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क्या होते हैं माइक्रोआरएनए, जिसकी खोज से मिला है नोबेल – microRNAs in Hindi

शरीर की हर चीज़ को कंट्रोल करते हैं ये छोटे से अणु, 30 साल पहले हुई है खोज।

हमारे शरीर में बहुत छोटे-छोटे हिस्से होते हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन हमारे शरीर को बताते हैं कि हमें कैसे बढ़ना है, कैसे काम करना है, और कौन सी बीमारियां हमें हो सकती हैं। इन जीन्स (Genes) को हमारे शरीर में मौजूद छोटे अणु (Molecule) कंट्रोल करते हैं, जो बताते हैं कि कौन सा जीन चालू हो और कौन सा बंद। इसी छोटे अणु जिसे माइक्रोआरएनए (microRNAs in hindi) कहते हैं। इसकी खोज के लिए दो वैज्ञानिकों, विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में 2024 का नोबेल पुरस्कार मिला है। नोबेल पुरस्कार दुनिया का सबसे बड़ा और सम्मानित पुरस्कार है जो किसी खास क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को दिया जाता है।

मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर विक्टर एम्ब्रोस और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर (जो मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में भी काम करते हैं) गैरी रुवकुन को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 1.06 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जाएगा।

विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में 2024 का नोबेल पुरस्कार मिला है। Credit : Atila Altuntas/Anadolu via Getty Images

माइक्रोआरएनए क्या है? MicroRNAs in Hindi

माइक्रोआरएनए, जिन्हें संक्षेप में miRNAs कहा जाता है, आरएनए अणु (RNAs) होते हैं जो पौधों और जानवरों के जीनोम (Genome) में एन्कोडेड होते हैं। इनमें 21-23 न्यूक्लियोटाइड होते हैं। ये अणु कोशिकाओं (Cells) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जीन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

आरएनए, डीएनए (DNA) के समान एक आनुवंशिक पदार्थ (Genetic Material) है, लेकिन डीएनए (DNA) के दो स्ट्रैंड होने के विपरीत, आरएनए में केवल एक स्ट्रैंड होता है। वैज्ञानिकों विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन ने सबसे पहले 1993 में माइक्रोआरएनए (microRNAs in hindi) की खोज की थी। उन्होंने यह खोज एक छोटे से कीड़े, कैनोरहैब्डिटिस एलिगेंस (Caenorhabditis elegans) का अध्ययन करते हुए की थी, जो जीव विज्ञान में व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है।

शरीर में क्या करते हैं ये माइक्रोआरएनए (miRNAs)

हमारे शरीर की हर कोशिका में लगभग 20,000 जीन होते हैं। ये जीन, प्रोटीन बनाने के लिए आवश्यक निर्देशों को एन्कोड करते हैं। प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बिल्डिंग ब्लॉक्स की तरह होते हैं। लेकिन हर कोशिका के काम करने का तरीका अलग होता है। जैसे मांसपेशी कोशिका (Muscle cells) और तंत्रिका कोशिका (Nerve cells) अलग-अलग काम करती हैं। इसलिए हर कोशिका को अलग-अलग तरह के प्रोटीन की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि हर कोशिका में कुछ खास जीन ही काम करते हैं। ये जीन, कोशिका के आसपास के वातावरण के अनुसार बदलते रहते हैं।

जब कोई जीन काम करना शुरू करता है, तो उस जीन से एक नया अणु बनता है जिसे मैसेंजर आरएनए (mRNA) कहते हैं। यह mRNA, प्रोटीन बनाने के लिए कोशिका के एक हिस्से में जाता है।

बहुत समय तक वैज्ञानिकों का मानना था कि जीन की गतिविधि (gene activity) मुख्य रूप से डीएनए से जुड़ने वाले विशेष प्रोटीन द्वारा नियमित होती है, जिन्हें ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर कहा जाता है। लेकिन विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन ने एक नई खोज की। उन्होंने पाया कि माइक्रोआरएनए (MicroRNAs in Hindi) नाम के बहुत छोटे अणु भी इस काम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कैसे हुई खोज?

जब ये दोनों वैज्ञानिक 1993 में एक सीरिज में लगातार लैब में प्रयोग कर रहे थे, तो तब इन्होंने एक छोटे से कीड़े, सी. एलिगेंस में, एक विशेष प्रकार के मोलिक्युल की खोज की। इस मोलिक्युल को उन्होंने लिन-4 (lin-4) नाम दिया। बाद में यही मोलिक्युल माइक्रोआरएनए (MicroRNAs in Hindi) कहलाया। इसी तहर साल 2000 में वैज्ञानिकों ने एक और माइक्रोआरएनए (MicroRNAs in Hindi) , लेट-7 (let-7) की खोज की। यह माइक्रोआरएनए न केवल सी. एलिगेंस में बल्कि सभी जानवरों में पाया जाता है। अबतक एक हजार से ज्यादा माइक्रोआरएनए (miRNAs in hindi) खोजे जा चुके हैं।

माइक्रोआरएनए (miRNAs in hindi) हमारे शरीर के अंदर एक ऑर्केस्ट्रा के कंडक्टर की तरह काम करते हैं, जीनों को चालू और बंद करके कोशिकाओं के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, जब ये माइक्रोआरएनए सही तरीके से काम नहीं करते हैं, तो वे कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

कैसे microRNAs बीमारियां पैदा करते हैं:

  • जीन अभिव्यक्ति में असंतुलन: miRNAs का मुख्य काम जीनों को नियंत्रित करना है। जब ये miRNAs किसी जीन को बहुत ज्यादा या बहुत कम सक्रिय कर देते हैं, तो सैल्स का सामान्य कार्य बिगड़ जाता है। यह असंतुलन कई बीमारियों की जड़ में हो सकता है।
  • कैंसर में भूमिका: कई अध्ययनों से पता चला है कि कैंसर कोशिकाओं में miRNAs का स्तर सामान्य कोशिकाओं की तुलना में काफी अलग होता है। कुछ miRNAs कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने और फैलने को बढ़ावा देते हैं, जबकि अन्य कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु को रोकते हैं।
  • हृदय रोग: हृदय रोगों में भी miRNAs की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये miRNAs हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकते हैं या हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • तंत्रिका तंत्र के रोग: मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में भी miRNAs की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ miRNAs न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन रोग में शामिल होते हैं। ये miRNAs तंत्रिका कोशिकाओं के क्षय को बढ़ावा दे सकते हैं या उनकी मरम्मत में बाधा डाल सकते हैं।
  • अन्य बीमारियां: मधुमेह (Diabetes), ऑटोइम्यून रोग और संक्रमण जैसी कई अन्य बीमारियों में भी miRNAs की भूमिका देखी गई है।

माइक्रोआरएनए और चिकित्सा: 

माइक्रोआरएनए (microRNAs in hindi) के बारे में गहन शोध से हमें बीमारियों के बारे में बेहतर समझ मिल रही है। वैज्ञानिक अब miRNAs को लक्षित करके नई दवाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कैंसर के उपचार में miRNAs का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारने या कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने की कोशिश की जा रही है।

निष्कर्ष:

माइक्रोआरएनए (microRNAs in hindi) कोशिकाओं के अंदर बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इनकी भूमिका में कोई गड़बड़ी कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकती है। miRNAs के बारे में गहन शोध से हमें न केवल बीमारियों के बारे में बेहतर समझ मिल रही है बल्कि नए उपचार विकसित करने में भी मदद मिल रही है। नोबेल प्राइज के बाद उम्मीद है कि जल्द ही चिकित्सा में भी लाया जाये जिससे बहुत से लोगों को मदद मिल सके।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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