ब्लैक होल्स यकीनन ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमयी और सबसे खतरनाक चीजों मे से एक है। एक छोटे से छोटा ब्लैक होल पूरी धरती को पल भर मे तबाह करने की छमता रखता है। और बड़े ब्लैक होल्स, उनकी तो बात ही छोड़ दीजिए। आकाशगंगा (Galaxy) के बीच मौजूद असली दानव यानी की सुपरमैसिव ब्लैक होल इतने शक्तिशाली होते हैं की हर दिन एक सूर्य जितने मास के ऑब्जेक्ट को अपने अंदर निगल लेते है। इनके पास इतना अपार गुरुत्वाकर्षण बल होता है की गैलेक्सी मे मौजूद अरबों तारों को अपने चारों ओर चक्कर लावाते हैं और पूरी गैलेक्सी को एक तरह से अपने कंट्रोल मे रखते हैं। अब जरा कल्पना कीजिये उस भयानक स्तिथि को जिसमे ये सारे महादैत्य आपास मे ही लड़ झगड़ जाएँ। सोच कर देखिए उस विनाश और तबाही की जब ब्रह्मांड के सारे बड़े ब्लैक होल्स (Black Hole Collision Hindi) आपस मे टकरा जाएँ।
विषय - सूची
आखिर ब्रह्मांड में कितने ब्लैक होल्स हैं?
एक इस्टीमेट के मुताबिक ऑब्जरवेबल यूनिवर्स यानी ब्रह्मांड का वो हिस्सा जिसे हम अपने सारे टेक्नोलॉजी की मदद से डेटेक्ट् कर पाने मे सक्षम है उसमे 2 लाख करोड़ आकाशगंगाएं हैं। हर आकाशगंगा के केंद्र मे सूर्य से लाखों गुना शक्तिशाली महाविशालकाय ब्लैक होल मौजूद है। 2 लाख करोड़ गैलेक्सीज का मतलब होगा 2 लाख करोड़ सुपरमेसिव ब्लैक होल।
सुपरमेसिव ब्लैक होल के अलावा स्टेलार (Stellar) ब्लैक होल भी होते हैं जो गैलेक्सी के किसी भी कोने मे पाए जा सकते है। पर हमारा ब्रह्मांड इतना भी पर्फेक्ट नही है। एलेप्टिकल् (Elliptical) गैलेक्सीज मे ब्लैक होल्स का गुच्छा कहें की ब्लैक होल समूह मे पाए जाते हैं। इस तरह ब्लैक होल सिस्टम को स्वार्म ऑफ ब्लैक होल्स कहा जाता है। इस तरह के सिस्टम मे दो चार छोटे ब्लैक होल एक बड़े या फिर एक कॉमन सेंटर का चक्कर लगाते हैं। और कुछ समय मे आपस मे विलय (Merge) होकर एक बेहद ही विशालकाय ब्लैक होल (Black Hole Collision Hindi) का निर्माण किया करते हैं।
तो क्या होगा अगर सारे ब्लैक होल्स टकरा जाए तो ?
इससे पहले की हम आगे बढे हमे जानना होगा की क्या ब्लैक होल टकराते भी हैं। इसका जवाब है हाँ और ये कोई विचित्र या दुर्लभ घटना नही है। ऐसा हज़ारों बार हो चुका है और अंतरिक्ष की गहराइयों मे ऐसा होता ही रहता है। आइये ऐसी ही एक घटना पर नजर डालते हैं जिसे सबसे पहली बार रिकॉर्ड किया गया।
36 सूर्यों के बराबर द्रव्यमान (36 Solar Mass) और 29 सूर्यों के बराबर द्रव्यमान (29 Solar Mass) के दो ब्लैक होल्स आपस मे एक कॉमन पॉइंट का चक्कर लगा रहे थे। कुछ ही समय पश्चात इनका भीषण टकराव हुआ जिसमे दोनो ब्लैक होल्स ने जुड़कर 65 सोलर मास के ब्लैक होल का निर्माण किया।
लेकिन ये टक्कर इतनी भयानक थी की आधे ही सेकेंडस से भी कम समय मे इससे 2 सूर्यों के मास बराबर एनर्जी निकली और और महज कुछ पलों मे ही स्पेस मे रेडियेशन इनके जरिये फैल गया। इस टक्कर ने ग्रविटेशनल वेव्स यानी गुरुत्वाकर्षण तरंगों को उत्पन्न किया जिससे स्पेस टाइम ही हिल गया। ये बिल्कुल उस तरह था जैसे की शांत समुद्र मे जोरदार धमाके से पत्थर फेका गया हो और पानी मे हलचल होने लगी हो।
ब्लैक होल्स का टकराव और असीमित उर्जा
ब्लैक होल्स का टकराव एक खास तरह के एक्स रे को भी छोड़ता है जिसे इंसानी आँखें देख पाने मे संभव नही लेकिन कुछ टेलिस्कोप और कुछ स्पेशल यंत्र इस एक्स रे को डेटेक्ट कर पाने मे सक्षम हैं। इन स्पेशल यंत्रों का प्रयोग कर वैज्ञानिक ब्लैक होल्स के टकराव का पता लगाते हैं।
अब अगर दो ब्लैक होल्स जो की ब्रह्मांड मे मौजूद नॉर्मल ब्लैक होल के सामने कुछ भी नही थे और जिनका टकराव इतना खतरनाक था। तो सारे ब्लैक होल्स का तो पूछीये ही मत। ऐसे भी ब्लैक होल्स हैं जिनका मास 1 से लेकर 6 हज़ार करोड़ सूर्यों के बराबर है। ऐसे ब्लैक होल्स का टकराव कितना भायनक होगा। सोच कर ही अजीब सा लगने लगता है। अब जो भी बातें आपको बताई जाएंगी वो केवल काल्पनिक है ऐसा होना लगभग असंभव है और बताई गयी बातें फिजिक्स के नियमों को ध्यान मे रखकर बताया गया है। और आप जानते ही होंगे की ब्लैक होल मे फिजिक्स के नियमों का कोई वजूद नही है। तो चीजें कितनी सही या गलत होंगी इसका कोई अंदाजा नही लगा सकते हैं।
एक बड़े ब्लैक होल का निर्माण
जैसे जैसे ब्लैक होल्स (Black Hole Collision Hindi) एक दूसरे के तरफ बढ़ेंगे वो आपस मे टकर एक बड़े ब्लैक होल का निर्माण करने लगेंगे। जब एक ब्लैक होल मूव करेगा तो वो अपने रास्ते मे आने वाले सारे तारों, ग्रहों,डस्ट और सभी चीजों को अपने अंदर समा लेगा और अपने आकार को बढ़ाता ही चला जाएगा आपने जाना था की ब्लैक होल की टक्कर गुरुत्वाकर्षण तरंगों को उत्पन्न करती है। इतनी हलचल के कारण ब्रह्मांड बहुत अस्थिर हो जाएगा।
ये गुरुत्वाकर्षण तरंगे तारों और ग्रहों को उनकी कक्षा से भटका देंगे जिससे ग्रह, उल्कापिंडो और दो ग्रहों मे टककर होने लगेगी। तारों का भी आपस मे टकराव होगा। तारों का यह टकराव ब्लैक होल का रूप भी ले सकता है। अगर टकराने वाले दो तारों का मास ज्यादा होगा तो बहुत ज्यादा अवसर होंगे की वो कोलाइड कर एक ब्लैक ‘ को जन्म दे।
ब्लैक होल्स करेंगे तारों और ग्रहों का विनाश !
लगभग 1 प्रतिशत तारे ठीक इसी प्रकार इस दौरान ब्लैक होल का रूप ले लेंगे। ये तारों को साफ करते जाएंगे। मतलब तारों और ग्रहों को अपना भोजन बना आकार मे बढ़ते जाएंगे। जब सारे छोटे छोटे ब्लैक होल बड़े ब्लैक होल मे परवर्तित हो जाएंगे। तो उसके बाद बड़े ब्लैक होल्स का आपस में टकराव होगा। जो की और भी भयानक होगा। इस प्रक्रिया मे असीमित ऊर्जा और रेडिएशन के रूप मे एक्स रे निकलेंगे। ग्रविटेशनल तरंगे भी उत्पन्न होंगी जो की शायद स्पेसटाइम की काया ही पलट दें। लेकिन सबसे मजेदार बात तो ये है इस सभी घटना को होने मे उतना समय लगेगा जितना समय ब्रह्मांड के शुरुआत और आज जिस रूप मे ब्रह्मांड है उसको बनने मे समय लगा था।
सीधा सीधा कहें तो इसमे13 अरब सालों से भी ज्यादा का समय लगेगा और कितना ज्यादा ये भी नही कह सकते। आप शायद पूछो ऐसा क्यों। तो इस सवाल का जवाब छुपा है ब्रह्मांड के आकार मे। हमारा ब्रह्मांड इतना बड़ा है की हम कभी कल्पना ही नही कर सकते। ब्लैक होल ब्रह्मांड के नजरिये मे बड़ी धीमी गति से एक दूसरे के तरफ बढ़ेंगे।
गैलेक्सी मे मौजूद सारे ब्लैक होल और सभी खगोलिये वस्तुएँ एक बड़े ब्लैक होल की शक्ल लेने मे ही करोड़ों साल लगा देंगे। ऐसा इसीलिए होगा क्योंकि खगोलिये पिंडों और वस्तुएँ की दूरी ही बहुत ज्यादा है। दो तारे दो ब्लैक होल के बीच का फासला कई प्रकाश वर्ष (Light Years) का होता है। खासकर ब्लैक होल (Black Hole Collision Hindi) बेहद दूर होते है। साथ ही वे धीमी गति से मूव करते हैं। और गैलेक्सी के बीच की दूरी तो और भी ज्यादा होती है।
ब्लैक होल द्वारा क्या नया ब्रह्मांड पैदा होगा?
उदाहरण के तौर पर एंड्रोमेडा हमारी पड़ोसी गैलेक्सी ही हमसे 25 लाख लाइट ईयर्स दूर है। आपने सुना भी होगा की ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। गैलेक्सीज एक दूसरे से दूर चली जा रहीं हैं डार्क एनर्जी के कारण। अगर ये हाइपोथेटिकल चीज जो की असंभव है संभव हो भी गया। तो भी अंत मे बना ब्लैक होल हॉकिंग रेडिएशन के कारण सारी एनर्जी को ब्रह्मांड मे फैला देगा और समय के साथ खत्म हो जाएगा। लेकिन बाद मे स्पेस की सारी ऊर्जा ब्लैक होल द्वारा छोडी गयी एनर्जी रेडिएशन के रूप मे ब्रह्मांड मे रहेगी ही रहेगी।
मतलब सभी चीजों के अंत के बावजूद जितनी एनर्जी ब्रह्मांड के शुरुआत मे थी वो हमेशा से ही कायम रहेगी। और इस तरह अंत होने के बावजूद किसी चीज का अंत नही होगा। क्योंकि ऊर्जा ना तो बनाई जा सकती है ना ही खत्म की जा सकती है।
हो सकता है की बाद मे एक नये और अनोखे ब्रह्मांड का निर्माण हो जो की हमारे ब्रह्मांड से बिल्कुल ही अलग हो। या ऐसा भी हो सकता है की ब्रह्मांड फिर से अपनी पुरानी शक्ल ले ले। कहना बहुत मुश्किल है की अंत मे क्या होगा।