इंसानी शरीर कई तरह के तंत्रों और कोशिकाओं से बनी हुई होती हैं, इसलिए इंसानों को पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठ प्राणी भी कहा जाता हैं। इससे पहले भी मैंने इंसानी शरीर के अंदर मौजूद जादुई कोशिका स्टेम सेल के बारे में भी कई तरह के दिलचस्प बातें आप लोगों को बताया हैं, परंतु दोस्तों आज हम लोग कुछ अलग व एक बहुत ही मूलभूत तंत्र (System) के बारे में जानेंगे। क्योंकि आज के समय में जहां कोरोना जैसे श्वसन प्रणाली (Respiratory System Facts In Hindi) से जुड़ी महामारियां तेजी फैल रहीं हैं, वहीं शरीर के श्वसन तंत्र के बारे में ही बहुत सारे लोगों को ज्यादा कुछ पता ही नहीं हैं।
तो, इस बात को मुद्दे नजर रखते हुए आज के इस लेख का विषय होगा इंसानी श्वसन तंत्र (respiratory system facts in hindi) और इससे जुड़ी कई मूलभूत तथा रोचक बातें। वैसे और भी बता दूँ की, हम लोग इस लेख में इंसानी श्वसन प्रणाली कैसे काम करता है और इसका हमारे शरीर के ऊपर क्या प्रभुत्व रहता हैं उसके बारे में भी जानेंगे। खैर पृथ्वी में जीवित ज़्यादातर जीवों के अंदर श्वसन प्रणाली पाई जाती हैं।
परंतु मित्रों कुछ जीव ऐसे भी होते हैं जो की बिना सांस लिए भी जीवित रह सकते हैं। जी हाँ! दोस्तों आपने सही सुना बिना सांस लिए जीवित रहने वाले यह जीव बहुत ही खास होते हैं और इनको आप आसानी से खुले आँखों से देख भी नहीं सकते हैं। खैर अगर आप ऐसे अद्भुत जीवों के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो, मैंने इसके ऊपर भी एक बहुत ही सरल व उत्साहजनक लेख लिखा है जिसे की आप पढ़ सकते हैं।
विषय - सूची
इंसानी श्वसन तंत्र क्या हैं? – What Is Human Respiratory System In Hindi ? :-
लेख के प्रारंभिक भाग में मित्रों! मेँ आप लोगों को इंसानी श्वसन तंत्र (respiratory system facts in hindi) के बारे में कुछ मूल भूत बातों की जानकारी दूंगा जिससे आप लोगों को यह विषय और भी अच्छे तरीके से समझ में आएगा। तो, इसीलिए चलिए सबसे पहले श्वसन तंत्र के संज्ञा के बारे में ही जानते हैं।
“इंसानी श्वसन तंत्र इंसानी शरीर की एक मूलभूत तंत्र होता हैं, जो की शरीर में होने वाले श्वसन प्रक्रिया यानी सांस लेने व छोड़ने की क्रिया को अंजाम देता हैं”। यहाँ पर अगर में विज्ञान के भाषा में कहूँ तो, हम लोग जो आहार के तौर पर खाना खाते हैं वह श्वसन तंत्र के प्रक्रिया के द्वारा शरीर के अंदर छोटे-छोटे ऊर्जा के कणों में विघटित होता हैं, जो की बाद में हमारे शरीर को चलाने के इस्तेमाल में आता हैं।
वैसे इस प्रक्रिया के दौरान शरीर के अंदर ऑक्सिजन प्रवेश करता है जो की कोशिकाओं के लिए जरूरी होता हैं। श्वसन क्रिया के दूसरे पड़ाव में शरीर के अंदर से बाहर कार्बन डाइऑक्साइड गैस निर्गत होता हैं। यह गैस मूल रूप से कोशिकाओं के द्वारा इस्तेमाल किया गया गैस होता है, जो की शरीर के उपपचाय (Metabolic) प्रक्रियाओं के कारण बनता हैं।
तो, दोस्तों इससे आप लोग अंदाजा लगा ही सकते हैं की श्वसन तंत्र (respiratory system facts in hindi) हमारे लिए कितना ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
श्वसन प्रक्रिया आखिर कैसे काम करता हैं ? – The Process Of Breathing In Hindi :-
चलिए मित्रों! अब श्वसन प्रक्रिया कैसे काम करता हैं उसके ऊपर एक नजर डाल लेते हैं। जब हम हमारे नाक के छिद्र से हवा को शरीर के अंदर खींचते हैं तब उस हवा में मूल रूप से ऑक्सिजन रहता हैं। यह ऑक्सिजन शरीर के अंदर मौजूद हमारे फेफड़ों में संगृहीत हो कर रहता हैं। वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की, फेफड़ों के अंदर कई तरह के शुख्म कोशिकाएं मौजूद रहती हैं जिन्हें हम “Alveoli” कहते हैं।
यह “Alveoli” की कोशिकाएं मुख्यतः शरीर के अंदर होने वाले दोनों गैसों (ऑक्सिजन और कार्बन डाइऑक्साइड) की अद्ला-बदली के प्रक्रिया में काम में आते हैं। तो, जब बाहर से आया ऑक्सिजन युक्त हवा Alveoli तक पहुंचता है, तब दूसरे तरफ से धमनियों के जरिए कार्बन डाइऑक्साइड युक्त इस्तेमाल किया गया हवा भी पहुंचता हैं। अब जब दोनों ही गैस Alveoli में मौजूद रहती हैं, तब गैसों की अदला-बदली की प्रक्रिया शुरू होता हैं और ऑक्सिजन युक्त विशुद्ध हवा खून के जरिए शरीर के अंगों तक पहुंचता हैं और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त दूषित हवा फेफड़ों से होते हुए नाक के छिद्रों से बाहर निकल जाता हैं।
हालांकि ! इस प्रक्रिया को अगर आप और भी गहन तरीके से देखेंगे तो इसमें अन्य कई तरीके के छोटे-छोटे प्रक्रिया घटित होता हुआ दिखाई पड़ेगा। परंतु जितना मैंने ऊपर बताया है वह श्वसन प्रक्रिया की सबसे मूलभूत क्रियाएं हैं। जिसमें सांस को अंदर लेना और फिर कुछ समय के बाद बाहर छोड़ना एक सबसे मौलिक क्रिया हैं।
यह भी होता है श्वसन के प्रक्रिया के दौरान ! :-
दोस्तों ! जब भी हम सांस शरीर के अंदर लेते हैं तब हमारे पसलियां अंदर के तरफ से बाहर की और फैल जाता हैं। इसके अलावा यह ऊपर छाती की तरफ भी थोड़ा उठता हैं। वैसे पसलियों की ऐसी स्थान में परिवर्तन की मूल वजह है इनके आस-पास मौजूद अलग-अलग प्रकार के मांसपेशी, जो की इन्हें चारों तरफ से घेर कर रहते हैं। ऐसे में यह इन मांसपेशियों के प्रभाव से बाहर व ऊपर उठ कर फैलती हैं।
इसके अलावा सांस लेने के दौरान हमारा जो “Diaphragm” है दोस्तों, वह अपनी मूल जगह से थोड़ा नीचे सिकुड़ कर चला जाता हैं जिससे शरीर के अंदर फेफड़ों को फूलने के लिए जगह बन जाती हैं।
जब हम सांस बाहर की और छोड़ते हैं तो, पसलियों के आसपास मौजूद मांसपेशियां अपने मुल अवस्था में आकार फिर से नीचे की तरफ खिसक जाते हैं। इससे पहले से फुला हुआ फेफड़ा फिर से सिकुड़ कर आकार में छोटा हो जाता हैं। सांस छोड़ने के दौरान हमारा Diaphragm जो है वह फिर से अपने मूल अवस्था में ऊपर आ जाता हैं। इससे शरीर के अंदर जो एक केविटी बना हुआ होता है वह भी धीरे-धीरे लुप्त हो जाती हैं।
मित्रों! यहाँ गौरतलब बात यह है की, सांस लेने के दौरान जो मांसपेशियां सक्रिय होती हैं वह सांस छोड़ने के दौरान सक्रिय होने वाले मांसपेशियों से अलग होती हैं। परंतु अजीब बात यह है की दोनों की मांसपेशियों के बिना हमारा श्वसन क्रिया पूर्ण ही नहीं हो सकता हैं।
आखिर कैसा होता है इंसानी श्वसन तंत्र ! :-
इंसानी श्वसन तंत्र में (respiratory system facts in hindi) कई अलग-अलग प्रकार के अंग होते हैं। जिसमें नाक, नाक के अंदर की कैविटी, ट्राकिया (Trachea), ब्रोंची (Bronchi), फेफड़े और डाइफ्राग्म (Diaphragm) प्रमुख होते हैं। हमारे श्वसन तंत्र का आरंभ हमारे नाक से ही शुरू हो जा जाता हैं। वैसे हमारे नाक में सांस लेने के लिए दो छिद्र होते हैं जिसे की हम “Nostrils” भी कहते हैं। Nostril के पीछे एक खाली जगह होती हैं जिसे की “Nasal Cavity” कहा जाता हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है की, बाहर के तरफ से हमारे शरीर के अंदर हवा हमारे Nostrils के जरिए ही अंदर जाता हैं। इसके बाद हवा हमारे Nasal Cavity तक पहुँच जाता हैं जो की हमारे Mouth Cavity से एक पतली सी बोनी स्ट्रक्चर के द्वारा अलग रहता हैं। इसी वजह से हम लोग खाना खाने के वक़्त भी नाक के जरिए सांस ले पाते हैं।
मित्रों! Nasal Cavity के अंदर ऐसे कई प्रकार के कोशिकाएं होती है जो की एक चिपचिपी सी पदार्थ “Mucus” को बनाती हैं। यह चिपचिपा सा पदार्थ, बाद में हमारे नाक के अंदर रह कर बाहर से आए धूल के कणों को और अंदर जाने से रोकता हैं। अगर यह पदार्थ न होता तो हमारे नाक के अंदर दूषित धूल से भरा हुआ हवा अंदर चला जाता और हमारे लिए सांस लेना भी बहुत मुश्किल की बात हो जाती।
जाने आखिर कैसे फेफड़ों तक सांस पहुंचती हैं ! :-
अब जब विशुद्ध हवा Nasal Cavity के होते हुए अंदर घुसती है, तब यह सबसे पहले “Pharynx” से हो कर आता हैं। मित्रों ! मेँ बता दूँ की, Pharynx हमारे Nasal Cavity के पीछे की तरफ मौजूद रहता है जो की हमारे खाने की नली और सांस लेने की नली के मिलन स्थल पर हवा को सांस के नली में जाने के लिए मदद करता हैं। इससे हवा बिना किसी असुविधा के बड़े ही आराम से नली में प्रवेश करते हुए फेफड़ों तक पहुंच जाता हैं।
बता दूँ की, शरीर के अंदर मौजूद सांस/ हवा के नली को “Trachea” कहा जाता हैं। वैसे Trachea के चारों तरफ गोलाकृति “Cartilage” के कई रिंग होते हैं जो की हवा के अनूपस्तिती में इसे ढहने से बचाता हैं। तो, हमारे Trachea के ऊपर के हिस्से को “Larynx” कहा जाता हैं। मित्रों ! हम जो भी बोलते है या जो भी स्वर हमारे मुंह से निकालते है वह सब ध्वनियां इसी Larynx पर ही बनते हैं।
वैसे अंत में Trachea दो भागों में बंट कर हमारे दोनों ही फेफड़ों तक पहुँच जाता हैं। वैसे Trachea की दो हिस्सों में बंटने की जगह पर “Bronchi” नाम का एक संरचना मौजूद रहता हैं जो की Trachea को हमारे फेफड़ों से जोड़ता हैं। इससे Trachea के अंदर मौजूद हवा बड़े ही सरलता के साथ फेफड़ों के अंदर चली जाती हैं। यहाँ पर गौरतलब बात यह भी है की, फेफड़ों के अंदर Bronchioles नाम के प्रकार के शुख्म ट्यूब होते है जो की Bronchi से ही बने हुए होते हैं।
इंसानी श्वसन तंत्र से जुड़ी बेहद ही आश्चर्यजनक बातें – Marvellous Human Respiratory System Facts In Hindi :-
मित्रों! मैंने यहाँ पर इंसानी श्वसन तंत्र (respiratory system facts in hindi) के बारे में कई अद्भुत बातों के बारे में आप लोगों को बताया हैं। इसलिए आप लोगों से अनुरोध है की लेख के इस भाग को अवश्य ही धैर्य के साथ पढ़ें।
1. मिस्र के प्राचीन सभ्यता के साथ इंसानी श्वसन तंत्र का हैरतअंगेज रिश्ता ! :-
आप लोगों को जानकार हैरानी होगी की इंसानी श्वसन तंत्र का प्राचीन मिस्र के सभ्यता के साथ बहुत ही गज़ब का रिश्ता था। दरअसल बात यह है की, प्राचीन मिस्र के लोगों को इंसानी श्वसन तंत्र का बहुत ही गहन ज्ञान था और उन्हें पता था की इंसानों को बचे रहने के लिए सांस के नली और फेफड़ों को एक साथ मिल कर काम करने की जरूरत हैं।
इसीलिए उन्होंने उस दौरान पूरे मिस्र में कैसे ऐसे आकृतियाँ बनाई जो की इंसानी श्वसन तंत्रों को प्रदर्शित करता था। वैसे उनके इन श्वसन तंत्र बनाने के पीछे का कारण यह था की, उस समय समाज के अलग-अलग स्तरों में जी रहें लोगों के अंदर एकता का भावना फैलाना।
2. एक मिनट में हम लोग 3.7 लीटर हवा को सांस के क्रिया में लेते हैं ! :-
हम लोगों को लगता हैं की, हमारा शरीर सीमित क्षमताओं के साथ बनी हुई है जो की कुछ हद सही भी हैं। परंतु दोस्तों कुछ क्षेत्रों में आप लोग आपके इंसानी शरीर के विशेषताओं को जानकर हैरान ही रह जाएंगे। जी हाँ ! यकीन नहीं आता तो सुनिए एक मिनट में हमारे फेफड़े लगभग 3.7 लीटर हवा को श्वसन क्रिया के लिए इस्तेमाल में ले लेते हैं।
तो, जरा सोचिए एक इंसान अपने पूरी जिंदगी में कितने लिटर हवा इस प्राकृतिक परिवेश से लेता होगा।
3. इंसान के दोनों फेफड़ों का आकार एक समान नहीं होता हैं :-
जी हाँ! आपने शीर्षक को सही से पढ़ा हैं। हमारे जो फेफड़े हैं दोस्तों एक समान आकार के नहीं हैं। हमारा जो दाहिना फेफड़ा है न दोस्तों वह हमारे बायें फेफड़े से आकार में थोड़ा बड़ा होता हैं। वैसे आकार में इस अंतर का कारण हमारा दिल हैं। क्योंकि दोनों फेफड़ों को बीच के हिस्से में हमारा दिल मौजूद रहता हैं जो की थोड़ा बायें फेफड़े के और भी रहता हैं। इसलिए दिल के लिए जगह बनाने के लिए बायें फेफड़े का आकार थोड़ा छोटा होता हैं।
4. हमारे फेफड़े पानी के ऊपर तैर सकते हैं :-
आप लोगों को जान कर बहुत ही अटपटा लगेगा, परंतु यह बात पूर्ण रूप से सत्य है दोस्तों। हमारे जो फेफड़े है दोस्तों वह पानी के ऊपर तैर सकते हैं। वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की फेफड़ों के अलावा हमारे शरीर में शायद ही ऐसा कोई दूसरा अंग होगा जो की पानी के ऊपर तैरने में सक्षम होगा।
5.अगर हमारे फेफड़ों को इसके चरम आकार तक फुलाया जाए तो यह एक टेनिस कोर्ट (Tennis Court) जितना बड़ा होगा ! :-
वैसे तो आमतौर पर हमारे शरीर के अंदर हमारे फेफड़े बहुत ही सिकुड़ कर कई स्तरों के आधार पर मुड़े हुए रहते हैं। परंतु अगर इसको हम लोग इसके चरम आकार तक हवा के द्वारा फुलाते है तो यह फूल कर एक पूरे Tennis Court के आकार का हो जाएगा। यकीन मानिए दोस्तों श्वसन तंत्र (respiratory system facts in hindi) से जुड़ी यह बात पूर्ण रूप से सत्य हैं।
6. फेफड़ों के अंदर 30 से 50 करोड़ तक होती हैं यह कोशिकाएं! :-
अगर आपको याद होगा तो, मैंने लेख के प्रारंभिक भाग में Alveoli कोशिकाओं के बारे में जिक्र किया है जो की गैस के एक्स्चेंज का कम करती हैं। वैसे बता उन की हमारे फेफड़ों के इन कोशिकाओं की संख्या 30 से 50 करोड़ तक होती हैं।
7. सांस लेने के लिए पानी भी जरूरी हैं :-
अब कुछ लोग यहाँ पर कहेंगी की, इंसानी शरीर तो पानी के अंदर सांस ही नहीं ले पाती तो आखिर कैसे पानी हमारी सांस लेने मेँ मदद करेगा ! वैसे आपकी बात भी सही हैं, परंतु दोस्तों मेरे बातों पर भी थोड़ा गौर करिएगा।
जब Alveoli के अंदर गैसों की अदल बदली की क्रिया हो रही होती हैं, तब कुछ समय के बाद गैसों की बढ़ती सघनता के चलते अदल बदली की क्रिया संभव नहीं हो पाता हैं। इस समय Alveoli के चारों तरफ पानी की शुख्म सा स्तर बन जाता है जो की गैसों की सघनता को खत्म करते हुए गैसों की अदल बदली के क्रिया को फिर से आरंभ करवाता हैं।
इससे आप कह सकते हैं की, पानी के बिना हम सही तरीके सांस भी नहीं ले पाएंगे।
8. आपके फेफड़ों के अंदर इतनी लीटर हवा रह सकती हैं ! :-
हर एक अंग का अपना ही एक क्षमता होता हैं और हमारे फेफड़ों का भी एक क्षमता हैं। हमारे फेफड़ें अपने अंदर ज्यादा से ज्यादा 4.5 लीटर से लेकर 6 लीटर तक हवा ले सकती हैं।
वैसे यहाँ ध्यान में रखनी वाली बात यह है की, इंसानों में आमतौर पर पुरुषों के फेफड़े महिलाओं के फेफड़ों से ज्यादा बड़े होते हैं। इसलिए पुरुषों के फेफड़ों के अंदर ज्यादा हवा संगृहीत हो कर रह सकती हैं।
9. सांस छोड़ने के क्रिया में आप कार्बन डाइऑक्साइड के साथ ही साथ पानी भी छोड़ते हैं :-
यह बात बहुत ही कम लोगों को पता होगी की, हम लोग सांस छोड़ने के क्रिया में पानी भी छोड़ते हैं। हालांकि मूल रूप से सांस छोड़ने के क्रिया में ज़्यादातर शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड ही निकलता हैं, परंतु हर एक घंटे में 17.5 मिलीलीटर तक पानी भी छोड़ते हैं।
ऐसे में कहा जा सकता हैं, हमारे शरीर का श्वसन तंत्र कितना ही जटिल हैं।
10.आप एक वक़्त पर सिर्फ एक ही Nostril से ही सांस ले सकते हैं ! :-
लोगों को लगता है की, वह हर वक़्त दोनों ही Nostril से सांस ले रहें हैं। परंतु यह बात सत्य नहीं हैं। ज़्यादातर समय में हम लोग इस एक ही Nostril से सांस लेने के लिए सक्षम हो पाते हैं। एक ही Nostril से सांस लेने के कारण दोनों को कुछ समय के लिए आराम भी मिल जाता हैं।
वैसे दिन के समय में एक नोसट्रिल खुला रहता है तो रात के समय दूसरा नोसट्रिल काम में आता हैं। खैर क्या आपको इसका कारण पता हैं ? कमेंट करके जरूर ही कहिएगा हमें बहुत ही खुशी होगी।
Sources :- www.livescience.com, www.jagranjosh.com, www.biologydictionary.net, www.pulmonaryhypertensionnews.com.