हमारा सौर-मंडल दूसरे सौर-मंडलों से काफी ज्यादा खास है। क्योंकि अब तक सिर्फ हमारे सौर-मंडल में ही कार्बन के ऊपर आधारित जीवन देखा गया है। यूं तो ग्रहों में भी सिर्फ पृथ्वी के ऊपर ही जीवन को देखा गया है, परंतु आजकल हमारे वैज्ञानिक हमारे पड़ोसी ग्रहों के ऊपर भी नजर गड़ाए बैठे हैं। ग्रह का नाम मंगल हो या शुक्र (Venus is Leaking Oxygen), हमें सिर्फ इन ग्रहों के ऊपर मौजूद जीवन के सबूतों से ही मतलब है। ऐसे में आए-दिन अलग-अलग तरह के शोध व मिशनों का होना जाहिर सी बात है। क्योंकि हमें इन्हीं के जरिये ही दूसरे ग्रहों के बारे में पता चलता है।
शुक्र (Venus is Leaking Oxygen) की जब भी बात आती है, तब मेरे मन में एक अनोखी सी उत्सुकता जन्म लेती हुई प्रतीत होती है। क्योंकि मंगल से विपरीत ये ग्रह, जीवन की उत्पत्ति के लिए उतना भी सही नहीं हैं। वैसे देखा जाए तो इससे पहले भी मैंने शुक्र के ऊपर कई सारे लेख आप लोगों के लिए लिखे हैं, परंतु ये लेख उन सभी लेखों से काफी ज्यादा अलग होने वाला है। क्योंकि हम इसमें एक बहुत ही खास टॉपिक के ऊपर चर्चा करने जा रहें हैं।
तो, मित्रों! क्या आप तैयार हैं शुक्र से जुड़ी एक बहुत ही खास विषय के ऊपर जानने के लिए? अगर आपका उत्तर हाँ! हैं तो मेरे साथ इस लेख में अंत तक जरूर जुड़े रहिएगा।
विषय - सूची
शुक्र से निकल रहा है ऑक्सिजन! – Venus is Leaking Oxygen! :-
हाल ही में एक स्पेसप्रोब ने शुक्र (Venus is Leaking Oxygen) से जुड़ी कुछ बेहद ही रोचक चीज़ का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार शुक्र से काफी भारी मात्रा में ऑक्सिजन और कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है और वैज्ञानिकों को इसके पीछे के कारण के बारे में कुछ नहीं पता है। इससे पहले कभी भी इस तरह की घटना के बारे में कोई भी जानकारी वैज्ञानिकों के पास नहीं था। मित्रों! आप लोगों को क्या लगता है, क्या शुक्र के ऊपर ये जीवन से जुड़ी कुछ प्राथमिक सबूतों में से एक हो सकते हैं? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
वैसे इस खोज के कारण शुक्र के काफी नाजुक मैग्नेटिक वातावरण के बारे में भी पता चलता है। मित्रों! आप लोगों को यहाँ बता दूँ कि, शुक्र का मैग्नेटिक फील्ड कुछ इस तरीके का है कि; ये अपने वातावरण से बाहर किसी भी पदार्थ को आसानी से जाने नहीं देता है। इसलिए भारी मात्रा में हो रहें ऑक्सिजन और कार्बन के उत्सर्जन को वैज्ञानिक आसानी से समझ नहीं पा रहें हैं। क्योंकि ये शुक्र के साधारण वातावरण के बर्ताव से काफी ज्यादा अलग चीज़ है। आम तौर पर शुक्र के वातावरण में इस तरह के चीजों को नहीं देखा जाता है।
खैर यहाँ एक रोचक बात ये भी है कि, शुक्र का मैग्नेटिक फील्ड ज्यादा स्टैबल नहीं है और ये काफी ज्यादा सूर्य के द्वारा प्रभावित भी होता रहता है। साल 2021 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी का मरक्युरि बाउंड स्पेस-प्रोब “BepiColombo” शुक्र के वातावरण में लगभग 90 मिनट तक रहा था। इसी बीच उसे शुक्र के इस घटना के बारे में पता चल पाया था।
शुक्र का वातावरण है काफी ज्यादा अजीब! :-
जैसा की मैंने पहले ही कहा हैं, बेपीकोलोम्बो नाम के स्पेस प्रोब ने जब शुक्र (Venus is Leaking Oxygen) के ऊपर 90 मिनट का समय बिताया था, तब वैज्ञानिकों को शुक्र के बारे में काफी कुछ पता चल पाया था। उनके हिसाब से शुक्र के ऊपर मौजूद चार्ज्ड़ पार्टिकल और आईऑन शुक्र के वातावरण को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसके अलावा एक बात ये भी है कि, ये पार्टिकल्स धीरे-धीरे ग्रह के वातावरण से स्पेस की और रवाना हो रहें हैं।
कुछ वैज्ञानिक इसकी वजह सूर्य को बताते हैं। उनके अनुसार सूर्य की रोशनी इन पार्टिकल्स को काफी ज्यादा एक्साइट कर देती है। इससे पार्टिकल आसानी से अपने वातावरण को छोड़ कर अन्तरिक्ष में उत्सर्जित होने लगते हैं। यहाँ एक खास बात ये भी है कि, ग्रह के वातावरण से अन्तरिक्ष की और निकलते वक़्त, इनकी गति काफी ज्यादा बढ़ जाती है। वैसे इन पार्टिकल्स की गति इतनी ज्यादा होती है कि, ये आसानी से शुक्र के मैग्नेटिक फील्ड और ग्रैविटी को भी पार कर जाते हैं। मित्रों! इस तरह की घटनाएँ बिलकुल भी आम नहीं हैं।
क्योंकि इस तरह की घटनाओं को साधारण तौर पर नहीं देखा जाता है। वैसे शुक्र के ऊपर हम इंसान टेराफोर्मिंग कर के बसना चाहते हैं। परंतु जब शुक्र के ऊपर ऑक्सिजन ही नहीं रहेगी, तो क्या हम इंसान वहाँ पर जिंदा रह पाएंगे? ये एक बहुत ही सोचने वाली बात है, क्योंकि इसके ऊपर कोई भी चर्चा नहीं की जा रही हैं।
आखिर कैसे घट रहीं है ये घटना? :-
अगर हम इस घटना के गहराई में जाने का प्रयास करें तो, हमें पता चलेगा कि, शुक्र (Venus is Leaking Oxygen) के वातावरण से बाहर की और निकलने वाले पार्टिकल्स वजन में काफी भारी होते हैं। इसलिए इन पार्टिकल्स के लिए, ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल को पार कर पाना उतना भी आसान नहीं हैं। हालांकि! अभी तक इसके बारे में सटीक कुछ पता नहीं चल पाया है। वैसे शुक्र के वातावरण में काफी ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा होती है और साथ में नाइट्रोजन जैसे गैस भी होती हैं।
खैर वैज्ञानिकों को इससे पहले शुक्र ग्रह के नाइट साइड की और ऑक्सिजन के कुछ ट्रेसेस मिलते थे, परंतु गज़ब की बात ये हैं की, अब ग्रह के डे साइड पर भी ऑक्सिजन के ट्रेसेस को देखें गए हैं। जिसका मतलब ये है कि, इस ग्रह पर ऑक्सिजन तो मौजूद जरूर हैं। हालांकि! ये ऑक्सिजन हमारे लिए जिंदा रहने लायक हैं या नहीं, ये तो आने वाले समय में भी पता चल पाएगा। वैसे ऑक्सिजन के होने कि वजह से ग्रह पर सोलर रेडिएशन का खतरा भी थोड़ा कम रहता है।
वैसे अगर हम शुक्र से निकल रहे ऑक्सिजन की उत्पत्ति के बारे में जान लेते हैं, तब हम ग्रह के वातावरण और इसकी टाइम लाइन के बारे में भी काफी कुछ पता लगा सकते हैं। टाइम लाइन से मेरा मतलब ये है कि, आखिर ये ग्रह कैसे समय के साथ चैंज व इवोल्व (Evolve) हुआ है। इससे हमें ये फायदे होगं कि, शुक्र के ऊपर पानी के सबूतों के बारे में भी पता चल जाएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैज्ञानिकों के अनुसार जिस प्रोब ने शुक्र (Venus is Leaking Oxygen) के ऊपर ऑक्सिजन के उत्सर्जन के बारे में पता लगाया है, वो जल्द ही अपनी मूल डेस्टिनेशन बुध ग्रह पर पहुँच जाएगा। बेहरहाल आने वाले दशक में कुछ बहुत ही उन्नत रोबोटिक प्रोब्स को शुक्र के ऊपर लाँच करने का प्रबंध किया जा रहा है। यूरोप और अमेरिका की स्पेस एंजेंसियाँ 2029-2031 के बीच कई स्पेस प्रोब्स को अन्तरिक्ष में छोड़ने के लिए तैयार हो रहें हैं। इसमें हम हमारे पड़ोसी ग्रहों और उनके ऊपर मौजूद वातावरण के बारे में भी काफी कुछ जान पाएंगे।
वैसे एक बात तो तय है कि, आने वाले समय में हम शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों के बारे में काफी कुछ अहम जानकारियों को इक्कठा करने वाले हैं। इससे हमें हमारे सौर-मंडल के बारे में और बारीक जानकारी मिल जाएगी, जिससे हम भविष्य में होने वाले स्पेस मिशनों को काफी अच्छे तरीके से अंजाम दे पाएंगे। मित्रों! यहाँ एक बात ये भी है कि, हमारे अगली पीढ़ियों के लिए बसने लायक ग्रह को ढूँढना हमारे ऊपर एक ज़िम्मेदारी जैसा है।
इसलिए इस बात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है कि, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों पर ऑक्सिजन और पानी जैसे जीवन के जरूरी कारकों का मिलना हमारे लिए कितनी ज्यादा अहम है। व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसा लगता है कि, हमारे लिए इन ग्रहों पर और भी ज्यादा शोध करना जरूरी है, ताकि असल बात सामने आ सके। ये मेरी अंतिम पोस्ट भी हो सकती है? मेरे भविष्य का कुछ पता नहीं है?
Source :- www.livescience.com