पृथ्वी पर जब से मानव जाति है हमेशा ही रात में आकाश को देखकर हैरान होती रही है, हजारों तारों नेब्युला और आकाशगंगा को देखना हमेशा ही हम मानवों के लिए एक अद्भुत अनुभव रहा है, पर धीरे-धीरे बढ़ते विज्ञान के युग में और आधुनिक मशीनों के जरिए हमने अपने आसमान को जबसे निहारा है पूरा अंतरिक्ष विज्ञान ही बदल गया है। टेलीस्कोप (How Hubble Telescope Works) के निर्माण और आधुनिक कैमरों की ममदद से हमने ब्रह्मांड को वो राज खोजे हैं जो इससे पहले किसी को नहीं ज्ञात थे। हबल टेलीस्कोप इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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हबल की 13 लाख खोजें
आप सभी हबल टेलीस्कोप को तो पहले से ही जानते हैं, धरती से 500 किमी ऊपर वह पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Orbit) में रहकर ब्रह्मांड के विशालकाय औबजेक्ट के चित्र (Images) भेजता रहता है। 1990 से लेकर अबतक हबल (How Hubble Telescope Works) करीब 13 लाख अवलोकन (observation) कर चुका है। इसकी मदद से हमने कई आकाशगंगाओं को देखा है और उन्हें बेहतर तरीके से समझा है।
शक्तिशाली मिरर और कैमरे के कारण हबल हर वो काम कर सकता है जो धरती पर लगे विशालकाय टेलिस्कोप नहीं कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि कैसे हबल टेलीस्कोप अरबों प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा की सटीक इमेज लेता है और किस तरह वैज्ञानिक उस गैलेक्सी की दूरी और उम्र का पता लगा पाते हैं। हबल कैसे किसी नेब्युला या स्टार के केमिकल एलिमेंट्स (Chemical Elements) को जान पाता है और किस तरह वो इनका सीधा निरीक्षण करता है।
Advanced Camera for Surveys – How Hubble Telescope Works
हबल टेलीस्कोप अंतरिक्ष में मौजूद औबजेक्ट की हाई रेजोल्यूशन इमेज लेने के लिए दो मुख्य कैमरों का इस्तेमाल करता है, इसमें लगा पहला कैमरा विजिबल लाइट में औबजेक्ट की तस्वीर लेता है। यानि जिस वेवलेंथ (Wavelength) में हम देख पाते हैं उसी वेवलेंथ में हवल का Advanced Camera for Surveys यानि (ACS) हमें अंतरिक्ष में विशालकाय जगहों की इमेज लेने में मदद करता है।
ये वैज्ञानिकों को उन आकाशगंगाओं की इमेज देता है जो कई लाखों लाइट ईयर दूर होती हैं, साल 2002 में इंस्टॉल किये गये इस ACS में तीन और छोटे कैमरे लगाए गए हैं इन कैमरों को चैनल कहा जाता है और हर कैमरा अलग-अलग तरह की तस्वीर लेता है। हालांकि ज्यादातर विजिबल लाइट (Visible spectrum) में ही इमेज लेने वाले ये कैमरे औबजेक्ट यानि खगोलिय पिंड की कई जानकारियों को लेने से चूक जाते हैं। अंतरिक्ष में मौजूद धूल के कारण ये कैमरे उन औबजेक्ट को मिस कर देते हैं जिनकी चमक कम होती है या वे सीधे धूल और टेलीस्कोप के बीच में होते हैं।
Wide Field Camera 3
इसी कमी को दूर करने के लिए और एडवांस इमेज लेने के लिए हबल (How Hubble Telescope Works) में साल 2009 में वाइड फील्ड कैमरा 3 (Wide Field Camera 3) इंस्टाल किया गया था, ये कैमरा विजिवल लाइट के साथ-साथ अल्ट्रावाइलेट और अवरक्त (इंफ्रारेड) वेवलेंथ पर भी स्पेस में मौजूद औबजेक्ट की तस्वीर ले सकता है। इसकी मदद से हम नेब्युला में बन रहे तारों की प्रक्रिया के बारे में जान सके हैं।
ये कैमरा वो सब भी देख सकता है जो अंतरिक्ष की धूल के कारण हम किसी और टेलीस्कोप से नहीं देख सकते हैं, ध्यान से ये दोनो तस्वीरों को देखिए एक इमेज विजिबल लाइट में ली गई है और एक इमेज इंफ्रारेड लाइट में ली गई है।
विजिबल लाइट और इंफ्रारेड में हबल की तस्वीर
विजिवल लाईट इमेज वो इमेज है जो हम अपनी आँखो से स्पेस में देखते हैं, यहां आप तुलना करेंगे तो आप देखेंगे कि विजिबल लाइट में ली गई इमेज में बहुत धूल मौजूद है और नेब्युला में मौजूद कई तारे भी गायब हैं। हम केवल उन्हीं तारों को देख पा रहे हैं जो बहुत ज्यादा चमकीले हैं।
वहीं अब इसी नेब्युला की आप इंफ्रारेड तस्वीर देखिए आप साफ धूल के बीच में मोजूद तारों को देख सकते हैं, आप यहां बन रहे तारों और उन आकाशगंगाओं को भी देख सकते हैं जो इस नेब्युला की वजह से हमें दिखाई नहीं दे रही थीं। अपनी इसी खूबी के कारण WFC 3 2009 से अबतक हबल (How Hubble Telescope Works) का प्रमुख कैमरा बना हुआ है और लगातार अंतरिक्ष में मौजूद पिंड की सटीक तस्वीर भेजता रहता है। इसकी मदद से हम ब्रह्मांड की कई घटनाओं को देख सके हैं हमने गैलेक्सीस (आकाशगंगा) के बनने की प्रक्रिया से लेकर सौर-मंडल के ग्रहों का जन्म और तारे को सूपरनोवा धमाके के साथ खत्म होते हुए देखा है।
सबसे दूर स्थित आकाशगंगा की तस्वीर
अपने इसी कैमरे की मदद से हबल ने 32 अरब प्रकाश वर्ष दूर ब्रह्मांड की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा देखी, ये आकाशगंगा बिंग के 40 करोड़ साल बाद बनती हुई हमें दिखाई देती है।
टेलीस्कोप से हम जितना दूर देखते हैं उतना ही हम भूतकाल में जाते हैं, अगर आप किसी पिंड को 50 लाइट ईयर दूर देख रहें तो वास्तव में आप उसे 50 साल पीछे देख रहे हैं, क्योंकि उस पिंड से आ रही लाइट आपके टेलिस्कोप तक आते आते 50 साल लगा देती है, इसलिए टेलीस्कोप उसकी 50 साल पुरानी तस्वीर ले पाता है। 13.5 अरब साल पुरानी आकाशगंगा हमें ये बताती है कि ये ब्रह्मांड के जन्म के समय वास्तव में कैसी दिखाई देती होगी।
अधिक जानकारी के लिए देखिए वीडियो…
हबल इन खगोलीय पिंडो की तस्वीर के साथ-साथ उनकी दूरी और उनके प्रकाश पर भी अध्यन करता है, इस दूरबीन में कई खास यंत्र लगें हैं जिनके बारे में आपको जानना जरुरी है, इससे आगे की जानकारी के लिए आप ये वीडियो देख सकते हैं जिसमें हमने हबल के बारे में बहुत कुछ बताया है, साथ में हमने रेडियो टेलिस्कोप और लाइगो इक्सपेरिमेंट पर भी बात करी है तो आगे की जानकारी के लिए वीडियो जरूर देखिए……