हवा एक ऐसी चीज़ है जो की जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इंसानी शरीर बिना खाना के लगभग तीन हफ्ते और बिना पानी के 4 दिनों तक जिंदा रह सकती हैं। परंतु मित्रों! जरा सोच करके तो देखिये की अगर आप एक मिनट भी सांस लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, तो आपको कैसा लगेगा ! बिना हवा के हम मिनटों के अंदर ही दम तोड़ देंगे और सांस लेना हमारे शरीर को जिंदा रखने के लिए अनिवार्य हैं। वैसे प्रकृति में कुछ ऐसे रहस्यमयी जीव भी हैं जो की बिना हवा के यानी बिना सांस लिए (animal that doesn’t breathe) ही जिंदा रह सकते हैं।
वैसे ज़्यादातर लोगों को सांस के बिना जिंदा रहने वाले इन जीवों (animal that doesn’t breathe) के बारे में पता ही नहीं होता, क्योंकि इनके बारे में आज भी वैज्ञानिकों को उतनी भारी मात्रा में जानकारी नहीं हैं। परंतु दोस्तों आज के इस लेख में हम लोग उसी रहस्यमयी जीव के बारे में कई अंजान तथ्यों को खोजने का प्रयास करेंगे, जिसे आप लोगों ने शायद ही कभी पढ़ा होगा।
तो, चलिये मित्रों! मेरे साथ आगे इस लेख में बने रहिए हैं और पढ़ते रहिए इस अज्ञात हवा के बिना जिंदा रहने वाले जीव के बारे में।
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जिंदा रहने के लिए सांस नहीं लेता है यह जीव – Animal That Doesn’t Breathe ! :-
Henneguya salminicola नाम का यह जीव बिना हवा के भी पृथ्वी पर जिंदा रह सकता हैं। मेँ आपको बता दूँ की, यह जीव इकलौता ऐसा जीव हैं जो की बिना सांस लिए (animal that doesn’t breathe) किसी दूसरे होस्ट में बढ़ सकता हैं। वैसे यह अपने आप में ही एक अनोखी बात है की, इसके पास किसी भी तरह से सांस लेने के लिए कोई भी मूल भूत संरचना मौजूद नहीं हैं। मित्रों! यह जीव एक तरीके से परजीवी (Parasite) है, जो की अपने आप को बचाए रखने के लिए दूसरे जीवों के ऊपर निर्भर रहता हैं।
वैसे यहाँ पर गौरतलब बात यह है की, ज़्यादातर परजीवी अपने-आप को जिंदा व बढ़ाने के लिए एक विशेष प्रकार के “स्पोर” (Spore) का इस्तेमाल करते हैं। यह स्पोर उन्हें दूसरे जीवों के आंतरिक तंत्रों पर कब्जा व बढ्ने में मदद करता हैं। वैसे वैज्ञानिकों ने जब H. salminicola के स्पोर को एक मछ्ली के होस्ट टिसु में डाला तो, देखा की बढ्ने के लिए यह परजीवी हवा का ही इस्तेमाल नहीं कर रहा हैं।
मित्रों! यह बात वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया की, आखिर कैसे एक परजीवी बिना सांस लिए ही होस्ट टिसु के अंदर बढ़ सकता है! क्योंकि किसी भी होस्ट टिसु में बढ्ने के लिए कई सारे जटिल जैवीक प्रक्रियांओं की जरूरत पड़ती हैं और इन प्रक्रियाओं के होने के लिए हवा का होना बहुत ही जरूरी हैं।
इसके अलावा वैज्ञानिकों और एक दल H. salminicola के स्पोर को लगातार उसी मछ्ली के होस्ट टिसु को संक्रमण करने लगा। परंतु हर बार जब भी H. salminicola को होस्ट टिसु में डाला गया तो, वहाँ पर किसी प्रकार से सांस लेने की प्रक्रिया चला ही नहीं और मजे की बात तो यह है की, होस्ट टिसु में पहले से मौजूद ऑक्सिजन भी श्वसन प्रक्रिया में भाग लेने में अक्षम रहा।
H. salminicola से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें! :-
वैज्ञानिकों का मानना है की, दुनिया में मौजूद अन्य बाकी जीवों के DNA में सांस लेने के लिए विशेष रूप से गुण-सूत्रों की एक सामूहिक संरचना पहले से बनी हुई होती हैं। परंतु H. salminicola के अंदर सांस लेने के लिए किसी भी प्रकार का कोई गुण-सूत्रों का सामूहिक संरचना नहीं हैं। इसलिए यह परजीवी बिना सांस के भी (animal that doesn’t breathe) सहज तरीके से जिंदा रह सकता हैं। वैसे यहाँ DNA से याद की मैंने इससे पहले DNA के ऊपर एक खास और बहुत ही सुंदर लेख लिखा हुआ हैं, जिसमें आप DNA से संबंधित कई मूलभूत बातों से लेकर रोचक तथ्यों को जान पाएंगे।
H. salminicola के जीनोम (Genome) में बहू-कोशिय जीवों की भांति कोई खास तंत्रों का ढांचा भी नहीं होता हैं। वैसे वैज्ञानिकों का कहना है की, इस जीव के अंदर एक ऐसी खासियत मौजूद हैं जो की उन्हें इस जीव के प्रति बेहद ही आकर्षित करता हैं। तो, यहाँ सवाल उठता है की आखिर वह खासियत क्या हैं! तो मित्रों मेँ आपको बता दूँ की मैंने आगे इसी खासियत के बारे में चर्चा किया हैं तो आप आगे इस लेख को पढ़ते रहिएगा।
आखिर कैसे यह जीव बिना सांस लिए ही जिंदा रह सकता हैं? :-
तो, आखिर वह कौन सा राज है जो की इस जीव को बिना हवा के ही जिंदा रखता हैं! चलिए जानते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का यह कहना है की, इस जीव के अंदर “माइटोकोंडरियाल जीनोम” (Mitochondrial Genome) मौजूद नहीं हैं। जो की इस जीव को किसी भी श्वसन प्रक्रिया को अंजाम देने के अयोग्य बनाता हैं। वैसे एक अजीब बात यह भी है की, H. salminicola के श्रेणी में आने वाले अन्य परजीवी ज़्यादातर सांस लेने के योग्य हैं। परंतु H. salminicola ही एक ऐसा परजीवी है जो की सांस लेने में अक्षम हैं। इसके अलावा मेँ आपको और भी बता दूँ की, देखने में यह जीव बिलकुल “जेली फिश” की ही तरह दिखता हैं।
जीव-विज्ञानियों का कहना है की, इन्हीं परीजीवीयों से ही शायद जेली फिश का अस्तित्व आया होगा। फिर वैज्ञानिकों का एक दूसरा गुट यह भी कहता है की, यह गुंजाइस हो सकती है की H. salminicola ने अपने से मसल टिसु, नर्व टिसु तथा अन्य मौलिक बहू-कोशिय तंत्रों को हटा कर एकल-कोशिय जीव में परिवर्तित हो गया हो। मित्रों! इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता हैं।
खैर आपका इसके बारे में क्या राय हैं, जरूर ही कमेंट करके बताइएगा।
यह भी कहते हैं वैज्ञानिक ! :-
मित्रों ! H. salminicola “मिक्सोजोन्स” (Myxozoans) के श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी में मौजूद सभी परजीवी होस्ट जीव को पूर्ण रूप से तबाह करने के लिए कुख्यात हैं। परंतु यहाँ पर H. salminicola में कुछ खास चीज़ देखने को मिलती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है की, यह परजीवी होस्ट कोशिका में भले ही अपने को बढ़ाता है, लेकिन दूसरों की भांति यह होस्ट कोशिका को पूर्ण तरीके से नष्ट नहीं करता हैं।
हालांकि इससे भी होस्ट कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता हैं। इसके अलावा गौरतलब बात यह है की, पूरे जीव जगत में Myxozoans के पार सबसे छोटा जीनोम हैं जो की इन्हें बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली बनाता हैं। खास तौर से मछलियों को इनसे बहुत ही ज्यादा खतरा रहता हैं। देखा गया हैं की, मछलियों को यह परजीवी अपने चपेट में लेने के बाद वह इनके अंदर सफ़ेद बल्ब की भांति संक्रमित सिस्ट का निर्माण करता हैं। यह सिस्ट बाद में मछलियों के मांसपेशिओं को गला कर उन्हें नष्ट करने लगता हैं।
इससे मछली बीमार हो कर कुछ दिनों में दम तोड़ देती हैं। वैसे अगर में H. salminicola के बारे में बात करूँ तो, माइक्रोस्कोप से देखने से पूर्ण तरीके से इंसानी शुक्राणु कोशिकाओं के भांति ही दिखाई पड़ता हैं। जिसके सामने की तरफ “स्टिंगिंग कोशिका” होती हैं। मित्रों! यह स्टिंगिंग कोशिका होस्ट के टिसु को सही तरीके से पकड़ने में मदद करता हैं और वैज्ञानिकों का कहना है की यह इकलौता ऐसा गुण है जो की H. salminicola ने अपने क्रमागत विकास के दौरान नहीं खोया हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैसे तो मैंने पूरे लेख के अंदर सांस न लेने वाले इस जीव (animal that doesn’t breathe) के बारे में कई तथ्यों के बारे में आप लोगों को बताया हैं। परंतु इस जीव से जुड़ी एक ऐसी भी बात हैं जिसके बारे में मैंने आप लोगों को अभी तक नहीं बताया हैं। आमतौर पर सांस लेने से शरीर के अंदर ऊर्जा का संचार होता हैं, जो की शरीर को जिंदा रखता हैं। परंतु H. salminicola के अंदर श्वसन प्रक्रिया के अभाव से ऊर्जा का संचार नहीं पाता हैं।
तो, आखिर कैसे यह जीव अपने शरीर को चलाने के लिए ऊर्जा लाता हैं! कुछ वैज्ञानिकों की मानें तो इन परजीवियों के अंदर विशेष रूप से कुछ प्रोटीन होती हैं जो की होस्ट टिसु से ऊर्जा को अपने अंदर लाती हैं। यह एक विशेष प्रक्रिया हैं।
Source :- www.livescience.com.