूल उर्जा उपभोग (Consume) करके ही हमारा दिमाग हमें सक्रिय रखता है, वहीं इससे 2 गुना और 60 W एक लाइट वल्ब की पावर होती है, इतने पावर पर बह चमकता है। आजकल ऐलईडी का जमाना है तो हमें इतने वाट की ऐलईडी मिल जाती है जो एक बल्ब से कई गुना प्रकाश फेंकती है।
100 W पर हमरा चयापचय (metabolism) काम करता है, जब हम रेस्ट में होते हैं तो हमारा शरीर टंपरेचर मेंटेन करने के साथ-साथ कई तरह के काम करता रहता है, इसके लिए वह हर सेकेंड 100 जूल ऐनेर्जी खर्च करता है, जो जाकर के 100 वाट्स बनती है, एक तरह से देखें तो आपका शरीर हर सेंकेंड आपके स्मार्टफोन की ऐलईडी लाइट से 100 गुना ऐनेर्जी रिलीज करता ही रहता है। इसी ऐनेर्जी और कहें तो पावर की खपत को कायम रखने के लिए हमें भूख लगती है तभी हमारा चयापचय काम करता रहता है।
पृथ्वी की कक्षा के हर कोने में सूर्य की शक्ति
अब इससे 7.5 गुना और कहें तो 745 W को एक हार्सपावर (Horsepower) कहा जाता है, ये भी पावर की युनिट है, जो ज्यादातर इंजन और मोटर्स के काम करने की ताकत को दर्शाती है। एक हार्सपावर असल में 250 किलो वजन को 1 सेकेंड में 1 फूट तक उठाने में लगने वाली पावर है। ज्यादातर कंपनी अपने इंजन की ताकत को इसी युनिट से दर्शाती हैं, जितने ज्यादा होस्रपावर उतना शक्तिशाली इंजन और मोटर होता है। 1 होर्सपावर और कहें तो 750 वाट्स से भी दो गुना Power यानि की 1400 watts पृथ्वी की कक्षा (Orbit) पर सूर्य द्वारा प्राप्त होती है, इस कक्षा के हर मीटर के हिस्से पर आपको 1400 watts सूर्य द्वारा प्राप्त होगें जो बताता है कि 15 करोड़ किमी दूर होते हुए भी सूर्य असल में कितना शक्तिशाली है।
एक सेकेंड में पूरी मानव जाति की पावर से 10 हजार गुना ताकत
20 TERAWATTS (2,00,00,00,00,00,000 W) साल 2019 में पूरी मानव जाति की पावर खपत थी। वहीं इससे 10 हजार गुना ज्यादा पावर हर सेकेंड पृथ्वी सूर्य से प्राप्त करती है। 15 करोड़ km दूर सूर्य 12,742 km व्यास की पृथ्वी को केवल अपनी 0.000000045% पावर ही देता है पर ये पावर भी आज की पूरी मानव जाती की 1 साल की खपत से 10 हजार गुना ज्यादा है।
आसान शब्दों में कहें तो हर सेकेंड सूर्य 174 Petajoules ऐनेर्जी पृथ्वी को देता है जो कि 41 मेगाटन टीएनटी (TNT) के बम के बराबर ही बनती है। ये बम हिरोशिमा पर गिराये गये परमाणु बम से 2500 गुना ताकतवर है, इसी से आप सूर्य की असीम शक्ति का अनुमान लगा सकते हैं।
अगर सूर्य की पूरी ताकत की बात करें तो वो जब चमकता है तो 3.84 × 10^26 W पावर छोड़ता है, यानि सूर्य की चमक (luminosity) इतने वाट्स की है ये कि अपने पावर से 60 W के करीब 600 खरब खरब बल्ब जला सकता है। पर ब्रह्मांड में सूर्य से भी ताकतवर सितार हैं।
सूर्य से ताकतवर सितारे
पृथ्वी से 1 लाख 60 हजार प्रकाश वर्ष दूर टैरंटुला नेब्युला (Tarantula Nebula) में उपस्थित है R136a1 सितारा जो कि अबतक का खोजा गया सबसे चमकदार और कहें तो ल्युमिनस स्टार है। ये सूर्य से 47 लाख गुना ब्राइट है, और इसका पावर आउटपूट 3*10^33 (3,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00,000) वाट्स है, ये हर सेकेंड इतनी ऐनेर्जी रिलीज करता है जितना हमारा सूर्य तीन महीनों में कर पाता है। इतनी ही ऐनेर्जी हर सेकेंड टाइप 3 सिविलाइजेशन भविष्य में यूज करने वाली है जो मेरे दिमाग को भी हिला देता है।
क्वाजार की शक्ति – Power of Quasars
पर इस स्टार से भी 10 लाख गुना ज्यादा ब्राइट एक क्वाजार (“Quasar”) होता है, आकार में विशाल और ब्लैक होल के कारण ये मैटर की एक डिस्क बनाता है जिसे ऐक्रिशन डिस्क कहते हैं। ये डिस्क ही ब्रह्मांड में इतनी ब्राइट हो जाती है कि इसे टेलिस्कोप 13 अरब प्रकाश वर्ष दूर से भी देख लेता है। अगर इसके पावर (Power Scale In Hindi) आउटपूट की बात करें तो ये 20 खरब सूर्यों से भी ज्यादा पावर जनरेट करता है।
गामा रे धमाके की ताकत – Power of Gamma ray burst
वहीं इससे 1 हजार गुना ज्यादा पावर एक गामा रे वर्सट में होती है, करीब 3 × 10^42 W की चमक लिए एक साधारण गामा रे विस्फोट सूर्य से 1 लाख खरब गुना ज्यादा चमकदार होता है। ये कई आकाशगंगाओं की चमक को भी पीछे कर देता है। जब एक महाविशाकाय तारा सूपरनोवा धमाका करके एक न्युट्रोन स्टार और ब्लैक होल में बदलता है तो तब जाकर के उतनी शक्तिशाली गमा रे ब्रह्मांडम में हमे दिखाई देती है। एक ही सेकेंड में ये खरबों सूर्यो जितनी उर्जा ब्रह्मांड में रिलीज कर देता है। पर इससे भी ज्यादा पावर आपको ब्लैक होल्स और ग्रेविटेशनल तरंगो (Gravitational Waves) में मिल सकती है।
ब्लैक होल्स और ग्रेविटेशनल तरंगो की ताकत – Power Of Black Holes and Gravitational Waves
हालांकि ब्लैक होल्स को खत्म होने में बहुत समय लगता है पर कोई ब्लैक होल जो कि आपके द्रव्यमान (Mass) से भी करोड़ों गुना कम मास का हो और तुरंत ही हाकिंग रेडिएशन से खत्म हो जाये तो वो गामा रे विस्फोट से भी 10 हजार गुना ज्यादा पावर रिलीज करके ही खत्म होगा। इसी से आप ब्लैक होल्स की ताकत को समझ सकते हैं, ब्ह्मांड में विशालकाय ब्लैक होल्स कई अरबों खरबों सालों में जाकर के खत्म होते हैं इसलिए हम इनकी पावर को सही से आंक नहीं पाते हैं पर जब यही ब्लैक होल्स आपस में टकराते हैं और इनकी टक्कर से ब्रह्मांड में जो हलचल होती है और ग्रेविटी की एक तरंग बनती है उसकी पावर आजतक की सबसे ज्यादा आंकी गई पावर है।
साल 2015 में LIGO द्वारा जब पहली बार एक ग्रेविटेशनल वेब्स को डिटेक्ट किया गया और उसकी पावर की गणना की तो सभी वैज्ञानिक हैरान रह गये, करबी 3.6 × 10^49 W यानि 3 के पीछे 49 जीरो लगादो इतने वाट पावर (Power Scale In Hindi) इन वेब्स में थी जो कि केवल दो ब्लैक होल्स जो कि सूर्य से 40 और 30 गुना भारी थे उनके आपस में टकराने से पैदा हुई थी। सोचिए जब दो महाविशालकाय ब्लैक होल्स जिनका मास अरबों सूर्यों के जितना होगा वो आपस में टकरायेंगे तो कितनी पावर और ऐनेर्जी रिलीज करेंगे हम शायद उसकी कल्पना भी ना कर पायें, इसी से पता चलता है कि ब्रह्मांड में हमारी कोई खास पहचान नहीं है हम इसके स्केल के सामने बहुत बहुत छोटे हैं, इसके आकार और शक्ति को हम शायद ही कभी समझ पायें।