वायरस (Virus Facts in Hindi) पृथ्वी के सबसे छोटे जीव हैं, हालाँकि इन्हें जीव कहना सही नहीं होगा | क्यूंकि वैज्ञानिकों ने वायरस को किसी भी जीव के श्रेणी में नहीं रखा | बहुत सारे वैज्ञानिक यह मानते हैं कि वायरस निर्जीव हैं, क्योंकि वे किसी मेजबान कोशिका के बिना प्रजनन नहीं कर सकते हैं।
वायरस भोजन को भी ऊर्जा में परिवर्तित नहीं करते हैं न ही ये कोशिकाओं की तरह व्यहवार करते हैं जो आमतौर पर सजीव की विशेषताएं हैं।
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तो क्या वायरस निर्जीव हैं? – Are Virus Nonliving in Hindi
नहीं !! असल में वायरस जीवन के सबसे बुनियादी कण हैं | वे कोशिकाएँ तो नहीं हैं, पर इनमे आनुवंशिक पदार्थ (Gene) होते हैं | जो प्रोटीन से बने मजबूत ‘कोट’ के अंदर लिपटे हुए हैं |
ये खुद जीवित नहीं रह सकते इसलिए बढ़ने और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए किसी मेजबान का उपयोग करते है | जो उन्हें एक प्रकार का परजीवी बनाता है | ये किसी कोशिका (Host) के अन्दर खुद की प्रतियाँ बना सकता है |
“वायरस न सजीव होते हैं न निर्जीव , वायरस बस वायरस होते हैं, सबसे अनोखे !! “
वायरस का आकार – Size and Shape of Virus Facts in Hindi
अधिकांश वायरस (Virus Facts in Hindi) 5 से लेकर 300 नैनोमीटर(nm) आकार के होते हैं | यानी ये इतने छोटे होते हैं की साधारण माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखे जा सकते |
वायरस को ठीक से देखने के लिए आपको कुछ विशेष माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ेगी | आप इस बात से इनके आकार का अंदाजा लगा सकते हैं; कि कुछ वायरस आकार में किसी परमाणु से मात्र 10 – 12 गुना बड़े होते हैं |
वायरस के कई अलग-अलग आकार हो सकते हैं – ये छड़, गोले, कई तरफा गोले या इनके मिश्रित जटिल रूप में हो सकते है और हाँ ये अंतरिक्ष यान के आकार के भी होते हैं !!
इन्हें बैक्टीरियोफेज कहा जाता है क्यूंकि ये बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। शोधकर्ता और वैज्ञानिक अब एंटीबायोटिक दवाओं के बजाय बैक्टीरिया(Bacteria) के संक्रमण से लड़ने के लिए इन वायरस का उपयोग करने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
वायरस की खोज से सम्बंधित तथ्य – Discovery of Virus Facts in Hindi
1892 एक रूसी माइक्रोबायोलॉजिस्ट दिमित्री इवानोव्स्की ने तंबाकू के पौधों के एक संक्रमण पर शोध करते हुए कुछ विचित्र देखा | उन्होंने पाया कि ये संक्रमण बैक्टीरिया की तुलना में किसी छोटे जीवाणु से फैलता है।
जिसे अब तंबाकू मोज़ेक वायरस कहा जाता है | ये पहला ज्ञात वायरस था | जबकि 1901 वाल्टर रीड ने येलो फीवर वायरस की खोज की जो पहला ज्ञात मानव वायरस (Virus Facts in Hindi) था |
अच्छे वायरस से सम्बंधित तथ्य – Good Virus Facts in Hindi
वैसे अच्छे वायरस (Virus Facts in Hindi) की संख्या बहुत कम है पर सभी वायरस खराब नहीं होते हैं | असल में हम जितना वायरस के बारे में जानते जा रहे है हमे पता चल रहा है कि कुछ वायरस वास्तव में काफी लाभदायक हैं |
कुछ वायरस ने उन तरीकों से हमारी मदद की है, जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते और वहीं दुसरे कुछ वायरस ने हमारे भविष्य के लिए सकारात्मक संभावनाएं भी पैदा कीं हैं।
बैक्टीरियोफेज – Bacteriophage
बैक्टीरियोफेज वह वायरस हैं जो बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। वैज्ञानिक अब एंटीबायोटिक की जगह इन वायरस का इस्तेमाल बैक्टीरिया के विरुद्ध कर रहे हैं।
वीएसवी घोड़ों की एक संक्रामक बीमारी है जो एक वायरस की वजह से होता है। लेकिन अब इस वायरस को ऑनकोलिस्टिक वायरस (ओवी) चिकित्सा के रूप में एंटीकैंसर उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसी प्रकार एडेनोवायरस (एचएडीवी -52) भी कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है | इसी तरह कई अन्य वायरस का इस्तेमाल मानव रोगों से लड़ने के लिए किये जा रहे हैं।
बुरे वायरस से सम्बंधित तथ्य – Bad Virus Facts in Hindi
ज्यादातर वायरस बुरे होते हैं | बहुत बुरे !! एक बार जब कोई वायरस अपने मेजबान के अंदर पहुंच जाता है, तो वह स्वयं की प्रतियां विकसित करने और बनाने के लिए मेजबान की कोशिकाओं का उपयोग करता है।
जब कोई वायरस आपके शरीर में जाता है तो किसी भी एक कोशिका से खुद को जोड़ लेता है | फिर या तो खुद के जीन को आपके कोशिका में इंजेक्ट कर देता है या आपकी कोशिका ही उस वायरस को निगल जाती है।
खुद की प्रतियां बनाता है वायरस – Copies Of Virus Facts In Hindi
वायरस फिर आपके कोशिका के सभी काम करने वाले भागों पर हावी हो जाता है और खुद की प्रतियां बनाना शुरू करता है | ये प्रतियां आमतौर पर, इतने सारे बना दिए जाते हैं कि आपकी कोशिका फट जाती है।
ये नए वायरस बिलकुल पुराने वायरस जैसे होते हैं क्यूंकि सभी में एक ही प्रकार का जीन कोड होता है इसलिए धीरे धीरे आसपास के सभी स्वस्थ कोशिकाओ पर भी हमला कर देते हैं।
आपके शरीर में बस एक वायरस खुद की हजारों प्रतियां बना सकता है और आपको बहुत बीमार कर सकता है |
“ब्रिटिश नागरिक एचआईवी वायरस से मुक्त होन वाला दूसरा व्यक्ति बना”
कुछ वायरस ऐसी बीमारियों का कारण बनते हैं जिनके बारे में आपने सुना होगा जैसे खसरा, चिकनपॉक्स और निश्चित रूप से, फ्लू | फ्लू (इन्फ्लूएंजा) दुनिया में सबसे प्रसिद्ध वायरल रोगों में से एक है |
यह आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और आपको खांसी, गले में खराश, बहती नाक, सिरदर्द, बुखार, थकान और दर्द देता है | लेकिन इनके अलावा कुछ इतने खतरनाक वायरस हैं जिन्होंने बड़ी तबाही मचाई है जिनमे से एबोला, एचआईवी, डेंगू, रेबीज, स्मालपॉक्स जैसे घातक वायरस भी हैं।
अपनी चालाकी से एंटीबॉडी से लड़ता है वायरस –
वायरस वास्तव में बहुत चालाक होते हैं | वे खुद को बहुत जल्दी बदल (म्यूटेट कर) सकते हैं | जैसे ही एक नया टीका बनाया जाता है, एक नए प्रकार का फ्लू दिखाई देता है, जो पिछले से बस थोड़ा अलग होता है |
जब कोई वायरस आपको बीमार बनाता है, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आक्रमणकारियों से लड़ने में मदद करने के लिए एंटीबॉडी बनाती है |
यदि वायरस (Virus Facts in Hindi) बदल जाता है, भले ही यह बस थोड़ा बदल जाए, लेकिन आपके शरीर द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी इसे पहचान नहीं पाते हैं, इसलिए आपको बचाने के लिए कोई मदद नहीं कर पाते | इसीलिए वायरस के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव टीकाकरण किया जाना ही है।
टीकाकरण का इतिहास – History of Vaccination in Hindi
टीकाकरण का इतिहास भी चेचक जैसे खतरनाक वायरस से शुरू होता है। किसी को नहीं पता की चेचक की शुरुवात कहाँ से हुई, लेकिन यह माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में भी, यह मिस्र के साम्राज्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा था |
प्राचीन काल में यह एक विनाशकारी बीमारी थी जिससे लगभग 30 प्रतिशत संक्रमित लोग मारे जाते थे। और जो बचते थे, उनके शारीर पर भयानक निशान रह जाते थे | लेकिन 1796 में, एडवर्ड जेनर नामक एक अंग्रेजी चिकित्सक ने एक खोज की |
उन्होंने देखा कि दूध दुहने वाली औरतो में चेचक की बीमारी नहीं है | जल्द ही, उन्होंने महसूस किया कि चेचक के समान गायों की एक बीमारी जिसे “Cowpox” कहा जाता था, उसका इन औरतो को चेचक से बचाने में जरूर कोई हाथ है |
उन्होंने अपने सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए एक लड़के को पहले “Cowpox” से संक्रमित टीका लगाया और फिर चेचक से संक्रमित टीका |
हालांकि यह एक खतरनाक प्रयोग था, पर यह वास्तव में सफल रहा, क्यूंकि “Cowpox” के वायरस (Virus Facts in Hindi) के कारण उस लड़के को चेचक नहीं हुआ | और इस प्रकार दुनिया में टीकाकरण का चलन शुरू हुआ जिसने दो शताब्दियों बाद चेचक के वायरस को दुनिया से खत्म कर दिया |
मनुष्य अंडे नहीं बच्चे देते हैं, क्या इसके पीछे कोई वायरस है? – Is Virus responsible for Human giving birth to babies and not eggs.
वैज्ञानिक अभी इसे पूरी तरह प्रमाणित नहीं कर पाए पर ऐसा माना जा रहा है कि, मनुष्य या कोई भी स्तनपाई अंडे नहीं देता इसके पीछे एक प्राचीन रेट्रोवायरस कारण हो सकता है |
जैसा की हम सब जानते है विकासवाद के सिद्धांत के अनुसार सभी स्तनपाई जीवो का निर्माण अंडे देने वाले डायनासोर या शरिसृप से ही हुआ है |
ऐसा माना जाता है कि “अंतर्जात रेट्रोवायरस” जिसे आजकल जीन थेरेपी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इस वायरस ने ही जीन में बदलाव करके स्तनधारियों में प्लेसेंटा के निर्माण में मदद की और अंततः स्तनधारियों को जीवित जन्म के लिए सक्षम बनाया |
– हम इंसानो का सबसे बड़ा रहस्य, आखिर कौन हैं हम? जानें विज्ञान के माध्यम से– Cells Facts Hindi
वैसे भी जब आप एक माँ और भ्रूण के बीच के संबंध पर नज़र डालते हैं, तो यह बिलकुल वैसा ही लगता है जैसा एक मेजबान जीव और परजीवी जीव के बीच सम्बन्ध होता है |