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ये सौरमंडल की सबसे खरनाक और हिंसक जगह है – Pallas Asteroid In Hindi

अगर यहां पहुंचे तो आपको एक हेलमेट की जरूरत होगी, नहीं तो आप टिक नहीं पायेंगे।

नई मिली छवियों से पता चलता है कि सौर-मंडल की एक उल्का जो कि सबसे विचित्र और रहस्यमयी है, उसके ऊपर इतने गढ्ढों के निशान हैं जिससे लगता है मानों इसपर कई बार दूसरी उल्काओं की टक्करे होती रही हैं। 318 मील (512 किलोमीटर) व्यास वाला पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) , मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट (Asteroid Belt) में तीसरा सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है, जब 1802 में पल्लास की खोज की गई थी, तो यह अभी तक पाया गया दूसरा क्षुद्रग्रह था, और इसके खोजकर्ता, जर्मन खगोलशास्त्री हेनरिक विल्हेम मैथ्यूस ऑलबर्स ने मूल रूप से इसे एक ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया था। 

पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) का अजीब परिक्रमा चक्र

पल्लास उल्का को अंतरिक्ष में एक अजीब मार्ग को अनुसरण करने के लिए जाना जाता है, ये मुख्य उल्का बेल्ट (Asteroid Belt) से अंदर और बाहर निकलता है क्योंकि यह सूर्य के चारों ओर एक पथ का अनुसरण करता है जो कि ग्रहों की कक्षाओं की तुलना में बहुत ही ज्यादा तिरछा है। पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के ऊपर और नीचे उत्तर और दक्षिण की ओर खुद ही चक्कर लगाता है, जिससे इसके अजीब परिक्रमा चक्र का पता चलता है। 

Pallas Asteroid Orbit Hindi

अब, नई छवियां उस अज्ञात यात्रा के परिणाम दिखाती हैं।

“इन छवियों से, हम अब कह सकते हैं कि Pallas सबसे अधिक गड्ढा वाली (most cratered object) वस्तु है जिसे हम क्षुद्रग्रह बेल्ट के बारे में जानते हैं। यह एक नई दुनिया की खोज करने जैसा है,” MIT के खगोलविद Michaël Marsset ने छवियों का परीक्षण करते हुए एक प्रमुख लेखक के बारे में कहा।

यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी की वेरी लार्ज टेलीस्कोप द्वारा ली गई क्षुद्रग्रह पल्लास (Asteroid Pallas) की एक छवि।  (Image: © ESO/Vernazza et al.)

ऐसे बनें हैं इसमें कई क्रेटर

क्षुद्रग्रह बेल्ट (Asteroid belt) में क्षुद्रग्रह बहुत तेजी से अपने परिक्रमा पथ (Orbit) पर चलते हैं। कई बार इन सभी उल्काओं की ओरबिट समान होने के कारण इनमें भीषण टक्कर हो जाती है जिससे कई छोटी उल्काएं बड़ी उल्कओं से टकराकर उनमें गढ्ढे यानि क्रेटर बना देती हैं।

ये ठीक वैसा है जैसा कि एक हाइवे पर अगर 129 किमो प्रतिघंटे की रफ्तार से कोई ट्रक चल रहा हो और ठीक उसके आगे आपकी कार 132 किमो प्रतिघंटे से चलरही हो, तो जब आपकी स्पीड कम हो या ट्रक अपनी थोड़ी सी स्पीड बढ़ाये को हल्की -फुल्की टक्कर की आशंका होती है जिससे आपकी कार पर डेंट पड़ सकते हैं या ट्रक पर भी कई निशान बन सकते हैं। उल्कापिंड की बेल्ट में बड़े उल्का और छोटे उल्का के बीच ये आपसी खींचतान होती ही रहती है, पर पल्लास नाम की ये उल्का कुछ ज्यादा ही गढ्ढों के सबूत देती है जो कि एक असामान्य घटना है।

जब पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) गुजरता है, तो ऐसा लगता है जैसे कि एक मालगाड़ी ने उस हाइवे पर तिरछी गति से गाड़ी चलाई हो, जिससे स्टील और प्लास्टिक की कारों में विस्फोट हो गया हो, पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) की गति इतनी है कि वो उसे कंट्रोल नहीं कर पाता तो वह आगे इसी तरह ही सबसे टक्कर मारता रहता है।

पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) पर होतीं है सबसे ज्यादा टक्करें

अरबों सालों से पल्लास इसी तरह के पैटर्न का अनुसरण करता आ रहा है जब भी सूर्य की परिक्रमा करते हुए इस बेल्ट के नजदीक आता है तो उस पर उल्काओं की बौछार और खुद की टक्कर से लाखों गढ्ढे बन जाते हैं। इन्हें क्रेटर कहा जाता है, ये हमारे चांद पर भी हैं पर पल्लास पर दिखे ये क्रेटर किसी और उल्का या उपग्रह पर दिखे क्रेटरों की संख्या से बहुत-बहुत ज्यादा हैं। इसी वजह से ये हमें कम रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरों में गोल्फ की गेंद की तरह दिखाई देता है।

Ceres और Vesta से भी दो से तीन गुना ज्यादा ये टक्करों को अनुभव करता है, ये दोंनो पिंड सौर-मंडल से सबसे बड़े उल्काओं में आते हैं जो कि एस्टेरोइड बेल्ट में रहकर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह के बीच ये बेल्ट पाई जाती है।

चिली में स्थित यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (European Southern Observatory) के बहुत बड़े टेलीस्कोप में SPHERE उपकरण का उपयोग करके कैप्चर की गई छवियां बताती हैं कि Pallas में कम से कम 36 क्रेटर ऐसे हैं जो व्यास में 18 मील (30 किलोमीटर) से बड़े हैं, जबकि इस उल्का की भूमध्य रेखा (Equator) पर करीब 400 km का सबसे विशाल क्रेटर भी मौजूद है जो कि किसी 40 किलोमीटर के उल्का के टकराने से इस पर बना था। पल्लास (Pallas Asteroid In Hindi) के दक्षिणी गोलार्ध (southern hemisphere) पर एक उज्ज्वल स्थान (Bright Spot) है जिसे लेकर शोधकर्ता मान रहे हैं कि ये शायद वहां पर जमा एक बड़े नमक भंडार की वजह से हो।

वैज्ञानिकों ने नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में 10 फरवरी को प्रकाशित एक अध्ययन में अपने निष्कर्षों को विस्तृत किया था। आप इसे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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