नमस्कार मित्रों ! कैसे हैं आप सब ? बहुत दिनों के बाद आज कुछ लिखने का मौका मिला | खैर मैंने इस से पहले अगर आप सभी को याद हो तो फर्मी बबल के बारे में बहुत कुछ बताया हैं | पर फिर भी आज मेँ उसी से संबंधित एक विषय को ले कार आप सभी लोगों से कुछ गुफ्तगू करना चाहता हूँ | आज मेँ फर्मी पैराडॉक्स (fermi paradox in hindi) के बारे में बात करने जा रहा हूँ | जी हाँ ! आपने सहीं सुना फर्मी पैराडॉक्स (fermi paradox in hindi) मित्रों ! यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही चर्चा करते हैं |
अब आप लोगों के मन में यह जिज्ञासा जरूर ही उत्पन्न हुई होगी की आखिर यह फर्मी पैराडॉक्स (fermi paradox in hindi) है क्या ? तो , बस थोड़ा सा इंतजार कीजिए क्योंकि मेँ इसके बारे में आगे इस लेख के अंदर बहुत कुछ बताने वाला हूँ और वह कहते है न ! सब्र का फल मीठा होता हैं | इसलिए थोड़ा धैर्य तो आपको रखना ही पड़ेगा |
मित्रों ! पृथ्वी में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसको परग्रहियों (Aliens) के विषय में पढ़ना उबाऊ लगता हो | खैर आपको यहाँ जानकार हैरानी होगी की फर्मी पैरेडॉक्स ही वह सिद्धांत है जिसके जरिए आज वैज्ञानिक अंतरिक्ष में मौजूद परग्रहिओं के बारे में पता लगा रहें हैं |
तो , चलिए आगे इसके बारे में पूर्ण और विस्तार से और भी कई सारे रोचक बातों को जानते हैं |
फर्मी पैराडॉक्स क्या है ? – What is Fermi Paradox In Hindi ?
यह ब्रह्मांड हम सभी के सोच से बहुत ही ज्यादा विशाल हैं | इसके आकार को हम शायद ही कभी सही तरीके से माप पाएँ | अकसर ब्रह्मांड की विशालता वैज्ञानिकों को यह सोचने में मजबूर कर देती है की , क्या हम इस पूरे अंतरिक्ष में अकेले हैं ! क्या इंसानी सभ्यता के अलावा भी ऐसा कोई दूसरी सभ्यता है जो की हम से कई दूर या पास अन्य कोई ग्रह में बसी हुई हो ?
ऐसे ही कई सारे सवालों के जवाब को पाने के लिए अमरीकी पदार्थ विज्ञानी एनरिको फर्मी (Enrico Fermi) ने फर्मी पैरेडॉक्स (fermi paradox in hindi) को खोज कर निकाला था | उनको यह जानना था की मानवों के अलावा भी भिन्न कोई सभ्यता इस अंतरिक्ष में मौजूद है या नहीं हैं !
1950 के दशक में जब कई सारे यूएफ़ओ को देखने की बात सामने आई तो , महाशय फर्मी जी ने गणित के इस्तेमाल से एक अजब सी सिद्धांत का प्रस्ताव दिया | 1938 में नोवेल पुरस्कार के विजयी एकरिको फर्मी जी काफी प्रतिभाशाली व्यक्ति थे | उन्होंने कई सारे कठिन सवालों का जवाब बड़ी ही आसानी से दे दिया था | इसलिए अमरीकी सरकार ने उन्हें परग्रहीओं के विषय पर भी काम करने को कहा |
इसी फर्मी पैराडॉक्स (fermi paradox in hindi) के कारण आज का अंतरिक्ष विज्ञान परग्रहियों के बारे में इतनी ज्यादा शोध कर रहा हैं | अमरीकी स्पेस मिसन भोएजर-2 के बारे में आप सभी लोगों ने अवश्य ही पढ़ा होगा | यह मिसन पूर्ण रूप से परग्रहियों (Alien) को ढूँढने के लिए ही प्रस्तुत किया गया हैं |
आपको क्या लगता है , क्या हम लोग कभी परग्रहियो से संपर्क साध पायेंगे ? क्या हम कभी उन्हें देख पायेंगे ?
फर्मी पैराडॉक्स को ले कर फर्मी का व्यक्तव्य :-
फर्मी पैरेडॉक्स (fermi paradox in hindi) को ले कर फर्मी जी ने कई सारे युक्ति दुनिया के सामने रखा | मैंने आगे उन युक्तियों में से कुछ महत्वपूर्ण युक्तियों को आपके सामने रखा हैं | तो , आप सभी लोगों से अनुरोध है की उन युक्तियों को ध्यान से पढ़ें |
- हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे के अंदर कई खरबों सितारे मौजूद हैं | उन्हीं खरबों सितारों के अंदर कई अरबों सितारे ऐसे होंगे जो की पूर्ण रूप से सूर्य की तरह ही दिखाई पड़ते होंगे |
- इसलिए यहाँ पर इसकी पूरी-पूरी संभावना होगी की उन सूर्य की भांति दिखाई पड़ने वाले तारों के पास भी अपना खुद का सौर-मंडल मौजूद हो और उसी सौर-मंडल के अंदर हमारि पृथ्वी की भांति कई सारे ग्रह भी मौजूद हों|
- अगर हम कोपरनिकस का सिद्धांत को माने तो इन्हीं पृथ्वी जैसे ग्रहों के अंदर कुछ मात्रा में जीवन के होने की पूरी-पूरी संभावना बनती हैं|
- इसी जीवन के संभावनाओं को देखते हुए इस बात को भी नहीं ठुकराया जा सकता की अंतरिक्ष में कुछ ऐसी भी सभ्यता होंगी जो की हमसे कई ज्यादा विकसित और आधुनिक होंगी | उनके पास शायद हमसे भी बहुत ही ज्यादा उन्नत तकनीक मौजूद होंगी जिससे की वह लोग समय यात्रा करने में सक्षम होंगे | इसके अलावा उनके पास ऐसे भी यान होंगे जिससे अंतरिक्ष में आसानी से घूमा जा सके |
- खैर इतनी ज्यादा संभावनाओं के बावजूद हम लोग या वह लोग क्यूँ हमसे अब तक नहीं मिल पाएँ हैं ?
मित्रों ! ऊपर यह कुछ युक्तियाँ फर्मी जी ने अपने फर्मी पैराडॉक्स (fermi paradox in hindi) के अंदर कहा हैं | उनका यह मानना था की , एक न एक दिन ब्रह्मांड में मौजूद सारी सभ्यता मिल जायेंगी| बस यहाँ पर देखना बाकी है की आखिर कब?
आज के वैज्ञानिक क्या कहते हैं फर्मी पैराडॉक्स को ले कर ! :-
मित्रों ! फर्मी पैरेडॉक्स (fermi paradox in hindi) वैज्ञानिकों के मन में करीब-करीब 6 से भी ज्यादा दशकों से खलबली मचा कर रखा हैं |
2015 में किए गए एक शोध से पता चला है की , हमारा पृथ्वी बिग-बेंग के प्रारंभिक अवस्था में बनी हुई हैं | इसलिए यह इतनी ज्यादा पुरानी है (4.6 अरब साल) | पृथ्वी के बनने के बाद अन्य कई सारे ग्रह और तारों का निर्माण ब्रह्मांड में हुआ | खैर हबल और केप्लर स्पेस टेलीस्कोप से पता चला है की वर्तमान के समय में जीवन के होने की आशा वाली ग्रहों की मात्रा सिर्फ 8% हैं | यानि 100% से मात्र 8% ऐसे ग्रह है जहां पर जीवन के होने की आशा किया जा सकता हैं |
इसके अलावा 2016 में छपी एक रिपोर्ट के हिसाब से अंतरिक्ष में कई ऐसे भी ग्रह हैं जहां पर कभी शायद जीवन हुआ करता था | उदाहरण के लिए आप मंगल (Mars) को ही ले लीजिए | कई वैज्ञानिकों का यह मानना है की ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण मंगल पर आज जीवन का नामोंनिशान ही मिट गया हैं | मंगल का वातावरण आज किसी भी जीव के लिए रहने योग्य नहीं हैं | कई सारे वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की , ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों के अंदर पानी का मिलना यहाँ पर जीवन के होने का पहला संकेत हैं जैसे हाल ही में K2-18b में मिली पानी का स्रोत |