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यह सिद्धांत खोलेगा पृथ्वी पर जीवन के आने का राज! – Panspermia Theory In Hindi

क्या पृथ्वी पर जीवन को परग्रहियों ने लाया था? क्या उन्होने इंसानों को यहाँ पृथ्वी पर छोड़ा था!

मिल्की वे के अंदर सिर्फ हमारा ही सौर-मंडल ऐसा है जहां पर आपको जीवन की संज्ञा अपने आँखों से देखने को मिलती है। हालांकि! हमारे सौर्य-मंडल की ही तरह दूसरे सौर-मंडलों के अंदर भी जीवन देखने को मिल सकती हैं, परंतु वर्तमान के समय में वह संभव नहीं हो सका है। खैर जब मैं हमारे सौर-मंडल में जीवन के होने की बात करता हूँ, तब आप समझ जाना की मेँ यहाँ पर पृथ्वी की ही बात कर रहा हूँ। पृथ्वी पर जीवन 4.28 अरब साल पहले आया था और इंसान सिर्फ 2 लाख साल पहले आए थे। तो, यहाँ यह सवाल उठता है की पृथ्वी पर इंसान के आने से अरबों साल पहले आखिर जीवन कैसे यहाँ पर आया, क्या यह पंसपेर्मिया सिद्धांत (panspermia theory in hindi) का नतीजा हैं?

What is Panspermia.
पृथ्वी पर पंसपेर्मिया का प्रभाव| Credit: Celestis.

मित्रों! अकसर वैज्ञानिक पृथ्वी पर जीवन के आने की बहुत सारे सिद्धांत का उदाहरण देते हुए, लोगों को यह समझते हैं की शायद जीवन इन-इन सिद्धांतों के जरिए पृथ्वी पर आई होगी| परंतु इन सभी सिद्धांतों का सही तरीके से पुष्टि-करण नहीं हो सका है। परंतु हाँ! पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) जैसे ऐसे भी सिद्धांत है जिनको शायद पूर्ण रूप से नकारा भी नहीं जा सकता है।

तो, चलिए एक नजर इस पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) के सिद्धांत के ऊपर भी डाल लेते हैं, क्योंकि शायद भविष्य में इससे ही पृथ्वी पर जीवन के आने की राज का खुलासा हो जाए।

आखिर पंसपेर्मिया सिद्धांत क्या है? – What Is Panspermia Theory In Hindi? :-

अब ज़्यादातर लोगों को पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) के बारे में बहुत ही थोड़ा पता होगा, क्योंकि स्कूल में इसके बारे में बहुत ही कम पढ़ाया जाता है। इसी कारण से लोगों को पंसपेर्मिया की संज्ञा के बारे में पता नहीं होता है। तो, सबसे पहले इसकी संज्ञा को सरल भाषा में जानते हैं।

कुछ वैज्ञानिकों के हिसाब से पृथ्वी पर जीवन उल्कापिंडों के माध्यम से, अंतरिक्ष की धूल में बसे माइक्रो-ऑर्गेनिज्म के माध्यम से, धूमकेतु के जरिए या किसी परग्रही अंतरिक्ष यान के माध्यम से आया है; जो कि शायद एक बीज के भांति एक दूसरे आकाशगंगा से लाई गई है और यहाँ पृथ्वी पर रोपित कर दी गई है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे पृथ्वी में जीवन पूर्ण रूप से बाहरी ब्रह्मांड से लाई गई किसी परग्रही सभ्यता का ही नतीजा है। इसके अलावा वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि पंसपेर्मिया सिद्धांत के अनुसार जैसे खेतों के अंदर फसल के बीजों को पानी के छींटों की तरह खेत के एक बहुत ही बड़े हिस्से में फेंका जाता है, ठीक उसी तरह पूरे ब्रह्मांड में जीवन भी ऐसे ही फैला हुआ है। हमारे सौर-मंडल की ही तरह कहीं दूर भी एक दूसरे सौर-मंडल में जीवन अवश्य ही होगा।

पंसपेर्मिया के प्रकार और इससे जुड़ी दिलचस्प बातें :-

मित्रों! मेँ आपको यहाँ बता दूँ की वैज्ञानिकों ने पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) के सिद्धांत को उसके काम करने की ढंग के आधार पर 4 से 5 प्रकारों में बांटा हैं| तो, चलिए एक नजर उन सभी प्रकारों के ऊपर भी डाल लेते हैं|

1. रैडिओ पंसपेर्मिया :-

1903 में स्वांते आरहेनियस (Svante Arrhenius) नाम के एक वैज्ञानिक ने यह सुझाव दिया कि रैडिएशन प्रेशर के चलते जीवन हमारे पृथ्वी पर कई दूर बसे सितारों से आया है। मैं आपको यहाँ और भी बता दूँ कि रैडिएशन प्रेशर साधारण तौर पर बड़े-बड़े सितारों के अंदर पाया जाता है।

खैर, इससे जुड़ी एक रोचक बात यह है कि सूर्य के रैडिएशन प्रेशर के कारण 1.5 माइक्रोमीटर आकार का एक कणिका ही सिर्फ अंतरिक्ष में एक से दूसरी जगह जा सकता है। तो, जब कणिका का आकार बढ़ेगा तो उसी हिसाब से इसे एक से दूसरी जगह ले जाने वाले रैडिएशन प्रेशर की मात्रा भी बढ़ेगी।

2.लिथो पंसपेर्मिया :-

मित्रों! लिथो पंसपेर्मिया के जरिए वैज्ञानिक कहते हैं कि ब्रह्मांड में जितने भी जीवन के स्वरूप देखने को मिलते हैं, वे सब स्वरूप एक विशेष प्रकार के पत्थर से आए हुए हैं। अगर मैं यहाँ पर सरल भाषा में कहूँ तो, लिथो पंसपेर्मिया के जरिए ग्रहों और सौर-मंडलों के बीच मौजूद ठोस पत्थरों के जरिए हमारे पृथ्वी तक जीवन का संचार हुआ है।

यह प्रक्रिया मूल रूप से तीन चरणों में होती है। पहले चरण में जीवन की पहली आशा यानी माइक्रो-ऑर्गेनिज्म एक ग्रह के वातावरण से निकलते हैं। इस प्रक्रिया के दूसरे चरण में ये माइक्रो-ऑर्गेनिज्म प्रतिकूल अवस्था में अंतरिक्ष में लंबे समय तक यात्रा करते हैं। बाद में जब एक सही ग्रह मिल जाता है, तब ये माइक्रो-ऑर्गेनिज्म उसी ग्रह के वातावरण में प्रवेश करके उस ग्रह पर पुनः जीवन का संचार करते हैं।

Alien and Human.
क्या परग्रहिओं ने पृथ्वी पर जीवन को लाया था! – Credit:The Daily Beast.

 

3. डाइरेक्टेरेड पंसपेर्मिया :-

यह जो पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) का प्रकार है न मित्रों! यह बहुत ही गज़ब की प्रक्रिया है। कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि हमारे पृथ्वी पर जान-बूझ कर कहीं दूर से जीवन को भेजा गया है। इसलिए इसे डाइरेक्टेड पंसपेर्मिया भी कहते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि कहीं दूर से परग्रहीओं ने हमारे पृथ्वी पर जीवन का संचार किया है।

वाकई में यह पंसपेर्मिया का सिद्धांत किसी भी इंसान की जीवन से जुड़ी सोच को भी आसानी से बदल सकता है। खैर, जीवन से याद आया, मैंने इससे पहले जीवन से जुड़ी एक बहुत ही ज्ञानवर्धक और मूलभूत लेख आपके लिए लिखा हुआ है। जहाँ पर आपको जीवन की मूल संज्ञा, इसके होने का कारण और इससे जुड़ी हैरान कर देने वाली तथ्य पढ़ने को मिलेंगी।

तो, चलिए अब पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) के ऊपर आधारित इस लेख में आगे बढ़ते हुए इसके अन्य प्रकारों के ऊपर एक नजर डालते हैं।

4. स्यूडो पंसपेर्मिया :-

स्यूडो पंसपेर्मिया यानी झूठी पंसपेर्मिया। सुनकर थोड़ा अनोखा सा प्रतीत होता है, लेकिन यह पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) का प्रकार वास्तव में एक बहुत ही गज़ब की खगोलीय प्रक्रिया है। इसके अनुसार, जीवन की पहली शुरुआत हमारे ही सौर-मंडल के अंदर हुई थी। जी हाँ! आपने सही सुना, जब हमारा सौर-मंडल बन रहा था, तब कुछ ऑर्गेनिक पदार्थ आपस में मिलकर जीवन की पहली किरण हमारे सौर-मंडल के ग्रहों पर डाली थी।

यहाँ पर गौर करने की बात यह है कि शायद इसी वजह से हमें मंगल पर आज भी कई हजारों साल बाद जीवन की कुछ न कुछ संज्ञा देखने को मिलती है।

पंसपेर्मिया (panspermia theory in hindi) और परग्रही जीवन :-

पंसपेर्मिया और परग्रही जीवन को वैज्ञानिक हमेशा से ही एक-दूसरे से जोड़कर देखते हैं। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि जीवन की उत्पत्ति की प्रक्रिया करीब-करीब 13.8 अरब साल पहले से ही शुरू हो गई थी। इस समय में ऑर्गेनिक कण आपस में मिलकर जीवन संबंधी मौलिक कारकों के निर्माण में जुटे हुए थे।

ब्रह्मांड में अब तक वैज्ञानिकों ने 3,500 ऐसे ग्रहों को ढूंढ निकाला है, जहां पर जीवन के होने की बहुत ही ज्यादा संभावनाएं बनी हुई हैं। ये सारे ग्रह पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन्हीं ग्रहों के अंदर परग्रही सभ्यता का होना लगभग सुनिश्चित है, क्योंकि यहाँ से वैज्ञानिकों को आए दिन जीवन से जुड़े कुछ न कुछ सबूत मिलते रहते हैं।

इसके अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसानों के अंदर होने वाली कुछ बीमारियाँ भी परग्रही सभ्यता से आई हुई हैं। जी हाँ! आपने सही सुना, एचआईवी और सार्स नाम की कई बीमारियाँ हमारे पृथ्वी पर दूर अंतरिक्ष से आई हुई हैं। तो, यहाँ पर गौरतलब बात यह बनती है कि इन बीमारियों के बढ़ने के लिए एक जीवित जीव की जरूरत पड़ती है और बिना जीवित जीव के ये रोग इतने दूर से पृथ्वी तक फैल भी नहीं सकते हैं।

तो, क्या सच में हमारे सौर-मंडल से कुछ प्रकाश वर्ष दूरी पर परग्रही सभ्यता मौजूद है? क्या सच में हमें परग्रहीओं के द्वारा यहाँ पृथ्वी पर छोड़ा गया है? आपको इसके बारे में क्या लगता है दोस्तों, जरूर बताइएगा।

Source :- www.arxiv.org

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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