भारत का नाम सदियों से विश्व गुरु के रूप में पूरी दुनिया में चर्चित रहा है। हमारे महान देश ने न जाने कितनी अच्छी बातों की पूरी दुनिया में फैलाया है। हर एक समय हमारे देश ने पूरी दुनिया का मार्ग दर्शन किया है। मानव सभ्यता को रहने के ढंग से लेकर विज्ञान के कई जटिल पहलुओं को भी हमारे देश ने बड़े ही बखूबी से लोगों को सिखाया है। इसलिए तो प्राचीन काल में हमारा देश हर एक क्षेत्र में काफी ज्यादा आगे था। लोग हमारे देश की मिसाल देते थे और आज भी देते हैं। मित्रों! इसी के कारण भारत ने एक बहुत ही बड़े मिशन को 2030 तक (Indian Space Station in Hindi) अंजाम देने का निर्णय लिया है।
ये मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में सबसे बड़ी घटना के रूप में शामिल होने जा रहा है। भारत बनाने जा रहा है अपना खुद का “स्पेस स्टेशन” (Indian Space Station in Hindi), जो की वाकई में काफी ज्यादा भव्य होने वाला है। अब तक सिर्फ गिने-चुने देशों ने ही स्पेस स्टेशन की और पहल की है। पूरी दुनिया में संयुक्त राज्य अमेरिका, रुष और जापान तथा यूरोपीय देशों के मिले-जुले संगम से ही स्पेस स्टेशन चल रहा है। परंतु इस क्षेत्र में अब चीन भी आगे बढने वाला है।
इसी के कारण भारत कैसे पीछे रहने के बारे में सोच सकता है। हमें भी स्पेस स्टेशन के बारे में सोचना होगा और इसे सफल कर के हकीकत में तबदील भी करना होगा।
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भारत के पास भी होगा अपना खुद का “स्पेस स्टेशन”! – Indian Space Station In 2030!
चंद्रयान-2 के लाँच के बाद इसरो के पूर्व चीफ “K.Sivan” ने एक बहुत ही बड़ी घोषणा दुनिया के सामने कर दी। उनकी घोषणा के हिसाब से भारत अगले दस वर्षों में अपना खुद का स्पेस स्टेशन लाँच करने जा रहा है। अगर आप लोगों को याद होगा तो, मैं आप लोगों क बता दूँ कि, भारत जल्द ही “गगनयान” नाम के एक मानव-युक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने जा रहा है। जिसके तहत भारत के अब्बल दर्जे के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाने वाले है। मित्रों! और भी बता दूँ कि, ये मिशन काफी ज्यादा ऐतिहासिक होने वाला है। इस तरह के मिशन को अंजाम देना कोई आम बात नहीं है।
खैर अब मुख्य विषय पर आते हैं। गगनयान मिशन को ही लंबा करते हुए इसरो के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में खुद का अपना स्पेस स्टेशन बनाना चाहते हैं। जिससे जो लोग अंतरिक्ष में गए होंगे, वो वहाँ जा कर रह पाएंगे। बता दूँ कि, गगनयान मिशन के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ की नगद राशि इस्रो को दी है। जिससे ISRO अपना ये मिशन अच्छे से पूरा कर सके। इसके अलाबा “भारतीय वायु सेना” ने 10 ऐसे नामों को चयनित किया है, जिसको वो आगे मिशन में भेज सकते हैं। हर एक चुनाव काफी गहराई और प्रार्थी के काबिलियत को देख कर किया गया है।
ऐसे में इसरो इन 10 लोगों में से केवल 3 लोगों को ही अपने गगनयान मिशन में भेजने जा रहा है। खैर इसरो के मुताबिक भारत का अपना स्पेस स्टेशन साल 2030 को पूरा हो जाएगा और ये पूर्ण तरीके से स्वदेशी ज्ञान-कौशल में बनने जा रहा है। बता दूँ कि, इस स्पेस स्टेशन (Indian Space Station in Hindi) को बनाने में किसी भी बाहरी देश कि मदद नहीं ली जाएगी।
कब और कैसे होगी मिशन कि शुरुआत! :-
गगनयान मिशन पूरा होते ही, इसरो के वैज्ञानिक एक बहुत ही बारीक रिपोर्ट सरकार को देंगे। जिस पर भारतीय स्पेस स्टेशन के बारे में हर जरूरी जानकारी होगी। सूत्रों से पता चला है कि, ये स्पेस स्टेशन लगभग 20 टन वजनी होगा और इसके अंदर कुछ अंतरिक्ष यात्री 2 से 3 हफ़्तों तक रह पाएंगे। मित्रों! स्टेशन के अंदर लाइफ सपोर्ट सिस्टम के अलावा माइक्रो ग्रैविटी के ऊपर भी काफी ज्यादा शोध होगा। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये स्टेशन पृथ्वी की सतह से लगभग 400 km ऊपर मौजूद रहेगा।
इस्रो के पूर्व चीफ के.शिवन ने साल के शुरुआत से ही स्पेस स्टैशन को बनाने के बारे में सोच लिया हैं। उनके मुताबिक स्पेस स्टैशन को बनाने का काम जितनी जल्दी शुरू हो जाए, उतना ही अच्छा है। क्योंकि गगनयान मिशन और स्टेशन को बनाने के मिशन के अंदर मात्र 6-7 सालों का ही समय है। ऐसे में पहले से काम अगर शुरू हो गया तो, समय रहते ही हम हमारे नए स्पेस स्टैशन को अंतरिक्ष में निहार सकेंगे। अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के बाद, उन्हें वहाँ पर स्थायी रूप से रखना ही ज़्यादातर देशों का मूल उद्देश्य होता है। और इसी के आधार पर ही हमारा इसरो काम कर रहा है।
कुछ लोगों के मन में अब ये सवाल आ रहा है कि, स्पेस स्टेशन बनाने के बाद इसरो का अगला कदम क्या होगा। कुछ लोगों के हिसाब से इसरो आने वाले समय में चाँद पर इंसानों को भेजने के बारे में सोच सकता है, तो कुछ लोगों के हिसाब से इसरो दूसरे किसी बड़े मिशन को अंजाम दे सकता है। खैर अब तक ये औपचारिक तौर पर पता नहीं चला है कि, आने वाले समय में इसरो किन-किन मिशनों को अंजाम देगा।
इसरो की क्या है योजनाएं! :-
मित्रों! इसरो के पास और भी एक बहुत ही बड़ा मिशन है। सूत्रों के हिसाब से इसरो पृथ्वी की लो-अर्थ ओर्बिट पर एक ऐसे शटल को भेजने के बारे में सोच रहा है, जो कि 20,000 kg के वजन को भी ले कर टेक-ऑफ कर सके। बता दूँ कि, 20 टन वजनी स्पेस स्टेशन भी शायद इसी शटल से भेजा जा सकता है। इसके अलावा इस शटल के बारे में खास बात ये भी है कि, इसे काफी बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
वैसे “ISS” को काम में आए 22 साल हो चुके हैं। इसे साल 2000 में अंतरिक्ष में लाँच किया गया था और उसी साल नवम्बर के महीने में ही वहाँ अंतरिक्ष यात्री रहने लग गए थे। वैसे साल 2024 तक ये काम करता रहेगा और साल 2030 आते-आते ये सेवा निवृत भी हो जाएगा। तब चीन का “Tiangong” स्पेस स्टेशन ही अंतरिक्ष में एकलौता स्पेस स्टैशन रह जाएगा। अब सूत्रों से पता लगा हैं कि, उस समय पाकिस्तान और चीन मिल कर एक पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्री को चीनी स्टैशन में लौंच करने वाले हैं।
खैर चीन के सरकार ने कहा हैं कि, वो 6 अंतरराष्ट्रिय विज्ञान के शोधों को अंजाम देने के लिए स्वीकृति देगा। साथ ही साथ 3 और अंतरिक्ष यात्रीओं को चीनी स्टैशन में जाने के लिए अनुमति भी देगा। वैसे उन तीन अंतरिक्ष यात्रीओं में से दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे। इससे पहले इस्रो के बारे में कहा जा रहा था कि, वो आईएसएस में भाग लेने जा रहीं हैं। परंतु ऐसा हुआ नहीं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! स्पेस स्टेशन (Indian Space Station in Hindi) को चलाने के लिए बहुत सारे जटिल चीजों को एक साथ सही तरीके से काम करना होता है। इसलिए स्पेस स्टेशन को चलाने का खर्चा भी काफी ज्यादा आता है। बता दूँ कि, ISS को हर साल चलाते रहने के लिए लगभग 3 से 4 अरब डॉलर की लागत आती है। इसके अलावा जापान जैसे सहयोगी राष्ट्रों को ISS के अंदर स्थित अपने मॉड्यूल को सिर्फ चलाते रहने के लिए ही लगभग 300-400 मिलियन डॉलर कि लागत देनी पड़ती हैं।
बता दूँ कि, इतना पैसा इसरो के वार्षिक बजट का आधा है। हालांकि! स्पेस स्टेशन को चलाने के लिए इसरो को अपना बजट 50% ज्यादा बढ़ाने कि जरूरत है। वैसे इतना पैसा हमारे मानव युक्त स्पेस प्रोग्राम का 1/10 हिस्सा ही है, परंतु ये वाकई में एक बहुत ही बड़ी लागत है। क्योंकि, इतने पैसों में 50 मार्स ओर्बिटर के मिशन संभव हो जाएंगे।
तो आप लोगों का क्या कहना है, क्या भारत के पास अपनी खुद कि स्पेस-स्टैशन होगी तो क्या आप भी गर्वित महसूस करेंगे? कमेंट में जरूर ही बताइएगा।