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ये शोध आखिर खोल सकता है चीजों के गायब होने का राज! – Warp Drive Experiment In Hindi

इस तकनीक के जरिए हम हो सकते हैं गायब, जानिए आखिर कैसे?

बचपन से ही हम लोगों को कई चीजों के बारे में बताया जाता है, ताकि हम छोटी से उम्र में ही प्रकृति को समझने लगें। हालांकि! जीवन भर हमें सीखते रहना चाहिए, परंतु कुछ बात ऐसी भी होती हैं, जो की कभी नहीं बदल सकते। मिसाल के तौर पर रात के बाद दिन होना या चीजों का ऐसे ही गायब न हो पाना (warp drive experiment in hindi)। कुदरत के नियमों के अनुसार कोई चीज़ ऐसे ही हवा में गायब नहीं हो सकती है। भौतिक विज्ञान किसी भी चीज़ को बिना कारण ऐसे ही गायब होने की इजाजत नहीं देता है।

क्या हैं गायब होने का राज! - Warp Drive Experiment In Hindi.
स्पेस में गायब होने का राज! | Credit: The Next Platform

मिस्टर इंडिया हो या मिस्टर एक्स फिल्मों में तो चीजों को छोड़िए, इंसानों को भी गायब (warp drive experiment in hindi) होते हुए दिखा दिया जाता है। ऐसे में मन में ये उत्सुकता बनी रहती है कि, क्या कोई चीज़/ इंसान वाकई में गायब हो सकती है? क्या ये संभव है? मित्रों! मेरे मन में भी ये सवाल बचपन से ही चल रहा है और मैं भी इसके उत्तर को जानने के लिए आतुर हो रहा हूँ। तो, चलिए क्यों न हम इसी के उत्तर को आज के लेख का विषय बना लेते हैं और इसके ऊपर चर्चा करते हैं।

आशा हैं आप सब मेरे साथ लेख के अंत तक बने रहेंगे और इस सवाल के जवाब को सुनने के लिए मेरे तरह ही उत्सुक होंगे। तो चलिए अब लेख को शुरू करते हुए मूल विषय पर आते हैं।

चीजों का गायब होना क्या संभव हैं? – Warp Drive Experiment In Hindi! :-

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे शोध को अंजाम दिया है, जो की चीजों के गायब (warp drive experiment in hindi) होने के राज को खोल सकता है। इसके अलावा ये शोध स्टीफन हॉकिंग के ऐतिहासिक थियरि को भी सच साबित कर रहा है। बता दूँ कि, ये थियरि ब्लैक होल से जुड़ी हुई है और ये आने वाले समय में कई बड़ी-बड़ी चीजों का खुलासा करने वाली है। अगर किसी तरह हम एक एटम को गायब होने के लिए मजबूर कर देते हैं, तब एक अद्भुत घटना को देखने का मौका मिलता है। इसे वैज्ञानिक “Quantum Glow” कहते हैं।

क्या हैं गायब होने का राज! - Warp Drive Experiment In Hindi.
वर्चुअल पार्टिकल। | Credit: Forbes.

बता दूँ कि, ये ग्लो तब पैदा होता है, जब एटम प्रकाश के रफ़्तार से ट्रैवल करने लगता है। इतने तेजी से ट्रैवल करने से एटम का भौतिकी गुण काफी ज्यादा बदल जाता है और नए-नए गुणों को ये प्रदर्शित करने लगते हैं। वैसे वैज्ञानिकों ने ग्लो वाले इस इफैक्ट को “Unruh” (Fulling-Davies-Unruh) इफैक्ट का नाम दिया है। इस इफैक्ट के दौरान चमकीले पार्टिकल अन्तरिक्ष में काफी तेजी से घूमते रहते हैं और इस इफैक्ट को कई वैज्ञानिक दूसरे बड़े-बड़े इफैक्ट के साथ जोड़ कर देखते हैं।

हॉकिंग इफैक्ट” के नाम से प्रसिद्ध एक इफैक्ट को भी वैज्ञानिक अनरूह इफैक्ट के साथ जोड़ कर देखते हैं। मित्रों! बता दूँ कि, हॉकिंग इफैक्ट ब्लैक होल से संबंधित होता है और इसमें ब्लैक होल के किनारे से हो कर कई सारे पार्टिकल बाहर कि और निकलते हैं। कई बार इस प्रक्रिया को हॉकिंग रेडिएशन के नाम से भी पहचाना जाता है, क्योंकि इसमें चार्ज पार्टिकल बाहर कि ओर निकलते हैं। इस चीज़ को लेकर वैज्ञानिकों के अंदर काफी ज्यादा उत्सुकता दिखाई देती है।

हॉकिंग इफैक्ट” और ये खोज! :-

मित्रों! “हॉकिंग इफैक्ट” और इस खोज (warp drive experiment in hindi) के बीच कई सारे रिलेशन देखने को मिलते हैं। परंतु दोनों ही चीजों को एक साथ इक्कठे समझ पाना हमारे लिए बेहद ही मुश्किल हो जाता है। हॉकिंग रेडिएशन केवल ब्लैक होल के आसपास के इलाके में देखा जाता है, परंतु अनरूह इफैक्ट को होने के लिए काफी ज्यादा त्वरण (acceleration) कि जरूरत पड़ती है। इतनी मात्रा में त्वरण को अन्तरिक्ष में पैदा होने के लिए एक “Warp Drive” कि जरूरत पड़ती है। खैर इस विषय में एक और बेहद ही बड़ा खुलासा हुआ है।

क्या हैं गायब होने का राज! - Warp Drive Experiment In Hindi.
इलेक्ट्रॉन कोलाइडर की फोटो। | Credit: Physics World.

कुछ वैज्ञानिकों का ये दावा है कि, उन्होंने एक ऐसी प्रक्रिया को ढूंढ कर निकाला है जिससे अनरूह इफैक्ट को ज्यादा सफल बनाया जा सकता है। बता दूँ कि, इस इफैक्ट के जरिए हम किसी भी चीज़ को गायब कर सकते हैं। इसलिए ये तकनीक काफी ज्यादा खास और उत्साहजनक है। मित्रों, अगर ये तकनीक व्यापक रूप से इस्तेमाल होने के लिए रेडी हो जाती है, तब हम इसके बहुत उपयगों को यूज कर सकते हैं, जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा।

वैसे इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि, वैज्ञानिक इस तकनीक को इस्तेमाल करने से अभी भी कतरा रहें हैं। क्योंकि ये चीज़ कोई साधारण चीज़ नहीं है, इस शोध को करने के लिए काफी जटिल प्रक्रियाओं को हमें सफल तरीके से पूरा करना होगा। 1970 के दशक में अनरूह इफैक्ट को सबसे पहले खोजा गया था और ये क्वान्टम फील्ड थियरि में सबसे ज्यादा आकर्षक विषय था।

क्वांटम फ़ील्ड और ये इफैक्ट! :-

क्वांटम फ़ील्ड के अनुसार अन्तरिक्ष में कोई खाली जगह वाली चीज़ ही नहीं है। हर एक जगह पार्टिकल और एंटी-पार्टिकल से भरा हुआ है और अगर हम इन पार्टिकल्स को सही ऐनेर्जी दे कर एक्ससाइटेड कर देते हैं, तब दोनों ही पार्टकल्स आपस में टक्कर खा कर कयामत ला सकती हैं। वैसे इस कयामत के पीछे का राज क्वांटम लेवल पर होने वाले वाइब्रेशन (Vibration) हैं, जो कि हर जगह काफी तेजी से होते हैं और इनके बारे में किसी को ज्यादा पता ही नहीं चलता है।

Unruh Effect.
अनरूह इफैक्ट। | Credit: Physics World.

1974 में स्टीफन हॉकिंग ने ये प्रेडिक्ट किया था की, ब्लैक होल के किनारों में महसूस किए जाने वाला काफी ताकतवर गुरुत्वाकर्षण बल पदार्थ के गुणों में काफी अलग-अलग तरह के बदलाव, जैसे पार्टिकल्स को गायब या यूं कहें की वर्चुअल पार्टिकल में तबदील करने में सक्षम रहता है। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि, ब्लैक होल पूरे तरीके से काले नहीं होते हैं। नियमित रूप से ब्लैक होल से भी रेडिएशन निकलते रहते हैं, जिससे ये हर वक़्त काला नहीं रह सकता है। खैर क्वांटम मैकानिक्स के तरह ही अनरूह इफैक्ट के दौरान भी पार्टिकल वर्चुअल पार्टिकल (गायब भी हो सकते हैं) में तबदील हो सकते हैं।

हालांकि! अनरूह इफैक्ट में पार्टिकल क्वान्टम मैकनिक्स में आने वाले बदलाव के विपरीत स्पेशल रिलेटीविटी” के वजह से वर्चुअल पार्टिकल में बदल जाते हैं। ऐसे में पार्टिकल लगभग प्रकाश के रफ्तार से ट्रैवल करने लगता है, जिससे टाइम भी धीरे-धीरे बीतने लगता है। क्वांटम मैकनिक्स के अनुसार एक एटम तभी एक्साइट होगा जब उसके इलेक्ट्रॉन को एक्साइट किया जाएगा।

फोटोन कि अहम भूमिका! :-

एटम के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन को एक्साइट करने के लिए फोटोन पार्टिकल कि जरूरत होती है। ये फोटोन पार्टिकल बाद में एटम को एक्साइट कर के उन्हें वर्चुअल पार्टिकल्स यानी गायब (warp drive experiment in hindi) करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि! अभी की तकनीक के अनुसार हमारे पास ऐसा कोई पार्टिकल एक्सलरेटर नहीं हैं, जिसके मदद से हम फोटोन को काफी हाइ स्पीड में ट्रैवल कराते हुए एटम को सक्रिय (Excite) करवा सकते हैं। इसके अलाव एक चुनौती और भी हैं, हमें न केवल फोटोन को हाइ स्पीड में ट्रैवल करवाना है, बल्कि इसको सेकंड के 1/10,00000 हिस्से में प्रकाश की रफ्तार से भी ट्रैवल करवाना है।

Hawking Effect.
हॉकिंग इफैक्ट। | Credit: Pioneering Minds.

इतने कम समय में इतने तेजी से पार्टिकल अगर ट्रैवल करेगा तो, इसके ऊपर इतना जी फोर्स गिरेगा कि, ये हमारी कल्पना से भी परे हैं। खैर हमारे पास जो भी डिटेक्टर हैं, वो तभी काम करेंगे जब पार्टिकल के ऊपर अरबों-खरबों गुना जी फोर्स गिरेगा। वैसे अगर स्पीड में थोड़ी सी भी कमी आती है तब हमें अनरुह इफैक्ट को देखने के लिए अनंत काल तक इंतजार करना पड़ेगा। वैसे यहाँ पर एक ट्विस्ट कुछ वैज्ञानिकों ने भी दिया हैं।

“Acceleration-induced transparency” नाम के एक तकनीक के अनुसार अगर इलेक्ट्रॉन को घने फोटोन पार्टिकल वाले जगह से काफी बार ट्रैवल कराया जाएगा, तब वो गायब हो सकता है और हमें अनरूह इफैक्ट को देखने का मौका मिल पाएगा।

Source:- www.livescience.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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One Comment

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