गंगा नदी में पाये जाने वाला बैक्टीरियोफेज वायरस क्यों बैक्टीरिया को मारता है? (The Bacteriophage Virus In Hindi ) इस दुनिया में अरबों सालों से एक जंग चली आ रही है जिसमें हर रोज लाखों-अरबों की संख्या में जीव मरते हैं और दूसरों को मारते हैं, ये जंग इतनी खतरनाक होती है कि कई जीवों का पूरा नाश हो जाता है।
ये जंग इतनी जरूरी है कि इसे इस ब्रह्मांड या कहें तो इस ग्रह का सबसे ताकतवर और घातक जीव लड़ता है जिसे वैज्ञानिक बैक्टीरियोफेज (Bacteriophage) या फेज भी कहते हैं।
इनकी तादाद इतनी ज्यादा है कि आप कल्पना भी नहीं कर पाओगे। जितने इस दुनिया में सभी जीव, बैक्टीरिया और दूसरे जानवर नहीं है उससे खरबों गुना की संख्या में हर रोज जंग लड़कर ये हम इसानोंऔर संसाधनो की रक्षा करते हैं।
तो आखिर इस जीव की ऐशी क्या विशेषता है जो इसे पूरे ग्रह का सबसे खतरनाक और घातक जीव बना देती है, आखिर क्यों Bacteriophage इतने शक्तिशाली है कि इन्हें कोई मार भी नहीं सकता है। और कैसे ये हमें आने वाली बीमारियों के भयानक संकट से बचा सकते हैं , आईये जानते हैं –
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बैक्टीरियोफेज (Bacteriophage) क्या होते हैं?
Bacteriophage या सोर्ट में कहें तो फेज एक वायरस है जो ना तो जीवित जीव जैसा है और ना ही ऐसा है कि मर गया हो, ये बस एक जीव है, जिसे देखकर लगता है कि शायद किसी ने इसे पूरी सिमिर्टी (Symmetry) के साथ बनाया है।
एक फेज के सर की बनाबट एकदम Icosahedron Shape जैसी है जिसमें 20 फेसेस(Faces) और 30 ऐजेस (Edges) होते हैं। इसके सिर के अंदर वायरस का जेनेटिक मैटिरियल (Genetic Material) होता है जो कि एक लंबी पूँछ पर टिका होता है। ये पूँछ अगर आप देखेंगे तो कुछ लंबे पैरो के सहारे टिकी रहती और बैक्टीरियोफेज के सिर को स्थिर रखती है।
असीमित है इनकी जनसंख्या ( Bacteriophages are Everywhere)
इस ग्रह पर जितने भी Organism हैं बड़े या छोटे अगर उन सबको भी हम मिला लें तो भी हम इस फेज की आबादी का मुकाबला नहीं कर सकते हैं।
ये इतने ज्यादा है कि ये एक बैक्टीरिया तक में भी हजारों की संख्या में जिंदा रहते हैं, आप जहां भी नजर डालोगे, जहां भी देखोगे हर उस चीज़ में ये जीव रहता है, आपके शरीर से लेकर आपके पानी में भी यहां तक की आप सांस लेते हो तो हजारों की संख्या में इस जीव को अपने अंदर समा लेते हो।
आपके शरीर के हर हिस्से में ये मौजूद रहते हैं, फेज की इस कभी ना खत्म होने वाली आबादी को देखकर अभी आप बहुत घबरा गये होगे क्योंकि इस दुनिया में ज्यादातर मौतों के लिए यही फेज जिम्मेदार है।
कट्टर दुश्मन बैक्टीरिया
पर आप ज्यादा मत घबराइये भले ही ये फेज हर किसी को मारने के लिए दोड़ता है पर ये ज्यादातर अपने कट्टर दुश्मन बैक्टीरिया का ही शिकार करता है। समुद्र में मिलने वाले 40 प्रतिशत बैक्टीरिया को ये फेज हर रोज खत्म कर देते हैं, और ये ऐसा अरबों सालों से करते आ रहे हैं।
फेजस की दिक्कतें (Problems Of Bacteriophages)
भले ही ये इतने घातक हों पर इनकी के भी अपनी कुछ दिक्कते हैं, फेजस दूसरे वायरसों की तरह अपने होस्ट (Host) के शरीर पर ही जीवित रह पाते हैं, ये किसी भी ऐसे जीव की तलाश में रहते हैं जिस पर चिपकर ये जीवित बने रहें और प्रजनन भी कर सके।
अगर आप फेजेस को देखें तो आप पायेंगे कि ये बस एक ऐसा जीव है जो कि एक खास जेनेटिक मैटेरियल अपने अंदर रखता है, तो इस वजह से ये अपने जिंदा रहने के लिए किसी ना किसी होस्ट की खोज करता रहता है।
मिसाइल की तरह बैक्टीरिया में जाता है घूस
आमतौर पर देखा गया है कि फेज जो कि एक वायरस है अपने रहने और प्रजनन के लिए एक खास बैक्टीरिया (Specific Bacteria) का चुनाव करता है। बैक्टीरिया एक तरह से इसका शिकार होता है जिसमें ये फेज एक क्रूज मिसाइल की तरह जाकर के अंदर घूस जाता है, जब ये फैज बैक्टीरिया के शरीर में घुसता है तो उसके साथ ही ये अपनी पूँछ को धंसाकर अपनी सारी जेनेटिक इंफोरमेशन बैक्टीरिया के अंदर डाल कर उस पर कब्जा जमा लेता है।
बैक्टीरिया में ही पैदा करता है अपने बच्चे
उसके बाद ये प्रजनन कर उस बैक्टीरिया के अंदर ही मिनटों के दौरान कई सारे नए फेजस को पैदा करता है, औऱ ये तबतक होता रहता है जबतक होस्ट बैक्टीरिया का पूरा शरीर फेजस से भर नहीं जाता, जैसे ही सभी फेजस बन जाते हैं तो फिर अंत में Endolysin एंजाइम बनाकर के बैक्टीरिया के अंदर इतना प्रैसर क्रियट करते हैं कि फिस उसके बाद बेचारा बैक्टीरिया खुद ही फटकर सभी फेजस को बाहर फेक देता है। और इसी तरह से नये बने फैजस बाहर आकर दूसरे बैक्टीरिया के शिकार के लिए फिर दुबारा निकल जाते हैं।
एंटीबायोटिक्स हो रहे हैं बेकार
बैक्टीरिया को मारने के लिए पहले वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक्स को बनाया था, जो कि सीधे जाकर के हर बैक्टीरिया को मारकर आपको बीमारी से बचा लेते थे पर अब हालात बदल चुके हैं।
धीरे-धीरे अब ये बैक्टीरिया भी Evolve होते जा रहे हैं और इंसानो की हर चाल का जवाब दे रहे हैं, आज के समय में हमारे बनाये गये ऐंटीवायोटिक्स जो कि घातक और बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया को मारने के लिए बनाये गये थे अब बेकार हो चुके हैं.
और आगे आने वाले सालों में हमारे पास बैक्टीरियल Diseases से लड़ने के लिए कोई विक्लप नहीं बचने वाला है क्योंकि हम जितना भी असरदार एंटीवायोटिक बनाते हैं बैक्टीरिया कुछ ही सालों में उससे लड़ना चालू करके उसे कम असरदार या बेकार कर देते हैं।
एंटीबायोटिक्स का अंधाधुंध प्रयोग
पुराने जमाने में जहां हाथ पर जरा सा भी कट लग जाता था, या कोई चोट लग जाती थी तो उसका इलाज ना होने पर बैक्टीरिया द्वारा इंसानो की तुरंत मौत हो जाती थी, उस समय हर कोई छोटी से छोटी बीमारी के कारण खत्म हो जाता था।
बैक्टीरिया तब हमारे लिए फेज वायरस बन गया था जो हमें लगातार मार रहा था, बैक्टीरिया से हमारी जंग 100 साल पहले थमी जब सबसे पहले एंटीबायोटिक पेनिसिलिन (Penicillin) को बनाया गया।
ये वो कंपाउड था जो कि एक फंगी द्वारा वैज्ञानिकों ने खोजा था जिसमें बैक्टीरिया को मारने के गुण थे। ये पहला एंटीबायोटिक था जिससे बैक्टीरिया को हम आसानी से मार सकते थे।
एंटीबायोटिक जब बन गया खतरना
लोगों को जब भी कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन होता तो डाक्टर एंटीबायोटिक देकर उसे खत्म कर देते थे, धीरे-धीरे हम इंसानो से इन एंटीबायोटिक को इतना इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जो बाद में हमारे लिए खुद खतरा बन गया।
लोग हल्के सर्दी जुकाम में भी इसका इस्तेमाल करने लगे, इससे हुआ ये कि हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया धीरे-धीरे विकसित होकर एंटीबायोटिक से लड़ना सीख गया और फिर हमारे लिए ये और उल्टा उसर करने लगे।
सूपरबग (Superbug Bacteria)
एंटीबायोटिक से लड़ने के कारण बैक्टीरिया अब इतना इम्युन (Immune) हो चुका है कि अब उसे हम सूपरबग (Superbug Bacteria) भी कहते हैं, जो कि इतना घातक और बुद्धिमान है कि किसी भी एंटीबायोटिक से लड़कर जीवित रह सकता है।
सूपरबग हमारे द्वारा बनाया गया वो बैक्टीरिया है, जिसका अगर हमने इलाज नहीं ढूंढा तो हम फिर से उसी समय में चलें जायेगें जहां पर हल्का सा कट, या चोट बैक्टीरियल इंफेक्शन बनकर इंसान की जान ले लेती थी।
बहुत तेजी से फैल रहा है सूपरबग
सूपरबग इतनी तेजी से फैल रहे हैं कि आप सोच भी नहीं सकते, जैसे-जैसे इंसानो का घुलना – मिलना बहुत ज्यादा है वैसे ही कुछ ही सालों में विश्व के हर कोने में ये सूपरबग फैल कर तांडव मचा देंगे।
फिर हम किसी भी चीज़ से इन्हें नहीं मार पायेंगे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक सूपरबग कैंसर से भी ज्यादा घातक होगा और उससे भी ज्यादा लोगों को मार देगा। अकेले हर साल भारत में 58 हजार लोगों की मौत इस सूपरबग से होती है।
पर हम इससे अब भी बच सकते हैं, हमारा बैक्टीरियोफेज वायरस हमारी इस काम में मदद कर सकता है, पर आखिर ये कैसे काम करेगा और कैसे हमें बचायेगा आइये अब ये भी देख लेते हैं।
अपने शरीर में डालना होगा फेज
रिसर्च में ये बात साफ है कि फेजस जो कि छोटे वायरस हैं और बैक्टिरिया को खाकर ही अपना जीवन बिताते हैं, अगर हम उन्हें एंटीवायोटिक की जगह शरीर में डाल लें तो ये वायरस फिर सूपरबग बैक्टीरिया को खत्म कर सकता है। इसके लिए हमें अरबों की संख्या में पृथ्वी के सबसे घातक जीव Phage को अपने शरीर में डालना होगा जो कि दवाई और दूसरे तरह के ट्रीटमेंट (Treatment) से बहुत ही अलग है।
क्या बैक्टीरियोफेज (Bacteriophage) को शरीर में डालना सही है??
पर रूकिए, यहां तो वैज्ञानिक कह रहें है कि सूपरबग से बचने के लिए हम फेजस का इस्तेमाल कर सकते हैं, पर अरबों की संख्या में अगर हम इन फेज वायरस अपने शरीर में डालेंगे तो क्या ये सही होगा? क्या इससे हम बच पायेंगे कि उल्टा और खतरनाक बीमारी के कारण मर जायेंगे।
बैक्टीरिया के स्पेशल किलर (Bacteriophage are special killers)
फेजस अपने आप में बैक्टीरिया के स्पेशल किलर होते हैं, इंसान के सैल को ये बिलकुल भी नुक्सान नहीं पहुँचाते हैं, जिससे हम पूरी तरह से इन फेजस वायरस से सुरक्षित है।
ये वायरस स्पेशल तरीके से हमारे सैल और बैक्टीरिया को देखा करते हैं, हम हर रोज अरबों की संख्या में इनसे सामना करते हैं पर ये बिना कुछ कहे ही निकल जाते हैं।
फेजस और एंटीबायोटिक इस तरह से वार करते हैं –
वहीं एंटीबायोटिकअंधाधुंध बंबिग करते हैं और अच्छे और खराब Bacteria का फर्क नहीं समझ पाते तो वह सामने आने वाली हर चीज़ को मार देते हैं, इसी वजह से ये ज्यादा कारगर नहीं है, वहीं फेजस गाईडिग बंबिग करते हैं, जिन्हें पता होता है कि किसे मारना है और किसे नहीं।
पर एक मिनट हम ये तो जानते हैं कि बैक्टीरिया एंटीवायोटिक से बचने के लिए इवोल्व होकर इंटीवायेटिक रसिसटेंट बन गये जिस कारण आज एंटीवायोटिक का कोई असर नहीं होता, तो क्या बैक्टीरिया इसी टेकनीक को अपनाकर फेजस से नहीं बच सकते हैं, जिससे फिर उन्हें फेजस से कभी कोई खतरा ना हो।
बैक्टीरिया फेजस को नही मार सकते हैं! (Bacteria Can’t Kill Bacteriophages )
तो फिलहाल बैक्टीरिया ऐसा कुछ नहीं कर सकता है, अगर वह इनसे बचने के लिए इवोल्व होता है तो फेजस भी इक जीव हैं, वो भी इसे मारने के लिए विकसित होकर और खतरनाक बन जायेंगे, वैसे भी पिछले अरबों सालों के जीवन के इतिहास में बैक्टिरिया आजतक फेजस से नहीं जीत सका है।
पर अगर किसी कारण बस वो फेज रसिसटेंट (Phages Resistant ) बन भी जाये तो उसे फिर से एंटीबायोटिक का खतरा होगा, क्योंकि फेजस से बचने के लिए बैक्टीरियाको एंटीबायोटिक से समझौता करना ही पडेंगा।
Bacteriophage का सफल परीक्षण
इसे पहले से ही एकबार एक व्यक्ति के इन्हें अंदर टेस्ट किया जा चुका है जो एक सफल टेस्ट रहा, ये व्यक्ति दुनिया के सबसे खतरनाक बैक्टीरिया Pseudomonas aeruginosa से पीड़ित था जिसने इसकी धाती पर इंफेक्शन कर दिया था।
इसे कोई भी दवाई या एंटीबायोटिक का असर नहीं हो रहा था, जब कोई उम्मीद नहीं बची तो डाक्टरो ने इसकी चेस्ट केविटी (Chest Cavity) में ऐंटीबायोटिक(Antibiotics) के साथ कुछ हजार Bacteriophages को सीधा इंसर्ट कर दिया जिससे वह धीर-धीरे कुछ ही हफ्तों में ठीक हो गया और उसी के साथ उसका बैक्टीरियल इंफैक्शन (Bacterial Infection) भी हमेशा के लिए खत्म हो गया।
अभी भी फेजस को लेकर हो रहा है शोध – Research On Bacteriophage
ये टेस्ट सफल रहा जिसमें वैज्ञानिकों को बहुत उम्मीदे नजर आईं पर दुर्भाग्य से अभी फेजस का ये टेस्ट और ट्रीटमेंट अभी भी ऐक्सपेरेमेंटल स्टेट में है, जिसपर कोई भी फार्मा कंपनी इंवेस्ट करने को तैयार नहीं है।
दुनिया भर की सरकारें भी इसे लेकर चुप बैठी हैं और अभी तक कोई भी सेफटी गाइडलांइस और प्रोसिडर तैयार नहीं किया है, 2016 में इसे लेकर बहुत रिसर्च और खोजे हुएं थी जो अभी भी चालू हैं पर ये अभी भी पव्लिक की पहुँच से दूर है, खैर तबतक हमें ऐटीबायोटिक को ही सहारा है।
लेकिन जब सूपरबग बैक्टिरीया अपना ताड़व दिखायेगा तो मुझे उम्मीद है कि सरकारें तब Bacteriophages पर जरूर जोर देंगी, उस समय हम अपने शरीर में पृथ्वी ग्रह का सबसे खतरनाक और घातक जीव अपने शरीर में डालकर अपनी जान बचायेंगे।