ब्लैक होल इंफोर्मेशन पैराडॉक्स (विरोधावास) ,एक ऐसा पैराडॉक्स जिसे खोजे हुए 40 सालों का लंबा समय हो चुका है। पर आज भी ये पैराडॉक्स अनसुलझा का अनसुलझा ही है। वैज्ञानिकों के सालों की कड़ी मेहनत और रिसर्च के बाद भी वे इसे सुलझा पाने मे असफल हैं। ब्लैक होल यकीनन ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमयी चीजों मे से एक होते हैं। इन जगहों पर फिजिक्स के सारे नियम ठप पड़ जाते है। बलैक होल इंफोर्मेशन पैराडॉक्स को समझने से पहले आपको ब्लैक होल और इंफोर्मेशन (Black hole Information Paradox Hindi) को ठीक प्रकार से समझना होगा। तो चलिए इंफोर्मेशन को सही से समझने का प्रयास करते हैं।
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क्या है इंफोर्मेशन ?
इंफोर्मेशन (Information) कुछ और नही बल्कि एक फंडामेंटल पार्टिकल का पुरा रूप रंग और रेखा होती है जो की उसमे पहले से ही समाहीत होता है। इंफोर्मेशन दो प्रकार के होते हैं। एक होता है स्टेटिक इंफॉर्मेशन और दूसरा होता है क्वांटम एंटैंगलमेंट इंफॉर्मेशन। स्टैटिक इंफोर्मेशन के रूप मे किसी पार्टिकल की लंबाई, तापमान, मास, ग्रेविटी, चार्ज, अट्रैक्शन, दूसरे पार्टिकल से रिएक्टिविटी और बहुत कुछ आता है। एक पार्टिकल के अंदर बहुत सारी स्टैटिक जानकारी समाहीत होती है। एनटैंगलमेंट इंफोर्मेशन के रूप मे एंट्रॉपी (Entropy) का कांसेप्ट आता है। हालांकि हम यहाँ एंट्रॉपी के गहराई मे नही जानने वाले हैं। आप बस इतना समझ लीजिये की एंट्रॉपी कभी भी घट नही सकती ये आमतौर पर बढ़ती ही चली जाती है। एंट्रोपी मोटे तौर पर किसी ऊष्मागतिक निकाय (thermodynamic system) के अव्यवस्था (disorder) की माप है। ब्रह्मांड में उथल – पथल और अव्यवस्था (disorder) को भी एंट्रोपी कहा जा सकता है।
जब एक वस्तु मे बदलाव आता है तो उस बदलाव के साथ उसका एंट्रॉपी भी बढ़ता है। उदाहरण के रूप मे काँच के ग्लास को फोड़ने पर उस ग्लास की एंट्रॉपी मे वृद्धि होता है। और अगर उसमे कोई बदलाव ना आये तो एंट्रॉपी बराबर होती है। हालांकि आम जिंदगी मे अगर एक वस्तु मे आप बिल्कुल भी बदलाव नही देखते तो इसका ये मतलब नही की उसमे बदलाव सच मे नही हो रहा। बहुत छोटे लेवल पर ऐसे हज़ारों बदलाव होते हैं पर वो बदलाव इतने लो स्केल पर होता है की हम कभी ओबजर्व ही नही कर पाते हैं।
एंट्रॉपी का कम होना बिल्कुल वैसा होगा जैसे की टूटे हुए ग्लास को बिल्कुल उस पहले जैसे ग्लास की तरह हो जाना जो की नामुमकिन है। आप कहो की उस ग्लास को मेल्ट कर फिर से उसे उसका पहले का रूप दिया जा सकता है। लेकिन असल बात तो ये है की उस परोसेस मे और एंट्रॉपी बढ़ेगा। क्वांटम मेकैनिक्स के अनुसार हर चीज एक आरंभिक स्टेट से शुरू होकर एक खास फाइनल स्टेट पर खत्म होती है। ऐसा कभी नही हो सकता की दो आरंभिक (Initial) स्टेट एक ही तरह के फाइनल स्टेट पर खत्म हो। इससे तो इस थ्योरी की माने तो हम किसी भी चीज़ के फाइनल स्टेट को देखकर उसका इनीशियल स्टेट बता सकते हैं और इनीशियल स्टेट को देखकर फाइनल स्टेट बता सकते हैं।
जलने पर भी नष्ट नहीं होती जानकारी!
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। अगर आप एक माचिस की तिल्ली को जला देते हो तो वो राख का रूप ले लेता है। पर माचिस की तिल्ली का इंफोर्मेशन नष्ट नही होगा बल्कि कंजर्वे (Conserve) ही रहेगा। अगर आप उस राख को फिर से सही क्रम मे ले आओ तो वो फिर से माचिस की तिल्ली बन जाएगी। ये थ्योरिटिकली तो संभव है पर प्रैक्टीकली असंभव है।
पर समझने वाली बात ये है की इंफोर्मेशन कभी खत्म नही होता। इन बातों को याद रखियेगा ये जानकारी जो अभी आपने जाना इस पैराडॉक्स का बेस है जिससे आगे आप सारी चीजें समझेंगे। साल 1974 तक ब्लैक होल पैराडॉक्सियल नहीं थे। क्योंकि उस समय तक हम इनके बारे मे केवल इतना ही जानते थे की ब्लैक होल अपार घनत्व के कारण बनते हैं और इनका गुरुत्वाकर्षण बल अपने आस पास के सभी खगोलीय पिंडों को अपनी ओर खिच लेते हैं। ब्लैक होल (Black hole Information Paradox Hindi) के इवेंट होराइजन मे जाने के बाद कोई भी वस्तु वहाँ से बाहर नही निकल सकती।
यहाँ तक की प्रकाश भी इस खिचाव से नही बच सकता। तो अगर आप एक किताब को ब्लैक होल मे फेंकोगे तो वो ब्लैक होल के अंदर ही रहेगा। हालांकि उस किताब के चिथडे- चिथडे हो जाएंगे पर उस किताब मे मौजूद इंफोर्मेशन सेफ रहेगा। ठीक उस प्रकार जैसे की माचिस की तिल्ली के राख बनने पर भी उस राख को सही क्रम मे लगाने पर माचिस की तिल्ली हमे फिर से मिल जाती।
हॉकिंग रेडिएशन – Hawking Radiation
फिर साल 1974 मे स्टीफन हॉकिंग ने हॉकिंग रेडिएशन के बारे मे बताया जिसके तहत ब्लैक होल हर समय अपने अंदर मौजूद ऊर्जा को विकिरण (Radiation) के रूप मे अंतरिक्ष मे छोड़ते रहते है। ब्लैक होल द्वारा छोड़े जाने वाली ये ऊर्जा वो सारे खगोलीय पिंड,तारों और गैसेज की होती है जिसे ब्लैक होल ने निगला था। जब ब्लैक होल के पास निगलने के लिए कुछ नही बचता तो धीरे धीरे ये सारी ऊर्जा को अंतरिक्ष मे छोड़ देते है और एवापोरेट होकर खत्म हो जाते हैं। तो जिस ऊर्जा को ब्लैक होल एमिट करता है उसमे तारों और ग्रहों की इंफोर्मेशन होनी चाहिए जैसे की माचिस की तिल्ली का इंफोर्मेशन (Black hole Information Paradox) राख मे सेफ था।
पर हैरानी की बात तो ये है की हॉकिंग रेडिएशन मे इंफोर्मेशन होता ही नही है। और यही पैरडॉक्स अर्थात विरोधाभास को जन्म देता है। हॉकिंग रेडिएशन मे इंफोर्मेशन न होने का मतलब ये है की जिन तारों और ग्रहों को ब्लैक होल ने निगला था उनकी सारी इंफोर्मेशन नष्ट हो गयी है। और अगर ऐसा है तो ब्लैक होल को देख कर हम ये नही बता सकते की ब्लैक होल ने किन किन तारों और ग्रहों को निगला था क्योंकि उन तारों और ग्रहों का इंफोर्मेशन ब्लैक होल द्वारा छोडे गए हॉकिंग रेडिएशन मे मौजूद ही नही है। पर क्वांटम मेकैनिकस के अनुसार इंफोर्मेशन का नष्ट होना असंभव है। और कुछ ऐसे ही फीनोमीना (Phenomenon) पैराडॉक्स कहलाती है।
कहां गायब हो जाती है इंफोर्मेशन?
अब सवाल ये उठता है की अगर इंफोर्मेशन नष्ट नही हो सकता तो हॉकिंग रेडिएशन मे वो मौजूद क्यों नही था। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं की ब्लैक होल तारों और ग्रहों के इस इंफोर्मेशन को अपने अंदर ही रखता होगा और अपने अंतिम समय मे इसी इंफोर्मेशन को किसी दूसरे डायमेंसन मे भेज देता होगा या फिर अपने अंदर ही समाये रहता होगा पर हम उस मास और इंफोर्मेशन को डेटेक्ट् कर पाने मे सक्षम न होते होंगे। ये भी अनुमान लगाया जाता है की हॉकिंग रेडिएशन मे इंफोर्मेशन होता तो है पर उसका ऑर्डर चेंज होता है मतलब उन सभी तारों और ग्रहों का इंफोर्मेशन अलग क्रम मे बदल जाता है।
इसे कुछ इस तरह से समझिये जैसे की अगर कोई ग्रह जो की ब्लैक होल मे है उसका सारा इंफोर्मेशन रैंडमली कुछ भी हो जाता है तो इस इंफोर्मेशन से बना ग्रह असल मे ब्लैक होल मे गए उस ग्रह से बिल्कुल ही भिन्न होगा। इन सारी कल्पनाओं मे बहुत सारी खामियां हैं, कुछ परिकल्पनाएं तो पूरी की पूरी ही उलट सी लगती हैं। पर उस खामी को ठीक तरह से समझाने के लिए हमे बहुत बड़े बड़े कैल्कुलेशनस का सहारा लेना पड़ेगा और मैथेमेटिक्स और फिजिक्स की गहराई मे जाना पड़ेगा जिसे आप समझ नही पाओगे इसीलिए हम बस इतना ही जानेंगे। इस पैरडॉक्स को सॉल्व करने के लिए बताये गए सारे सुझाव पैरडॉक्स (Black hole Information Paradox Hindi) के सामने फीके लगते हैं। .
निष्कर्ष – Black hole Information Paradox
स्टीफन हॉकिंग द्वारा प्रस्तुत किये गए इस पैरडॉक्स को 47 सालों का लंबा समय हो चुका है। पर इसका कोई हल किसी के पास नही है। आशा ये है की आने वाले समय मे हम अपनी बढ़ते तकनीक की मदद से ब्लैक होल का दौरा कर पाएंगे और इस पहेली या कहें पैराडॉक्स को सुलझा पाने मे कामयाब होंगे। हालांकि इसमे कितना समय लगेगा इसका कोई अंदाजा नही लगाया जा सकता।