कोरोना से बचाव के लिए हम लोगों को कई सारे उपाय पहले से ही बता दिए गए हैं, हाथ धोने से लेकर मुंह पर मास्क पहनने तक हर एक उपाय कोरोना के विरुद्ध काफी कारगार साबित भी हो रहा हैं। लोगों को एक दूसरे से दूर व मिलने-जुलने से भी रोका गया हैं, जो की कोरोना के खिलाफ छेड़े गए इस मुहिम को और भी ज्यादा सशक्त कर रहा हैं। परंतु उन लोगों का क्या जो पहले से ही कोरोना के चपेट में आ चुके हैं, जिन्हें वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) के जरिए जिंदा रखा गया हैं ! आखिर उनकी परिस्थिति कैसी हैं ? क्या वह ठीक हो जाएंगे ! ऐसे ही कई सारे सवालों का जवाब आज हम इस लेख में ढूँढने जा रहें हैं।
इसके साथ ही साथ बता दूँ की, कई दिनों से टीवी और इंटरनेट पर ट्रेंड हो रहे शब्द “वेंटिलेटर” (full detail of ventilator in hindi) के बारे में भी कई बातें जानेंगे। वेंटिलेटर क्या हैं और यह कैसे काम करता हैं तथा कोरोना मरीजों के लिए यह क्यों जरूरी हैं ! इसको भी हम लोग इस लेख में आगे जानेंगे। वैसे मित्रों! यह लेख बहुत ही ज्यादा आकर्षक होने वाला हैं तो, धैर्य के साथ आगे इसे इसी तरह ही पढ़ते रहिएगा।
तो, चलिए लेख को आगे बढ़ाते हैं और वेंटिलेटर के बारे में दिलचस्प बातों को जानते हैं।
विषय - सूची
वेंटिलेटर क्या हैं ? – What Is Ventilator In Hindi ? :-
लोगों ने वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) का नाम अवश्य ही कई न्यूज़ चैनलों में सुना होगा, परंतु आखिर यह वेंटिलेटर क्या हैं? चलिए सबसे पहले इसकी संज्ञा को ही जान लेते हैं। जिससे आप लोगों को इसके बारे में अधिक जानने के समय कोई दिक्कत न हो।
सरल भाषा में कहूँ तो, “वेंटिलेटर एक तरह से चिकित्सा में आने वाला उपकरण हैं जो की मुख्य रूप से वायु-संचार का काम करता हैं”। इसका मूल और सबसे प्राथमिक काम यह हैं की, यह कृत्रिम तरीके से सांस लेने में मरीज की मदद करता हैं। ऑक्सिजन युक्त हवा पहले तो मरीज के फेफड़ों तक पहुंचाता है और फिर दूषित (कार्बनडाइऑक्साइड युक्त हवा) हवा को फेफड़ों से शरीर के बाहर निकाल देता हैं।
ऐसे में एक तरह से हम लोग कह सकते हैं की, मौलिक तौर पर यह एक कृत्रिम श्वसन तंत्र का मशीन हैं। जिस किसी भी मरीज को सांस लेने में काफी ज्यादा दिक्कत हो रहीं होती हैं उसे ही सिर्फ वेंटिलेटर का सपोर्ट दिया जाता हैं। वेंटिलेटर पर होने के बाद मरीजों के जीवन को कई हद तक बचाया जा सकता हैं; परंतु इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए की, इस मशीन को आखिरी विकल्प के तौर पर मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
अस्पताल में इस मशीन को I.C.U और आपात कालीन वर्ड में ज़्यादातर इस्तेमाल किया जाता हैं, जहां पर मरीज की हालत गंभीर होता हैं। वैसे यहाँ बता दूँ की, इस मशीन की जरूरत ज़्यादातर मरीजों को नहीं पड़ती हैं। इसलिए वेंटिलेटर का नाम सुन कर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं हैं।
खैर आगे हम लोग यह मशीन कैसे काम करता हैं तथा संक्षिप्त में इसके प्रकारों को बारे में जानेंगे। तो, लेख के आने वाले भागों को आप जरा ध्यान से पढ़िएगा।
वेंटिलेटर कितने प्रकार के होते हैं ? – Types Of Ventilator In Hindi :-
इसके कार्यप्रणाली को देखते हुए इसके मुख्य रूप से दो प्रकार हैं। सरल भाषा में कहूँ तो एक हैं, पॉज़िटिव वेंटिलेटर और दूसरा हैं नेगेटिवे बेंटिलेटर। तो, पॉज़िटिव वेंटिलेटर के जरिए हवा को मरीज के अंदर प्रवेश करवाया जाता हैं तथा नेगेटिवे वेंटिलेटर के जरिए हवा को शरीर से बाहर निकाला जाता हैं।
वैसे दोस्तों को बता दूँ की, इस प्रक्रिया में वेंटिलेटर के जरिए मरीज के ऊपर दबाव युक्त हवा का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे ठीक तरीके से काम नहीं कर रहें श्वसन तंत्र को सहारा मिल सके। इसलिए डॉक्टर बहुत ही अच्छे तरीके से वेंटिलेटर पर मौजूद मरीजों की नियमित रूप से देख-रेख करते रहते हैं।
वैसे आज के समय में वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) मूल रूप से कम्प्युटर द्वारा परिचालित होता हैं। कम्प्यूटर द्वारा स्वतः रूप से परिचालित वेंटिलेटर को Computerized Microprocessor Controlled Machine भी कहा जाता हैं। इसके साथ ही साथ ध्यान रहे की कई मरीजों को हाथों से परिचालित होने वाले वेंटिलेटर भी दिया जाता हैं, जो की कम्प्यूटर परिचालित वेंटिलेटर के मुक़ाबले संरचना में बहुत ही ज्यादा सरल होता हैं।
वेंटिलेटर मशीनों का प्रयोग पिछले शताब्दी से शुरू होगा था। बीससवीं शताब्दी में फैली पोलियो महामारी के दौरान इस मशीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल हुआ था। उस समय इस मशीन को शरीर के अंदर से हवा को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
इसके बाद 1950 की दशक में वेंटिलेटर को आम तौर पर निश्चेतन (Anesthetic) के प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। इसके जरिए किसी भी ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर मरीजों को वेंटिलेटर से लगा कर धीरे-धीरे निश्चेतक दबाई दे कर बेहोश कर देते थे जिससे वह लोग मरीज का सही व सटीक तरीके से उपचार कर सकें।
वेंटिलेटर आखिर किसे दिया जाता हैं ? – Who Needs Ventilator Support :-
मुख्य रूप से वेंटिलेटर को दो प्रकार के मरीजों को दिया जाता हैं। जो मरीज खुद से सांस लेने में असमर्थ होते हैं और जिस मरीज का कोई गंभीर ऑपरेशन हो रहा हो। वैसे तो इसके अलावा भी अन्य कई क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल होता हैं, परंतु वह बहुत ही कम हैं।
जब भी किसी ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा होता हैं, तो डॉक्टर आप को एक निश्चेतन दबाई से बेहोश कर देते हैं। इससे मरीज का होश कुछ समय के लिए अस्थाई रूप से चला जाता हैं। गौरतलब बात यह हैं की कई निश्चेतन दवाइयां शरीर के ऊपर कई सारे साइड इफैक्ट भी दिखाती हैं जिसमें से श्वसन तंत्र में कमजोरी आना एक प्रमुख उदाहरण हैं।
तो, जब भी किसी मरीज को निश्चेतन दिया गया होता हैं तो उस मरीज का फेफड़ा खुद से सान लेने में असमर्थ होता हैं। इसलिए उस मरीज को वेंटिलेटर के ऊपर रखा जाता हैं जिससे वह उपचार के दौरान सुरक्षित तौर पर सांस ले सके। मित्रों! आम तौर पर मरीजों को वेंटिलेटर से निकालने के बाद उन्हें यह पता भी नहीं चलता हैं की, उन्हें कभी वेंटिलेटर पर चढ़ाया भी गया था। हालांकि गले में हल्का दर्द रहता ही हैं।
वेंटिलेटर की भूमिका होती हैं बहुत ही महत्वपूर्ण ! :-
जब ऑपरेशन सफल हो जाता हैं, तो मरीजों के ऊपर से वेंटिलेटर निकाल दिया जाता हैं और उसे कुछ समय के आराम करने के लिए छोड़ दिया जाता हैं। बहरहाल निश्चेतन दबाईयां कुछ हद तक अपना असर मरीज के ऊपर दिखा रहीं होती हैं। धीरे-धीरे इन दबाईयों का असर खत्म होने के बाद मरीज का होश लौटता हैं। अब मरीज आराम से अपने खुद के श्वसन तंत्र के मदद से सांस लेने में सक्षम हो जाता हैं।
हालांकि बता दूँ की, गंभीर ऑपरेशन के बाद कई मरीजों को कई घंटों तथा दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा जाता हैं। जिसकी वजह से मरीजों को किसी भी प्रकार का तकलीफ नहीं पहुंचता हैं।
वैसे वेंटिलेटर को उन मरीजों को भी दिया जाता हैं, जो की किसी रोग से पीड़ित हों। इसका बहुत ही अच्छा उदाहरण हैं “कोरोना”। जी हाँ! मित्रों कोरोना के कुछ घटनाओं में मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती ही पड़ती हैं। बात दूँ की, कोरोना के कारण इंसानी श्वसन तंत्र बुरी तरीके से अक्षम या सांस लेने के लिए काफी ज्यादा संघर्ष करता हैं। इसके कारण मरीज पूरी तरीके सांस ही नहीं ले पाता या उसे सांस लेने में काफी ज्यादा दिक्कत होता हैं।
कोरोना के मरीजों को कैसे दिया जाता हैं वेंटिलेटर की सुविधा ! :-
कोरोना के चपेट में आने के बाद मरीजों की श्वसन प्रणाली बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो जाता हैं। इसके कारण मरीजों की सान लेने में भारी मात्रा में कमी आ जाती हैं। उनका सांस जल्द ही फूलने लगता है और वास्तविक तौर पर वह कुछ भी कार्य नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर मरीज को वेंटिलेटर न दिया जाए तो, हार्ट कोलाप्स के कारण से उसकी मौत भी हो सकती हैं।
Pneumonia तथा COPD बीमारियाँ में भी लोगों को वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) की सुविधा दी जाती हैं। वैसे अगर आप गौर करें तो इस बात का आपको पता चलेगा की, वेंटिलेटर में जीतने भी मरीजों को रखा जाता हैं सभी के सभी मरीज किसी न किसी श्वसन तंत्र के दिक्कतों से जुड़े हुए हैं जो की जिंदा रहने के लिए अनिवार्य हैं।
इसलिए अकसर लोग वेंटिलेटर को “Life Support” सिस्टम भी कह देते हैं, क्योंकि कुछ हद तक यह इंसानी जीवन को जिंदा रखने में मददगार साबित हो रहा हैं। वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की, मौलिक तौर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम आपको अंतरिक्ष में दिखाई पड़ता हैं। जो की अंतरिक्ष यात्रीयों को बहुत ही प्रतिकूल परिवेश में भी जिंदा रखता हैं।
हालांकि यहां पर आप तर्क दे कर कह सकते हैं की, वेंटिलेटर भी तो प्रतिकूल परिस्थितियों में मरीजों को जिंदा रख रहा हैं; जो की सही भी हैं परंतु फिर भी मौलिक तौर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम का प्रयोग अंतरिक्ष में ही होता हैं। वर्तमान के परिस्थिति को देखें तो यह आज कई कोरोना मरीजों की आखिरी ऊमीद के तौर पर भी काम आ रहा हैं।
वेंटिलेटर कैसे काम करता हैं ? – Full Detail Of Ventilator In Hindi :-
तो, चलिए मित्रों! अब हम लोग वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) की कार्यप्रणाली के बारे में जान लेते हैं और देखते हैं की आखिर किस तरह यह लोगों की जान बचाता हैं।
आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, वेंटिलेटर मुख्य रूप से सेचूरेटेड ऑक्सिजन एयर को मरीजों के अंदर भेजता हैं। जो की श्वसन नली के होते हुए मरीज के फेफड़ों तक पहुंचता हैं। इसके अलावा वह मरीज के फेफड़ों से इसी नली के जरिये कार्बनडाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालता हैं, जिसके बारे में मैंने आप लोगों को पहले ही बता दिया हैं।
वैसे आपके सुविधा के लिए बता दूँ की, वेंटिलेटर के बारे में और अधिक जानने से पहले आप लोग मेरे द्वारा इंसानी श्वसन तंत्र के ऊपर आधारित लेख को एक बार जरूर पढ़ें। क्योंकि उस लेख में मैंने इंसानी श्वसन तंत्र से जुड़ी हर एक बात को बहुत ही सरल और सटीक तरीके से आप लोगों को समझाया हैं। जो की आपको वेंटिलेटर के कार्यप्रणाली को और अच्छे तरीके से समझने में बहुत ही मदद करेगा।
खैर वेंटिलेटर के मशीन में मुख्य रूप से दो उपकरण होते हैं :- (1) Breathing Tube, (2) Ventilator.
(1) Breathing Tube (सांस लेने की कृत्रिम नली) :-
Breathing Tube वेंटिलेटर का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण होता हैं, क्योंकि इसी के जरिए ही हवा मरीज के अंदर भेजी जाती हैं। खैर Breathing Tube को मरीज के अंदरूनी श्वसन नली के साथ जोड़ा जाता हैं। मरीज के अंदरूनी श्वसन नली के साथ जोड़ने के बाद इसे दूसरी छोर से वेंटिलेटर के साथ भी जोड़ा जाता हैं। इससे वेंटिलेटर से हवा सीधे तरीके से मरीज के अंदरूनी श्वास नली में पहुंचा जाता हैं और बाद में फेफड़ों तक भी।
इस Tube को मुख्य रूप से मरीज के मुंह या नाक से शरीर के अंदर प्रवेश करवाया जाता हैं, वैसे बता दूँ की Tube को शरीर के अंदर प्रवेश करवाने की इस प्रक्रिया को “Intubation” कहा जाता हैं। वैसे गौरतलब बात यह भी हैं की, जिस ट्यूब को इस तरीके से मुंह या नाक के जरिये शरीर के अंदरूनी श्वास नली में डाला जाता उसे “Endotracheal” ट्यूब कहते हैं।
वैसे Endotracheal Tube को अपने जगह पर बनाए रखने के लिए एक स्ट्राप का इस्तेमाल किया जाता हैं, जो की मरीज के सर से जुड़ा हुआ होता हैं। Endotracheal Tube को शरीर के अंदर डालने के वक़्त मरीज को कई बार आपात कालीन अवस्था में निश्चेतन की दबाईयां भी दी जाती हैं, जिससे उसे किसी भी प्रकार की तकलीफ़ न पहुंचे।
(2) Ventilator (वेंटिलेटर) :-
वेंटिलेटर मुख्य रूप से ऑक्सिजन और हवा को मरीज के अंदर डालता हैं। इसके साथ ही साथ सांस को बाहर छोड़ने के दौरान भी मरीज की मदद भी करता हैं। वैसे वेंटिलेटर के अंदर जरूरत के हिसाब से प्रति मिनट सांस लेने व छोड़ने की क्रिया को सेट किया जा सकता हैं, जिसके वजह से मरीज को नियमित रूप से एक निर्धारित समय के अंतर में सांस लेने के लिए हवा पहुंचता रहे।
इसके अलावा भी खुद वेंटिलेटर स्वचालित ढंग से अपने हिसाब से मरीज के अंदर हवा पहुंचा सकता हैं, जिससे मरीज को कोई दिक्कत न हो। वैसे इससे पहले भी मैंने आप लोगों को इस लेख के अंदर वेंटिलेटर के कार्य प्रणाली के बारे में बता दिया हैं, तो मेँ समझ रहा हूँ की आप लोगों को इसके बारे में बहुत कुछ पता चल चुका होगा।
वेंटिलेटर से जुड़ी कुछ जोखिमों वाली बातें :-
वेंटिलेटर (full detail of ventilator in hindi) से जुड़ी सबसे जोखिमों वाली बात तो यह हैं की, मरीज को न्यूमोनिया होने का खतरा हमेशा रहता हैं। Endotracheal Tube के जरिए कभी भी मरीज को बैक्टीरिया अपने चपेट में ले सकता हैं, जिसे की विज्ञान की भाषा में Ventilator Associated Pneumonia (VAP) भी कहा जाता हैं।
इसके के ऊपर होने के दौरान मरीज खांस भी नहीं सकता हैं, जिससे मरीज अपने श्वसन नली को जरूरत के समय खांस कर साफ नहीं रख पाता हैं। इसके साथ ही साथ मरीजों को Sinus Infection भी हो सकता हैं। बहुत समय तक वेंटिलेटर के इस्तेमाल के चलते मरीज के फेफड़े दम तोड़ सकते हैं तथा अधिक ऑक्सिजन के कारण Oxygen Toxicity भी हो सकता हैं।
इसके इस्तेमाल के साइड इफैक्ट के तौर पर मरीजों के शरीर के अंदर खून जम सकता हैं। इसके अलावा कई बार त्वचा में भी इन्फ़ैकशन हो सकता हैं।
COVID-19 और Personal Protection Equipment की भूमिका ! :-
COVID-19 के इस संकट के समय में वेंटिलेटर मरीजों को तो चाहिए ही, परंतु इसके साथ ही साथ मरीजों की दिन-रात देखभाल कर रहें डॉक्टर, नर्श तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के सुरक्षा के लिए भी कुछ चाहिए। इसलिए आप लोगों ने अकसर टीवी पर स्वास्थ्य कर्मियों को प्लास्टिक की तरह दिखाई देने वाले एक विशेष तरह के पोशाक पहने हुए देखे होंगे। मित्रों! बता दूँ की प्लास्टिक से बने हुए पोशाक की तरह दिखाई देने वाले इन पोशाकों को Personal Protection Equipment (PPE) कहते हैं।
इन पोशाकों का मूल काम देख भाल कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को मरीजों के द्वारा संक्रमित होने से बचाना हैं। वैसे अधिक जानकारी के बता दूँ की, स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा आप दमकल वाहिनी और सुरक्षा बलों को भी कई बार PPE इस्तेमाल करते हुए देखे होंगे।
कैसे बचाव करता हैं COVID-19 का PPE :-
इस लेख में मेँ आप लोगों को COVID-19 से जुड़ी PPE के बारे में कुछ जानकारी दूंगा, तो इसे जरा गौर करिएगा। WHO की और से COVID-19 के लिए एक विशेष प्रकार की PPE का इस्तेमाल करने को सभी स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश दिया गया हैं। वैसे इस PPE के अंदर शरीर के बचाव के लिए एक नॉन-डिस्पोसल गाउन, आँखों और मुंह तथा नाक की सुरक्षा के लिए फेस मास्क/ N 95 रेस्पिरेटर, हाथों की सुरक्षा के लिए विशेष दस्ताने तथा सर के ऊपर एक प्रोटेक्टिव गियर (टोपी) पहनने का निर्देश दिया गया हैं।
इसके अलावा जूतों के ऊपर भी प्रोटेक्टिवे (Protective Gear) पहनने की हिदायत दी गई हैं, जिससे कर्मियों की सुरक्षा की बेहतर तरीके से पुष्टि कारण दिया जा सकता हैं। वैसे PPE को इस्तेमाल कर के संक्रमण को बहुत हद तक रोका भी जा रहा हैं। परंतु फिर भी मरीजों की चिकित्सा करते समय कर्मियों को सावधानी बरतनी चाहिए ही चाहिए !
Sources :- www.forbes.com, www.nhlbi.nih.gov, www.fda.gov, www.nebraskmed.com.