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आपके सोचने से पहले वैज्ञानिक पता लगा लेंगे कि आप क्या सोच रहे हैं

Latest Research On Human Brain In Hindi

Human Brain Research –  यह सोचने में भला कितना अजीब लगता है कि हमारे निर्णय लेने से पहले कोई हमे ये बता दे कि आप ये निर्णय लेने वाले थे, वैसे तो व्यवहारिक दृष्टि से ऐसा होना संभव नहीं है। पर अब वैज्ञानिक इस पर भी शोध करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि वे कुछ खास पैटर्न जानने के बाद किसी के भी दिमाग के निर्णय लेने और सोचना उस व्यक्ति से पहले जान लेंगे।

जब एक अध्ययन में भाग लेने वालों को दो पैटर्न के बीच चयन करने के लिए कहा गया, तो परीक्षण चलाने वाले वैज्ञानिकों ने एक fMRI मशीन पर छवियों का इस्तेमाल किया,  ये दो छवि थी जिनमें से भाग लेने वाले लोगों को चुनना था।  उनके चुनने के हिसाब से वैज्ञानिक इस शोध पर ये नतीजे लगा रहे हैं कि हमारा निर्णय लेना हमारे  अचेतन  मन द्वारा किया जाता है। जो ज्यादातर  “स्टैंड-बाय” मोड पर रहता है।

न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के  प्रोफेसर जोएल पियर्सन ने स्वयंसेवकों के एक समूह को क्षैतिज( horizontal) या ऊर्ध्वाधर  (vertical) रंगीन रेखाओं के पैटर्न की कल्पना करने के लिए कहा। 

अपने सही रंग का मन में  चुनाव करके के बाद प्रतिभागियों ने एक बटन दबाया , उसके बाद उन्हें जब यकीन हो गया कि यही रंग चुनना है तो उन्होंने दुबारा एक बटन और दबाया।  इन दोनों बटनो के बीच के टाइम को नोट कर पियर्सन ने इमेजिंग का उपयोग करके  निर्णय लेने के समय को सत्यापित   किया।   इस खास समय जिसमें प्रतिभागियों ने अपना निर्णय तय किया था, पियर्सन को पहले से ही पता  चल जाता था कि प्रतिभागी कौन सा बटन दबाने वाला है।

कुछ प्रतिभागियों को इन दो चित्रों को दिखाया गया और चुनने के लिए कहा गया। दूसरों को एक हरे / क्षैतिज लाल बाँधना दिखाया गया था। फ्यूचर माइंड्स लैब

इन तस्वीरों को लोगों को 11 सेकेंड तक दिखाया जाता था  , जिसमें पियर्सन ये नोट करते थे कि प्रतिभागी क्या पहले से ही निर्धारित निर्णय लेने वाला है या उसका दिमाग अपने आप कुछ सोच कर खुद कोई पैटर्न चुन लेगा…

हालांकि पियर्सन इस शोध से ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आये  क्योंकि वे इसमें 50 फीसदी से थोड़ा ज्यादा ही सफल हुए, दिमाग के निर्णय लेने की क्षमता पर अध्ययन करने वाली दूसरी रिसर्च के मुताबिक पियर्सन की रिसर्च ज्यादातर पैटर्न और कुछ खास बिंदुओं पर निर्भर थी। जैसे अगर आफ किसी को कहो कि बैंक के बारे में सोचो तो वह सबसे पहले उस बैंक के बारे में सोचेगा जहां उसने अपना पैसा रखा है, फिर अगर आप उसे पानी दिखा दो तो वह व्यक्ति अब रिवर बैंक (नदी का तट) के बारे में सोचेगा।

पियर्सन को उम्मीद है कि इसी तरह की कुछ खास शोधों से वह उन लोगों का इलाज कर पायेंगे  जो किसी तरह के मानसिक विकार से पीडित  रहते हैं और कई बार अपनी क्रियात्मकता को भूल जाते हैं।

–  विशेषज्ञों के अनुसार दिमाग के इस हिस्से के कारण होता है डिप्रेशन (अवसाद)

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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