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N79 Nebula In Hindi – मिल्की वे से 100 गुना तेजी से बनते हैं यहां तारे

क्या यहां पैदा हो रहे हैं ब्रह्मांड के सभी तारे? क्या है इसका रहस्य?

हमारी मिल्की वे गैलेक्सी में हर साल केवल 3 तारे ही जन्म ले पाते हैं। यह तथ्य नासा सहित सभी वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित करता रहा है। हालाँकि, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने हाल ही में हमारी गैलेक्सी के बाहर एक ऐसे क्षेत्र की खोज की है जो इस रहस्य का समाधान कर सकता है। इस नए खोजे गए क्षेत्र में अनेक तारे और तारों के समूह बनते हुए पाए गए हैं। यह छोटा सा क्षेत्र (N79 Nebula In Hindi) इतने तारों का निर्माण कर रहा है जितने हमारी मिल्की वे गैलेक्सी कई सालों में भी नहीं बना पाती। आखिर यह क्षेत्र कौन सा है और क्यों नासा सहित सभी अंतरिक्ष एजेंसियाँ इस पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं? आइये जानते हैं –

ब्रह्मांड का एक नया नज़ारा

इस साल की शुरुआत में, जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने एक अद्भुत खोज की। उसने पृथ्वी से 1 लाख 63 हजार लाइट ईयर दूर स्थित लार्ज मैगनेलिक क्लाउड (LMC) के एक विशालकाय नेब्युला की इमेज कैप्चर की है। ये क्लाउड, मिल्की वे गैलेक्सी की सैटलाइट गैलेक्सी है। जैसे चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, वैसे ही यह गैलेक्सी मिल्की वे के साथ ग्रैविटी द्वारा बंधा हुआ है और उसकी परिक्रमा करता है।

N79 नेब्युला: तारों का जन्मस्थान

इस क्लाउड के अंदर जेम्स वेब ने N79 नाम के एक विशाल नेब्युला की तस्वीर ली। नेब्युला दरअसल गैस और धूल का एक विशाल बादल होता है, जहां नए तारे पैदा होते हैं। N79 नेब्युला (N79 Nebula In Hindi) में हाइड्रोजन गैस की भरमार है, जो नए तारों के निर्माण के लिए सबसे जरूरी तत्व है। यह नेब्युला 1600 लाइट ईयर में फैला हुआ है और इसे एच2 रीजन (H II region) के रूप में जाना जाता है।

लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (LMC) में N79 नेब्युला का स्थान।

एच2 रीजन (H II region): तारों की फैक्ट्री

एच2 रीजन (H II region) में आइनाइजड हाइड्रोजन (Ionized Hydrogen) के बादल होते हैं, जिनमें हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉन भागने की ओर होते हैं। इस कारण से, इस रीजन का तापमान 10 हजार डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और यहां तारे तेजी से बनते हैं।

N79 की इमेज: – N79 Nebula In Hindi

जेम्स वेब टेलिस्कोप ने N79 की इमेज मिड इंफ्रारेड वेवलेंथ पर कैप्चर की है। इंफ्रारेड में हम नेब्युला की धूल को पार करके इसके अंदर के ब्राइट रीजन को देख सकते हैं। N79 की इमेज में तीन विशालकाय मोल्युकलर क्लाउड दिखाई देते हैं, जो इसके साउथ के हिस्से में हैं। वैज्ञानिक इस रीजन को N79 South और S1 भी कहते हैं।

N79 nebula Image
मिड- इंफ्रारेड वेवलेंथ  पर N79 नेब्युला की इमेज। इस इमेज को जेम्स वेब टेलीस्कोप से लिया गया है। CREDIT
ESA/Webb, NASA & CSA, M. Meixner

वेब टेलिस्कोप ने N79 (N79 Nebula In Hindi) के सबसे ब्राइट रीजन पर फोकस किया है, जहां से 6 स्पाइक दिखाई देती हैं। जब भी किसी टेलिस्कोप से किसी बेहद चमकीले तारे या क्षेत्र की तस्वीर ली जाती है, तो उसमें इस तरह की स्पाइक या रेखाएँ बन जाती हैं।

हबल टेलिस्कोप की तस्वीरों में ये स्पाइक चार होती हैं, लेकिन वेब टेलिस्कोप में लगे 18 हेक्सागोनल आकार के दर्पणों के कारण हमें छह स्पाइक दिखाई देती हैं। ये स्पाइक इस नेब्युला में सबसे चमकीले तारों के समूह यानी क्लस्टर की ओर इशारा करती हैं। इसका कारण यह है कि यहां लगातार नए तारे बन रहे हैं, जिन्हें प्रोटोस्टार कहते हैं।

प्रोटोस्टार

वेब ने N79 के इस रीजन में कई प्रोटोस्टार खोजे हैं, जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रहे हैं। प्रोटोस्टार वे तारे होते हैं जो अभी भी अपने पैरेंट क्लाउड से मास इकट्ठा कर रहे होते हैं और आकार में विशाल होते हैं। असल में ये तारे के जन्म की पहली स्टेज होती है।

लार्ज मैगनेलिक क्लाउड का चयन क्यों?

साल 2017 में, जब वैज्ञानिकों ने तारों के जन्म की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने का फैसला किया, तो उनकी नज़र लार्ज मैगनेलिक क्लाउड पर गई। यह क्लाउड हमारी मिल्की वे गैलेक्सी का एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन यहां तारे बहुत तेजी से बन रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस क्लाउड में अभी भी बहुत सारी गैस और धूल मौजूद है, जो नए तारों के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री है।

तारों का जन्म: एक करीबी नज़र

जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से, वैज्ञानिकों ने N79 नेब्युला (N79 Nebula In Hindi) के अंदर तारों के जन्म की प्रक्रिया को बेहद करीब से देखा है। यह ऐसा है जैसे हम अपनी आंखों से देख रहे हों कि एक नया तारा कैसे पैदा होता है। नेब्युला के अंदर घूमती हुई गैस और धूल धीरे-धीरे एक गेंद के आकार में सिकुड़ने लगती है। जैसे-जैसे यह गेंद छोटी होती जाती है, इसका तापमान बढ़ता जाता है। जब तापमान इतना अधिक हो जाता है कि नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो एक नया तारा पैदा हो जाता है।

पड़ोसी नेब्युला से टक्कर

इस विशाल नेब्युला में तारे, इससे पहले खोजे गए सबसे बड़े नेब्युला यानी टारंटुला नेब्युला (Tarantula Nebula) की तुलना में दोगुनी तेजी से बन रहे हैं। जेम्स वेब ने सितंबर 2022 में इस नेब्युला की तस्वीर ली थी। यह नेब्युला इतना चमकीला है कि इसे पृथ्वी से भी आसानी से देखा जा सकता है। लगभग 1800 प्रकाश-वर्ष में फैला यह नेब्युला अब 30 डोराडस के नाम से जाना जाता है।

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वेब टेलीस्कोप द्वारा नियर इंफ्रारेड वेवलेंथ में ली गई  टारंटुला नेब्युला के 340 प्रकाश वर्ष क्षेत्र की इमेज। यहां आप तारों को बनते हुए देख सकते हो। Credits: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team

जेम्स वेब द्वारा ली गई इस इन्फ्रारेड तस्वीर में आप इसके केवल 340 प्रकाश-वर्ष के हिस्से को देख सकते हैं, जहां केंद्र में कई हल्के नीले रंग के नए जन्म ले रहे तारे दिखाई देते हैं। वैज्ञानिक इस क्षेत्र को NGC 2070 के नाम से जानते हैं। यह वास्तव में एक तारों का समूह है जहां कई तारे गुरुत्वाकर्षण के कारण एक साथ एक समूह बनाते हैं।

तारों का अद्भुत क्षेत्र

इसी तारों के समूह को और ज़ूम करने पर, आपको एक और अद्भुत क्षेत्र दिखाई देगा, जहां तारे इतने पास हैं कि इस क्षेत्र की चमक के कारण ही इस विशाल नेब्युला को अपनी पहचान मिली है। R136 नाम का यह तारों का समूह अपने अंदर 72 प्रकार के वुल्फ-रेयेट स्टार (Wolf- Rayet Star) रखता है।

ये ब्रह्मांड के सबसे गर्म तारे हैं, जिनकी सतह का तापमान 2 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो कि सूर्य से 40 गुना अधिक है। इस पूरे समूह का द्रव्यमान 4 लाख 50 हजार सूर्यों के बराबर है, जिससे पता चलता है कि यहां अभी भी कई और तारे बन सकते हैं।

स्टारबर्स्ट रीजन: ब्रह्मांड की स्टार फैक्ट्री

R136 जैसे अत्यंत चमकीले क्षेत्रों को स्टारबर्स्ट रीजन कहा जाता है। ये वे क्षेत्र हैं जहां तारे अत्यधिक गति से बन रहे होते हैं। इनके माध्यम से हम ब्रह्मांड के उस प्राचीन काल में झाँक सकते हैं जब बिग बैंग के बाद नए तारे बनने शुरू हुए थे।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई N79 नेब्युला (N79 Nebula In Hindi) की तस्वीर में सबसे चमकीला हिस्सा एक ऐसा ही स्टारबर्स्ट रीजन है। नासा का मानना है कि यह क्षेत्र टारंटुला नेब्युला के R136 से भी अधिक चमकीला है, जो दर्शाता है कि यहां तारे और भी तेजी से बन रहे हैं।

R136 ki image (N79 nebula in hindi)
R136 स्टार कलस्टर की इमेज। ये तारों का एक विशाल ग्रूप है जो कि टारंटुला नेब्युला के केंद्र में है। ये इमेज हवल टेलीस्कोप से ली गई है। Credits : NASA, ESA, and P. Crowther (University of Sheffield)

जेम्स वेब अब इन स्टारबर्स्ट रीजन का और विस्तृत अध्ययन करेगा। नासा यहां तारों के विकास के प्रारंभिक चरणों का अध्ययन करके यह समझने की कोशिश करेगा कि हमारा सूर्य और सौरमंडल कैसे बना। हमारी आकाशगंगा में ऐसा कोई अन्य क्षेत्र नहीं है जहां तारे इतनी तेजी से बन रहे हों। इसलिए, लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड वैज्ञानिकों के लिए तारों के विकास को समझने का एक महत्वपूर्ण खिड़की के समान है। जेम्स वेब के संवेदनशील उपकरण हमें ब्रह्मांड के बारे में ऐसी जानकारी प्रदान करेंगे जो पहले कभी हमारे पास नहीं थी।

निष्कर्ष –

फिलहाल, N79 नेब्युला (N79 Nebula In Hindi) की जो तस्वीर हम देख रहे हैं, वह वास्तव में 1 लाख 60 हजार साल पुरानी है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रकाश को हम तक पहुंचने में इतना समय लगता है। हालांकि, यह हमें तारों के निर्माण की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।

ये स्टारबर्स्ट रीजन धीरे-धीरे सुपर स्टार क्लस्टर में बदल जाएंगे और फिर ग्लोब्युलर क्लस्टर में। इन क्लस्टरों में हजारों तारे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक साथ बंधे होते हैं। ये इतने चमकीले होते हैं कि इन्हें बहुत दूर से भी देखा जा सकता है।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ब्रह्मांड के बारे में हमारे ज्ञान में क्रांति ला रहा है। यह हमें तारों के निर्माण (N79 Nebula In Hindi) की प्रक्रिया को समझने में मदद कर रहा है और हमारे सौर मंडल के उद्भव के बारे में नई जानकारी प्रदान कर रहा है।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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